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विकास ने कस कर दीपाली को अपनी बांहों में भर लिया और काफ़ी देर तक वो दोनों ऐसे ही चिपके रहे।
दीपाली- सर छोड़ो.. मुझे बाथरूम जाना है.. बड़ी ज़ोर से सूसू आ रही है।
विकास- हा हा हा सूसू.. अरे तू कोई छोटी बच्ची है क्या.. जो सूसू बोल रही है.. पेसाब बोल.. मूत बोल.. सूसू हा हा हा…
दीपाली- बड़े गंदे हो आप.. अब जाने भी दो… नहीं तो यहीं निकल जाएगी।
विकास- चल मैं भी साथ चलता हूँ.. मुझे भी करना है.. दोनों साथ में करेंगे।
दोनों बाथरूम में घुस गए..
विकास आज फिर वैसे ही करना चाहता था जैसा उसने अनुजा की चूत से पेशाब निकलते हुए किया था, मगर वो दीपाली को कुछ बोलता उसके पहले वो कमोड पर बैठ गई और मूतना शुरू कर दिया.. शायद उससे कंट्रोल नहीं हुआ.. विकास बस देखता रह गया।
वो भी क्या करता.. अब बोल कर कोई फायदा भी नहीं था.. उसके पेशाब करने के बाद चुपचाप खुद करने लगा।
दीपाली वापस कमरे में आकर शीशे के सामने टेढ़ी खड़ी होकर अपनी गाण्ड देखने की कोशिश करने लगी.. तभी विकास भी आ गया।
विकास- दीपाली ऐसे क्यों खड़ी हो.. क्या देख रही हो?
दीपाली- अपनी गाण्ड देख रही हूँ.. अभी भी ऐसा लग रहा है जैसे कोई चीज़ अन्दर घुसी हुई हो.. दर्द भी हो रहा है गाण्ड में…
विकास- अरे कुछ नहीं.. कसी हुई गाण्ड पहली बार चुदी है ना.. तो ऐसा लगता है.. चल आजा बिस्तर पर.. मैं थोड़ा सहला देता हूँ.. आराम मिलेगा…
दीपाली- सर.. सिर्फ़ गाण्ड को सहलाओगे.. मेरा पूरा बदन अकड़ गया है आप थोड़ा दबा दो ना प्लीज़…
विकास- जान तू दो मिनट रुक.. मैं सरसों का तेल थोड़ा गर्म कर के लाता हूँ.. उसकी मालिश से तेरा सारा दर्द निकल जाएगा।
दीपाली ने कुछ सोचा उसके बाद बिस्तर पर पेट के बल लेट गई।
विकास रसोई में चला गया और वहाँ से एक प्याली में तेल को हल्का गर्म करके ले आया।
विकास- ले.. मैं आ गया.. अब देख थोड़ी ही देर में तुझे आराम मिल जाएगा।
विकास बिस्तर पर बैठ गया और अपने हाथों पर ढेर सारा तेल लेकर दीपाली की गर्दन से मालिश करना शुरू हो गया।
दीपाली- आह.. गर्म तेल का अहसास कितना अच्छा है.. उफ सर.. आपके हाथ में तो जादू है.. हाथ लगाते ही बड़ा सुकून मिल रहा है आह्ह.. दबाव उफ्फ हाँ.. ऐसे ही.. मज़ा आ रहा है।
विकास बड़े प्यार से मालिश करने लगा.. गर्दन से पीठ पर होता हुआ गाण्ड को रगड़ने लगा। करीब आधा घंटा तक वो मसाज करता रहा।
दोस्तों इतनी कमसिन लड़की नंगी पड़ी हो और उसके जिस्म को मालिश हो रही हो तो जाहिर सी बात है.. उसकी उत्तेजना तो बढ़ेगी ही.. क्योंकि विकास गाण्ड में तेल डाल कर ऊँगली अन्दर तक डाल रहा था, कभी उसकी चूत को दबा रहा था।
दीपाली एकदम जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी। वो एकदम गर्म हो गई थी।
इधर विकास का भी यही हाल था।
दीपाली के यौवन को छूने से उसके लौड़े में तनाव पैदा हो गया था और होगा भी क्यों नहीं.. 18 साल की कली को मसाज दे रहा था.. लौड़ा तो फुंफकार मारेगा ही।
दीपाली- आह्ह.. आह उफ़फ्फ़… सर आह्ह.. बड़ा मज़ा आ रहा है.. आपने तो आह..
