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दीपाली वहाँ से निकल कर सुधीर के घर की ओर चल पड़ी और कुछ ही देर में वो सुधीर के घर पहुँच गई।
दरवाजा खुला था तो वो सीधे अन्दर चली गई।
सुधीर बैठा हुआ शराब पी रहा था उसको पता नहीं चला कि दीपाली कब उसके पीछे आकर खड़ी हो गई।
सुधीर- ओह्ह.. मेरी छोटी सी गुड़िया जल्दी आ जाना.. उफ़फ्फ़ तेरे इन्तजार मैं तेरा ये आशिक मरा जा रहा है.. उफ्फ आज तू कितनी सेक्सी लग रही थी.. बस एक बार आजा मेरी जान.. जब तू जा रही थी तेरी गाण्ड बड़ी मटक रही थी.. आज तो तेरी गाण्ड ही मारूँगा..
सुधीर ना जाने क्या-क्या बोले जा रहा था.. दीपाली पीछे खड़ी मुस्कुरा रही थी।
दीपाली- अच्छा तो ये बात है.. मेरी पीठ पीछे आप मेरे बारे में इतना गंदा सोचते हो।
सुधीर एकदम से चौंक गया और उसने पीछे मुड़ कर देखा तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा।
सुधीर- ओह्ह.. मेरी दीपाली तू आ गई.. कसम से कब से तेरा इन्तजार कर रहा था.. तू इतनी जल्दी आ जाएगी, ये तो मैंने सोचा ही नहीं था.. आओ मेरे पास आओ।
दीपाली- नहीं आती.. अपने शराब क्यों पी.. मुझे चिढ़ है शराब और शराबी से.. अब मैं जा रही हूँ।
सुधीर- अरे नहीं.. नहीं.. बस थोड़ी सी पी है मैंने.. मुझे अगर पता होता पहले तो कभी ना पीता.. प्लीज़ तुम मत जाओ.. इस बूढ़े पर थोड़ा तो रहम खाओ.. बरसों बाद तो मेरे सोए हुए लौड़े को तूने जगाया है.. अब इसको ऐसे ही छोड़ कर मत जाओ।
दीपाली- अरे अरे.. इतने भावुक मत हो आप… अच्छा नहीं जाती बस… सुधीर खुश हो गया और उसने दीपाली के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.. मगर दीपाली ने फ़ौरन मुँह हटा लिया।
दीपाली- छी: छी: कितनी गंदी बदबू आ रही है.. आपके मुँह से उह..हो.. मेरा तो जी बैचेन हो गया..
सुधीर- सॉरी सॉरी.. आज के बाद कभी नहीं पिऊँगा.. अच्छा चल चुम्बन नहीं करता.. आज तूने बहुत अच्छे कपड़े पहने हैं. मैं अपने हाथों से आज एक-एक करके सारे कपड़े निकालूँगा और तुझे नंगी करूँगा।
दीपाली- जो करना है.. जल्दी करो आज मैंने पढ़ाई भी नहीं की.. वहाँ से फ्रेंड से मिलने का बहाना करके आपके पास आई हूँ।
सुधीर- ओह.. माय डार्लिंग.. यू आर सो स्वीट.. मेरे लिए तूने इतना सोचा चल आ जा कमरे में.. जल्दी से सब करूँगा… आज तेरी मटकती गाण्ड मारूँगा.. बड़ा मन हो रहा है मेरा..
दीपाली- वो तो ठीक है.. मार लेना मगर आपका लौड़ा बस एक ही बार खड़ा होता है.. अगर गाण्ड मारोगे तो मेरी चूत की आग कैसे शान्त करोगे?
