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दोस्तो, उस वक्त तो दीपाली ने शरारत के चक्कर में मलहम लगवाने की बात पर ‘हाँ’ कह दी थी और यहाँ आ गई थी। मगर अब उसको घबराहट होने लगी थी, और होनी भी चाहिए, उसकी उम्र ही क्या थी अभी…
सुधीर- अरे यहाँ तू मलहम लगवाने आई है ना.. बस लगवा ले और चली जा.. मैं कुछ नहीं करूँगा.. मुझसे ऐसे डर मत..
दीपाली को फिर से विकास की बात याद आ गई कि बूढ़े का लौड़ा खड़ा नहीं होता है और हो भी जाए तो कुछ कर नहीं सकता।
बस दीपाली में थोड़ा हौसला आ गया।
दीपाली- मैं डर नहीं रही हूँ और आपसे किस बात का डर.. आप कर भी क्या सकते हो?
सुधीर- चल सारी बातें जाने दे.. मैं ट्यूब ले आता हूँ फिर तुझे मलहम लगा दूँगा।
दीपाली- नहीं नहीं.. जाने दो… आपकी ट्यूब में कहा अब पेस्ट होगा.. अब तक तो सूख गया होगा..
सुधीर के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो दीपाली के एकदम पास आकर खड़ा हो जाता है।
सुधीर- एक बात कहूँ.. अब तक तो मैं असली मलहम की ही बात कर रहा था.. मगर तुम कुछ और ही समझ रही थीं.. और अब तुम्हारी बातों से साफ पता चल गया कि तुम कहना क्या चाहती हो.. लो खुद देख लो कि इस ट्यूब से पेस्ट निकलता है या नहीं हा हा हा हा…
सुधीर ने निगाहें लौड़े पर डाल कर ये बात कही थी.. जिसको दीपाली अच्छी तरह समझ गई।
दीपाली- ओह.. क्या मतलब है आपका.. मैंने भी असली मलहम की ही बात की है.. कुछ नहीं…
सुधीर- बेटी.. ये बाल मैंने धूप में सफेद नहीं किए.. जवानी में बहुत सी लड़कियों की खुजली मिटाई है और आज भी मेरी ट्यूब में इतना पेस्ट है कि किसी को भी आराम से लगा सकता हूँ और गारन्टी के साथ उसकी खुजली मिटा सकता हूँ।
दीपाली भी समझ गई कि अब बात छुपाने से कुछ नहीं होगा.. बूढ़ा बड़ा शातिर है.. सब समझ गया है। अब उसने मन ही मन पक्का निर्णय ले लिया कि अब तो इस बूढ़े को चैक करना ही पड़ेगा.. क्योंकि उसको ये यकीन था कि इस बूढ़े में दम तो नहीं है.. ये उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
दीपाली- अच्छा ये बात है.. तब तो जरूर आजमा कर देखूँगी.. दिखाओ तो अपनी ट्यूब…
सुधीर- अब मैं क्या दिखाऊँ.. खुद ही देख लो..
दीपाली- नहीं.. मैं नहीं देखूँगी.. अगर दिखानी है तो दिखाओ.. नहीं तो मैं जाती हूँ।
सुधीर समझ गया कि अब क्या करना है.. उसने पैन्ट खोली और नीचे सरका दी। अंडरवियर उसने पहनी नहीं थी तो बस सीधा प्रसारण शुरू हो गया.. उसका लौड़ा सोया हुआ.. कोई 3″ का होगा और मज़े की बात देखो झांटें एकदम साफ थीं.. शायद कल ही सेव की हुई होगीं।
दीपाली- हा हा हा ये छोटा सा इसके दम पर खुजली मिटाओगे?
सुधीर- बेटी सोए हुए पर मत जाओ.. जरा इसे जगाओ.. उसके बाद देखो कि इसमें कितना दम है..
दीपाली- अच्छा.. ये जागता भी है क्या इस उम्र में…
सुधीर- हाँ खुद देख लो.. अपने मुलायम हाथ तो लगाओ इसे…
दीपाली ने लौड़े को सहलाना शुरू कर दिया.. सुधीर ने मज़े में आँखें बन्द कर लीं और बस दूसरी दुनिया में खो गया।
दीपाली बड़े प्यार से लौड़े को सहलाने लगी और उसकी उम्मीद से बाहर वो धीरे-धीरे अकड़ना शुरू हो गया।
अभी कोई 5 मिनट ही हुए होंगे कि वो तन कर अपने पूरे शबाब पर आ गया।
दीपाली तो बस देखती रह गई, वो करीब 7″ लम्बा होगा और मोटा भी अच्छा ख़ासा था.. लग ही नहीं रहा था कि किसी बूढ़े आदमी का लंड है। एकदम तना हुआ फुंफकार मारता हुआ जवान लौड़ा लग रहा था और आप तो जानते ही हो तना हुआ लौड़ा दीपाली की कमज़ोरी था.. उसको कहाँ बर्दाश्त हुआ.. वो झट से टोपी को मुँह में लेकर चूसने लगी।
अबकी बार चौंकने की बारी सुधीर की थी.. क्योंकि उसने सोचा ही नहीं था कि इतनी जल्दी ये हो जाएगा।
वो बस सोच ही रहा था कि इसको कहूँ एक बार मुँह में लो मज़ा आएगा.. मगर दीपाली तो बिना कहे ही लौड़ा चूसने लगी।
अब तो सुधीर के वारे-न्यारे हो गए.. वो बस मज़े की दुनिया में खो गया।
सुधीर- आह्ह.. आह.. मज़ा आ रहा है.. तुम बहुत अच्छे से चूस रही हो.. उफ्फ क्या पतले होंठ हैं तुम्हारे.. आह्ह.. अब बस भी करो.. माल निकाल कर ही दम लोगी क्या.. आह्ह.. चूत की खुजली नहीं मिटवानी क्या उफ़फ्फ़…
दीपाली ने लौड़ा मुँह से निकाल दिया और हाथ से सहलाने लगी।
दीपाली- बस इतनी ही देर में माल आने वाला है.. मेरी खुजली क्या खाक मिटाओगे?
