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मेरा नाम डी.के.सिंह है। कहानी उस समय की है जब मैं पढ़ाई छोड़ कर मुंबई में रहता था, उस समय मेरी उम्र 19 साल की थी।
मैं उस समय गाँव आया था मेरे पड़ोस में रीना का घर था।
उसकी उम्र यही करीब 18 साल की थी।
उसकी चूचियाँ अभी नीबू जैसी छोटी-छोटी सी थीं.. उसकी पतली कमर करीब 22 इंच की रही होगी.. और उसका पिछवाड़ा बहुत ही मस्त था.. अगर आप देख लें.. तो जबरदस्ती उसकी गाण्ड में अपना लण्ड पेल देंगे..
हाँ तो कहानी पर आता हूँ..
वो पढ़ाई करती थी।
उसको कला विषय में चित्र बनाना नहीं आता था.. तो वो मेरे पास आकर बनवाती थी।
ऐसे ही एक दिन मेरे घर पर कला बनवाने आई.. तो मैं उसको अपने कमरे में ले गया.. क्योंकि मैं उसको चोदना चाहता था।
कमरे में जाने के बाद मैंने दरवाजा बंद कर दिया.. तो वो बोली- भैया, दरवाजा क्यों बंद किया?
तो मैं बोला- हमें कोई डिस्टर्ब ना करे.. इसलिए..
वो समझ नहीं पाई.. उसके बाद मैं बिस्तर पर बैठ गया और उससे बोला- क्या बनाना है?
तो बोली- लड़कियों के ऊपर हो रहे ज़ुल्म के आधार पर कोई चित्र बनाइए।
रीना पत्रकार बनना चाहती थी तो मैंने बोला- लड़की की हो रही चुदाई पर बनाऊँ?
तो वो शर्मा गई और बोली- कुछ भी बनाइए.. मगर ऐसी बनाइए कि सनसनी फैला दे..
तो मैंने बोला- ठीक है तुम्हें मेरा साथ देना पड़ेगा।
वो बोली- क्या?
मैंने बोला- सीन के बारे में..
तो रीना ने बोला- ठीक है।
मैंने उससे बोला- बिस्तर पर लेट जाओ।
तो वो लेट गई.. मैं बनाने लगा।
फिर मैं उससे बोला- रीना.. अपनी कमीज थोड़ा ऊपर करो..
उसने थोड़ी सी खिसकाई.. तो मैं उससे बोला- ऐसे नहीं यार..
वो बोली- फिर कैसे?
तो मैंने उससे बोला- मैं करके बताता हूँ। मैंने उसकी कमीज़ को सरका कर उसके सीने के पास ले गया..
तो वो बोली- ये क्या कर रहे हैं?
तो मैंने उससे बोला- यार तुम समझती नहीं हो.. ऐसे बनाना पड़ता है.. तभी तो पता लगेगा कि लड़कियों के साथ कितनी बेदर्दी से लोग सलूक करते हैं।
तो वो बोली- ठीक है।
फिर कुछ देर के बाद मैं उसके पास गया और बोला- अब कमीज़ निकाल दो।
तो वो बोली- नहीं.. मुझे शर्म आ रही है।
मैंने बोला- यार.. मैं चित्र कैसे बना पाऊँगा।
मैंने उसकी कमीज़ निकाल दी.. वो ब्रा नहीं पहनी हुए थी।
हय.. क्या नुकीली चूचियाँ थीं.. पीने को दिल करता था.. पर मैंने अपने आपको कण्ट्रोल किया.. नहीं तो पूरा मामला खराब हो जाता।
फिर उसके बाद मैंने उसके बाल बिखेर दिए और बोला- अब ठीक है।
तो वो कुछ नहीं बोली।
मैंने वैसे ही चित्र बनाया.. फिर उसके बाद आख़िरी सीन बनाना था।
मैंने उसको बोला- इसमें तुमको मेरा पूरा साथ देना पड़ेगा।
तो वो बोली- क्या?
मैंने बोला- आख़िरी सीन के लिए।
तो वो बोली- ठीक है।
मैंने उसकी सलवार खोल दी.. तो वो एकदम से चिहुंक कर बोली- ये क्या कर रहे हैं?
