अंजू की चूत, गाण्ड और झांटों की सुगन्ध -2

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जैसे ही मैंने नज़र उठाई तो सारा शरीर झनझना उठा, यूँ लगा कि बिजली का एक तेज़ करंट का तार मुझे छू गया हो।

अंजू रानी मादरजात नंगी मेरे सामने नाच रही थी और वो सेक्सी गाना बजे जा रहा था जिसकी धुन पर मेरी चुदासी अंजू रानी डांस कर रही थी।

क्या मदमस्त फिगर थी ! क्या बदन था !! यह तो वो पटाखा था जो हिजड़ों में भी गर्मी पैदा कर दे, कब्र में लटके पैरों को भी मिल्खा सिंह बना दे और जो लंड बरसों से ढीले पड़े हों उनको भी खड़ा कर के लोहे के समान बना दे। यह वो लड़की थी जिस सेक्स के भंडारे को देख कर तो सन्यासी भी देह शोषणकर्ता बन जाएँ।

अंजू रानी मचल मचल के, थिरक थिरक के नाच रही थी, उसका अंदाज़ बेहद कामुक और उत्तेजक था।

जिसने गाना लिखा था उसे भी यह ख्याल नहीं आया होगा कि उसके मस्ती वाले गाने पर नाचते हुए एक ज़ोरदार चुदाई का खेल होगा। नंगी अंजू रानी एक जन्नत की हूर जैसी लग रही थी।

क्षमा चाहता हूँ अंजू रानी पूरी नंगी नहीं थी, उसने अपने सैंडल नहीं उतारे थे, नंगी अंजू रानी अपने हाइ हील के सैंडल में डांस करती हुई गज़ब ढा रही थी।

उसकी अदाओं पर मर मिटने को जी चाहता था, लंड अकड़ अकड़ के पागल हो रहा था और तुनके पे तुनका मारे जा रहा था मानो कि अंजू रानी को सलाम कर रहा हो।

अंजू रानी थिरकते हुए मेरे पास आई और मुझे इशारा किया कि क्योंकि उस ने अपनी चड्डी उतार दी है तो मैं भी अपना अंडरवीयर उतार फेंकूँ।

बिना एक भी पल गंवाये मैंने अपना कच्छा उतारा और उसे एक तरफ को फेंक दिया।

कच्छे की क़ैद से आज़ाद होते ही लंड उछल उछल कर बताने लगा कि वो भी तैयार है इस खेल का हिस्सा बन जाने के लिये…

जैसे ही मैं नंगा हुआ, अंजू थिरकती हुई मेरे करीब आ गई और उसने अपने दिलकश चूचे मेरे चेहरे से रगड़ने शुरू कर दिये।

उसने मेरा सिर पकड़ के खूब अच्छी तरह से मेरा मुंह अपनी चूचियों से, चूचियों के बीच में और निप्पलस में घुसा घुसा के रगड़ा। वो मेरा सिर बालों से कस के जकड़े हुए थी और जैसा उसका दिल होता था वैसे मेरे मुंह को इधर उधर घुमाते हुए मम्‍मोँ पर दबा दबा कर रगड़ती और कभी चूचों से मेरे मुंह को दबा देती, कभी एक, तो कभी दूसरी निप्पल मुझे चूसने को देती।

मैं भी मस्ती से भरा हुआ था और जब भी मौका लगता उसकी चूची में दाँत गड़ा देता या निप्पल को काट लेता।

थोड़ी देर के बाद मैंने अंजू रानी की कमर जकड़ ली, दूसरे हाथ से उसकी गर्दन और फिर मैंने चूचियों को आराम से चूसना शुरू किया। यारो, क्या ही मदमस्त चूचे थे नरम, रेशम से चिकने और बहुत ही ज़ायकेदार… चूस के मजा इतना आ रहा था कि बयान करना मुश्किल है।

