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कुछ देर तक लौड़ा गाण्ड में रखने के बाद दीपक ने बाहर निकाला।
दीपक- आह ले मेरी रंडी बहना चूत-रस तो तू पी गई.. अब ये गाण्ड और लण्ड का मिला जुला रस भी चाट मज़ा आएगा।
प्रिया- हाँ मेरे बहनचोद भाई.. अभी साफ कर देती हूँ.. दीपाली तू भी आ जा.. तेरी गाण्ड से लौड़ा बाहर निकल गया इसका स्वाद ले ले।
दोनों ने मिलकर लौड़े को चाट-चाट कर साफ कर दिया। कुछ देर वो तीनों वहीं बातें करते रहे.. उसके बाद वहाँ से निकल गए।
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उधर अनुजा भी अपनी सहेली के यहाँ से घर आ गई तो उसने देखा कि विकास सोया हुआ था।
दीपाली की चुदाई के बाद उसको अच्छी नींद आई।
अनुजा- अरे क्या बात है मेरे सरताज.. सो रहे हो.. मेरी सौतन कहाँ है? नहीं आई क्या आज…??
विकास- आह उहह आ गईं तुम.. अरे आई थी दो बार जम कर चोदा.. मगर किसी काम का बहाना करके चली गई.. मुझे भी चुदाई के बाद अच्छी नींद आ गई तो सो गया…
अनुजा- चलो अच्छा है.. मैं तो डर गई थी कि मैं भी चली गई वो भी नहीं आई.. आप शायद नाराज़ होकर सो गए होंगे।
विकास- अरे नहीं मेरी जान.. तुमसे मैं कभी नाराज़ हो सकता हूँ क्या?
अनुजा- सच्ची अगर मुझसे कोई ग़लती हो जाए तो भी नहीं?
विकास- हाँ कभी नहीं.. कितनी भी बड़ी ग़लती हो.. मैं माफ़ कर दूँगा.. तुमने मेरे लिए कितना किया है.. अब मुझे भी मौका दो यार…
अनुजा- ठीक है कभी ऐसा हुआ तब आपसे बात करूँगी.. अभी थोड़ा फ्रेश हो जाऊँ उसके बाद खाना भी बनाना है।
दोस्तो, अब यहाँ बताने को कुछ नहीं बचा उधर दीपाली भी घर जाकर पढ़ने बैठ गई। चलो सोनू के पास चलते हैं.. वहाँ कुछ है आपको बताने लायक।
चाय की एक छोटी सी दुकान के बाहर मैडी और सोनू बैठे थे और चाय की चुस्की ले रहे थे। सोनू दोपहर की बात मैडी को बता रहा था।
मैडी- साले तू अन्दर घुस गया.. तेरे को क्या लगा.. वो दोनों वहाँ क्यों गए थे?
सोनू- यार तुम तो जानते हो ना.. शैतान दिमाग़ है.. मुझे लगा कि साला दीपक वहाँ प्रिया को चोदने ले गया होगा.. इसी लिए मैं घर में घुस गया।
मैडी- अबे साले तू पागल है क्या.. वो उसकी बहन है साले.. कुछ भी सोच लिया।
सोनू- तुमको नहीं पता.. आजकल ऐसा बहुत सुनने में आ रहा है साली कौन बहन.. कौन भाई.. पता ही नहीं चलता.. अच्छा जाने दे आगे तो सुन…
मैडी- सुना.. तेरी बकवास कहानी.. आगे क्या बाकी है अब?
सोनू ने सारी बात जब बताई मैडी के होश उड़ गए।
मैडी- अरे इसकी माँ का.. साला दीपक.. क्या गेम खेला रे.. प्रिया का सहारा लेकर दीपाली तक पहुँच गया.. हो गया बंटाधार.. कल लौड़े को मुठ मारना.. अब दीपाली तो आने से रही। साले दीपक ने जल्दबाज़ी में सारा काम बिगाड़ दिया होगा।
इतने में दीपक भी वहाँ आ गया।
दीपक- अबे चूतिया साले.. मैंने कुछ काम नहीं बिगाड़ा.. सब नॉर्मल है.. तू बता कल क्या करने वाला है?
मैडी- आ गया तू.. साले पहले ये बता क्या हुआ.. दीपाली ने क्या कहा?
