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मैं तो उसकी नुकीली जीभ की रगड़ से पागल होने लगी और 3-4 मिनट में ही झड़ गई और मेरा पानी चूत में से बहने लगा। आनन्द ने सब पानी चाट कर साफ़ कर दिया।
अब आनन्द मेरे ऊपर आ गया और मुझे चूमने लगा.. मेरे मम्मों को मसलने लगा।
पाँच मिनट तक वही करता रहा। अब मुझसे सहा नहीं जा रहा था.. मैं दुबारा अपनी चूत में चुनचुनी महसूस करने लगी थी.. मुझे ऐसा लग रहा था कि कब आनन्द मेरी चूत में लंड डालेगा और मुझे ठंडी करेगा।
फिर आनन्द ने एक हाथ से लंड सैट करके चूत पर रखा.. तभी सलीम की आवाज़ आई- आनन्द भाई.. प्लीज़ कन्डोम लगा कर करो ना..”
आनन्द बोला- साले डर मत.. तेरी पत्नी को मैं प्रेग्नेंट नहीं करने वाला हूँ।
फिर आनन्द ने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत पर रखा…
मेरी चूत में से तो पानी बहने लगा था.. दिल की धड़कनें तेज हो गई थीं।
फिर आनन्द ने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत में धीरे से धकेला और कुछ देर वैसे ही रहने दिया.. मुझे अपनी चूत में उत्तेजना इतनी ज्यादा थी कि सुपारा बड़ा लगने के बाद भी ठीक लगा.. उसका लौड़ा बहुत बड़ा सा था.. पर तभी अचानक से आनन्द ने एक ज़ोर का झटका मारा और उसका आधा लंड मेरी चूत को चीरते हुए अन्दर घुस गया।
मैं ज़ोर से चिल्लाई और आनन्द को पीछे धकेलने लगी.. लेकिन उसी वक़्त आनन्द ने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों हाथ बिस्तर पर दबा कर रखे और अपना मुँह मेरे मुँह से लगा कर मेरी आवाज़ बंद कर दी।
मैं छ्टपटाने लगी.. मुझसे इतना बड़ा लंड नहीं सहा जा रहा था..
मुझे ऐसा लग रहा था कि किसी ने लोहे की गरम कोई चीज़ अन्दर डाल दी है।
अब मेरी चूत के अन्दर जलन शुरू हो गई थी। मैं आनन्द से ज़ोर से लिपट गई।
एक मिनट बाद आनन्द ने वापिस से एक ज़ोर का धक्का मारा और 6 या 7 इंच लंड और अन्दर घुसा दिया।
अब मेरी हालत सच में बहुत बुरी हो गई थी.. मेरा पूरा बदन काँपने लगा.. मैं छ्टपटाने लगी।
फिर आनन्द कुछ देर वैसे ही रुका रहा.. जब उसने देखा कि उसके मोटे लंड को मेरी चूत के छोटे से सुराख ने एडजस्ट कर लिया है.. तब उसने अपना लंड आगे-पीछे करना शुरू कर दिया.. लेकिन मेरा दर्द कम नहीं हुआ और मेरी चूत से और पानी निकलने लगा।
कुछ देर उसी अवस्था में आनन्द अपना लंड अन्दर-बाहर करता रहा था।
मेरी चूत के पानी से लौड़े में चिकनाई आ गई थी और अब सटासट चुदाई से मैं भी पागल हो गई थी.. मुझे दर्द भी अच्छा लगने लगा था।
आनन्द का लंड मेरी चूत में फंसा हुआ था और मेरी चूत के अन्दर से ऐसा लगने लगा कि कोई लावा उबल रहा है और बाहर आने को बेचैन है।
उतने में आनन्द ने अपना लंड मेरी चूत मे से पूरा बाहर निकाला तो मुझे मेरी चूत खाली-खाली लगने लगी और फिर देखते ही देखते आनन्द ने दुबारा इतनी ज़ोर का झटका मारा कि मैं फिर चीख पड़ी- उईई माँआआआआ.. ये क्या कर दिया.. आआअ निकालो.. निकालो प्लीज़…
मुझे ऐसे लगने लगा कि मेरे बदन को चीरते हुए कोई मोटा सा लोहे का सख़्त सरिया मेरी चूत के रास्ते मेरी टाँगों के बीच घुस गया है।
मैं आनन्द से लिपट गई और उसको ज़ोर से पकड़ लिया और फिर ‘टोटल ब्लैक आउट’.. शायद मैं एक लम्हे के लिए बेहोश हो गई थी।
मेरी दोनों आँखों से पानी निकलने लगा। आनन्द का पूरा का पूरा 9 इंच का लंड अब मेरी चूत के अन्दर घुस चुका था। मेरा दिमाग़ कुछ काम नहीं कर रहा था.. पता नहीं मैं कितनी देर बेहोश रही थी.. लेकिन जब होश आया तो देखा आनन्द अपने मोटे लंड से मेरी फटी हुए चूत को चोद रहा था।