सुधीर- उसकी फिकर तू मत कर.. मैं सब कर दूँगा.. चल अब आ भी जा मेरी जान.. कब से तड़फा रही है।
सुधीर कमरे में जाते ही दीपाली को नंगा करने लगा। दीपाली भी अदाएं दिखाती हुई कपड़े निकलवा रही थी।
जब दीपाली पूरी तरह से नंगी हो गई तो सुधीर ने अपने कपड़े भी निकाल फेंके और दीपाली के मम्मे दबाने और चूसने लगा।
दीपाली भी सुधीर के लौड़े को हाथ से पकड़ कर हिलाने लगी.. जो अभी आधा-अधूरा ही कड़क हुआ था।
दीपाली- ऊ आह्ह.. आराम से दबाओ ना.. आह्ह.. क्या करते हो उफ्फ…
सुधीर- जानेमन भगवान ने तुझ जैसा नायाब तोहफा मुझे दिया है तो जरा खुलकर मज़ा लेने दो ना.. आह्ह.. क्या कड़क चूचे हैं तेरे…
थोड़ी देर में ही दीपाली ने लौड़े को दबा-दबा कर कड़क कर दिया था।
सुधीर अब मम्मे को छोड़ कर दीपाली की गाण्ड को दबाने लगा और निप्पल चूसने लगा।
दीपाली अब पूरी तरह गर्म हो गई थी और उसका मन लौड़े को चूसने का कर रहा था। उसने सुधीर को धक्का देकर बिस्तर पे गिरा दिया और टूट पड़ी लौड़े पर..
सुधीर- हाय मार डाला रे.. अरे गुड़िया लौड़ा चूसने का इतना शौक है तो किसी जवान लड़के का चूसा कर.. आह्ह.. मेरे लौड़े में इतनी सहनशक्ति नहीं है.. चल घोड़ी बन जा मुझे गाण्ड मारने दे.. कहीं आज भी मेरा सपना टूट ना जाए।
सुधीर की हालत समझते हुए दीपाली ने लौड़ा मुँह से निकाल दिया और घुटनों के बल बैठ गई।
दीपाली- लो मेरे बूढ़े आशिक मार लो गाण्ड.. आप भी क्या याद रखोगे कि किस से पाला पड़ा है।
सुधीर ने लौड़ा गाण्ड के छेड़ पर रखा और ज़ोर का धक्का मारा.. पूरा लौड़ा ‘फच’ की आवाज़ के साथ गाण्ड में समा गया।
दीपाली- आह मज़ा आ गया.. उफ़फ्फ़ अब चोदो.. उह्ह.. आपका लौड़ा आज तो बहुत गर्म हो रहा है.. गाण्ड में ऐसा महसूस हो रहा है जैसे कोई गर्म लोहे का सरिया घुसा दिया हो.. आई.. आह्ह.. चोदो मेरे प्यारे अंकल आह्ह…
सुधीर- उह्ह उह्ह.. अरे कितनी बार बोलूँ.. आह्ह.. सुधीर बोलो.. जानू बोलो.. ये अंकल क्यों बोलती हो…
दीपाली- उई आह्ह.. अब बस मुझे जो समझ में आह्ह.. आएगा.. मैं बोल दूँगी.. आह्ह.. ज़ोर से चोदो ना आ.. आह्ह..
सुधीर अपनी पूरी ताक़त से लौड़े को आगे-पीछे कर रहा था। दीपाली भी गाण्ड को हिला-हिला कर सुधीर का साथ दे रही थी।
कोई 15 मिनट तक सुधीर गाण्ड मारता रहा.. मगर 60 साल का बूढ़ा घोड़ा कब तक दौड़ लगाता.. थक गया.. मगर उसने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पूरी ताक़त से दीपाली की गाण्ड मारने लगा।
सुधीर- आह्ह.. आ.. हहा हहा.. ले अहहा.. हहा.. ले मेरी जान आह्ह..
