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नंगी आंटी सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि कैसे भाभी की मम्मी ने मुझे अपनी सेक्स कहानी सुनाने के बाद मेरा लंड पकड़ लिया. फिर आंटी ने मेरे साथ क्या किया?
मज़ा इतना आनन्दमयी था कि मेरी चूत से रस फ़ूट पड़ा. मैंने भाभी को कहा- भाभी मेरा पानी निकल गया है. भाभी ने मुझे गाल पर किस किया और नीचे उतर गई और बोली- कितना मज़ा आया? मैंने कहा- स्वर्ग दिखाई दिया भाभी.
अब आगे की नंगी आंटी सेक्स स्टोरी:
भाभी- अभी इतना मजा आया तो फिर जब लंड अंदर जाएगा तो क्या होगा? मैं- तो क्या आदमी के साथ करने में और भी ज्यादा मजा आता है? भाभी बोली- पागल अगर आदमी ठीक ढंग का हो और उसका लंड भी ठीक साइज का हो, तो मजे का तो कोई अंत ही नहीं है. जब तुम्हारी ये बड़ी बड़ी चूचियां किसी मर्द की छाती के नीचे रगड़ा खाएंगीं तब देखना कितना मजा आएगा!
“हाय भाभी पता नहीं मुझे कब लंड नसीब होगा? लेकिन अभी मुझे तो इस खीरे में भी बहुत मजा आया है. अच्छा भाभी यह बताओ कि भैया का लंड कितना बड़ा है?” भाभी कहने लगी- बस इस खीरे जितना ही है. भाभी मेरे ऊपर से उतर गई.
मैंने भी भाभी की चूचियों के निप्पल को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी.
उसी वक्त भाभी मुझसे कहने लगी- चल तेरे को नई तरकीब से मजा देती हूँ. भाभी कहने लगी- चल बेड के ऊपर घोड़ी बन जा.
मैं बेड के ऊपर घोड़ी बन गई. भाभी ने अपने अंगूठे और उंगली से मेरी चूत की फांकों को खोला और उसमें खीरे को चलाने लगी.
भाभी बेड से नीचे खड़ी हो गई और मुझे बेड के किनारे पर खींच लिया. भाभी ने खीरे का थोड़ा सा हिस्सा मेरी चूत में डाला और अपनी चूत के ऊपर वाले हिस्से पर खीरे का दूसरा सिरा लगाकर अपने चूतड़ों की हरकत से खीरा मेरी चूत में घुसेड़ दिया.
मेरे गोरे और बड़े- बड़े चूतड़ों में भाभी की जांघें सेट हो गई थी. उन्होंने मेरी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें मसलने लगी. ठीक उसी प्रकार से जिस प्रकार आदमी चोदते हुए अपनी जांघों की थाप औरत के चूतड़ों पर बजाता है.
भाभी मेरे चूतड़ों पर थप थप करके धक्के लगाने लगी. हर धक्के पर भाभी के मुंह से आह … आह … निकलता रहा. मैं भी मजे से अपने घुटनों के बल घोड़ी बनी रही.
भाभी ने पूछा मजा आ रहा है? मैंने कहा- हाँ भाभी, बहुत मजा आ रहा है.
कुछ देर बाद भाभी मेरे वाली पोजीशन में आ गई अर्थात घोड़ी बन गई और मुझे बोली- अब तुम मेरी चूत मारो. मैंने भी खीरे को उसी प्रकार से अपनी कमर से बांध लिया. मैंने उसी तरह से भाभी की चौड़ी गांड में से दिखाई देती चूत को चौड़ा किया और खीरे को उस में डाल कर अपनी जांघों की थाप उनके चूतड़ों पर मारती रही. भाभी मस्ती से आह … आह … आह … ई … ई … ई … ई … करती रही.
कुछ देर बाद भाभी सीधी लेट गई और मुझे बोली- रानी, अब ऊपर आकर चोदो.
