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दीपाली- यार तेरी बातें सुनकर चूत की हालत पतली हो गई.. तू रूक मैं बाथरूम जाकर आती हूँ।
प्रिया- अरे बाथरूम में जाकर ऊँगली करेगी.. इससे अच्छा तो यहीं कर ले और मैं तो कहती हूँ चल मज़ा करते हैं.. मैंने कहानी में पढ़ा है कि कैसे दो लड़कियाँ आपस में चुदाई का मज़ा लेती हैं।
प्रिया ने दीपाली के मन की बात बोल दी थी.. उसे अनुजा के साथ का सीन याद आ रहा था.. वो झट से मान गई।
दीपाली- चल निकाल कपड़े.. नंगी होकर खूब मज़ा करेंगे यार..
प्रिया- हाँ यार.. नंगी होकर ही ज़्यादा मज़ा आएगा।
दोनों ने कपड़े निकालने शुरू कर दिए।
दोस्तो, प्रिया का फिगर तो आपको पता ही है 30-26-30 चलो अब प्रिया को नंगी भी देख लो।
जैसा कि मैंने पहले आपको बताया था प्रिया थोड़ी साँवली है लेकिन दोस्तों रंग का कोई महत्व नहीं होता.. कुदरत ने प्रिया के गुप्तांगों को बड़ा ही तराशा था.. उसके मम्मे एकदम गोल.. जरा भी इधर-उधर नहीं.. एकदम परफ़ेक्ट जगह पर और थोड़े ऊपर को उठे हुए चुदाई की भाषा में ‘तने हुए मम्मों बोल सकते हैं और उन गोल मम्मों पर उसके खड़े निप्पल.. एकदम गुलाबी.. जैसे किसी ने गुलाब की पत्ती तोड़ कर वहाँ चिपका दी हो और पतली कमर जिसमें एक गड्डा बना हुआ था.. जिससे उसकी गाण्ड का उठाव अलग ही नज़र आता था। भले ही वो साँवली हो मगर कोई इसको ऐसी हालत में देख ले उसका लौड़ा बिना चोदे ही पानी टपकने लगेगा।
चलो अब प्रिया को नंगा तो अपने देख लिया।
अब इन दोनों कमसिन कलियों की रगड़लीला भी देख लो।
दीपाली- वाउ यार तेरे मम्मे तो बहुत अच्छे हैं गोल-गोल…।
प्रिया- रहने दे यार इतने ही अच्छे हैं तो कोई देखता क्यों नहीं.. जिस्म तो तेरे पास है.. एकदम गोरा.. बेदाग किसी को भी अपनी और खींचने वाला..
दीपाली- अरे यार अब बहस में क्या फायदा.. चल आजा मस्ती करते हैं।
दोस्तो, दोनों कमसिन कलियां बिस्तर पर नंगी पड़ी.. एक-दूसरे को चूमने लगीं.. कभी दीपाली उसके मम्मों दबाती और चूसती.. तो कभी वो।
दोनों एकदम गर्म हो गई थीं प्रिया चुदी हुई नहीं थी मगर कहानी से उसने काफ़ी कुछ सीखा हुआ था.. वो मम्मे चूसने के साथ-साथ दीपाली की चूत भी रगड़ रही थी। काफ़ी देर तक दोनों एक-दूसरे के साथ मस्ती करती रहीं।
दीपाली- उफ़फ्फ़ आह प्रिया मेरी चूत में कुछ हो रहा है प्लीज़ आह्ह… थोड़ी देर चाट ले ना आह्ह… मैं भी तेरी चाटती हूँ आह्ह… आजा 69 का स्थिति बना ले।
प्रिया- हाँ यार उफ़फ्फ़.. चूत जलने लगी है.. बड़ा मज़ा आएगा चल आजा..
दोनों अब एक-दूसरे की चूत का रस चाट रही थीं दीपाली तो पहले चूत चाट चुकी थी.. उसको तो बड़ा मज़ा आ रहा था मगर प्रिया की चूत पर पहली बार होंठ लगे थे.. वो तो आनन्द की असीम सीमा पर पहुँच गई थी। उसको बहुत मज़ा आ रहा था और उसी जोश में वो दीपाली की चूत को बड़े मज़े से चाट रही थी।
दोनों पहले से ही गर्म थीं ज़्यादा देर तक चूत-चटाई बर्दास्त ना कर पाईं और एक-दूसरे के मुँह में झड़ गईं।
झड़ने के 5 मिनट बाद तक दोनों शान्त पड़ी रहीं।
प्रिया- उफ़फ्फ़… साली ये चूत भी क्या कुतिया चीज है.. बड़ा मज़ा आया आज तो.. यार अगर तू लड़की होकर इतना मज़ा दे सकती है तो दीपक मुझे कितना मज़ा देगा।
दीपाली- हाँ यार लौड़े से जो मज़ा आता है.. वो कहीं किसी से नहीं मिलता और मैंने जो चूत चाटी.. वो कुछ नहीं है.. मर्द की ज़ुबान जब चूत पर लगती है.. अय..हय.. उसका मज़ा कुछ अलग ही होता है।
प्रिया- सच्ची..! ऐसा मज़ा मिलता है..
