विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-13

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दस मिनट तक गाण्ड मारने के बाद विकास ने लौड़ा चूत में डाल दिया और रफ़्तार से चोदने लगा। इधर दीपाली ने अनुजा की चूत चाट-चाट कर उसको चरम सीमा पर पहुँचा दिया था।

अनुजा- आहइ आह मज़ा आ गया.. चाट आह्ह.. ज़ोर-ज़ोर से चाट.. आह्ह.. मैं झड़ने वाली हूँ आह्ह..

विकास- ओह्ह ओह्ह ओह्ह मैं भी आहह… करीब ही हूँ उफ़फ्फ़ मज़ा आ गया आज तो.. ओह्ह।

दीपाली- रफ्तार से करो राजा जी.. हम एक साथ ही झड़ेंगे आह्ह.. मेरी चूत में भी आह्ह.. तूफान उठ रहा है।

विकास अपनी पूरी ताक़त से झटके मारने लगा और दीपाली ने भी अनुजा की चूत को होंठों से दबा कर उसको ऐसा चूसा कि सबसे पहले अनुजा की चूत ने पानी छोड़ा।

अनुजा ने आनन्द में आँखें बन्द कर लीं और दीपाली के सर को कस कर पकड़ लिया और मस्ती से झड़ने लगी। दीपाली भी पानी को ज़ुबान से चाटने लगी।

दीपाली की चूत भी लौड़े के इतने तेज प्रहार को सहन ना कर पाई और उसका बाँध भी टूट गया। वो गाण्ड को पीछे धकेलती हुई झड़ने लगी। उसकी कमर कभी नीचे तो कभी ऊपर को उठ रही थी।

विकास- आह ह आह.. साली ओह्ह ओह्ह ओह्ह.. मुझसे पहले झड़ गई आअहह ले संभाल आह..

दो-चार धक्कों के बाद विकास एकदम से रुक गया और दीपाली की चूत को पानी पिलाने लगा।

वो हाँफने लगा था क्योंकि उसने कुछ ज़्यादा ही रफ्तार से शॉट लगा दिए थे।

वो एक तरफ बिस्तर पर लेट गया.. दीपाली भी उसके सीने पर सर रख कर सो गई।

अनुजा वैसे ही बैठी रही।

अनुजा- वाह.. मेरी बहना, तू तो मेरी सौतन बन गई है.. चुदवा भी रही हो और मेरे पति के सीने पर भी सो रही हो।

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दीपाली झट से बैठ गई और उसके चेहरे पर डर के भाव आ गए।

दीपाली- नहीं दीदी.. प्लीज़ आप गलत समझ रही हो.. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था.. आपको बुरा लगा तो ‘सॉरी’ मैंने पहले ही कहा था.. अगर आपको ऐतराज ना हो तो मैं सर से चुदवा लूँ.. आपने ‘हाँ’ कही.. तभी मैं राज़ी हुई।

अनुजा- अरे अरे.. पागल मैं तो मजाक से बोली हूँ.. तुमने तो मेरी बात दिल पर ले ली यार.. अबे कूल.. मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता.. अगर सच में भी तू मेरी सौतन बन जाए तो मैं तो खुश रहूँगी.. तेरी जैसी स्वीट सौतन पाकर.. कभी विकास ना भी होगा तो तू मेरी चूत चाट कर मुझे ठंडा कर देगी।

विकास हँसने लगता है और दीपाली का माथा चूम कर उससे कहता है कि वो अनुजा की किसी भी बात का कभी बुरा ना माने क्योंकि इसको मज़ाक करने की आदत है।

दीपाली- दीदी आपने तो मेरी जान निकाल दी थी.. एक तो सर ने मेरी गाण्ड फाड़ दी.. कितना दर्द हो रहा है और रही-सही कसर आपने पूरी कर दी।

अनुजा- अच्छा बाबा ले.. मेरे निप्पल पकड़ कर ‘सॉरी’ बोलती हूँ बस…

अनुजा ने अपने निप्पल इस तरह पकड़े कि दीपाली को हँसी आ गई और वो अनुजा क गले लग गई।

विकास ने दोनों को बांहों में भर लिया।

विकास- चलो दोनों ही मेरे सीने पर सर रख लो यार.. बहुत थक गया हूँ थोड़ी देर आराम कर लूँ.. कसम से जानेमन तेरी गाण्ड बहुत कसी थी साला लौड़ा बहुत मुश्किल से हरकत कर रहा था।

दीपाली- हाँ पता है.. तभी तो गाण्ड की हालत बिगड़ गई.. मुझे तो बहुत नींद आ रही है.. मैं तो ऐसे ही आपके सीने पर सोऊँगी।

