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Mere Pati Ka Chota Sa Lund-5
फिर मैंने अपने पेटीकोट को ऊपर उठाया और मोमबत्ती ले कर पागलों की तरह अंदर-बाहर करने लगी।
कुछ ही देर में मैं दो-तीन बार झड़ गई।
लगभग रात के दस बजे बेल बजी और मैं धड़कते दिल से दरवाजे की तरफ बड़ी…
वो केसरी था।
मैं उसे देखकर मुस्कुराई और वो भी मुस्कुराया।
उसके अंदर आते ही मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया।
सारी लोक-लाज को तुके पर रख, बिना एक भी शब्द कहे… मैंने एकदम से केसरी को अपनी बाहों में जकड़ लिया।
वो तो था ही मर्द, जब औरत ने अपनी शरम बेच खाई हो तो मर्द क्यूँ पीछे रहेगा… उसने भी आव देखा ना ताव अपने होठों को मेरे होठों पर रख दिया।
मैं तो वासना के ज्वर में पहले से ही जल रही थी, सो अब मैंने उसकी पीठ पर अपना हाथ फिरना शुरू कर दिया और वो मेरे होठों को बेतहाशा चूमने लगा। मैंने भी उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया।
वासना अब उसके ऊपर भी हावी हो चुकी थी, उसने मेरे होठों को चूमने के बाद मेरे गाल और मेरी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया। मैं बहुत ज़्यादा जोश में आ गई और सिसकारियाँ भरने लगी, मैंने जो पहली बात केसरी से कही वो थी – उफ़ केसरी चूम, अपनी भाभी को…
उसने मेरी ब्रा को खोल दिया और उसे उतारने लगा। मैंने भी झट से अपने हाथ ऊपर कर दिए, जिस से वो मेरी ब्रा को उतार सके।
बिना एक भी पल देर किए, उसने मेरी ब्रा को उतार कर फेंक दिया, अब मैं केवल पेटीकोट में उसके सामने थी।
फिर केसरी ने मेरी एक चूची को अपने हाथ में पकड़ कर बुरी तरह से मसलना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से मेरी पीठ को सहलाने लगा।
उसने पयज़ामा और कुर्ता पहन रखा था और उसका लण्ड पयज़ामे के अंदर ही खड़ा हो कर तन गया था, मैं उसका लण्ड अपनी चूत के पास महसूस कर रही थी।
जैसा कि मुझे अंदाज़ा था, वो बहुत बड़ा लग रहा था। मैं अभी भी उसकी पीठ को सहला रही थी और उसने मेरी पीठ को सहलाने के बाद मेरी कमर को सहलाना शुरू कर दिया था।
थोड़ी देर बाद उसने मेरे पेटीकोट के नाड़े पर अपना हाथ रखा, मैं समझ गई कि अब वो मेरा पेटीकोट खोलने वाला है।
उसने पेटीकोट के नाड़े को झटके से खींच लिया तो मेरा पेटीकोट खुल कर नीचे ज़मीन पर गिर गया।
आप तो जानते ही हैं, मैंने पैंटी नहीं पहनी थी… अब उसके सामने मैं एकदम नंगी हो गई थी।
उसने सीधे अपना एक हाथ मेरी चूत पर लगाया, तो मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं- उफ़!!! केसरी हाए… ओह…
वो अब मेरी चूत को सहलाने लगा, मैंने उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसके चूतड़ों पर हाथ फिराने लगी।
अब उसने एक उंगली मेरी चूत में डाल दी, मेरी चूत एकदम गीली होने लगी।
मैंने अब सब्र खो दिया था, आप कहेंगे मेरा सब्र तो बहुत पहले छूट गया था।
खैर, मैं उसके पयज़ामे के नाड़े को खोलने लगी, उसका पयज़ामा खुलने के बाद नीचे ज़मीन पर गिर गया। उसने भी अंदर कुछ नहीं पहना था।
वो नीचे से एकदम नंगा हो गया।
मैंने कहा- क्या तुम नीचे कुछ नहीं पहनते हो?
वो बोला- पहनता हूँ भाभी। लेकिन मुझे आज तुम्हारी चूत का न्योता मिला था, मेरा बस चलता तो नंगा ही दौड़ा आता… जल्दी में मैंने केवल कुर्ता और पयज़ामा ही पहना।
अब मैंने अपना हाथ उसके लण्ड पर फिराना शुरू किया।
उसका लण्ड बहुत लंबा और मोटा था, लेकिन अभी मैंने उसे देखा नहीं था।
केवल अपने हाथों से महसूस कर रही थी।
मैंने उसके लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया, उसने मुझे अपनी बाहों में ज़ोर से जकड़ लिया। वो अभी भी अपनी एक उंगली को मेरी चूत में अंदर-बाहर कर रहा था।
मेरे बदन में सिहरन सी हो रही थी, थोड़ी देर में उसने अपनी उंगली बाहर निकाल ली, फिर एक झटके में अपनी दो उंगली मेरी चूत में डाल दी।
अब मुझे कुछ दर्द सा होने लगा, मैं सिसकारियाँ भर रही थी, उफ़… आहा… उई…
मेरे सहलाने पर उसका लण्ड और ज़्यादा टाइट हो रहा था, मैं उसके बदन से एक दम चिपकना नहीं चाहती थी, लेकिन उसने अभी भी कुर्ता पहना हुआ था।
जैसे ही मैंने उसके कुर्ते को नीचे की तरफ खींचा, तो वो समझ गया। उसने अपना कुर्ता भी एक झटके में उतार दिया।
अब हम दोनों के वासना की आग में जलते बदन एकदम नंगे थे…
मैं उससे एकदम से चिपक गई, मैंने अभी तक उसका लण्ड नहीं देखा था।
मैंने उसके लण्ड को अपने हाथों में ज़ोर से पकड़ लिया और आगे-पीछे करने लगी।
उसका लण्ड एकदम गरम था तपती हुई लोहे की सालाख की तरह, वो मेरी चूत में अपनी दो उंगली डाल कर अंदर-बाहर कर रहा था।
इस कामुक माहौल में बहुत ज़्यादा ही जोश में आ गई और दो मिनट बाद ही मेरी चूत से पानी निकल गया।
केसरी नीचे ज़मीन पर बैठ गया और मेरी चूत के पानी को चाटने लगा, सारा पानी चाटने के बाद भी वो रुका नहीं और मेरी चूत को चाटता रहा, मैं अब पागल सी होने लगी।
मैंने उसके बालों में अपना हाथ फिरना शुरू कर दिया और उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ दबा दिया।
पांच मिनट बाद उसने मेरी चूत को चाटना बंद कर दिया और मुझे गोद में उठा कर बिस्तर पर ले गया और बिस्तर के एक किनारे बिठा दिया और वो अब खड़ा होकर मेरे सामने आ गया।
उसका लण्ड अब एकदम मेरे मुँह के पास था…
तो दोस्तो, जानती हूँ मेरी वासना की तरह आपका रोमांच भी चरम पर होगा।
क्या लगता है दोस्तो, जिस मोटे और लम्बे लण्ड के लिए मैंने डेढ़ साल का इंतज़ार किया, क्या वो मेरे नसीब में था या मेरी चूत को वासना की आग में और जलना था…
बस थोड़ा सा इंतज़ार, जल्द ही पेश करूँगीं उत्तेजना और अश्लीलता से भरा अगला भाग…
आपके विचारों और सुझावों का स्वागत है!
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