जब मैं चूची को कस के काट लेता तो अंजू रानी कराह उठती। साथ साथ वो गालियाँ दिये जा रही थी- चूस चूस बहन के लौड़े चूत निवास..। चूस मादरचोद चूस..। हाँ और ज़ोर से दाँत गाड़ इन हरामज़ादी चूचों म़ें.। काट के खा जा कुत्ते..। तू काट के खा ही जा बहन के यार..। हाँ हाँ..। और ज़ोर से कमीने..। चूस चूस..। तेरी माँ को कुत्ते चोदें साले हरामी..। बहन चोद..। गांडू..। चूसे जा चूसे जा साले चूसे जा..। इत्यादि इत्यादि…

और मैं चूसे गया।

मैंने अंजू रानी की चूत पर हाथ फिराया तो हाथ पूरा भीग गया।

अंजू रानी की चूत पूरी गर्म थी और चुद जाने को तैयार ही नहीं बेकरार भी…

अंजू रानी चूचियाँ चुसवाते हुए भी थिरक रही थी गाने की धुन पर… इस से चूची मुंह म़ें घुसे घुसे भी थोड़ा थोड़ा हिल रही थी।

यह एक अनूठा अनुभव था जो मैंने पहली बार किया था, नाचते हुए इस से पहले किसी लड़की ने चूचे नहीं चुसवाये थे।

काफी समय के बाद अंजू रानी सिसकारते हुए बोली- सुन राजा…हरामी अब मैं तेरे को ऐसा मजा दूंगी जो तूने पहले कभी नहीं लिया होगा…अब तू चूसना बंद कर नहीं तो कुत्ते मैं गरम होकर तुझे अभी चोद डालूँगी!

मैंने जैसे ही चूची से मुंह हटाया, अंजू रानी ने फिर से डांस करना शुरू कर दिया। उसकी चुसी हुई गीली चूचियाँ भी नाचने लगीं जिससे मेरी ठरक बढ़े चली जा रही थी।

अंजू रानी ने अब अपनी टांग मेरे तरफ बढ़ाते हुए सैंडल पहने हुए पैर मेरे मुंह पर रख दिया और बोली- चाट मेरे पैर भोसडी के गांडू.. जी भर के चाट इनको.. चाट चाट के मेरा दिल खुश कर मादरचोद.. ज़रा सी कसर रह गई तो बहन के लौड़े, इन्ही सैंडल से तेरी गांड़ बजाऊँगी.. कमीने मादरचोद. अब चाट.. बहन का यार इतनी देर लगा रहा है कमीना…

अंधा क्या चाहे दो आँखें… मैंने वो हसीन पैर सैण्डल पहने पहने ही चाटना शुरू किया। उसके पैर से सैण्डल के चमड़े को हल्की सी गंध आ रही थी। बहुत ठरक बढ़ाने वाली गंध थी बहनचोद उसके पैरों की। मैंने दीवानों की तरह एक के बाद एक उसके दोनों पैर चाटने शुरू किये।

बहन की लौड़ी अब भी एक पैर पर खड़े खड़े थिरके जा रही थी। जब मैं उसके पैर ऊपर से चाट चुका तो तलवे चाटने के लिये मैंने सैण्डल उतर फेंके।

हाँ यारो, अब अंजू रानी पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और अपने जलवा बिखेर रही थी।

मैंने बड़े मज़े से चटखारे लेते हुए अंजू रानी के सुन्दर पैरों के मक्खन जैसे चिकने और नरम तलवों को चाटना चूसना शुरू किया। यारो, एक लड़की के पैर चाटने का मज़ा ही कुछ अलग है।

अच्छे से अंजू रानी के तलवे चूस चाट के मैंने अपना ध्यान उसके पैरों के अंगूठे और उंगलियों पर केन्द्रित किया। उसके अंगूठे के साथ वाली उंगली अंगूठे से ज़रा सी बड़ी थी, बाकी की तीन उंगलियाँ थोड़ी थोड़ी करके छोटी होती जा रही थीं जैसा सब लोगों के पैरों में होता है। उंगलियाँ गोल और सुडौल थीं और नाखून बड़े सलीके से तराशे हुए, नैचुरल शेड की पोलिश की हुई थी। सच में अंजू रानी किसी अच्छे ब्यूटी सैलुन में पैडीक्योर करवा के आई थी। इतने मादक पैर देखकर उत्तेजना से भरकर मैंने एक एक करके अंजू रानी के पैरों की सभी उंगलियाँ खूब मज़े ले ले कर चूसीं। उंगलियों के बीच के भाग पर खुश होकर खूब जीभ फिराई। यार मस्ती आ गयी !