सुधीर- तू शक बहुत करती है.. एक बार मौका देकर तो देख.. सारी खुजली मिटा दूँगा.. अपने अनार तो दिखा.. उनका थोड़ा रस पी लूँगा तो और जोश आ जाएगा। अपनी चूत के दर्शन भी करा.. ताकि उसका रस चाट कर तुझे गर्म करूँ.. तेरी खुजली और बढ़ाऊँ.. उसके बाद मलहम लगाऊँगा।
दीपाली- चलो.. अब यहाँ तक आ गई हूँ तो आपके लौड़े का कमाल देख कर ही जाऊँगी.. लो खुद ही निकाल दो मेरे कपड़े।
दीपाली उसके सामने खड़ी हो गई और वो एक-एक करके उसके कपड़े निकालने लगा। जैसे-जैसे दीपाली का गोरा बदन उसकी आँखों के सामने आ रहा था.. वैसे-वैसे उसका लौड़ा झटके खा रहा था। दीपाली के मम्मों और चूत की फाँकें देख कर लौड़े से पानी की बूँदें निकल आई थीं।
सुधीर- उफ़फ्फ़ क्या यौवन है.. कभी सपने में भी मैंने ऐसे जिस्म को नहीं देखा था.. आज आँखों के सामने देख कर अपनी किस्मत पर यकीन ही नहीं हो रहा है।
दीपाली- अभी तो देखा है.. बस जल्दी ही भोग भी लोगे.. तब क्या हाल होगा आपका?
सुधीर- बरसों पहले एक कच्ची कली को चोदा था.. उसके बाद कभी मौका नहीं मिला… आज तुम मेरी किस्मत बदलने आ गई हो।
दीपाली कुछ नहीं बोली बस मुस्कुरा दी।
दीपाली को नंगा करने के बाद सुधीर ने जल्दी से अपने कपड़े निकाल कर फेंक दिए और दीपाली के होंठ चूसने लगा।
दीपाली भी उसका साथ देने लगी।
होंठों का रस पीते-पीते सुधीर ने उसे बाँहों में उठा लिया और कमरे में ले गया। वहाँ एक आलीशान बिस्तर था उस पर दीपाली को लिटा कर वो भूखे बच्चे की तरह उसके चूचों पर टूट पड़ा और निप्पल चूसने लगा।
दीपाली- आह्ह.. उफ़फ्फ़ सस्स.. आराम से आह्ह.. काटो मत.. आह्ह.. निशान पड़ जाएँगे आह्ह..।
सुधीर- अरे क्या करूँ.. उफ़फ्फ़ कंट्रोल करना मुश्किल है.. ऐसे मस्त मम्मे हैं कि बस मुँह हटाने का मन नहीं करता.. कितना रस है तेरे अनारों में..
दीपाली- उफ़फ्फ़ सस्स आह्ह.. मेरी चूत में आह्ह.. इससे भी ज़्यादा रस है.. आह्ह.. उसको चूसो ना.. उफ्फ और आह्ह.. मुझे भी उफ्फ सस्स अपना लौड़ा चुसाओ.. बहुत मन हो रहा है।
सुधीर उसकी बात को समझ गया और 69 की स्थिति में आ गया।
अब दोनों बड़े मज़े से रस का मज़ा ले रहे थे। सुधीर जीभ चूत के अन्दर तक घुसा कर चूत को चाट रहा था और दीपाली पूरा लौड़ा मुँह में लेकर होंठ भींच कर चूस रही थी।
लगभग दस मिनट तक ये चुसाई चलती रही.. सुधीर ने चूत को इतनी बुरी तरह से चूसना शुरू कर दिया कि दीपाली लौड़ा चूसना भूल गई और सिसकने लगी।
दीपाली- आआह्ह.. आह आपने ये क्या आह्ह.. कर दिया चूत जलने लगी है.. अब डाल दो.. बस आह्ह.. बर्दास्त नहीं हो रहा मुझसे…. प्लीज़ जल्दी घुसा दो।
सुधीर उसकी हालत को समझ गया और उसे सीधा लेटा कर उसके पैरों को मोड़ दिया.. लौड़े को छूट पर टिका कर हल्के से दबाने लगा.. लौड़ा चूत में घुसना शुरू हो गया।
बस दोस्तो, आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए.. मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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