साली ने खुद चूत चुदवाने की पहल की

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अन्तर्वासना के पाठकों को मनु शर्मा का अभिवादन।

दोस्तो, पूर्व में प्रकाशित ‘चपरासिन की फुद्दी चोदकर माँ बनाया‘ और ‘ऑफिसर की बीवी की फुद्दी चोदी‘ बहुत सारे पाठकों को पसंद आई और ढेर सारे इमेल्स भी मिले, उसके लिए धन्यवाद।

दोस्तो, आज मैं अपनी साली की चुदाई का किस्सा लेकर आया हूँ कि किस तरह मैंने अपनी साली को कुतिया बना के चोदा जो अभी महीने भर पहले की बात है।

दोस्तो, यूँ तो सब कहते हैं कि साली आधी घरवाली होती है और यह भी कहते हैं कि जिस तरह पेट की भूख मिटाना जरूरी है, उसी तरह तन की भूख मिटाना भी जरूरी होता है।

यह किस्सा भी कुछ इसी तरह का है दोस्तो…

मैं शादीशुदा हूँ तो मेरी बीवी ने मुझे उसके बारे में बताया था।

वो मेरे दूर के रिश्ते में मामा ससुर की लड़की है, नाम है रिंकी, उसकी शादी को अभी पूरा एक साल भी नहीं हुआ कि उसका रिश्ता बिगड़ गया और कोर्ट में केस चल रहा है और वो पिछले 6 महीने से अपने मायके में है।

मैंने मेरी बीवी को कहा- यार जो हुआ वो बहुत बुरा हुआ। रिंकी के ऊपर क्या बीती होगी वो ही जानती है। हालाँकि मैंने कभी मैंने उसको देखा नहीं था।

फिर मैं और मेरी बीवी महीने भर पहले अपनी बुआ सास के बच्चों की शादी में गये थे।

वहाँ रिंकी भी आई हुई थी, जिसका हम दोनों को पता नहीं था कि शादी में वो भी आएगी।

मेरे फूफा ससुरजी ने मेहमानों के रुकने के लिए अच्छी व्यवस्था की हुई थी, उन्होंने एक पूरी धर्मशाला किराये पर की हुई थी, जिसमें करीब बीस कमरे थे, हम दोनों को भी एक अलग कमरा दिया।

मैं सफ़र से थका हुआ था तो फ्रेश होकर मैं वहाँ शामियाने के नीचे कुर्सी लगाकर बैठ गया और अपना मोबाइल निकाल कर गेम खेलने लग गया। करीब आधे घंटे बाद एक लड़की मेरे पास आई और मुझसे बोली, जीजाजी…

मैंने उसे देखा तो तो मैं तो उसे देखता ही रह गया। क्या तारीफ करूँ दोस्तों उसकी… वो तो अपने आप में खूबसूरती की मिसाल थी। बड़ी बड़ी काली आँखें, भरा भरा गदराया बदन, 36-32-36 के भरे भरे उसके मम्मे थे जिन्हें देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया कि अभी इन्हें मसल कर इनका दूध पी जाऊँ, और होंठ तो गुलाब की पंखुड़ियों के जैसे पतले थे जिन्हें एक बार चूसो तो छोड़ने का मन न करे।

खैर, फिर मैंने अपने आप को कण्ट्रोल करते हुए उससे उसका परिचय पूछा तो मुझे देखते हुए मुस्कुरा रही थी।

मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?

तो वो बोली कुछ नहीं और वो हंसने लगी। शायद वो मेरे मन की स्थिति जान चुकी थी, वो बोली- मेरा नाम रिंकी है और मैं आपके मामा ससुर की लड़की हूँ।

फिर मैं बोला- ओह तो आप है रिंकी, हाँ आपकी दीदी ने बताया था आपके बारे में।

मैंने उससे पूछा- मैंने तो आपको पहले कभी देखा नहीं तो अपने मुझे कैसे पहचाना?

