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विकास- हा हा हा मैं तो सन्न रह गया.. तुमने पूरी पेशाब मुझ पर कर दी थी।
अनुजा- तो अपने कौन सा मुझे बख्श दिया.. अपने भी तो उसी वक्त मेरी चूत पर पेशाब कर दिया था.. कितना गर्म था…
विकास- हाँ जान कहाँ तो हम चुदाई कर रहे थे.. पानी आने की बजाय साला पेशाब निकल गया।
दोनों खिलखिला कर हँसने लगे।
अनुजा- अब आपकी बातें बन्द करो मेरी तो बड़े ज़ोर से आ रही है। विकास ने लौड़ा चूत से सटा दिया।
विकास- रोका क्यों है.. चल कर दे.. मैं भी करता हूँ.. मज़ा आएगा।
दोनों एक साथ शुरू हो गए.. गर्म-गर्म पेशाब की धार से विकास के लौड़े को बड़ा सुकून मिल रहा था और वहीं अनुजा ने अपनी आँखें बन्द कर ली थीं।
जब दोनों का हो गया.. तब एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे।
विकास यार कसम से इन हरकतों से कितना सुकून मिलता है ना दिल को.. देखो लौड़ा कैसे तन गया.. शायद इस हरकत से ये उत्तेजित हो गया होगा।
अनुजा- शायद हो सकता है या फिर ऐसा भी हो सकता है सेक्स की गोली का असर हो।
विकास- हाँ जान कुछ भी हो सकता है.. चलो कारण कोई भी हो.. अब लौड़े को भूख लगी है तो खाना भी दो इसको.. यहीं चुदवाओगी या कमरे में जाकर…
अनुजा- कहीं नहीं.. पता नहीं क्यों मेरे पेट में हल्का दर्द हो रहा है.. अगर चुदवाया तो शायद ज़्यादा हो जाए.. तुम जाओ दीपाली को चोद लो.. मैं आती हूँ थोड़ी देर में.. मुझे बाथरूम करना है।
विकास कुछ बोलना चाह रहा था.. मगर अनुजा उसका हाथ पकड़ कर उसे बाहर निकालने लगी। विकास- अरे रुक तो.. पानी से बदन तो साफ करने दे।
अनुजा- ओके.. जल्दी करो।
विकास ने जल्दी से पानी से नीचे का हिस्सा साफ किया और बाहर निकल गया।
दीपाली एकदम गहरी नींद में थी और पेट के बल लेटी हुई थी.. उसकी गाण्ड देख कर विकास उसके पास गया और बड़े प्यार से उसको सहलाने लगा।
विकास- दीपाली तुझे बनाने वाले ने बड़ी फ़ुर्सत से बनाया होगा.. तेरी गाण्ड कितनी नरम है.. मैंने कोई अच्छा काम किया होगा जो तुझ जैसी कमसिन लड़की.. आज मेरे बिस्तर पर नंगी पड़ी है.. जान लौड़े में तनाव तो बहुत है.. मगर मैं तेरी नींद खराब नहीं करना चाहता.. तूने आज मुझे बहुत बड़ी ख़ुशी दी है.. जब तक तेरी नींद पूरी नहीं हो जाती.. मैं बस ऐसे ही तेरे जिस्म को निहारता रहूँगा।
विकास उसकी गाण्ड को धीरे-धीरे दबा रहा था.. उसका लौड़ा तन कर झटके मारने लगा था। कुछ देर ऐसा चलता रहा।
अनुजा- अरे क्या बात है आप ऐसे ही बैठे हो… उठाया नहीं क्या दीपाली को।
विकास- नहीं यार.. ये बहुत गहरी नींद में है.. इसकी नींद खराब करने को दिल नहीं मान रहा।
अनुजा- अरे इसने खुद कहा था कि बस दो घंटे सोने दो.. उसके बाद जितना मर्ज़ी चोद लेना.. अभी तो इसको सोए तीन घंटे होने को आए हैं।
विकास- अरे नहीं अनु.. ये अभी छोटी है.. थोड़ा और सोने दो, अपने आप उठ जाएगी।
अनुजा- नहीं मेरे राजा.. इस वहम में मत रहो.. अरे आज इसने पहली बार चुदाई का मज़ा लिया है और खूब चुदी भी है.. ये ऐसी सुकून की नींद ले रही है.. अगर इसे उठाओ नहीं ना.. तो सुबह भी नहीं उठेगी.. चुदने के बाद कैसी अच्छी नींद आती है.. ये मुझसे ज़्यादा कौन जान पाएगा। जब पहली बार चैट पर अपने मुझे चोदा था.. याद है दूसरे दिन देर तक मैं सोती रही थी।
विकास- हाँ.. ये बात तो है.. चुदाई के बाद नींद बड़ी प्यारी आती है। अब तुम भी चुदने से मना कर रही हो.. लगता है इसे उठाना ही पड़ेगा।