यार प्लीज़ इसी लिए तो कह रही हूँ.. कुछ कर दीपक को मेरा बना दे.. जब उन्होंने एक बार तेरा नाम लिया तो मुझे बड़ा गुस्सा आया.. मगर बाद में मैंने सोच लिया कि अब तू ही मेरी मदद करेगी।
दीपाली- यार यही बात करने तो तुझे यहाँ बुलाई हूँ.. अब तू ही बता.. मैं उसको राज़ी कैसे करूँ.. तुझे चोदने के लिए।
प्रिया- देख सीधी सी बात है.. वो तीनों तुझे चोदना चाहते हैं.. अब तू सच-सच बता.. उनसे चुदना चाहती है या नहीं.. उसके बाद मैं आइडिया बताती हूँ।
दीपाली- नहीं यार.. मैं उनसे नहीं चुदना चाहती.. वो स्कूल में बदनाम कर देंगे… मुझे उन पर ज़रा भी विश्वास नहीं है।
प्रिया- मैं जानती थी तू यही कहेगी.. अब सुन तुझे चुदना नहीं है.. बस चुदने की एक्टिंग करनी है।
दीपाली- वो कैसे यार?
प्रिया- सुन.. मैडी तेरे ज़्यादा करीब आ रहा है.. तू उसको सीधे बोल दे कि तुझे उनकी बात पता चल गई है और तू खुद भी यही चाहती है.. मगर तेरी एक शर्त है कि जगह तुम बताओगी और अंधेरे में सब काम करना होगा। तू उनके सामने नंगी नहीं होना चाहती।
दीपाली- इससे क्या होगा और मैं ऐसा क्यों कहूँ..? मुझे नहीं चुदना यार उनसे…
प्रिया- अरे यार सुन तो जब वो मान जाए.. तो हम दोनों किसी ऐसी जगह का इंतजाम कर लेंगे।
मैं छुप कर रहूंगी.. तू वहाँ ये कहना कि मैं कुँवारी हूँ और पहले दीपक से चुदवाऊँगी.. उसके बाद दोनों से एक-एक करके करना होगा.. कमरे में दीपक के आने के बाद तुम लाइट बन्द कर देना।
मैं वहीं छुपी रहूंगी.. बस आवाज़ तुम्हारी जिस्म मेरा.. वो चोद लेगा मुझे.. तू बस साइड में चुपचाप बैठी रहना यार।
प्रिया की बात सुनकर दीपाली बस उसको देखती रही।
प्रिया- अरे ऐसे मुँह क्या फाड़ रही है कुछ बोल ना आइडिया कैसा लगा?
दीपाली- यार ऐसे आइडिया तेरे दिमाग़ में आए कहाँ से और मुझे नहीं करना ये सब.. बात तो वहीं की वहीं है.. भले ही चुदेगी तू.. मगर उनकी नज़र में तो मैं ही हूँ ना.. वो तो मुझे पूरे स्कूल में बदनाम कर देंगे।
प्रिया- अरे यार अब तू ही कुछ सोच ले.. मुझे तो जो समझ आया मैंने तुझे बोल दिया।
दीपाली- देख प्रिया तू मेरी बात मान ले.. विकास सर का लौड़ा 8″ का है और मोटा भी बहुत है.. उन्हें चोदने का बहुत ज़्यादा अनुभव भी है.. तू अपनी सील उनसे ही तुड़वा ले।
प्रिया- नहीं यार, तू मुझे सर के लौड़े का लालच मत दे… मैंने पक्का मन बना लिया है.. सील तो दीपक से ही तुड़वाऊँगी.. उसके बाद चाहे उसके दोस्त भी चोद लें या कोई और… मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।
दीपाली- यार तूने मुझे दुविधा में डाल दिया.. कुछ सोचना पड़ेगा मुझे.. तू ऐसा कर आज रहने दे.. मैं कल बताती हूँ कि कैसे दीपक को राज़ी करना है… अब तो कुछ भी हो जाए तेरी चूत की सील दीपक ही तोड़ेगा।
प्रिया- थैंक्स यार उम्म्म्मा…
ख़ुशी के मारे प्रिया ने दीपाली को चूम लिया।
दीपाली- अब ये सब बातें भूल जा देख आज शुक्रवार है.. मैडी का जन्मदिन सोमवार को है.. अभी काफ़ी वक्त है। मैं कुछ ना कुछ सोच लूँगी चल अभी थोड़ी पढ़ाई कर लेते हैं यार…
प्रिया- अरे यार तू इतनी अच्छी स्टूडेंट है.. तू तो पक्का पास हो जाएगी.. तो क्यों इतना पढ़ती है.. चल मुझे अपनी कहानी सुना ना..