वो बोली- इससे पहले जब आप दिनेश (छोटे मामा ससुर का लड़का) की शादी में आये थे तो मैंने आपको वहाँ देखा था लेकिन हम मिल नहीं पाए थे।

मैं बोला- कोई बात नहीं, अब मिल लिए न। वो बोली- जीजाजी बहुत तारीफ सुनी आपकी। मैं बोला- वो क्या?

उसने कहा- आप किस तरह दीदी का पूरा पूरा ख्याल रखते हो, उनकी हर विश पूरी करते हो, उन्हें किसी तरह की कोई कमी महसूस होने देते। वो बहुत खुश है आपके साथ। परिवार में सब आपकी तारीफ करते नहीं थकते। मेरी बहुत इच्छा थी आपसे मिलने की। मैं बोला- साली जी, वो तो हर पति का कर्तव्य है और वैसे भी बीवी की सेवा नहीं करेंगे तो मेवा कैसे मिलेगा।

मेरे इस जवाब से वो थोड़ी शरमा गई।

मैं बोला- चलो आपको शरमाना भी आता है। वो बोली- जीजाजी, सचमुच दीदी बड़ी लकी है जो आप उसे मिले।

इतने में मेरी बीवी वहाँ आ गई और बोली- मिल लिए रिंकी से? मैंने कहा- मैं तो इसे जानता तक नहीं था, इसी ने पहचाना मुझे।

फिर हम काफी देर तक वहाँ बैठकर बातें करते रहे लेकिन मेरा पूरा ध्यान रिंकी पर था।

मैं बार बार उसे और उसके वक्ष उभारों को देख रहा था। वो भी समझ चुकी थी कि जीजाजी की नज़र कहाँ है और वो मुझे हल्की हल्की मुस्कान दे रही थी। मैं भी मन ही मन बड़ा खुश हो रहा था।

फिर हम शाम को निकासी में मिलने को कह कर अपने अपने कमरे में चले गये।

शाम को निकासी में जाने के लिए सब तैयार होकर नीचे धर्मशाला के चौक में इकट्ठे हो रहे थे लेकिन मेरी नज़र तो सिर्फ रिंकी को खोज रही थी।

काफी देर के बाद वो भी आई, क्या क़यामत लग रही थी दोस्तो, वो नील रंग की साड़ी में और ब्लाउज तो काफी खुला था जिस कारण उसके मम्मों की गहराई बिल्कुल साफ दिखाई दे रही थी।

रिंकी के मम्मों को देख कर तो मुझे पता नहीं क्या हुआ जो मैं उन्हें ही ललचाई नजरों से देख रहा था।

रिंकी मुस्कुराते हुए बोली- जीजाजी, क्या हुआ? एकदम से मैं बोला- कुछ नहीं कुछ नहीं।

वो हंसते हुए भाग गई और मैं उसे देखता रह गया।

थोड़ी देर के बाद निकासी धर्मशाला से लड़की वाले के घर के लिए रवाना हुई, चूँकि लड़की भी वहीं की थी।

सब नाच रहे थे, मैं भी नाच रहा था लेकिन मेरा पूरा ध्यान रिंकी पर था। मैं नाचते हुए उसे देख रहा था और वो मेरी पत्नी के साथ नाचने में मगन थी।

फिर तो मैं अपनी मस्ती में नाचने में मशगूल हो गया।

आधे घंटे के बाद मेरी बीवी मेरे पास आई और साइड में ले गई जहाँ रिंकी उल्टियाँ कर रही थी।

मैंने भी पूछा- क्या हुआ? वो बोली- घबराहट के कारण ऐसा हुआ। रिंकी ने कहा- जीजाजी मुझे तो आप धर्मशाला में छोड़ आओ, मेरी तबियत बिगड़ रही है। मेरी पत्नी ने कहा- आप इसे हॉस्पिटल दिखा कर इसे इसके कमरे पर छोड़ आओ। मैंने कहा- ठीक है।

फिर वो वहाँ से चली गई।

उसके जाने के बाद रिंकी ने कहा- जीजा जी, मुझे हॉस्पिटल नहीं जाना, आप मुझे सीधा रूम पर छोड़ दो। मैंने कहा- ठीक है, चलो।

