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वो मेरे सीने से चिपकी हुई थी और मैं उसकी रेशमी ज़ुल्फों से खेल रहा था। रिंकी ने एक बार फिर मेरे लण्ड को हाथ से पकड़ लिया।
उसके हाथों के स्पर्श से फिर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा.. फिर से मेरे में काम-वासना जागृत होने लगी।
जब फिर उफान पर आ गया तो मैंने अपनी साली से कहा- पेट के बल लेट जाओ…।
उसने पूछा- क्यूँ जीजू?
मैंने कहा- इस बार तेरी गाण्ड मारनी है…
वो सकपका गई और कहने लगी- कल मार लेना…
मैंने कहा- आज सब छेदों को मार लेने दो.. कल पता नहीं मैं रहूँ कि न रहूँ।
यह सुनते ही उसने मेरा मुँह बंद कर दिया और कहा- ऐसा मत बोलिए.. आप नहीं रहेंगे तो मैं जीकर क्या करूँगी?
वो पेट के बल लेट गई।
मैंने उसकी गाण्ड के होल पर वैसलीन लगाई और अपने लण्ड पर भी मल ली। अपने लौड़े को हिलाते हुए धीरे से उसकी नाज़ुक गाण्ड के होल में डाल दिया।
वो दर्द के मारे चिल्लाने लगी- निकालिए बहुत दर्द हो रहा है..
मैंने कहा- सब्र करो दर्द थोड़ी देर में गायब हो जाएगा।
उसकी गाण्ड फट चुकी थी और खून भी बह रहा था। लेकिन मुझ पर तो वासना की आग लगी थी, मैंने एक और झटका मारा और मेरा पूरा लण्ड उसके गाण्ड मे घुस गया..
मैं अपने लण्ड को आगे-पीछे करने लगा… उसका दर्द भी कम होने लगा।
फिर हम मस्ती में खो गए, कुछ देर बाद हम झड़ गए। मैंने लण्ड को उसकी गाण्ड से निकालने के बाद उसको बाँहों में लिया और लेट गया।
हम दोनों काफ़ी थक गए थे। बहुत देर तक हम जीजा-साली एक-दूसरे को चूमते-चाटते और बातें करते रहे और कब नींद के आगोश में चले गए.. पता ही नहीं चला।
सुबह जब मेरी आँखें खुलीं, मैंने देखा कि साली मेरे नंगे जिस्म से चिपकी हुई है।
मैंने उसको धीरे से हटा कर सीधा किया.. उसकी फूली हुई चूत और सूजी हुई गाण्ड पर मेरी नज़र पड़ी।
रात भर की चुदाई से उसके दोनों छेद काफ़ी फूल गए थे।
बिस्तर पर खून भी पड़ा था जो साली की चूत और गाण्ड से निकला था। मैं समझ गया कि वो शादी के बाद भी कुँवारी ही थी।
मेरी साली अब कुँवारी नहीं रही… वो मेरे लवड़े से चुद चुकी थी।
उसके मदमस्त नंगे जिस्म को देखते ही फिर मेरी कामाग्नि बढ़ गई।
मैं धीरे से उसकी गुलाबी चूत को अपने होंठों से चूमने लगा।
चूत पर मेरे मुँह का स्पर्श होते ही वो धीरे-धीरे नींद से जगने लगी।
उसने मुझे चूत को बेतहाशा चूमता देख कर शरम से आँखें बंद कर लीं और कहा- समझ गई.. फिर रात का खेल होगा.. फिर जीजा-साली का प्यार होगा।
मैं उसे फिर चोदने लगा।
इस बात से अनजान की खिड़की पर खड़ी मेरी सास और बीवी दोनों इस चुदाई को देख रही थीं।
इस बार मैंने करीबन एक घंटे उसकी जबरदस्त चुदाई की तब कहीं मेरा वीर्य निकल पाया।
उसकी चूत और गाण्ड दोनों सूज कर लाल हो चुकी थीं।
नीलम मस्ती से इस चुदाई को देख रही थी…
मैं जब झड़ कर उसके ऊपर से उठा तो वो बिल्कुल लस्त पड़ी हुई हाँफ रही थी। उसकी उठने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
मैं उठ कर बाथरूम चला गया… रूपा अपनी बेटी को समझा रही थी.. पर वो अब भी डर रही थी।
नीलम बेशक रिंकी से नाज़ुक थी और उम्र भी क्या थी.. अभी वो कमसिन ही तो थी।
जब मैं बाथरूम से लौटा तो वो नीलम की चूचियों को दबाते हुए उसे चूम रही थी।
मैंने कहा- ये क्या कर रही हो?
