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Pahle Pyar ki Nashili Chudai-2
पहले प्यार की नशीली चुदाई-1 मैं उसकी चूची से होता हुआ उसके पेट चूमते हुए.. नीचे आकर पैन्टी के ऊपर से चूत चाटने लगा।
उसे तो जैसे करंट लग गया.. वो और जोर से आवेश में आवाजें निकालने लगी।
मेरा जोश और बढ़ने लगा.. मैंने और जोर से चूसना चालू किया तो वो ‘इस्सस आआअह स्स्स्स्श्ह्ह्ह’ की आवाजें निकालने लगी।
मैंने दांतों से खींच कर उसकी पैंटी अलग कर दी.. उसने शरमा कर अपने हाथ चूत पर लगा दिए।
मैंने उसकी आँखों में देखा वो एक अजब सा नशा था यारों..
फिर मैंने उसके हाथ को हटा कर देखा तो यारों क्या बताऊँ..
हल्के भूरे रेशमी बाल.. भरी हुई जांघें.. एक छोटा सा प्यारा सा चीरा और उसके बीच छोटा सा छेद..
देख कर ऐसा लग रहा था.. जैसे किसी रसमलाई के बीच में शीरा भर दिया हो..
मैं तो पागल हो उठा और उसकी चूत पर मुँह रख कर चूमने लगा.. उसकी चूत एकदम गर्म थी।
जब मैंने अपनी जीभ उसके छेद में डाली तो उसने कस कर मेरा सर पकड़ लिया और अपनी कमर हिलाने लगी।
उसका पेट थरथरा रहा था और उसकी आँखें बंद थीं। वो उत्तेजना में अपने होंठ काट रही थी..
फिर मैं एक हाथ बढ़ा कर उसकी चूची पर ले गया तो.. वो मेरा हाथ पकड़ कर खुद अपनी चूची दबवाने लगी।
इधर मेरा लण्ड तो जैसे अकड़न के मारे मेरी जान निकाल रहा था।
मैंने अपनी बनियान उतार फेंकी और लोअर खोल दिया। फिर उसकी ब्रा को भी उसके जिस्म से आज़ाद कर दिया।
यार.. उसके रसभरे निप्पल एकदम छोटे अनार के दाने के तरह थे और हल्के भूरे रंग के थे। मैं तो उसकी चूचियों पर टूट पड़ा.. एकदम से दबा-दबा कर जोर से चूसने लगा।
मैंने उसकी चूचियों के दाने को रगड़-रगड़ कर लाल कर दिया।
पायल की आँखें वासना से लाल हो चुकी थीं और जिस्म किसी भट्टी की तरह तप रहा था।
फिर हम एक-दूसरे की बाँहों में खो गए और चूमने लगे।
तभी पायल ने मेरा लण्ड पकड़ लिया.. मेरे बदन में तो बिजली दौड़ गई।
उसके मुँह से निकल पड़ा- उरी बाबा एतो बोरो.. (अरे बाप रे इतना बड़ा)
मैंने कहा- शोना आमार इ तो तोमर जोन्नो मेरी सोना.. मेरा यह तुम्हारे लिए ही है।
इतना सुनते ही उसने शरम से आँखें बंद कर ली..
फिर मैंने अपना अंडरवियर निकल दिया.. तो पायल मेरे लण्ड को सहलाने लगी। उत्तेजना में मेरे लण्ड से कुछ रस की बूँदें निकल पड़ीं..
उसने पूछा- सेमोन एई टा कि आछे..? (सेमोन यह क्या है?)
मैंने कहा- जानू ये तो ख़ुशी के आँसू हैं।
तो वो आँखें दिखा कर बोली- धत्त बदमाश कहीं के..