फिर भी नजदीक के मेडिकल से एक दवा ली और पैदल ही धर्मशाला पहुँच गये।

वहाँ वेटर को चाय की बोलकर रिंकी को लेकर उसके रूम में पहुँचा, उसको टेबलेट खिलाई और थोड़ी देर के बाद वेटर आया और चाय देकर चला गया।

मैं उठा और दरवाजा बंद करके वापस उसके पास आकर बैठा और बोला- अब कैसा फील हो रहा है? वो बोली- अब ठीक है। मैंने उससे पूछा- क्या हुआ था जो तुम उलटियाँ कर रही थी? मैं फिर बोला- कहीं पेट में कुछ गड़बड़ तो नहीं है? रिंकी बोली- मैं कुछ समझी नहीं जीजाजी। मैं बोला- मतलब यह सालीजी कि यह गर्भ का मामला तो नहीं है न? वो हंसते हुए बोली- नहीं जीजाजी, ऐसी कोई बात नहीं है, और मेरे नसीब में औलाद का सुख ही नहीं है।

मैंने उससे उसके पति के बारे में पूछा तो वो रोने लगी और कहने लगी- वो पति तो सिर्फ नाम के हैं, वो तो ज्यादा टाइम अपनी भाभी के साथ बिताते हैं। मेरे पास तो सिर्फ सोने के लिए आते हैं और हर दिन गर्भनिरोधक गोली खिला देते हैं ताकि मैं माँ नहीं बन सकूँ। फिर एक दिन रात में मैंने उन दोनों को सेक्स करते हुए देख लिया और मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने अपने मम्मी पापा को सब कुछ बता दिया। तब से मैं अपने मायके में रह रही हूँ और पापा ने मेरी ससुराल वालों पे केस दायर कर दिया।

ऐसा कह कर वो रोने लगी।

मैंने खेद जताते हुए उसे चुप कराया और उसके करीब जाकर बैठ गया।

हिम्मत करके मैंने उसके हाथ को अपने हाथों में लिया और उसे सहलाते हुए उसे समझाने लगा कि जो हुआ उसे वो भूल जाये और एक नए सिरे से अपनी जिन्दगी की शुरुआत करे और इसमें मैं तुम्हारी हर प्रकार से हेल्प करूँगा।

ऐसा कहते हुए मैं सिर्फ उसे ही निहार रहा था, तभी वो रोते हुए मेरे गले से लग गई और धन्यवाद देते हुए बोली- जीजाजी भगवान करे कि अबकी बार भगवान् मुझे आप जैसा साथी दे।

मैंने उससे कहा कि वो चिंता न करे, अबकी बार उसके लिए लड़का मैं देखूँगा। वो थैंक्स कहते हुए मुझसे लिपट गई।

उसके ऐसा करने से मेरा लंड खड़ा हो गया जब उसके उरोज़ मेरे सीने से चिपक के दब गए। मैंने भी उसे दबाते हुए अपनी बाँहों में भर लिया।

अलग होते हुए वो मुझसे बोली- जीजा जी, आपसे कुछ मांगूं तो आप मुझे देंगे? मैंने उसे वादा देते हुए हामी भरी तो रिंकी बोली- जीजाजी क्या आप मुझे दीदी के हिस्से में से थोड़ा प्यार मुझे देंगे…?

और बड़ी मासूमियत के साथ मुझे देखने लगी।

मैंने भी थोड़ा सोचा और फिर उसे गले से लगा लिया, उसकी आँखों में देखते हुए मैंने अपने होंठों को उसके लरजते हुए होंठों से मिला दिया और उसके होंठों का रसपान करने लगा। हम दोनों बड़ी तल्लीनता के साथ एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। उसके लबों को चूसते हुए मेरा एक हाथ रेंगते हुए उसके एक स्तन को मसलने लगा।

करीब 8-10 मिनट के बाद हम अलग हुए और एक दूसरे को देखने लगे।

मैंने उसके शरीर से साड़ी को उतारा और ब्लाउज के ऊपर से ही उसके मम्मों को बड़ी बेरहमी के साथ मसलने लगा तो वो कसमसाने लगी और कहने लगी- सी..सी… ओह… जीजाजी मसलो इन्हें, खूब दबाव इन्हें…