उसका लंड आगे-पीछे हो रहा था और मेरी चूत में बहुत जलन हो रही थी।
फिर 3-4 मिनट में दर्द कुछ कम होने लगा और मुझे भी अब मज़ा आने लगा।
मैं भी अब नीचे से मेरी कमर उठा कर आनन्द का लंड लेने लगी।
आनन्द मुझे अब नॉनस्टॉप चोद रहा था.. रुकने का नाम नहीं ले रहा था।
मैं आनन्द के बदन से चिपकी हुई थी और उसके फटके पर मेरे दोनों मम्मों आगे-पीछे होने लगे। अब मेरी चूत ने उसके बड़े लंड को अपने छोटे से सुराख में एडजस्ट कर लिया था।
अब आनन्द भी बड़ी मस्ती में आ गया था.. वो मुझे दनादन चोदे जा रहा था। जैसे ही लंड अन्दर-बाहर हो रहा था तो मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा। जिंदगी मे ऐसा मज़ा कभी नहीं आया था मुझे अब आनन्द मेरे दोनों कंधे पर हाथ रख कर अपनी गान्ड उठा-उठा कर लंड को पूरे सिरे तक बाहर निकालता था और ज़ोर के झटके से अन्दर घुसा रहा था।
अब आनन्द की चोदने की रफ़्तार बढ़ चुकी थी।
मैं वापिस से झड़ चुकी थी.. अब मुझे मेरी चूत मे महसूस होने लगा कि आनन्द का लंड फूलता ही जा रहा है।
उसने और ज़ोर-ज़ोर से चोदना शुरू किया… मैं तो अब जन्नत की सैर कर रही थी।
मेरी नज़र मेरे शौहर पर गई तो देखा हमारी चुदाई देख कर उसकी आँखें फटी की फटी रह गई थीं।
अब आनन्द पूरा लंड बाहर निकाल कर एक झटके में पूरा का पूरा अन्दर डालता था फिर निकालता और फिर वही तेज रफ्तार से अन्दर कर रहा था।
हमारी चुदाई को कम से कम 30 या 35 मिनट हो गए थे। मैं अपनी गान्ड उठा-उठा कर आनन्द का पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में लेना चाह रही थी।
मेरी पूरी शरम खत्म हो चुकी थी।
मैं आनन्द के मुँह में मुँह डाल के उससे ‘फ्रेंच-किस’ करने लगी थी।
अब आनन्द का लोहे जैसा सख़्त लंड मेरी चूत के चिथड़े उड़ा रहा था।
मैं मदहोश हो चुकी थी.. पूरी मस्ती में आनन्द से चुद रही थी। अब हम दोनों की कमर की आगे पीछे होने की चाल इतनी लयबद्ध हो रही थी कि मानो ताल पे ताल मिला रहे हों..
अब आनन्द के धक्के और तेज हो चुके थे और फिर मेरा बदन अकड़ गया और मैं फिर एक बार झड़ गई। अब आनन्द इतने ज़ोर से चोदने लगा था कि मुझे महसूस होने लगा कि उसका मोटा लोहे जैसा सख़्त लंड मेरी चूत को फाड़ कर मेरे पेट तक घुस चुका है।
आनन्द ने मेरे दोनों मम्मों को अब कस कर पकड़ लिए और उनको बुरी तरह भंभोड़ना शुरू कर दिया।
वो अपने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को पकड़ कर मुझे बिस्तर से उठा कर फिर बेड पर पटकने लगा..
अब सच में आनन्द जानवर बन चुका था। मेरी चूत में भी अब तूफान मच चुका था। मैं ज़ोर से आनन्द से चिपक गई और आनन्द के मुँह में मुँह लगा दिया। हमारी चुदाई शुरू हुए करीब एक घंटा होने को आया था।
अब आनन्द की साँसें तेज हो गई थीं और वो रफ़्तार बढ़ाने लगा था.. उसका बदन भी कुछ कँपने लगा.. मैं समझ गई कि अब आनन्द झड़ने वाला है।
मैंने भी आनन्द को कस कर पकड़ लिया.. फिर से मेरी चूत का पानी निकलने लगा और उसी वक़्त आनन्द ने ज़ोर से फटके मारने शुरू कर दिया और फिर उसके लंड से मलाई के फुव्वारे निकलने शुरू हो गए। मुझे महसूस होने लगा आनन्द का गरम पानी मेरी चूत में निकलने लगा है… मैंने आनन्द को कस कर पकड़ लिया..
एक दो तीन चार पाँच… पता नहीं कितनी देर तक आनन्द के लंड से मलाई के फुव्वारे निकलते रहे थे।
फिर आनन्द मेरे बदन पर गिर गया।
मेरी इस सच्ची घटना पर आप सभी के सभ्य भाषा में विचारों का स्वागत है। [email protected] yahoo.com या [email protected] gmail.com कहानी जारी है।
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