मैं फिर भाभी के ऊपर आ गई और थोड़ा सा खीरे को निकाल कर आधा अपनी चूत में लभैंसा और आधा भाभी की चूत में लभैंसा और भाभी की जांघों से चिपक गई. अब खीरा हम दोनों की जवान चूतों की प्यास बुझा रहा था. कुछ देर की चूत रगड़ाई के बाद हम दोनों झड़ गई और आपस में लिपट कर सो गई.
भाभी के साथ सेक्स करते हुए मुझे काफी अरसा हो गया था. जब भी भाभी आदमी और उसके लंड के बारे में मजा ले कर बताती थी तो मेरा भी दिल और चूत लण्ड लेने को बेताब रहने लगे.
एक दिन मैंने भाभी से कहा- भाभी, अब मुझे किसी दिन लंड का स्वाद चखना है. भाभी एकदम घबरा गई और बोली- देखो रानी, यह गलत काम मत कर लेना, यह घर की इज्जत का सवाल है, किसी ऐरे गैरे से अपनी चूत मत मरवा लेना, मैं कुछ इंतजाम करती हूँ. उन्होंने मुझसे प्रॉमिस लिया कि मैं किसी भी बाहर के आदमी से चूत नहीं मरवाऊंगी.
भाभी बड़ी समझदार थी. उन्होंने दादी से बात की और कहा कि अब हमें रानी की शादी कर देनी चाहिए. दादी कहने लगी- अरे अभी तो यह छोटी है. भाभी ने कहा- दादी भूल जाओ इस बात को और जो मैं कह रही हूँ उसको ध्यान से सुनो और इसकी शादी जल्दी से जल्दी कर दो.
फिर भाभी ने दादी से कहा- मेरे ध्यान में मेरे मामा का लड़का है जो बहुत अच्छा है. आप कहो तो मैं मेरे मामा से बात करूं? दादी मेरी बात मान गई. और लगभग 6 महीने के बाद ही मेरी शादी मेरी भाभी के मामा के लड़के से हो गई.
शादी के बाद मुझे पता लगा कि लंड का स्वाद क्या होता है?
लेकिन मेरा पति एक सीधा सा इंसान था और उसको सेक्स का कोई बहुत ज्यादा चाव नहीं था. जैसे तैसे मैंने अपना टाइम काटा और सरोज और गीतिका पैदा हो गई.
लेकिन जो मैंने अपने अनुभव और अपनी बड़ी औरतों से सीखा, वह यही था कि चूत को लंड की हमेशा जरूरत रहती है. बड़ी औरत की समझदारी इसी में है कि वह इस बात का ध्यान रखें कि उसकी लड़कियों को वक्त पर सही लण्ड मिल जाए, उनकी चूत की प्यास सही तरीके से बुझ जाए ताकि वह कहीं बाहर खराब ना हो. आँटी की दास्तान पूरी हुई.
अब आँटी मुझसे बोली- मुझे सरोज का पता लग गया था इसलिए कुछ दिन इसको मैंने अपनी बहन के लड़के से ही चुदवाने की छूट दे दी थी और इसको यह बता भी दिया था कि यह भी अपनी लड़कियों का ध्यान रखे. क्योंकि सेक्स की इच्छा लड़कियों में अपनी माँ के जीन्स से ही आती है इसलिए मुझे हमेशा इस बात का ध्यान रहा कि सरोज, गीतिका, नेहा और बिन्दू भी मेरे ऊपर ही गई हैं. इसलिए जब सरोज ने तुम्हारे बारे में मुझे बताया कि तुमने इनकी मदद की है तो मैंने उस दिन सरोज से तुम्हारे बारे में बात की थी और कहा था कि अगर तुम्हें राज ठीक लगता है तो इसे घर पर ही रख लो. और तब मेरे दिमाग में आया कि तुम इस पशुशाला के भैंसा बन सकते हो.