फिर मैंने उसके ब्लाउज को भी उतार दिया, उसने काली रंग की ब्रा पहन रखी थी। उसके गोरे तन पर काली ब्रा उसके चूचों को ढके हुए थी। मैंने उसके शरीर से उसे भी उतार दिया।

रिंकी के नंगे बोबों को देखते ही मैं पागल हो गया और पागलों की तरह उन्हें जोर जोर से मसलने लगा। फिर मैं उसकी एक निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को बड़े प्यार से दबाने लगा।

रिंकी भी कामुकता से मस्ती में आते हुए अपने मुँह से ‘सी..सी.. आह..आह्ह… उह्ह…उह्ह..’ की आवाज़ें करने लगी और अपने होंठों को दांतों से दबाते हुए मचलने लगी।

इसी दौरान मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोलकर उसके पेटीकोट को भी उतार दिया। अब उसके शरीर पर सिर्फ अंडरवियर थी जो उसकी गुलाबी चूत को ढके हुए थी। मैं बारी बारी से उसके चूचों को चूस रहा था और दबा दबा के मसल रहा था।

रिंकी अपनी मस्ती में पागल होते हुए ‘ओह जीजाजी… ओह जीजाजी’ कह रही थी।

फिर मैं अपने हाथ को उसकी चूत पर ले गया तो उसकी कच्छी पूरी तरह से भीगी हुई थी। मैंने उसे ऊपर से ही बड़ी जोर से मसल दिया तो रिंकी के मुख से ‘आह आह आह’ निकलने लगी। मैं उसके शरीर को बड़े प्यार से चूम रहा था तो वो और भी कामुक हुए जा रही थी।

ऐसा करते हुए हमें करीब 15 मिनट हो गये थे।

फिर रिंकी ने मुझे धक्का दिया और वो मेरे शरीर के ऊपर आ गई, उसने बड़ी फुर्ती से मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे लंड को गप्प से अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। वो तो मेरे लंड को इस तरह चूस रही थी जेसे कई सालों से प्यासी हो। वो मेरे लंड की चमड़ी को खींचती और लंड के टोपे को अपनी जुबान से चाटती, जैसे तो वो कोई लंड नहीं लॉलीपॉप चूस रही हो। वो पूरा लंड गले तक उतारती और उसका रस अपने मुँह में लेते हुए उसे चूसती और मैं बड़े प्यार से उसके बालों में अपनी अंगुलियाँ फेर रहा था।

जब मैं लास्ट स्टेज पर पहुँचा तो उसके सर को पकड़ कर उसके मुँह में ही लंड के ठोके देने लग गया और उसके मुँह में ही झड़ गया। रिंकी भी बड़े प्यार से उसे गटक गई और चाट चाट कर लंड को साफ कर दिया।

अब मेरी बारी थी, मैंने भी देर न करते हुए उसकी कच्छी को उतारा और उसकी फुद्दी के दर्शन करने लगा।

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जैसे ही मैंने अपनी जुबान से उसकी चूत के दाने को छुआ तो वो ‘सी..सी.. सी.. आह..आह..’ करते हुए तिलमिला उठी और बोली- जीजाजी चाटो इसे, खूब चाटो, खा जाओ इसे, बहुत आग लगा रखी है इसने मेरे अन्दर। आज इस आग को ठंडा कर दो…

और फिर मैं लग गया उसकी फुद्दी को चाटने।

मैं अपने होंठों से उसकी चूत की पलकों को दबाता, काटता और फिर चूसता, और इस कारण वो जोर जोर से अपनी चूत अपनी कमर उचकाते हुए मेरे मुँह पर रगड़ने लगी। मैं भी बड़े प्यार से चाटते हुए उसकी चूत को अपनी जुबान से चोदने लगा। थोड़ी देर के बाद उसकी चूत अब पानी छोड़ने लगी थी। उसका नमकीन नमकीन टेस्ट मुझे और भी नशा दे रहा था।