मेरे जिस्म में आग लगा दी.. उफ्फ अब तो आ आपके लौड़े से चूत और गाण्ड के अन्दर तक मालिश कर ही दो आह्ह.. तभी मुझे सुकून मिलेगा…
विकास- हाँ साली रंडी.. तू है ही इतनी हॉट कि साला कोई भी तुझे देख कर गर्म हो जाए और मैं तो कब से तेरे यौवन को मालिश कर रहा हूँ साला लौड़ा फटने को आ गया.. चल अब बन जा घोड़ी.. पहले तेरी गाण्ड बजाऊँगा.. उसके बाद चूत की आग बुझाऊँगा।
दीपाली झट से घोड़ी बन गई और विकास ने अपना लौड़ा गाण्ड में डाल दिया.. करीब आधा घंटा तक वो गाण्ड मारता रहा.. अबकी बार दीपाली को दर्द नहीं बल्कि मज़ा मिल रहा था।
लौड़ा गाण्ड में घुस रहा था और उसकी चूत पानी-पानी हो रही थी।
जब चूत की आग हद से ज़्यादा हो गई तो दीपाली ने विकास को नीचे लिटा दिया और खुद उसके लौड़े पर बैठ गई.. और कूदने लगी.. केवल 5 ही मिनट में वो झड़ गई.. मगर विकास कहाँ झड़ने वाला था.. वो नीचे से धक्के मारता रहा। उसके बाद स्थिति बदल कर उसे चोदने लगा।
दोस्तो, 25 मिनट तक विकास चूत में लौड़ा पेलता रहा.. दीपाली दोबारा झड़ने को आ गई.. तब कहीं जाकर विकास के लौड़े ने लावा उगला.. दोनों एक साथ झड़ गए और एक-दूसरे से लिपटे हुए पड़े रहे।
चुदाई की थकान और रात भी काफ़ी हो गई थी.. दोनों कब सो गए.. पता भी नहीं चला।
सुबह 6 बजे अनुजा की आँख खुली वो भी नंगी ही सोई पड़ी थी.. उठ कर वो सीधी बाथरूम में गई.. नहा कर फ्रेश हुई।
आज उसने नीली साड़ी पहनी, उसमें वो बहुत सुन्दर लग रही थी।
उसके बाद वो दूसरे कमरे में गई.. जहाँ विकास और दीपाली एक-दूसरे की बांहों में गहरी नींद में सोए हुए थे।
अनुजा- लो इनको देखो.. अभी तक बेशर्मों की तरह सोए पड़े हैं।
अनुजा ने उनको उठाने की बजाय कमरे की बत्ती बन्द की और रसोई में चली गई।
लगभग 7 बजे तक अनुजा ने आलू के परांठे और चाय तैयार कर ली.. उसके बाद वापस कमरे में गई.. दोनों अभी तक वैसे ही पड़े थे।
अनुजा- दीपाली.. अरे उठ भी जा.. अब क्या पूरा दिन सोती रहेगी.. स्कूल नहीं जाना क्या?
दोस्तो, मैं आपको बता दूँ.. दीपाली का स्कूल 8 से 2 बजे तक का था।
चलिए आगे देखिए।
दीपाली अंगड़ाई लेती हुई उठी.. वो पूरी नंगी थी.. उसकी चूत पर वीर्य लगा हुआ था.. जो सूख गया था।
दीपाली- उहह.. क्या दीदी.. कितनी अच्छी नींद आ रही थी.. सोने भी नहीं देती आप…
विकास भी उठ गया था.. उसने दीवार घड़ी की ओर देखा तो चौंक कर बैठ गया।
विकास- अरे बाप रे… 7 बज गए.. क्या अनु पहले क्यों नहीं उठाया.. दीपाली चल उठ जा.. स्कूल जाना बहुत जरूरी है.. आज इम्तिहान के प्रवेश-पत्र मिलेंगे।
अनुजा- अच्छा मैंने नहीं उठाया.. आप ही रात भर चोदने का मज़ा लेते रहे थे.. चलो कुछ देर नहीं हुई.. नास्ता रेडी है.. बस तुम दोनों तैयार हो जाओ।
विकास कुछ नहीं बोला और सीधा बाथरूम में घुस गया।
अनुजा ने दीपाली का हाथ पकड़ कर उसको खड़ा किया।
अनुजा- अरे बहना.. जल्दी कर तेरे घर भी जाना है.. बैग लेने.. और स्कूल ड्रेस भी वहीं है।
दीपाली आधी खुली आँखों से बाथरूम की तरफ बढ़ने लगी।
अनुजा- यहाँ कहाँ जा रही है.. इसमें विकास है.. सारी रात चुदवा कर भी तेरा मन नहीं भरा क्या.. जो अभी भी वहीं जा रही है.. दूसरे कमरे में जा और जल्दी तैयार हो जाना.. ओके…!