लंड का हाल तो यारों बद से बदतर हुए जा रहा था। अत्यधिक ठरक चढ़ने के कारण मेरे अंडों में हल्का हल्का सा दर्द होने लगा था। शायद वो लावा से पूरे भर चुके थे और चाहते थे कि लावा झाड़ दिया जाये।

उधर अंजू रानी की उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी, वो अब ज़ोर ज़ोर से सीत्कार भर रही थी, मुझे मोटी मोटी गालियाँ दे रही थी लेकिन फिर भी गाने की धुन पर थिरके जा रही थी।

मैंने उसके पैर को पकड़ के उसे अपनी तरफ घसीटा और झट से तीन उंगलियाँ उसकी चूत में घुसा दीं। चूतरस से लबालब भरी हुई थी और जैसे ही उंगलियाँ पूरी अंदर गईं अंजू रानी एक ज़ोर की किलकारी मारते हुए झड़ी। ढेर सा रस चूत से छूटा…मेरा पूरा हाथ भीग गया परंतु मैं उंगलियाँ अंदर बाहर किए जा रहा था।

अंजू रानी तड़प उठी और उसने कस के मेरे हाथ को पकड़ लिया जिससे मैं धक्के ना लगा सकूं- हरामी मेरी जान निकालेगा क्या? सारा पानी तो निकल गया चूत हरामज़ादी फट जायगी अगर तू उंगली दिये जायगा तो…रुक जा कमीने…रंडी की औलाद साले… हाय हाय…इतना तेज़ तो राजा मैं कभी नहीं झड़ी ऊ..ऊ..ऊ… आआआ… आह बहन के यार.’

मैंने कहा- बहन चोद रंडी तू तो कह रही थी कोई स्पेशल मज़ा देगी… क्या हुआ उस स्पेशल मज़े का… साली रांड… झड़ के बैठी है… कुतिया, माँ की लौड़ी पहले नहीं बक सकती थी की तू झड़ने वाली है तो मैं तेरा जूस ही पी लेता… साली रंडी की औलाद… सारा रस हो गया ना बर्बाद?

अंजू रानी ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा- ज़रा तसल्ली रख कमीने… तूने क्यों चूत में तीन तीन उंगलियाँ घुसेड़ दीं… घुसेड़ी तो घुसेड़ी साले ने ज़ोर से धक्के भी ठोके। अब दो मिनट सांस ले लूँ तो मादरचोद देती हूँ तो तेरे को जन्नत का नज़ारा!

इतना कह के उसने लंड को चाटना शुरू किया, खूब मुँह गीला कर के अंजू रानी ने लंड को चाट चाट के अपनी लार से तर कर दिया। मेरा तो हाल पहले ही खराब था उसके यूं चाटने से बड़ी मुश्किल से मैंने खुद को कंट्रोल किया। अचानक से अंजू रानी ने लंड को अपनी मस्त चूचियों के बीच में फंसा लिया और अपने हाथ दोनों चूचियों के अगल बगल जमा दिये। फिर अंजू रानी ने अपने हाथों को चूचियों पर जमाये जमाये ऊपर नीचे करना शुरू किया जैसे कि लंड की मथनी चला रही हो।

अंजू रानी के मोटे मोटे नरम गरम चूचों के बीच में आराम से फंसे हुए लंड के तो यारों मज़े लग गये।

अंजू रानी कभी ऊपर नीचे करके तो कभी आगे पीछे करके चूचे मथती। जैसे ही लंड थोड़ा सा सूख जाता, वो दोबारा से जीभ से चाट चाट के लौड़े को अपने मुखरस से तर कर देती।