वो मेरे लण्ड को चूमने लगी.. फिर अचानक से लण्ड को चूसने लगी।
उसकी होंठों की कोमलता और मुँह की गर्माहट पाकर मेरा लण्ड और फूल गया.. मैंने अपना आपा खो दिया और उसका सर पकड़ कर लण्ड उसके मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा।
फिर हम 69 की अवस्था में आ गए।
मैं उसकी चूत में पूरी जीभ डाल कर चाट रहा था और उसकी गाण्ड के छेद में ऊँगली कर रहा था।
वो मेरा लण्ड चपर-चपर चूस रही थी।
कुछ देर बाद पायल ने अपनी चूत का दवाब मेरे मुँह पर बढ़ा दिया और फिर एक चीख के साथ वो झड़ गई।
इधर मेरा लण्ड भी अपना लावा उगलने लगा.. हम शांत होकर निढाल से हो गए।
मेरे प्यार का यह पहला स्खलन था।
कुछ ही पलों बाद मैंने पायल के बदन पर हाथ फिराना चालू किया और उसकी चूत में ऊँगली करने लगा।
उसकी चूत फिर से पनिया गई। इधर पायल के हाथ का मुलायम स्पर्श पाकर मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया.. वो फिर से उठ कर मेरा लण्ड चूसने लगी।
अब मैंने उसको चित्त लिटा दिया और प्यार से उसकी आँखों में देखने लगा और पूछा- जानू अब डालूँ?
‘हाँ’ का जवाब उसने अपनी पलकें गिरा कर दिया।
फिर मैं अपना लण्ड उसकी चूत के दाने पर रगड़ने लगा.. पायल ने अपनी आँखें बंद कर लीं.. पास की टेबल से मैंने क्रीम उठा कर उसकी चूत में भर दी और अपने लण्ड पर भी लगा ली।
फिर धीरे से मैंने उसके छेद पर अपना सुपारा डाला तो वो चिहुंक गई.. मैंने प्यार से उसे चूमा और फिर से सुपारा लगा कर एक हल्का सा धक्का मारा। क्रीम की चिकनाहट और चूत के निकलते रस से मेरा लण्ड आधा अन्दर घुस गया।
वो इतनी जोर से चीखी कि मेरी तो जान ही निकल गई.. पर मेरे कमरे का इंटीरियर कुछ इस तरह से हुआ है कि अन्दर की आवाज़ बाहर नहीं आती है.. सो मेरी जान में जान आई।
मैंने उसका मुँह अपने होंठों से बंद कर दिया और हौले-हौले से उसकी चूची दबाने लगा।
वो बोली- दर्द हो रहा है.. प्लीज निकाल लो।
मैंने कहा- निकालूँगा तो और दर्द होगा।
तो बोली- ऐसे ही रहने दो…
मैं उसको सहलाता रहा.. धीरे-धीरे उसकी चूत से पानी आने लगा और वो अपनी कमर हिलाने लगी। समय की नजाकत को समझते हुए.. मैंने उसके होंठ चूमते हुए पूरी ताक़त से अपना लण्ड पेल दिया।
अब पायल की हालत ख़राब हो गई.. उसकी आवाज़ मेरे मुँह में घुटी रह गई.. उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे।
मैंने देखा तो बिस्तर पर खून था.. उसी अवस्था में कुछ देर और फिर धीरे-धीरे लण्ड आगे-पीछे करने लगा।
कुछ देर बाद पायल को भी मज़ा आने लगा.. वो नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी और मेरी कमर पर अपने हाथ से दवाब बनाने लगी। कुछ देर में हमारी गाड़ी सरपट दौड़ने लगी.. तो मैंने पूरा लण्ड बाहर-भीतर करना चालू कर दिया।
पूरा कमरा ‘फच्च-फच्च’ और हमारी काम वासना से लिप्त सीत्कारों से गूंज रहा था।
वो कह रही थी- सेमोन आरो जोरे कोर.. आमार गुद के फाटिये दे सोना.. (और जोर से करो मेरी चूत को फाड़ डालो)
वो उत्तेजना में न जाने क्या-क्या कहे जा रही थी.. पर उसकी सीत्कारों से मेरा जोश बढ़ रहा था।
कुछ देर बाद हमने अवस्था बदल ली.. अब मैं बैठ गया और पायल मेरी गोद में मेरे लण्ड पर आकर बैठ गई और मैं उसकी चूची पीने लगा।
काफी मज़ा आ रहा था.. मन कर रहा था.. सारी उम्र चूत में लण्ड पड़ा रहे.. पर ऐसा हो नहीं सकता था।
तभी मैंने उसकी गाण्ड में ऊँगली की, तो वो उछल गई और बोली- बहुत बदमाश हो तुम..