मैं आंटी की बात सुनकर हैरान रह गया और बोला- आंटी आप तो बहुत ही प्रैक्टिकल लेडी हो. आँटी बोली- अब मैं मुद्दे की बात पर आती हूँ. यह घर मेरी पशुशाला है और तुम उसके भैंसा बन जाओ. मैं तुम्हें आज यह इजाजत देती हूँ कि ये जो नीचे चार लड़कियां बैठी हैं इन्हें कभी भी बाहर मुंह मारने की जरूरत न पड़े.
आंटी फिर बोली- कुछ समझे भी हो? मैं बस आंटी के मुंह की तरफ ही देखता रहा. आंटी कहने लगी एक चीज का और ध्यान रखना कि पशुशाला में भैंसा कभी भी यह नहीं देखता कि चुदने वाली भैंस की उम्र कितनी है? भैंसा तो बस भैंस की चूत देखता है और अपना लण्ड अंदर डालकर उसकी गर्मी को शांत कर देता है. यह कहते हुए आंटी ने मेरी पैंट में अकड़े लंड को देखा और अपना एक हाथ अपनी जांघों के बीच ले जाकर अपनी चूत को मसल लिया.
आंटी बड़ी बेशर्मी से बात कर रही थी.
उसके बाद आंटी कहने लगी- राज, क्या तुम मेरी बात का मतलब समझ गए हो, क्या तुम्हें मेरी पशुशाला का भैंसा बनना पसंद है? मैंने कहा- जी आँटी. आंटी ने फिर कहा- तुम्हें इनमें से जो भी भैंस पसंद हो पहले उसकी गर्मी तुम निकाल देना.
यह कहकर आंटी ने मेरी जाँघ पर हाथ रख लिया.
आँटी मुझसे कहने लगी- अच्छा देखूं तो मेरी पशुशाला के भैंसा का हथियार कैसा है? और यह कहते हुए उन्होंने मेरे पैंट में तने हुए लंड पर हाथ फिरा दिया.
आंटी ने एक हाथ मेरे गाल पर फिराया और बोली- लगता तो काफी मजबूत है, चलो खड़े हो जाओ और अपनी आंटी की तसल्ली करवाओ.
पर मैं बैठा रहा तो आंटी कहने लगी- अच्छा राज, एक बात बताओ, क्या तुमने कभी किसी औरत को चोदा है? मैं चुप रहा.
आंटी बोली- राज तुम मुझसे शर्माओगे तो बहुत घाटे में रहोगे. मुझे सच सच बताओ. मैंने आंटी को हाँ में जवाब दिया तो आंटी पूछने लगी- कौन थी वह? तो मैंने कहा- जहाँ का में रहने वाला हूँ, वहाँ पड़ोस में एक आँटी थी, वह मुझसे यह काम करती थी.
आँटी पूछने लगी- क्या वह मुझसे सुंदर थी? मैंने आँटी की आंखों में वासना पढ़ ली थी. मैंने आँटी को कहा- नहीं वह तो एक साधारण सी थी, आप तो बहुत सुंदर हो. आंटी खुश हो गई.
उन्होंने फिर पूछा- क्या उसके मम्मे मेरे जैसे थे? मैंने कहा- नहीं आंटी, उसके तो छोटे छोटे और ढीले से थे. आंटी ने मुझसे कहा- अच्छा अब हथियार दिखाओ, शाबाश.
मैं आंटी के सामने खड़ा हो गया. आंटी ने खुद ही मेरी पैंट की चैन खोली और पैंट के अंदर हाथ देकर लंड को बाहर खींचने लगी. लेकिन लंड बाहर नहीं निकला. आंटी ने कहा- यह तो बहुत बड़ा है तुम खुद निकाल के दिखाओ.
मैंने पैंट का ऊपर का बटन खोल दिया और खड़ा हो गया. आंटी ने जैसे ही मेरे अंडरवियर का इलास्टिक नीचे किया मेरा 8 इंच का लंबा और मोटा लौड़ा एकदम आंटी के मुंह के सामने लहरा के आ गया.
