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नमस्कार दोस्तो, मैं दीपक श्रेष्ठ पुनः हाजिर हूँ आपके सामने अपनी कहानी ‘मेरे लण्ड का अनोखा शोषण’ का अंतिम भाग लेकर..
दोस्तो, मैं जानता था कि आप लोगों को बड़ी ही बेसब्री से मेरी इस आपबीती का अंत जानने का इंतजार रहेगा इसलिए मैंने देर करना उचित नहीं समझा और जल्द ही इस कहानी की अंतिम कड़ी को लेकर हाजिर हो गया..
मुझे इस बात का भी अहसास है कि मेरी इस कहानी को पढ़ने के दौरान भाई लोगों का लौड़ा कई बार फड़फड़ाया होगा और हर बार आपने मुठ मार कर अपने बेताब लौड़ों को शांत किया होगा और वहीं मेरी चूत की रानी बहनें.. आप लोगों ने अपनी झरने सी बहती रसभरी चूत में लौड़े के अभाव में ऊँगली घिस-घिस कर और गाजर-मूलियों का इस्तेमाल करके अपनी चूत का पुआ बना डाला होगा। दरअसल मेरी यह आपबीती है ही इतनी जबरदस्त…
खैर.. चलो अब कहानी पर आते हैं।
अभी तक आपने पढ़ा कि रानी ने कैसे मेरा देह शोषण किया और किस प्रकार मेरा कुँआरापन भंग करके अपनी तड़पती जवानी के उफान को शांत किया.. मगर उसकी शांति ने मुझे अशांत कर दिया और मेरा लौड़ा अभी भी फुंफकार मार रहा था। क्योंकि अभी कुछ देर पहले ही एक राउंड रानी ने मेरा लौड़ा चूस-चूस कर झाड़ दिया था।
दोस्तो। यह मेरी आदत है कि मैं जब भी पहली बार किसी लड़की के साथ चुदाई करने जाता हूँ तो उत्तेजना और थोड़ी शर्म के कारण मेरा माल जल्द ही निकल जाता है.. मगर दूसरे राउंड या उसके बाद कभी भी मैं उसे समय देख कर डे़ढ़ से दो घंटे तक रगड़ कर चोद सकता हूँ और उसकी चूत का भुर्ता बना सकता हूँ।
अब आगे..
तकरीबन दस मिनट तक मेरी जबरदस्त चुदाई करने के बाद रानी का शरीर अब अकड़ने लगा था और उसने जोर से मुझे अपनी बाहुपाश में भींच लिया और ‘फफक्क-फफक्क’ कर झड़ने लगी।
इसके साथ ही उसका शरीर ढीला पड़ गया और वो मेरे ऊपर ही ढेर हो गई।
रानी की चुदाई से उसकी चूत से बहने वाला पानी मेरे लण्ड को सराबोर कर मेरी झांटों को भिगोते हुए मेरी जाँघों और गाँड से रिसता हुआ पूरे चादर और उसके नीचे बिछे हुए गद्दे तक को भिगो गया था। इतना पानी उसकी चूत से गिरा था.. जैसे लग रहा था कि किसी ने एक मग पानी गद्दे पर गिरा दिया हो।
इस प्रकार रानी अपना माल झाड़ कर लगभग पाँच मिनट तक मेरे ऊपर ही पड़ी रही और तब तक मेरा लौड़ा भी उसकी चूत के अन्दर ही धंसा हुआ फुदक रहा था। बहन का लौड़ा रानी की चूत और गाँड चोद-चोद कर फाड़ने को उतारू था, मगर मैं समय के इंतजार में यह सब बर्दाश्त कर रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! लेकिन मेरा यह इंतजार भी जल्द ही खत्म हो गया।
रानी अब उठने के लिए मचलने लगी.. तभी मुझे ध्यान आया कि साला मैं अगर इसी प्रकार गांडू की तरह पड़ा रहा तो इतनी बेशकीमती चूत.. जिसे मैं पाने के लिए वर्षों से छटपटा रहा था.. मेरे लण्ड से फिसल कर निकल जाएगी और फिर मैं साला गांडुओं की तरह हाथ से लण्ड हिलाता रह जाऊँगा।
तभी मैं अब तक जो सोने का नाटक कर रहा था अपने सारे ढोंग छोड़ कर झपट कर रानी को अपनी बाँहों में दबोच लिया और पलट कर उसे अपने नीचे दबा दिया और उसके ऊपर सवार हो गया।
इस दौरान मेरा लण्ड रानी की चूत के अन्दर ही घंसा रहा.. साथ ही मैं उसके ऊपर चुम्बनों का बौछार करता चला गया और अपने दोनों हाथों से मेरे सीने में चुभ रहीं उसकी दोनों कठोर चूचियों को मसलने लगा और अब तक दबा कर रखे हुए अपने अन्दर की भड़ास को खुल कर निकालने में लग गया।
तभी वो मुझे झिंझोड़ते हुए बोली- ये क्या कर रहे हो.. छोड़ो मुझे..