दीपक- अरे कुछ नहीं.. तू पहले कल का प्लान बता.. बाद में तुम दोनों को सारी बात बता दूँगा…
मैडी- देख सीधी सी बात है.. दीपाली ऐसे सीधी तरह तो हमसे चुदेगी नहीं.. मैंने ‘उसका’ का इंतजाम कर लिया है.. बस किसी तरह उसको दे देंगे। उसके बाद उस पर मस्ती चढ़ जाएगी। मैंने होटल में कमरा बुक कर लिया.. पहले ही मैं उसको वहाँ ले जाऊँगा वो खुद चुदना चाहेगी.. मगर मैं ना कहूँगा उसके बहुत ज़्यादा बोलने पर ही मैं उसको चोदूँगा.. उसके बाद तुम दोनों भी मज़ा लेना और हाँ हम उसका वीडियो बना लेंगे ताकि उसको दिखा सकें कि देख तूने खुद कही, तब ही ये सब हुआ…
ये सब इंतजाम में मेरी तो साली गाण्ड फट गई.. एक तो साली ये गोली भी बहुत मुश्किल से मिली है…
दीपक- प्लान तो अच्छा बनाया मगर साले ये जबरदस्ती ही हुआ ना.. हम जब बोलते थे तब तूने मना किया.. और आज तूने खुद ऐसा घटिया प्लान बनाया।
मैडी- क्या बकवास कर रहा है.. ये प्लान घटिया है साले.. मस्ती छाएगी उस पर.. खुद साथ देगी हमारी चुदाई में.. कोई जबरदस्ती नहीं होगी.. उसको लगेगा कि उसकी ग़लती है।
दीपक- वाह.. मान गए उस्ताद.. उसको लगेगा कि उसकी ग़लती है.. साले उसको कुछ पिलाएँगे.. तेरी पार्टी है.. नाम तुझपे ही आएगा और वो इतनी भी पागल नहीं है कि समझ ना पाए.. उसको हम तीनों पर पहले से ही शक है.. समझे और ये सब करने की कोई जरूरत नहीं.. वो कल होशो हवाश में हमसे चुदेगी.. समझे साला.. बड़ा आइडिया लाया है हट….
सोनू- क्या बोल रहा है यार.. होश में चुदेगी कसम से तेरे मुँह में कच्ची चूत.. अगर ऐसा हुआ तो मज़ा आ जाएगा यार…
मैडी- क्यों लंबी फेंक रहा है तू साले?
दीपक- अबे चूतिया आज पूरी दोपहर में उसे चोद चुका हूँ और तुम दोनों के लिए भी मना लिया समझे…
सोनू- अरे बाप रे.. साला मेरे को लगा ही था. कुछ ना कुछ गड़बड़ है.. मगर ये चमत्कार हुआ कैसे? प्रिया भी तो वहीं थी.. ये सब कैसे हुआ यार?
मैडी- बकवास.. मैं नहीं मानता एक ही दिन में तूने उसे पटा भी लिया और चोद भी लिया नामुमकिन…
दीपक- तुझे मेरी बात पर भरोसा नहीं ना.. रात को वो तुझे फ़ोन करेगी.. तब पता चल जाएगा समझे…
मैडी- क्या.. वो मुझे फ़ोन क्यों करेगी और ऐसा क्या हो गया जो वो खुद राज़ी होगी चुदने के लिए…
सोनू- माँ कसम.. मज़ा आ जाएगा यार साली की जवानी के मज़े लेंगे..काश दीपक तू सच बोल रहा हो।
दीपक- अबे चूतिया साले काश का क्या मतलब है.. मैं सच ही बोल रहा हूँ.. कल देख लेना और हाँ मैडी तुझे तो रात को ही पता चल जाएगा.. ओके अब चलो मुझे घर पर थोड़ा काम भी है यार…
तीनों वहाँ से चाय पीकर निकल गए मैडी अब भी सोच रहा था कि दीपक की बात सही है या गलत.. इसी उलझन में वो घर चला गया।
दीपक की माँ ने बताया कि प्रिया आज यही रहेगी तो दोनों एक ही कमरे में सो जाओ.. और अपने इम्तिहान की तैयारी करो।
दीपक के मन की मुराद पूरी हो गई वो तो सोच रहा था रात को सब के सोने के बाद प्रिया के कमरे में जाएगा मगर यहाँ तो सारी बाजी ही उसके हाथ में आ गई।
उधर दीपाली आज पूरे दिन की चुदाई से थक कर चूर हो गई थी। खाना खाने के बाद अपने कमरे में बैठी सुस्ता रही थी.. तभी अचानक से उसे
कुछ याद आया और वो फ़ौरन फ़ोन के पास चली गई। उसने मैडी को फ़ोन लगाया।
मैडी- हैलो कौन?