दीपाली- आह आई.. अरे वाहह… आ.. अंकल आह्ह.. आप तो जोश में आ गए आह.. हाँफ क्यों रहे हो.. आह्ह.. थोड़ा रेस्ट कर लो.. आह्ह.. मेरी चूत में भी बहुत खुजली हो रही है.. आई.. आपको उसको भी आहहह.. चोदना है अभी आह…
सुधीर के लौड़े ने लावा उगल दिया और दीपाली की गाण्ड को पानी से भर दिया। अब सुधीर एक तरफ लेट कर हाँफने लगा था।
दीपाली- आह ससस्स क्या गाण्ड मारी है अई.. आपने… मज़ा आ गया.. अरे ये क्या आह्ह.. मेरी चूत की आग तो ठंडी करो.. आह्ह.. प्लीज़ उठो ना…
सुधीर- मेरी जान लौड़ा तो अब उठेगा नहीं.. तू ऐसा कर चूत मेरे मुँह के पास ले आ.. ऐसा चाटूँगा कि तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा।
दीपाली मन मार कर अपनी चूत सुधीर की तरफ कर देती है और बड़बड़ाने लगती है।
दीपाली- उह्ह.. मेरा भी दिमाग़ खराब है जो इस बूढ़े लौड़े से चुदने आ गई कोई जवान होता तो मज़ा आता.. सर भी ना आज चले गए। अब तो कुछ करना ही पड़ेगा.. ये चूत की आग तो दिन पे दिन बढ़ती ही जा रही है।
सुधीर- अरे क्यों बड़बड़ा रही है.. मैं आज रात किसी काम के सिलसिले में बाहर गाँव जा रहा हूँ.. कल देर रात तक आऊँगा.. तू अपने उस दोस्त को कल यहाँ ले आ.. जितना चुदना है.. उससे चुद लेना.. अब मुझे चूत चाटने दे…
सुधीर की बात दीपाली को समझ आ गई और उसने कुछ सोच कर हल्की सी मुस्कान देते हुए कहा।
दीपाली- हाँ अंकल अब लाना ही पड़ेगा आह्ह.. आप अभी तो मुझे शान्त करो आइईइ.. मेरी चूत जल रही है.. आह प्लीज़ आह्ह.. ऐसे ही आह्ह.. मज़ा आ रहा है चाटो आइईइ.. उफ़फ्फ़ प्लीज़ आह उफ़फ्फ़ क्या मज़ा आ रहा है…
सुधीर चूत को होंठों में दबा कर उसको ज़ोर-ज़ोर से चूस रहा था।
दीपाली आनन्द के मारे छटपटाने लगी थी और ज़्यादा देर वो इस चुसाई को सहन ना कर पाई और कमर उठा-उठा कर सुधीर के मुँह में झड़ने लगी।
सुधीर भी पक्का रण्डीबाज था.. सारा रस ऐसे चाट रहा था जैसे कोई रसमलाई की मलाई हो। चूत की आग ठंडी होने के बाद दीपाली ने सुधीर के गाल पर एक पप्पी दी और अपने कपड़े पहनने लगी।
सुधीर- अरे रूको गाण्ड पर मेरा वीर्य लगा है.. साफ कर लो कपड़े गंदे हो जाएँगे।
दीपाली- ओह.. मैंने देखा नहीं.. आप ही साफ कर दो ना प्लीज़…
सुधीर ने पास पड़े एक कपड़े से दीपाली की गाण्ड साफ की और ललचाई निगाहों से उसको देखने लगा।
दीपाली- क्या हुआ.. ऐसे क्या देख रहे हो?
सुधीर- क्या बताऊँ ये तो उमर का तकाजा है.. वरना ऐसी मस्त गाण्ड को बार-बार मारने का दिल करता है.. काश तुम मेरी जवानी में मुझे मिली होतीं तो बताता कि मैं क्या चीज था।
दीपाली की हँसी निकल जाती है.. वो अपने कपड़े पहनने लगती है और सुधीर को देख कर आँख मारते हुए कहती है- जो बीत गया..सो बीत गया.. उसको भूल जाओ.. जो सामने है.. उसका मज़ा लो.. चलती हूँ अंकल.. आपको समय-समय पर ठंडा करने आती रहूँगी ओके.. बाय अब चलती हूँ।’
दीपाली अपने घर चली गई और जैसा कि आप जानते हो चुदाई के साथ साथ उसको पढ़ाई की भी फिकर रहता है.. तो पढ़ने बैठ गई।
बस दोस्तो, आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ ?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..
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