दीपाली कुछ बोली नहीं बस अनुजा की तरफ देख कर मुस्कुरा दी और वहाँ से चली गई।
अनुजा कमरे का हाल ठीक करने लगी।
करीब 20 मिनट में दोनों नहा कर फ्रेश हो गए।
दीपाली ने अपने कपड़े लिए और पहनने लगी। विकास भी वहीं उसके सामने खड़ा कपड़े पहन रहा था।
अनुजा- हद हो गई बेशर्मी की.. कपड़े बाथरूम में ले गई होती.. नहा कर ऐसे ही नंगी बाहर आ गई।
अब कपड़े भी यहीं पहन रही है।
दीपाली- दीदी आपने ही मुझे बेशर्म बनाया है और सर से कैसी शर्म रात भर नंगी इनके साथ थी तो अब क्या नया हो गया.. दीदी.. प्लीज़ ये ब्रा का हुक बन्द करो ना.. कब से ट्राइ कर रही हूँ हो नहीं रहा..
अनुजा- मेरी जान.. जब सर से कोई शर्म नहीं है तो हुक भी उनसे ही बन्द करवा ले और अब तू बड़ी साइज़ की ब्रा खरीद ले.. विकास ने तेरे मम्मों को दबा-दबा कर बड़े कर दिए हैं हा हा हा…
दीपाली- क्या दीदी.. आप भी ना.. एक ही रात में बड़े हो गए क्या.. अब आप बन्द कर रही हो या सच में सर को बोलूँ।
अनुजा- ला इधर आ.. बड़ी बेशर्म हो गई है और रात भर तेरे सर ने दबाए भी तो खूब हैं ना.. फरक तो पड़ेगा ही.. अभी नहीं तो कुछ दिन बाद बड़े हो जाएँगे.. खरीदना तो पड़ेगा ही तुमको..
दीपाली- चलो मान लिया मैंने मगर मैं क्यों खरीदूँ.. सर ने बड़े किए है वो ही लाकर दे देंगे हा हा हा हा…
कमरे में हँसी का माहौल बन गया। अनुजा भी उसकी बात से हँसने लगी।
अनुजा- अच्छा ठीक है.. मंगवा लेना, अभी जल्दी रेडी हो जा मेरी माँ.. बातें शाम को कर लेना।
दीपाली- ना ना माँ नहीं सौतन.. हा हा हा हा..
दीपाली पर मस्ती करने का भूत सवार हो गया था।
अनुजा इसके आगे कुछ ना बोली.. बस उसको गुस्से से आँख दिखाई और कपड़े पहनने को बोल कर नास्ता लाने चली गई।
नाश्ते के दौरान भी हल्की-फुल्की बातें हुईं.. उसके बाद विकास निकल गया।
अनुजा और दीपाली भी साथ में निकले।
दीपाली के घर के बाहर गमले से चाबी ली.. जल्दी से उसने ड्रेस पहना और स्कूल के लिए निकल गई। चाबी वापस वहीं रख दी।
इस दौरान अनुजा ने घर की तारीफ की और दीपाली से कहा- स्कूल से वापस उसके पास आ जाए.. उसके मॉम-डैड तो शाम तक आएँगे। दीपाली ने अनुजा को किस किया और बाय बोलकर चली गई।
बस दोस्तो, आज के लिए इतना काफ़ी है।
अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए।
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