अनुजा- सॉरी राजा.. सच्ची मेरे पेट में दर्द हो रहा है.. चुदाई का बिल्कुल भी मन नहीं है.. आप ऐसा करो इसको उठा ही लो और आराम से दोनों मज़े करो.. मुझे तो पेट दर्द की दवा लेनी होगी। ऐसा करो मैं दवा लेकर दूसरे कमरे में सो जाती हूँ.. तुम दोनों यहीं मज़ा करो।
विकास- अरे यार ये क्या बात हुई.. यहीं सो जाओ ना।
अनुजा- नहीं विकास.. मैं सुकून से सोना चाहती हूँ और यहाँ तुम दोनों को चुदाई करते देखूँगी तो कहाँ नींद आएगी। आप इसे उठाओ.. मैं चली सोने…
अनुजा वहाँ से चली जाती है.. विकास दीपाली के पास लेट जाता है और उसकी पीठ पर हाथ फिराने लगता है।
तभी दीपाली करवट लेती है और उसकी गाण्ड विकास के लौड़े के सामने हो जाती है।
विकास उससे चिपक जाता है और लौड़ा उसकी जाँघों के बीच फँस जाता है।
विकास अब दीपाली से चिपका हुआ उसके मम्मों को दबाने लगता है।
थोड़ी देर में दीपाली वापस करवट लेती है और अबकी बार एकदम सीधी सो जाती है।
विकास का लौड़ा बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
विकास- मेरी जान.. तू कब उठेगी, देख मेरा लौड़ा बेकाबू हो रहा है.. अब तो बर्दाश्त के बाहर है.. तू सोती रह मैं अब तेरी चूत में लौड़ा घुसा ही देता हूँ.. साली सोई हुई लड़की को चोदने का मज़ा ही कुछ और है।
विकास उकडूँ बैठ गया.. उसने दीपाली के पाँव मोड़ कर उनको फैलाया और लौड़े पर थूक लगा कर चूत पर टिका दिया और धीरे से धक्का मारा.. लौड़ा ‘घप’ से अन्दर घुस गया।
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विकास दीपाली के ऊपर लेट गया और उसके निप्पल चूसने लगा.. इधर धीरे-धीरे झटके मारने लगा।
दीपाली- उहह उहह सर आह्ह.. मुझे उठा लिया होता… ऐसे सोते हुए ही चोद रहे हो.. आहह..
विकास- मेरी रानी.. ओह्ह ओह्ह.. कब से तेरे उठने का इन्तजार कर रहा हूँ साला लौड़ा तेरी कमसिन जवानी देख कर झटके मार रहा था.. इसी लिए मैंने सोचा अब लौड़ा चूत में जाएगा तब अपने आप तू उठ जाएगी।
दीपाली- आह्ह.. आह.. चोदो राजा जी.. आह्ह.. मज़ा आने लगा है.. उई आप कितने अच्छे हो.. आह्ह.. चोदो.. मेरी चूत की आज आह्ह.. सारी खुजली मिटा दो आह्ह..
विकास ने तो गोली ले रखी थी.. उसका लौड़ा तो लोहे की रॉड जैसा तना हुआ था और शॉट पर शॉट मार रहा था, मगर बेचारी दीपाली तो बिना कामोत्तेजक दवा के ही चूत में लौड़ा ले रही थी।
उसकी चूत तो वक्त पर ही लावा उगलेगी ना..
लगभग 15 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद दीपाली सिसकने लगी.. ठंडी ‘आहें’ भरने लगी।
दीपाली- आह्ह.. सस्स ऊह्ह सर आह्ह.. बहुत मज़ा आ रहा है उई… धपाधप चोदो और ज़ोर से आह उफ़फ्फ़ कककक सी मेरी चूत आह्ह.. का बाँध टूटने वाला है अई फास्ट आह्ह.. फास्ट.. फाड़ दो आह्ह.. मेरी चूत को उफ़फ्फ़ मैं गई आह्ह..
दीपाली ने आँखें बन्द कर लीं.. वो चरमसुख का आनन्द लेने लगी और 2 मिनट बाद उसका बदन ढीला पड़ गया मगर विकास अब भी उसको ठोके जा रहा था।
दीपाली- आह्ह.. आह मेरे राजा जी.. आह्ह.. अब निकाल भी लो आह.. लौड़ा बाहर..
मेरी चूत में से.. आह आह जलन होने लगी है.. आईईइ आहइ आह।
विकास- अभी कहाँ जानेमन.. आह्ह.. उहह अभी तो मेरे लौड़े में करंट भी पैदा नहीं हुआ आह्ह.. आज तुझे इतना चोदूँगा आह्ह.. तेरी चूत की सारी खुजली मिटा दूँगा आह्ह..
दीपाली- आह आह प्लीज़ सर.. निकाल लो.. बड़ी जलन हो रही है आह्ह..
विकास- रानी निकाल तो लूँ मगर तेरी गाण्ड में वापस घुसाऊँगा.. अभी उसको ठीक से नहीं मार पाया हूँ आह्ह.. बोल मरवाएगी ना गाण्ड आह्ह..
बस दोस्तो, आज के लिए इतना काफ़ी है।
अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए, मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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