मेरे लौड़े को देखते ही आंटी के मुंह से हाय मां निकल गया. आंटी एकदम मेरे मुंह की तरफ देखने लगी और बोली- इतना बड़ा … राज तुम लगते तो छोटे से हो और तुम्हारा हथियार इतना बड़ा है, कैसे किया इतना बड़ा? मैंने आंटी से पूछा- क्या यह ज्यादा बड़ा है?
आंटी ने मेरे लोड़े को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और बोली- तुम नहीं जानते किसी भी औरत के लिए यह तो एक गिफ्ट के समान है, हर किसी औरत के भाग्य में इतना बड़ा हथियार नहीं होता.
उन्होंने मेरे लंड को अपने दोनों हाथों की मुट्ठियों को आगे पीछे करके पकड़ लिया और कहने लगी- यह तो दो मुट्ठियों के बाद भी आधा बचा हुआ है और मोटा भी इतना है कि मुट्ठी में नहीं आ रहा है.
आंटी मेरी तरफ ललचाई नजरों से देखने लगी और बोली- राज, तुम्हें याद है ना जो मैंने अभी कहा था कि पशुशाला में भैंसा भैंस की उम्र को नहीं देखता, उसकी इच्छा को देखता है. मैंने हाँ में सिर हिलाया. आंटी ने मुझे खड़े- खड़े बांहों में भर लिया और मेरे लौड़े को अपनी चूचियों पर लगा लिया.
मैंने आंटी से कहा- आंटी कोई नीचे से आ जाएगा?
आँटी कहने लगी- उनमें इतनी हिम्मत नहीं है कि वे मेरे मना करने के बाद भी आ जाए. फिर भी मैंने दरवाजे की अंदर से कुंडी लगा दी और मैंने आंटी के सिर को पकड़कर अपनी छाती से लगा लिया.
आंटी ने भी मेरी कमर में बांहें डाल ली और अपनी चूचियां मेरी जांघों में रगड़ने लगी. मैंने आंटी के ब्लाउज में हाथ डाला और उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को हाथों से दबाने लगा. आंटी सिसकारियां लेने लगी. आंटी ने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी. आंटी मेरे लंड को इस तरह से चूस रही थी मानो जन्म जन्म की प्यासी हो?
मैंने आंटी से पूछा- आंटी अंकल का इतना बड़ा नहीं था क्या? आंटी कहने लगी- राज, इतना बड़ा तो लाखों में एक आदमी का होता है, तुम्हारे अंकल का तो इससे आधा लंबा और आधा पतला था.
मैंने आँटी को हाथ से हल्का धक्का दिया और बेड पर लिटा दिया. लेटते ही मैंने आंटी की साड़ी और पेटिकोट को उल्टा करके उनके पेट पर पलट दिया. नंगी आंटी की गोरी, केले के तने जैसी टांगें, मोटी गुदाज़ जांघें और उनके बीच में बहुत ही सुंदर चूत मुझे दिखाई दी.
मुझे लगा कि आंटी में तो अभी बहुत दम बाकी था. वह किसी भी जवान औरत को शर्मसार कर सकती थी. आँटी असल में सरोज भाभी की बड़ी बहन ही लग रही थी. 60 की उम्र में आँटी के शरीर पर कोई झुर्री नहीं थी. उन्होंने साड़ी के नीचे पैरों में बहुत सुन्दर काले सैंडल पहन रखे थे, जो साड़ी पलटने से उनकी गोरी और गुदाज़ टांगों में बहुत ही सुंदर और सेक्सी लग रहे थे.
मैंने नीचे झुक कर नंगी आंटी की चूत को चौड़ा किया. आंटी की चूत अंदर से एकदम लाल और बिल्कुल जवान लड़की की तरह थी. उनका छेद पानी छोड़ने से चिपचिपा हो चुका था. मैंने कभी नहीं सोचा था कि इस उम्र की औरत की चूत, पट और जाँघें इतने सेक्सी होंगे?
डिअर रीडर्स, नंगी आंटी सेक्स स्टोरी के अगले भाग में आप आंटी की चुदाई का विवरण पढ़ेंगे. [email protected]
नंगी आंटी सेक्स स्टोरी जारी रहेगी.
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