वो बोली- जीजाजी अब और मत तड़पाओ, अपना लंड मेरी चूत में डाल दो… और जोर जोर से अपनी कमर उचकाते हुए अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी, लेकिन मैं अपनी जुबान से उसे चोदता रहा।

फिर मैंने भी उसकी लाचारी को समझते हुए अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर ले जाकर रगड़ने लगा। वो और भी मचल गई और लंड को डालने के लिए कहने लगी।

मैंने उसकी टांगों को चौड़ा किया और लंड को चूत के मुँह पर ले जा कर एक जोर से धक्का दिया और कच्च की आवाज़ के साथ चूत के अन्दर घुस गया।

चूँकि रिंकी बहुत दिनों के बाद चुदवा रही थी तो दर्द के कारण उसके मुख से चिल्लाने की आवाज़ निकल गई। वो तो शुक्र है कि उस समय वहाँ कोई नहीं था।

फिर थोड़ी देर मैं उसके बोबों को सहलाता रहा और उसे चूमता रहा।

जब उसका दर्द कम हुआ तो फिर दूसरे धक्के में मैंने अपना लंड पूरा उसकी चूत में उतार दिया, लेकिन अबकी बार उसने अपना मुंह भींच लिया।

फिर मैं अपने लंड को अन्दर-बाहर अन्दर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर के बाद रिंकी भी अपनी कमर उचकाते हुए लंड को पूरी तरह अपनी चूत में लेने लगी।

फिर मैं बड़े आराम से उसकी चूत चोद रहा था और वो भी मस्ती में चुदवाते हुए अपने मुँह से ‘उह्ह… उह्ह… उह… आह…आह… आह… हाय… हाय… मेरे राजा चोद… चोद.. और जोर से चोद… फाड़ दे मेरी चूत… बहुत आग लगा रखी थी इसने… आह…आह… उह्ह… उह्ह… आह्ह….उई मेरी माँ …. मर गई…’ और ऐसा कहते हुए वो एक बार और झड़ गई।

उस वजह से चूत में से पिच्च ….पिच्च …फच्च ….फच्च…. की आवाज़ें हो रही थी।

लेकिन मैं उसे चोदे जा रहा था, वो भी बड़े मज़े के साथ मस्त होकर बराबर अपनी कमर को उचका कर लंड के धक्के का जवाब अपनी कमर उचका के अपनी चूत से दे रही थी।

फिर एकदम से मैंने अपने लंड को बाहर निकाला ओर उसे कुतिया बनाकर चोदने लगा। आगे से मैं उसके दोनों बोबो को मसल रहा था और नीचे से मेरा लंड उसकी चूत चोद रहा था।

रिंकी मज़े में चुदते हुए ‘उह्ह.. उह्ह.. उह्ह… हाय… हाय… आह.. आह… और चोदो… और.. और… और… आह… आह… आह…’ और पता नहीं जाने क्या क्या बक रही थी।

अब मैं लास्ट स्टेज पर पहुँच गया था, मैं बोला- रिंकी मेरा पानी छुटने वाला है अन्दर छोड़ूँ या फिर बाहर?

वो बोली- जीजा जी मुझे आपके लंड का पानी और पीना है।

फिर मैं जोर जोर से शॉट मारने लगा।

लगभग 2 मिनट के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया तो रिंकी गप्प से मुँह में लेकर लंड को चूसने लगी और आखरी बूंद तक चूसती रही।

थोड़ी देर के बाद जब हम नार्मल हुए तो हमने हमारे कपड़े पहने।

तभी रिंकी मेरे पास आई और मुझे किस करते हुए मुझे थैंक्स बोला और कहा- यह मेरी लाइफ का सबसे यादगार लम्हा रहेगा जीजाजी। मैं इसे कभी नहीं भूलूँगी।

और इतना कहते हुए मुझे गले से लगा लिया।

दोस्तो, यह हकीकत है, बस आप पाठकों के मनोरंजन के उद्देश्य से आपसे शेयर कर रहा हूँ। आपको मेरा नया अनुभव कैसा लगा, मेल जरूर करें! [email protected]

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