मैं बोला- वही कर रहा हूँ.. जो अब तक तुम मेरे साथ कर रही थीं।
रानी- तुम्हें शर्म नहीं आ रही है… मैं रिश्ते में तुम्हारी मौसी लगती हूँ…
मैं- अच्छा तो अब तक तुम मेरे मौसा के साथ ये सब कर रही थीं..
रानी- अच्छा.. तो तुम अब तक जगे हुए थे और सोने का नाटक कर सब देख रहे थे..
मैं- तुम भी तो बचपन में ऐसे ही जग कर सोने का नाटक करती थीं.. मैंने तुम्हीं से तो सीखा है..
मेरे इस बात पर हम दोनों ही खिलखिला कर हंस पड़े।
रानी- तुम्हारे ही कारण तो मेरा यह हाल हुआ है.. बचपन में जो तुमने आग लगाई थी.. वही आग आज तक मेरे बदन में भड़क रही थी और मैं इसे तुम्हारे लिए ही सम्भाल कर रखे हुए थी।
मैं- पर तुमने आज तक मुझसे कहा क्यों नहीं… ना तब ना आज…
रानी- लाज लगती थी.. अपने आपसे ही.. कि मैं तुम्हारी मौसी लगूंगी.. यह रिश्ता सही नहीं है और पता नहीं तुम भी मेरे बारे में क्या सोचोगे.. लेकिन उस दिन तुम्हें देखते ही मेरी ख्वाहिश फिर से जग गई.. फिर भी मैं उसे दबाने की कोशिश में थी.. पर जब मैंने बारात वाले दिन तुमको और गुड्डी को उस हालत में देखा.. तो मैंने देर करना उचित नहीं समझा.. क्योंकि अब तुम मेरे हाथों से निकल रहे थे… मगर अब तुम मुझसे वादा करो कि कभी तुम गुड्डी के साथ वैसा नहीं करोगे…नहीं तो मैं जीते जी मर जाऊँगी… मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगी हूँ जान…
ऐसा कह कर वो मुझसे पूरी तरह चिपक गई।
मैंने भी रानी के होंठों पर अपने होंठों को चिपकाते हुए झट से प्रॉमिस कर दिया और मन ही मन गुड्डी की चुदाई के सपने देखता हुआ रानी की चुदाई में मसगूल हो गया।
फिर हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को अंग्रेजी स्टाईल में चूसने लगे.. जीभ को एक-दूसरे के मुँह में डाल कर आईसक्रीम की तरह चूसने-चाटने लगे।
उधर लण्ड चूत में ही पड़ा-पड़ा आहिस्ते-आहिस्ते चुदाई कर रहा था.. इससे रानी भी दुबारा गर्म हो चुकी थी और मस्ती में भर कर नीचे से गांड उछाल-उछाल कर मेरा साथ देने लगी थी।
चुदाई इतनी जबरदस्त चल रही थी कि ‘फच-फच’ की आवाजें आने लगी थीं।
रानी के मुँह से ‘सीईईईईसीईईई.. आअह्ह्ह्ह्ह… उफ्फ्फ्’ की सीत्कार निकालने लगी और उसकी बुर फिर से पानी से भर गई।
उसके पानी में सन कर मेरा लण्ड पूरी तीव्रगति से दौड़ रहा था.. साथ ही मैं एक हाथ को उसके चूतड़ के नीचे ले जाकर गाँड के छेद को सहलाने लगा।
हमारी चुदाई से बहने वाला पानी उसकी गांड के छेद से होकर नीचे गिर रहा था और मैं उस बहते पानी को ऊँगलियों से रोक कर उसकी गांड के छेद पर मल रहा था.. जिससे वो गांड उचका-उचका कर और उत्तेजना से भरी जा रही थी।
मैं दूसरे हाथ से उसके दुद्धुओं का मर्दन किए जा रहा था। तभी अचानक उसका शरीर अकड़ने लगा और वो मेरी पीठ पर अपने नाखूनों के दबाव बढ़ाने लगी और ‘आहहह… आहहह… अअआआहहह उईईईईईईईई…’ करती हुई ‘फच-फच’ कर झड़ने लगी।
मैंने महसूस किया कि उसने अपनी चूत से मेरे लौड़े को जोर से भींच लिया था और उसकी बुर ‘सुक्क-सुक्क’ कर फूल-पिचक रही थी। मगर मैं अपने पूरे जोश में चोदे जा रहा था.. झड़ने के बाद वो मुझे अब छोड़ देने की मिन्नत करने लगी मगर मैं कहाँ मानने वाला था।
तब रानी ने जोर लगा कर अचानक मुझे अपने ऊपर से धकेल दिया जिससे मैं उसके ऊपर से गिर गया..