मेरा हाल बिगड़ता जा रहा था, लंड इतनी मस्त चूचियों से मथवा कर फटने को हो गया था।

अंजू रानी को भी खूब मज़ा आ रहा था क्योंकि उसकी चूचियों को लगातार लंड का दबाव और उसके अपने हाथों की रगड़ से अंजू रानी भी उत्तेजित हो चली थी। वो गर्मी में डूब कर मोटी मोटी गालियाँ दे रही थी, उसके सुन्दर चेहरे पर तेज़ उत्तेजना की लाली छा गई थी और उसकी आँखें में लाल लाल डोरे तैरने लगे थे जैसे कि खूब शराब पीने पर होता है। चुदास का नशा यारों हर दूसरे नशे पर भारी होता है।

‘क्यों मेरे राजा? आ रहा है न मज़ा जन्नत का? पहले किसी लौंडिया ने दिया है इतना मज़ा?… बहन के लंड आज तुझे पता चलेगा असली मज़ा क्या होता है… ले भोसड़ी के… ले भोसड़ी वाले ले… कमीने माँ के लौड़े चूत निवास के बच्चे… ले ले ले…’ अंजू रानी के मुख से झाग निकलने लगी थी और मस्ती में चूर होकर उसके हाथ अब बिजली की तेज़ी से चल रहे थे। चुदासी अंजू रानी अब चूचियों से मेरा लंड मसलते मसलते गहरी सीत्कारें भर रही थी।

यह बात तो माननी पड़ेगी कि लंड को अंजू रानी के गोल गोल नरम चूचियों में फंस कर जो रगड़ाई हो रही थी उसमें मज़ा तो ऐसा आ रहा था कि पूछो नहीं।

वास्तव में इतना आनन्द पहले किसी भी चुदक्कड़ ने नहीं दिया था।

अंजू रानी बार बार लंड को चाट के गीला करती और फिर उसे मम्‍मों में मथ डालती। अंजू रानी ने अपनी टांगें चौड़ी कर ली थीं, शायद उसकी चूत धड़ाधड़ रस छोड़ रही थी।

तभी अचानक मेरे सिर में एक बिजली सी कौंधी और मैं ज़ोर की आह भरता हुआ बड़े ज़ोर से झड़ा।

मोटे मोटे लावा के गरम लौंदे बड़ी तेज़ी से छूटे, अंजू रानी की ठुड्डी और उसका गला मेरे लंड की मलाई से सन गया। अंजू रानी ने बड़े प्यार से लंड को चूचियों के बीच से निकाला और लंड के नीचे वाली मोटी नस दबा दबा के लावा को अच्छे से निकल जाने दिया। अंजू रानी के दोनों हाथ, चूचे भी वीर्य से पूरे सन गये। वो भी स्खलित हो रही थी, बार बार टांगें फैला और सुकड़ा रही थी और ज़ोर ज़ोर से सीत्कार ले रही थी, साथ साथ में मुझे गालियाँ भी दिये जा रही थी।

फिर उसने अपने गले, ठुड्डी और चूचियों पर फैला हुआ लावा उंगलियों से समेटा और उंगली चाट चाट के सारा वीर्य मुँह में ले गई।

‘मां के लंड.. तेरा मक्खन तो यार मस्त, ज़ायकेदार है… क्या खाता है बहन के लौड़े तू… यार मज़ा आ गया मलाई पी के… अच्छा अब तू बता कमीने तुझे मज़ा आया या नहीं? कभी यूं लौड़ा फिराया था चूचों में? सच सच बोलना…मेरी चूत की कसम खा के बोल?’ अंजू रानी लंड की मलाई चाटते हुए चटखारे लेकर बोली।

मैंने सिर हिला कर हामी भरी कि हाँ वाकई में मज़ा बेहद आया।

अंजू रानी ने कहा- चल मेरे हरामी राजा अब तू मेरी चूत को चूस कर और मज़ा ले… साले माँ के लंड ने तीन तीन बार झाड़ दिया… अब तुझे चूत चूसने को दूंगी और स्वर्ण अमृत पिलाती हूँ…ले बहन के लंड अब तू फुल ऐश कर कमीने…

अंजू रानी टांगें चौड़ी कर के बैठ गई और बोली- चल आजा राजा मेरी टांगों के बीच में…

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