अनुजा- अरे अभी तो रात शुरू हुई है अभी से सोने की बात कर रही हो यार.. अभी मैंने तो चुदवाया ही नहीं है।

दीपाली- दीदी आप चुदवा लो.. पर मुझे सोने दो.. हाँ दो घंटा सो लूँ.. उसके बाद मुझे उठा लेना।

विकास- सो जा मेरी रानी.. इस बहाने मुझे भी आराम मिल जाएगा।

दोस्तो, क्या हाल हैं आपके.. सोच रहे होंगे मैं कहाँ हूँ आपसे बात करने नहीं आ रही.. यार, क्या करूँ कहानी ऐसे मोड़ पर चल रही थी अगर मैं बीच में आपसे बात करने आती तो आपका मज़ा खराब हो जाता.. उम्मीद है आपको स्टोरी पसन्द आ रही होगी। मैं प्लीज़ आप सबसे हाथ जोड़ कर विनती करती हूँ कि मुझे ईमेल के जरिए कोई गंदी बात ना कहो.. मैं बस एक लेखिका हूँ इसके अलावा मेरी खुद की कोई सेक्सी स्टोरी नहीं है। जिसे देखो वो मेरे पीछे पड़ा है कि आपकी स्टोरी भेजो.. कोई कहता है हमसे भी चुदवा… लो तो प्लीज़ सोच बदलो जो कहानी लिखता है.. जरूरी नहीं कि वो भी ऐसा करता हो.. ओके बस यही कहना था मुझे.. तो अब आप कहानी का मज़ा लो।

लगभग 30 मिनट तक कोई कुछ भी नहीं बोला.. बस ऐसे ही आँख बन्द करके पड़े रहे और उसी अवस्था में उनको नींद आ गई।

करीब 2 घंटे बाद अनुजा उठी, उसको शायद बाथरूम जाना था तो वो उठी और चली गई। उसके कदमों की आहट से विकास भी उठ गया, उसने अनुजा को जाते हुए देखा तो दीपाली को एक बगल सुला कर वो भी उसके पीछे चला गया। दोस्तों दीपाली गहरी नींद में सो गई थी।

बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था विकास सीधा अन्दर चला गया। अनुजा बस पेशाब के लिए कमोड पर बैठ ही रही थी कि उसको विकास दिख गया।

उसको देख कर अनुजा मुस्कुराई।

अनुजा- क्या बात है राजा.. लौड़े में तनाव हो गया क्या.. जो मेरे पीछे-पीछे आ गए।

विकास- अरे ऐसी बात नहीं है.. ज़ोर से पेशाब आया था.. तुम्हें जाते देखा तो मैं भी आ गया.. सोचा दोनों साथ में करेंगे.. इसमें भी एक अलग मज़ा मिल जाएगा।

अनुजा- उह्ह.. ये बात है.. अच्छा उस दिन की याद आ गई क्या?

विकास- हाँ.. यार उस दिन कितना मज़ा आया था और हम दोनों कितना हँसे थे।

अनुजा- अरे उस दिन तो बस हो गया था.. हमने सोचा थोड़े ही था.. ऐसा भी हो सकता है। आप बस मुझे चोदे जा रहे थे और मेरा जोरों से पेशाब आने लगा। मैंने आपसे कहा भी.. मगर आप कहाँ माने.. आख़िर में जब माने.. तब तक बहुत देर हो गई थी.. और जैसे ही अपने लौड़ा बाहर निकाला मेरी चूत से पेशाब की धार निकल कर सीधे आपके लौड़े पर आई.. हा हा हा…

विकास- हा हा हा मैं तो सन्न रह गया.. तुमने पूरी पेशाब मुझ पर कर दी थी।

अनुजा- तो अपने कौन सा मुझे बख्श दिया.. अपने भी तो उसी वक्त मेरी चूत पर पेशाब कर दिया था.. कितना गर्म था…

विकास- हाँ जान कहाँ तो हम चुदाई कर रहे थे.. पानी आने की बजाय साला पेशाब निकल गया।

दोनों खिलखिला कर हँसने लगे।

अनुजा- अब आपकी बातें बन्द करो मेरी तो बड़े ज़ोर से आ रही है। विकास ने लौड़ा चूत से सटा दिया।

विकास- रोका क्यों है.. चल कर दे.. मैं भी करता हूँ.. मज़ा आएगा।

दोनों एक साथ शुरू हो गए.. गर्म-गर्म पेशाब की धार से विकास के लौड़े को बड़ा सुकून मिल रहा था और वहीं अनुजा ने अपनी आँखें बन्द कर ली थीं।

जब दोनों का हो गया.. तब एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे।

बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?

तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए.. मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]

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