वो बोली- राजा तुम्हारे लिए तुम्हारी बीवी को तैयार कर रही हूँ। इसे पहले ओरल सेक्स का मज़ा दूँगी.. फिर जब उसका डर निकल जाएगा.. तब तुम दोनों की सुहागरात करवाऊँगी, अभी तुम रिंकी को ही देखो।
मैं वापस अन्दर आ गया।
वो दोनों भी अन्दर आकर बैठ गईं और हम दोनों की चुदाई देखने लगीं।
नीलम काफ़ी हद तक गरम हो चुकी थी… मैंने उन दोनों के सामने बहुत बुरी तरह से रिंकी को एक बार और चोदा।
उसकी किलकारी और मस्ती से नीलम का डर दूर होता जा रहा था, वो भी मस्ती में आकर रूपा की चूचियों को चूसने लगी।
कमरे में हम चारों की मस्ती भरी किलकारियाँ गूंजने लगीं।
नीलम और रूपा दोनों झड़ कर थक चुकी थीं और अपने कमरे में चली गईं.. पर मैं अब भी रिंकी को चोद रहा था। उसकी हालत बहुत बुरी हो चुकी थी… फिर भी उसमें अजीब सी मस्ती थी।
आख़िर हम एक-दूसरे से लिपट कर सो गए।
दो दिन तक मैं रिंकी और रूपा को ही चोदता रहा और नीलम हमारी चुदाई देखती रही.. पर अब भी वो मेरे हलब्बी लंड को लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।
अचानक तीसरे दिन मुझे पिताजी ने बुलवा लिया।
मुझे कुछ दिनों के लिए न्यूयॉर्क जाना था और वहाँ एक बड़ी कंपनी का एक्सपोर्ट का ऑर्डर मिलने वाला था।
पिताजी जा नहीं सकते थे इसलिए मुझे जाना था।
मैं उस दिन ही चला गया और जाते हुए मैं नीलम से मिला। वो मुझसे लिपट कर रोने लगी।
मैंने कहा- रानी मैं 15-20 दिन में ही लौट आऊँगा.. तब तक अपने आपको तैयार कर लेना.. नहीं तो तेरे बदले तेरी बहन को ले जाऊँगा समझी… रूपा ने भी कहा- दामाद जी मैं हूँ न.. टेन्शन मत लें.. अभी काफ़ी समय है।
मैं न्यूयॉर्क में 20 दिन रहा… सारा कम अच्छे से पूरा हो चुका था।
इस बीच मैंने नीलम से भी बात की और रूपा से भी बात की।
रिंकी को माहवारी नहीं आई थी, उसे शायद मेरे चोदने से गर्भ रह गया था।
उसके पति ने अपना इलाज करवा लिया था और जब रूपा को संतुष्टि मिली कि वो रिंकी को खुश रखेगा.. तो उसे जाने दिया।
पति से चुदने के बाद रिंकी ने मुझे बताया कि उसे चुदाई में वो मज़ा नहीं आता जो मेरे साथ चुदने में आया था.. पर और कोई चारा भी नहीं।
मैंने उसे आश्वासन दिया- मैं हूँ.. जब तेरा मन करे.. आ जाया करना.. नीलम भी अब नहीं रोकेगी।
रूपा ने कहा- नीलम आपका बेसब्री से इन्तजार कर रही है…
मैं भारत आने के साथ फ़ौरन अपने ससुराल चला आया।
लगभग 20 दिन से मैं प्यासा था.. मुझे देखते ही रूपा मुझ पर टूट पड़ी।
नीलम घर पर नहीं थी.. मैंने उसे बहुत बुरी तरह से चोदा और उसकी गाण्ड भी मारी। वो बहुत खुश हो गई।
मैंने उसके मम्मे चूमते हुए कहा- मेरी प्यारी सासू जी.. अब तो इनाम देंगी नाआअ… या अब भी इंतजार करना होगा.. तुम्हारे इस भक्त को..