मैंने उसके होंठ पीने शुरू कर दिया.. इस बीच वो दो बार झड़ चुकी थी।
फिर मैंने उसको लिटाया और एक ही बार में पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा.. अबकी बार वो भी कमर उछाल-उछाल कर मेरा साथ देने लगी।
अचानक से वो मुझे जोर से पकड़ कर बोली- उसका फिर से निकलने वाला है।
अब मैंने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। कुछ देर में मेरा भी निकलने लगा.. तो मैंने जोर लगा कर.. लण्ड को चूत की जड़ तक चांप दिया और पायल को चूमने लगा।
मेरे लण्ड में एक विस्फोट हुआ और मेरा वीर्य उसकी चूत में छूटने लगा..
वीर्य की गर्मी पाकर उसकी चूत भी पिघल गई और वो भी झड़ने लगी।
आधे घंटे तक हम वैसे ही पड़े रहे.. फिर जब मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से निकला तो एक ‘पक्क’ की आवाज़ के साथ मेरा लंड और हम दोनों का माल बाहर आने लगा।
यह देखते हुई उसकी चूत कितनी खूबसूरत लग रही थी.. ऐसा लग रहा था.. जैसे किसी ने मांग में सिन्दूर भरा हो।
उसकी चूत फूल गई थी और चीरा एकदम लाल दिख रहा था।
फिर मैंने उसको पप्पी देकर उठाया और तौलिए से साफ़ करके उसके कपड़े पहनाए।
वो ठीक से चल नहीं पा रही थी.. मैंने उसको सहारा देकर उठाया और गोद में लेकर खड़ा हो गया।
जब पायल की नज़र बिस्तर पर पड़ी… तो वो बोली- बाबा रे.. एतो रोक्तो.. (बाप रे… इतना खून)
मैंने कहा- घबराओ मत.. अब कभी खून नहीं निकलेगा।
और उसको उसके कमरे में छोड़ आया।
मैंने जाते-जाते उसे एक जोरदार चुम्बन किया और उसकी चूची को दबा दिया तो वो चिल्ला पड़ी- कोरिस न.. बैथा होच्चे (मत करो, दर्द हो रहा है।)
मैंने उसे ‘सॉरी’ बोला.. तो बदले में उसने मेरा लण्ड दबा दिया।
मुझे भी दर्द हुआ तो बोली- देख्लिस तो बैथा होले केमोन लागे… (देखा तो.. दर्द होने से कैसे लगता है।)
फिर प्यार से एक पप्पी दी और मुझसे लिपट पड़ी.. कुछ देर बाद हम अलग हुए।
फिर मैं अपने कमरे में आ गया और सबसे पहले चादर बदल दी.. ताकि किसी को कुछ पता न चले।
फिर दूसरे दिन जब हम मिले तो उसकी आँखों में एक अजीब सी कशिश थी।
उसके भी मम्मी-पापा आ गए थे।
इसके बाद फिर भी जब हमें मौका मिलता तो हम एक-दूसरे को जरूर चोदते।
फिर मैंने पायल की गाण्ड कैसे मारी, यह अगली कहानी में बताऊँगा।
तो दोस्तो, यह थी मेरी पहले कहानी, अगर मेरे कहानी में कोई कमी या त्रुटि हो तो मुझे जरूर अवगत कराना। आपका दोस्त सेमोन। आप अपने विचारों से अवगत करने के लिए मुझे ईमेल कीजिएगा।
पहले प्यार की नशीली चुदाई-3
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