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Bahan Ke Sath Prem-leela-4 उन दोनों को इस तरह देखकर वो भी गर्म हो गई और अपने पजामे के ऊपर से अपनी चूत को मसलने लगी और उनको देखती रही। फिर वो अपने पजामे के अन्दर हाथ डाल कर अपनी चूत को सहलाने लगी और अपने एक हाथ से अपनी टी–शर्ट ऊपर कर के अपने बूब्स को मसलने लगी। उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी।
दूसरी तरफ उसकी छोटी बहन भाई का लंड पकड़ कर जोर से हिलाते हुए लंड चूस रही थी और उसका भाई छोटी बहन की चूत में अपनी जीभ डाल डालकर कस कर चूस रहा था।
उसकी गांड की थिरकन से पता चलता था कि उसको बहुत मज़ा आ रहा है।
कुछ ही देर बाद बड़ी बहन को लगा जैसे उसके बहन और भाई दोनों ही झड़ने वाले हैं तो उसने अपने कपड़े सही किये और मुंह घुमा कर लेट गई।
वो दोनों भाई बहन एक दूसरे के लंड और चूत को बहुत तेजी से चूस हुए दोनों ही एक दूसरे के मुंह में अपना अपना पानी छोड़ दिया। फिर लड़की ने अपने भाई का लंड अपने मुंह से निकला और अपने हाथ की हथेली को अपने मुंह के पास लाकर अपने मुंह से अपने भाई का वीर्य निकालने लगी।
जब उसकी हथेली पर उसके भाई का वीर्य पूरा निकल गया तो फिर उसे अपनी जीभ से चाट चाट कर उसको खाने लगी और कुछ ही देर में उससे अपने भाई का पूरा वीर्य अपनी हथेली से साफ़ कर दिया।
इसके बाद मुझसे और आगे नहीं देखा गया मेरा मन बुरी तरह विचलित हो रहा था।
मैंने अपने भाई का फ़ोन बंद किया और लेट कर सोचने लगी कि क्या वास्तव में लंड चूसने में और चूत में डलवाने में इतना मज़ा आता है? क्योंकि मैंने अब तक किसी के साथ ये सब नहीं किया था और न ही किसी नौजवान का लंड देखा था।
अब मेरा मन भी लंड को देखने और उसको छूने का और उसको अपने मुंह में लेकर चूसने का बहुत मन कर रहा था।
अभी मैं यह सब सोच ही रही थी कि अचानक साजन भाई ने मेरी तरफ़ करवट ली और उनका एक हाथ मेरे वक्ष के ऊपर आ गया। भाई का लंड भी मेरे पैर की गर्मी से तन कर खड़ा हो गया था।
तभी मुझे भाई का ख्याल आया कि क्यों न साजन भाई का ही लंड छू कर और चूसकर देखा जाए।
भाई का लंड भी तो ऐसा ही होगा जैसा कि इस वीडियो में था।
जब इस फ़िल्म में भाई बहन सेक्स कर सकते हैं तो रियल लाइफ में भी तो होता ही होगा क्योंकि फ़िल्म में भी तो वही दिखाते हैं जो रियल लाइफ में हो रहा होता है !
क्यों न भाई को ही राजी कर लूँ !
अगर भाई राजी हो गए तो किसी को पता भी नहीं चलेगा और मेरे मन की इच्छा भी पूरी हो जायेगी।
मेरे मन में ये बातें आते ही मन ख़ुशी से झूम उठा। फिर क्या था, भाई का हाथ अपनी चूची से आराम से हटाया इतनी आराम से कि वो जागे नहीं।
फिर मैंने भाई का कम्बल उनके लंड के ऊपर से उठाया तो उनका खड़ा लंड उनके लोअर में दिख रहा था। वो तो लोअर के ऊपर से ही बहुत बड़ा लग रहा था।
मैंने अपने हाथ भाई के लोअर की तरफ बढ़ाये तो मुझे घबराहट होने लगी, मेरे हाथ कांपने लगे, पर लंड को देखने की इच्छा को मैं दबा नहीं पाई और मैंने धीरे से लोअर खोल दिया।
लोअर खुलते ही मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैंने कोई किला फ़तह कर लिया हो।
मैं कुछ देर रुक गई मेरी दिल की धड़कन मुझे साफ़ सुनाई दे रही थी।
कुछ देर रुकने के बाद मैंने भाई का लोअर को ढीला किया और नीचे की तरफ सरका दिया पर लोअर तो लंड में अटक गया। मैंने उसको सही से पकड़ा और फिर लोअर को नीचे कर दिया, अब भाई का लंड मेरी आँखों के सामने था।
परन्तु लोअर अभी ऊपर से ही हटा था नीचे से अभी भी दबा हुआ था मैंने भी उसको निकलने की कोशिश नहीं की।