वो बोली- हाँ.. मेरे प्यारे जमाई राजा.. आअ… नीलम बस अभी आती ही होगी… वो अपनी सहेली की शादी में गई हुई है.. आज उसे जी भर कर चोद लेना… इस वजह से तो मैंने अभी चुदवा लिया तुमसे… वो कुछ नखरे करेगी… पर मैं सहायता करूँगी और तुम्हें जो भी करना हो कर लेना। जैसा मन चाहे वैसे चोद लेना… उसके रोने-धोने की कोई फिकर मत करना। वैसे चुदवाते हुए वो अब ज़्यादा नहीं रोएगी.. हाँ.. उसकी नाज़ुक गाण्ड में लंड घुसेगा.. तब वो ज़रूर चीखेगी.. चिल्लाएगी…
उसकी बातों से मेरा लंड फिर से तन गया और रूपा को फिर से चोदने के लिए तड़पने लगा.. पर उसने रोक दिया और मेरे लवड़े को हिलाते हुए कहा- राजा आज रात तुम्हारी सुहागरात है… इसे मस्त रखना… आख़िर कुँवारी चूत चोदनी है.. बहुत कसी हुई होगी।
मैंने कहा- और सासू जी गाण्ड भी तो मारनी है?
वो मेरे लंड पर हल्की थपकी लगाते हुए बोली- हाँ राजा.. उसके लिए भी तो कड़ा लंड चाहिए.. खैर तुम जवान और ताक़तवर भी हो.. तुम्हारा लंड वैसे भी कड़ा ही रहता है.. लौंडिया की अलट-पलट कर गाण्ड भी.. मार लेना जैसे मन हो। फिर वो कपड़े पहन कर ऊपर के कमरे में जाने लगी। ऊपर दूसरे माले पर कमरा बन्द ही रहता था।
मैंने कहा- ऊपर क्यों जा रही हो?
वो बोली- लड़की बहुत चीखेगी चिल्लाएगी.. इसलिए ऊपर वाला कमरा सही रहेगा।
उसने ऊपर जाकर कमरा सज़ा दिया. शाम होने ही वाली थी.. तभी नीलम आ गई।
मुझे देखते ही वो शर्मा गई और रूपा से लिपट गई… पर उसे अब भी डर लग रहा था।
वो उससे लिपट कर बोली- मम्मी आज थोड़ा सा ऊपर से ही प्लीज़…
वो बोली- देखते हैं.. मैं हूँ न..
उन्होंने मुझे ऊपर के कमरे में जाने का इशारा किया।
कुछ देर बाद वो वियाग्रा और गरम दूध ले आई।
मुझे देते हुए बोली- आज पूरी रात… लो इसे ले लो… हम अभी आते हैं।
करीब एक घंटे के बाद वो दोनों आ गईं।
मेरा लंड एकदम पत्थर हो चुका था। मैं लुंगी उतार कर नंगा ही अपने लंड को मसल रहा था।
दोनों ने आते ही कमरा बन्द करके कपड़े उतार दिए और एक-दूसरे से लिपट कर चुम्मा चाटी करने लगीं।
जब नीलम की नज़र मेरे लंड पर पड़ी तो वो बोली- हाय.. मम्मी देखो इनका लंड कितनी सख्ती से खड़ा है? लगता है आज रात फिर से तुम्हारी गाण्ड मारने वाले हैं।
रूपा हँस पड़ी.. कुछ बोली नहीं। रूपा और नीलम काफ़ी देर एक-दूसरे की चूत चाटती रहीं।
नीलम की कुँवारी कमसिन चूत देख कर मैं पागल हो रहा था।
फिर रूपा हट गई और मैं उसकी संकरी कमसिन चूत को चूमने लगा।
उसकी चूत चूसते हुए मन तो कर रहा था कि अभी लौड़ा घुसा कर फाड़ दूँ।
फिर रूपा बोली- जमाई जी.. अब नीलम को बाँहों में भर कर प्यार करो। मैं भी तो देखूं.. तुम दोनों की जोड़ी कैसी लग रही है..
मैं नीलम को अपनी बाँहों में भर कर उसकी चूचियों को दबाते हुए चूमने लगा।
वो शर्मा रही थी.. पर बड़े प्यार से चुम्मा दे रही थी।
वो काफ़ी गरमा चुकी थी और मेरे लंड को मुठिया रही थी।
रूपा हमारे पास बैठ कर प्रेमालाप देखने लगी।
मैंने अब देर नहीं की और उठ कर उसकी गाण्ड के नीचे तकिया रख दिया।
अब वो थोड़ा घबरा गई और बोली- ये क्या कर रहे हो? अपने विचारों से अवगत कराने के लिए लिखें, साथ ही मेरे फेसबुक पेज से भी जुड़ें। सुहागरात की चुदाई कथा जारी है। https://www.facebook.com/pages/Zooza-ji/1487344908185448
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