दीपाली- नहीं अभी बस स्टडी.. और कुछ नहीं। फिर कभी अपनी बात बता दूँगी।
प्रिया बुझे मन से उसके साथ पढ़ने लगी।
शाम तक प्रिया वहीं रही.. उसके बाद दीपाली ने उसे भेज दिया और खुद विकास सर के घर जाने की तैयारी में लग गई।
सबसे पहले तो वो नहा कर फ्रेश हुई उसके बाद उसने ब्लू जींस और सफ़ेद टी-शर्ट पहनी.. बाल भी खुले रखे और घर से निकल गई।
दोस्तों इस ड्रेस में दीपाली बहुत सुन्दर दिख रही थी.. चुस्त टी-शर्ट में से उसके मम्मे साफ दिख रहे थे और जींस में से गाण्ड एकदम बाहर को निकल रही थी। कोई अगर उसको पीछे से देख ले तो उसके मन में बस यही विचार आए कि काश एक बार इसकी गाण्ड मार लूँ.. उसका लौड़ा तो बगावत कर दे कि अभी मुझे इसकी गाण्ड में घुसना है..
मगर ऐसा हो नहीं सकता ना.. चलो ये सब बातें जाने दो कहानी पर आती हूँ।
दीपाली आराम से अपनी धुन में चली जा रही थी। सुधीर उसी जगह खड़ा उसका इन्तजार कर रहा था।
उसको देखते ही सुधीर की आँखों में चमक आ गई।
सुधीर- वाह क्या क़यामत लग रही हो.. आज तो क्यों इस बूढ़े पर सितम ढा रही हो.. ऐसे जलवे मत दिखाओ.. देखो लौड़ा हरकत में आ गया तुमको देख कर।
दीपाली- हा हा हा आप भी ना अंकल ओह.. उप्पस सॉरी सुधीर जी…
सुधीर- हाय.. मार डाला रे जालिम आज क्या कत्ल करने का इरादा है…
दीपाली- आप को ऐसा क्यों लगा.. मैंने कौन सा हाथ में खंजर ले रखा है।
सुधीर- बेबी तुमको खंजर की क्या जरूरत.. तेरे पास तो ऐसे-ऐसे बॉम्ब हैं कि आदमी को एक ही वार में ढेर कर दें।
दीपाली- अब ये पहेलियां अपने पास रखो.. मैंने जो काम बताया था वो किया आपने?
सुधीर- जानेमन ऐसा हो सकता है क्या कि तुम कोई बात कहो और मैं ना करूँ.. अरे तुमने तो मुझे वो दिया है जो मरते दम तक मैं तेरा अहसानमंद रहूँगा.. ले ये रही तेरी चाभी.. मगर एक बात का ध्यान रखना… अपने दोस्त को मेरे बारे में कुछ ना बताना.. बस कोई बहाना बना देना ठीक है।
अरे अरे ना ना.. दोस्तों दिमाग़ मत लड़ाओ कि कैसी चाभी.. कहाँ की चाभी आप शायद भूल गए होंगे कि कल दीपाली और सुधीर के बीच कुछ काम की बात हुई थी.. बस यही था वो काम.. मैं आपको बताती हूँ कल दीपाली ने सुधीर से उसके घर की डुप्लिकेट चाभी माँगी थी.. तब वो चौंका था मगर दीपाली ने उसे समझाया कि उसका कोई दोस्त है उसके साथ वो कभी दिन में वहाँ मज़े लेने आएगी.. जब सुधीर होटल पर रहेगा.. बस सुधीर मान गया और उसने आज चाभी दे दी।
अब आप ये सोच रहे होंगे कि कौन दोस्त तो आपको बता दूँ दीपाली के मन में मैडी का ख्याल आया था कि शायद कभी उसको अपनी चूत का मज़ा दे दूँ तो जगह तो चाहिए ना.. बस यही सोच कर उसने चाभी ली।
बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए.. मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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