तो मैंने उससे बोला- यार मैंने ये सब नहीं देखा है.. और जब तक देख नहीं लूँगा तब तक बनाऊँगा कैसे?
अब वो कुछ नहीं बोली.. तो मैंने उसकी सलवार के साथ उसकी पैन्टी को भी निकाल दिया।
अब वो एकदम नंगी थी.. क्या उसकी चूत थी.. विशुद्ध गुलाबी चूत.. उस पर अभी हल्के-हल्के रोएं आए थे.. दिल किया चाट लूँ.. पर जल्दबाजी ठीक नहीं थी।
इधर मेरा लण्ड तो एकदम सख्त हो कर पूरे रौद्र रूप में आ चुका था। लौड़ा अपनी पूर्ण नाप में आकर सवा सात इंच का हो गया।
मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. तो मैंने उससे बोला- करके देखना पड़ेगा।
उसने बोला- क्या कर के देखना पड़ेगा?
तो मैंने बोल दिया- चूत चुदाई!
वो बोली- आप मेरे साथ चुदाई करेंगे?
तो मैंने उसको समझाया- नहीं यार, मैं उस सीन को समझना चाहता हूँ।
फिर वो बोली- ठीक है..
तो मैंने तुरंत उसके पैरों को ऊपर करके उठा दिया और उसकी चूत को चाटने लगा..
कुछ देर के बाद उसकी चूत से पानी आने लगा.. क्या मस्त टेस्टी था..
फिर उसके बाद मैंने उसकी छाती पीनी चालू कर दी.. अब वो एकदम गर्म हो चुकी थी।
उसके बाद मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?
तो उसने बोली- अच्छा..
मैंने उससे बोला- अब करें..?
तो वो कुछ नहीं बोली.. तो मैं समझ गया मामला गर्म है… कर लो जल्दी.. क्योंकि अधिक समय भी नहीं था.. तो मैं उसकी टाँगों के बीच में बैठ कर उसकी योनि को ऊँगलियों से चौड़ा किया.. उफ्फ.. कितनी कसी हुई चूत थी…
मैंने उस दरार पर अपना लण्ड रख कर थोड़ा दबाया.. तो वो चिल्ला उठी.. तो फिर मैंने तेल लगाया और उसके बाद उसके योनि को फैला कऱ अपना लण्ड रखा.. उसके बाद दबाव बढ़ा दिया.. ‘फच्च..’ करके सुपारा अन्दर घुस गया।
वो चिल्ला उठी.. बोली- निकालो नहीं तो मैं चिल्लाऊँगी।
तो मैंने उससे बोला- यही देखने के लिए तो मैं कर रहा हूँ..
फिर उसके बाद उसका दर्द कम हुआ तो मैंने एक जोरदार झटका और मारा।
इस बार तो वो चिल्ला कर रोने लगी.. तो मैंने उसको बहुत समझाया.. फिर वो मानी और मैं रुक कर उसके दूध पीने लगा..
अब उसको राहत मिली.. फिर उसके बाद मैंने एक झटका और दिया।
अबकी से मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया.. और वो फिर चिल्ला उठी..
मैं रुक कर उसे सहलाता रहा.. जब उसको दर्द कम हुआ.. तो मैंने धीरे धीरे उसको चोदना चालू किया.. उसकी चूत ने कुछ ही देर में रस छोड़ना शुरू कर दिया.. उसके रस से मेरे लवड़े को जरा चिकनाई मिल गई और सटासट चुदाई चालू हो गई थी।
करीब बीस मिनट चोदने के बाद मैं अपनी चरम सीमा पर पहुँचने ही वाला था कि तभी वो अकड़ गई और झड़ गई उसके रज से मेरा लौड़ा भी पिघल गया और मैं भी कुछ तेज धक्कों के बाद उसकी चूत में ही झड़ गया।
कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा- मज़ा आया? उसने मुस्कुरा कर शरमा के अपना चेहरा नीचे झुका लिया.
उसको सनसनी फैलाने वाले चित्र बनाने का ज्ञान मिल चुका था।
अब उसकी चार और बहनें भी बाकी थीं उनके सबके चित्र बनाने अभी बाकी हैं.. देखिए.. कब कामयाबी हासिल होती है।
वो सब चित्र बन जाने के बाद लिखता हूँ।
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