फिर उसने गुस्से में कहा- मार डालोगे मुझे… क्या हो गया है तुम्हें… पगला गए हो क्या.? फिर मौका नहीं मिलेगा..? आज ही मेरा कचूमर निकाल देने पर तुल गए हो क्या.? लगता है जैसे सांढ बन गए हो… बाप रे बाप अब मुझे नहीं करना है तुम्हारे साथ… मैं चली… अब तुम सो जाओ, कल फिर देखेंगे…
और इतना कह वो अपना पैंटी उठाने लगी।
तभी मैंने झट से उसके हाथ से पैंटी छीन लिया और बोला- वाह जी… अपना कलेजा ठंडा कर लिया और मेरा लौड़ा कौन ठंडा करेगा… जल्दी से लेटो नहीं तो अब तुम्हारी गांड मारूँगा।
उसने लाख मुझसे छूटने की कोशिश की.. मगर मैंने नहीं छोड़ा। मुझ पर तो चुदाई का भूत सवार था। ऊपर से कच्ची कली कचनार की.. भला कौन छोड़े।
अन्त में वो प्यार से बोली- तो थोड़ा धीरे करो ना.. अब दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- ठीक है बाबा.. अब धीरे ही करूँगा..
फिर से उसकी टाँगे चौड़ी करके रस से सराबोर उसकी चूत के मधुरस को चाटने लगा…
क्या गजब का स्वाद था.. मैं जोश और नशे से इतना भर गया था कि लग रहा था… जैसे उसकी बुर को ही काट कर खा जाऊँ… उफ्फ… इतना आनन्द मुझे जीवन में कभी नहीं आया था।
अबकी बार मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा और उसने घोड़ी बन कर चूतड़ मेरी तरफ निकाल दिए।
मैं तो जोश में पागल हुए जा रहा था.. थोड़ा सा थूक अपने लौड़े पे लगा कर उसकी चूत पर भी मल दिया और फिर लण्ड को चूत पे टिका कर पूरी ताकत के साथ धक्का मार दिया…
वो दबे होंठों से चिल्लाते हुए नीचे धंस गई और रोने लगी.. तब मुझे अपनी गलती और जोश का अहसास हुआ.. फिर बड़ी मुश्किल से मैंने उसे मनाया तब कहीं जाकर वो मानी और चुदने को तैयार हुई।
फिर बड़े ही प्यार से पुचकारते हुए सहला-सहला कर मैं उसकी चुदाई करने लगा।
इस दौरान वो कई बार झड़ी और छोड़ देने की विनती करती रही। मगर मैं अपने ही धुन में लगा रहा और तकरीबन एक घंटे तक चुदाई के बाद मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ।
मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा.. पूरी नसों में खिंचाव शुरू हो गया और पैरों की एड़ियाँ ऐंठने लगीं।
फिर लगा जैसे पूरी ताकत के साथ मेरे शरीर के प्राण लण्ड से होते हुए रानी की चूत में जा रहे हैं।
‘आआहहह… आआहहह जानन जान..’
मैं चिल्लाते हुए रानी की ठुड्डी को दाँतों से दबाते हुए पूरी ताकत के साथ उसे अपनी बाहुपाश में समेट जोरदार फव्वारे के साथ झड़ता हुआ अपने वीर्य से उसके गर्भ को भरता चला गया।
आह.. कैसा स्वर्गिक आनन्द था।
उस पल दुनिया जहान का कुछ भी होश नहीं था..
सम्भोग से समाधि जैसा अनुभव…
दस मिनट के बाद जब हम दोनों को होश आया.. तब रानी अपने कपड़े पहन कर लड़खड़ाते कदमों से नीचे चली गई और सूसू करके सो गई।
उधर जब मैं भी सोया तो होश ही नहीं रहा और सुबह दस बजे जब तेज धूप मेरे चेहरे पर पड़ी.. तब जाकर मेरी नींद खुली।
इस प्रकार रानी द्वारा मेरा अनोखा शोषण किए जाने के बाद मैं दो बार और उसकी चुदाई कर सका और फिर मेरी छुट्टियाँ खत्म हो गईं और मैं वापस अपनी पढ़ाई के लिए झारखण्ड आ गया।
उसके बाद एक गलतफहमी ने हम दोनों को अलग कर दिया.. जिसकी वजह से आज तक मेरी और रानी की मुलाकात नहीं हो पाई है। मगर आज भी रानी मेरी जबरदस्त चुदाई की कायल है।
तो दोस्तो, आप लोगों को मेरी यह सच्ची दास्तान कैसी लगी जरूर बताइएगा… मुझे आप लोगों के मेल का इंतजार रहेगा.. फिर मेरी दूसरी कहानी में आप लोगों से मुलाकात होगी.. तब तक के लिए विदा…
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