दीपाली- मैडी मैं हूँ दीपाली.. तुमसे एक जरूरी बात कहनी थी.. सुबह तुम दीपक से मिल लेना.. कल मैं 11 बजे तक फ्री होकर आ जाऊँगी मगर सुबह दीपक से जरूर मिल लेना और होटल का खर्चा मत करना.. बस नॉर्मल सी पार्टी रखना.. वहाँ सिर्फ़ तुम तीन दोस्त और मैं और किसी को मत बुलाना समझे…
मैडी- मगर ये सब अचानक कैसे.. दीपक शाम को मिला था.. कुछ बता रहा था.. क्या वो बात सही है?
दीपाली- वो सब कल आकर बता दूँगी ओके बाय.. अभी मैं जरा बिज़ी हूँ।
दीपाली ने फ़ोन काट दिया मगर मैडी अब भी मूर्ति बना हुआ वहीं खड़ा रहा.. उसको यकीन ही नहीं हो रहा था।
काफ़ी देर बाद वो नॉर्मल हुआ और खुश होकर अपने कमरे में चला गया।
उसके दिमाग़ में यही था कि कल क्या होगा।
दीपाली भी थकी हुई थी.. तो वो अपने कमरे में जाकर सो गई।
उधर खाना ख़त्म करके दीपक और प्रिया कमरे में चले गए।
प्रिया- भाई किताबें निकाल लो.. अभी सब जाग रहे हैं.. तब तक पढ़ाई कर लेते हैं.. अगर कोई अन्दर भी आए तो किसी को सके ना हो….
दीपक को प्रिया की बात समझ आ गई और दोनों पढ़ने बैठ गए.. थोड़ी देर बाद ही उसकी मम्मी देखने आई और उनसे कहा- ये गर्म दूध पी लो दिमाग़ फ्रेश हो जाएगा…
मम्मी के जाने के काफ़ी देर बाद दीपक खड़ा हुआ और घर का मुआयना करके आया कि सब सो गए या नहीं…
प्रिया- क्या हुआ भाई.. कहाँ गए थे आप बड़ी देर में आए?
दीपक- अरे मेरी चुदक्कड़ बहना.. सब सोए या नहीं.. ये देखने गया था।
प्रिया- ओह.. क्या हुआ.. सो गए क्या?
दीपक- हाँ जानेमन सो गए.. अब जल्दी से कपड़े निकाल आज तेरी गाण्ड का मुहूरत करूँगा.. साली आज तक दीपाली की मटकती गाण्ड देख कर लौड़ा खड़ा होता था.. आज तेरी गाण्ड के नाम से ही देख.. कैसे पजामे में तंबू बन रहा है।
प्रिया- हाँ भाई.. दिख रहा है मगर मुझे थोड़ा डर लग रहा है.. आपका इतना लंबा लौड़ा मेरी छोटी सी गाण्ड में कैसे जाएगा।
दीपक- अरे पगली.. जब चूत में चला गया.. तो गाण्ड में भी चला जाएगा.. तू डर मत.. पहली बार में थोड़ा दर्द होगा.. उसके बाद सब ठीक हो जाएगा।
प्रिया- नहीं भाई पहली बार जब चूत में गया था.. मेरी जान निकलते-निकलते बची थी।
दीपक- अरे वो तो मैं गुस्से में तुझे चोद रहा था.. अब तो बड़े प्यार से तेल लगा कर तेरी गाण्ड में लौड़ा डालूँगा.. तू डर मत मेरी प्यारी बहना…
प्रिया- ठीक है भाई.. जैसी आपकी मर्ज़ी.. आ जाओ अब आप ही मुझे नंगी कर दो।
दीपक उसके करीब गया और उसके कपड़े निकाल दिए.. और खुद भी नंगा हो गया.. उसका लौड़ा झटके खा रहा था।
प्रिया- भाई देखो कैसे ये झटके खा रहा है.. बड़ा हरामी है.. इसको पता लग गया कि आज ये मेरी कसी हुई गाण्ड में जाएगा।
दीपक- हाँ मेरी जान ये सब महसूस करता है पहले तुझे अच्छे से चूमूँगा.. चाटूँगा.. उसके बाद ही तेरी गाण्ड मारूँगा।
दीपक और प्रिया अब एक-दूसरे के होंठों का रस पीने लगे थे।
बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ ?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए…
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