भाई ने लोअर के नीचे कुछ नहीं पहना था।
फिर मैंने भाई का फ़ोन उठाया और उसकी टार्च ऑन कर दी। अब मैं भाई का लंड आराम से सही से देख रही थी।
जैसे ही मैंने टार्च भाई के लंड के ऊपर की, हाय राम ! भाई का लंड तो तना हुआ उनके पेट से लगा हुआ था। भाई का खड़ा हुआ लंड मुझे बहुत प्यारा और सुन्दर लग रहा था। भाई का लंड जितना मैंने सोचा था वो तो उससे भी बड़ा और मोटा था भाई का लंड 6.5 इंच का था।
मैं काफी देर तक अपने भाई का लंड देखती रही, फिर मैंने भाई के लंड को छूने के लिए हाथ बढ़ाया पर मेरा ध्यान भाई के चेहरे पर था, कहीं वो जाग न जाए। और फिर मैंने अपने कांपते हाथ से भाई का लंड धीरे से पकड़ लिया।
भाई का लंड बहुत ही गर्म था।
मेरी सांसें तेजी से चलने लगी, मेरे बूब्स तेजी से ऊपर नीचे हो रहे थे।
भाई का लंड हाथ में आते ही मुझे लगा जैसे मुझे कोई खजाना मिल गया हो।
कुछ देर मैंने भाई का लंड ऐसे ही पकड़े रखा, मेरे हाथ की गर्मी से भाई का लंड और भी कठोर हो गया था, वो इतना सख्त हो गया कि भाई के लंड के टोपे की खाल खुलकर नीचे की ओर हो गई थी।
अब लंड का ऊपरी भाग गुलाबी दिखाई दे रहा था जो मुझे लाल लाल सेब की याद दिला रहा था।
लंड का गुलाबी भाग देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया, मन तो कर रहा था कि जल्दी से भाई का लंड मुंह में लेकर चूस लूँ पर मैं कोई जल्द बाजी नहीं करना चाहती थी। अगर मैं ऐसा करती तो भाई के उठने का डर था।
फिर मैं भाई के लंड को ऊपर नीचे करने लगी बहुत प्यार से! मुझ ये सब करने में बहुत मज़ा आ रहा था, मेरी चूत से पानी झरने की तरह चू रहा था। मेरे होंठ सूखने लगे थे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब मुझसे ओर सब्र नहीं हो रहा था, बस मन कर रहा था कि अब भाई का लंड मुंह में ले ही लूँ।
इसलिए मैं उठी और भाई के पैरों की तरफ़ सर रख कर लेट गई और मैंने भाई को और अपने आपको कम्बल से ढक लिया।
मैंने अँधेरे में भाई का लंड टटोला। जैसे ही मेरे हाथ में भाई का लंड आया तो मेरी धड़कन बहुत तेज हो गई और मेरे हाथ कांपने लगे पर मुझे कोई होश नहीं था, मुझे तो बस लंड चाहिये था, जो अब मेरे हाथ में था।
फिर मैं थोड़ा सा नीचे हुई, अब साजन भाई का लंड मेरे मुंह के सामने था।
मैंने धीरे से अपना मुंह खोला और भाई के लंड की तरफ थोड़ा और सरक गई।
फिर मैंने अपने साजन भाई का लंड अपने मुंह में ले लिया।
अभी सिर्फ मुंह में लंड का सुपारा ही गया था पर मुझे लग रहा था कि मैंने उनका पूरा लंड मुंह में ले लिया।
भाई का लंड बहुत ही ज्यादा गर्म लग रहा था।
कुछ देर मैंने भाई के लंड का सुपारा अपने होंठों में दबाये रखा, फिर मैंने लंड के सुपारे पर अपनी जीभ चलाई तो मुझे लंड का स्वाद कुछ अजीब सा लगा।
भाई के लंड का स्वाद मुझसे बहुत ही अच्छा लगा। लंड का स्वाद जैसा भी था पर सच कहूँ मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। और फिर यह मेरे साजन भाई का लंड था।
मैंने हाथ से टटोल कर देखा तो अभी भाई का लंड पूरा ही बाहर है। मैंने तो बस लंड का एक भाग ही मुंह में लिया था।
मैं साजन भाई का लंड अपनी जीभ से ऐसे चाट रही थी जैसे कोई बच्चा सोफ्टी के ऊपर की आइसक्रीम चाट रहा हो।
मैं साजन:
मुझे सोते हुए अभी कुछ ही देर हुई थी कि अचानक मुझे मेरे लंड पर किसी का हाथ महसूस हुआ। आप सभी को तो पता ही है कि चाहे लड़का हो या लड़की ! उसके नाजुक अंग पर कोई भी हाथ लगाये तो वो जाग जाता है, इस तरह मैं भी जाग गया था। कहानी जारी रहेगी।
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