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दीपाली ने आँखें बन्द कर लीं.. वो चरमसुख का आनन्द लेने लगी और 2 मिनट बाद उसका बदन ढीला पड़ गया मगर विकास अब भी उसको ठोके जा रहा था।
दीपाली- आह्ह.. आह मेरे राजा जी.. आह्ह.. अब निकाल भी लो आह.. लौड़ा बाहर.. मेरी चूत में से.. आह आह जलन होने लगी है.. आईईइ आहइ आह।
विकास- अभी कहाँ जानेमन.. आह्ह.. उहह अभी तो मेरे लौड़े में करंट भी पैदा नहीं हुआ आह्ह.. आज तुझे इतना चोदूँगा आह्ह.. तेरी चूत की सारी खुजली मिटा दूँगा आह्ह..
दीपाली- आह आह प्लीज़ सर.. निकाल लो.. बड़ी जलन हो रही है आह्ह..
विकास- रानी निकाल तो लूँ मगर तेरी गाण्ड में वापस घुसाऊँगा.. अभी उसको ठीक से नहीं मार पाया हूँ आह्ह.. बोल मरवाएगी ना गाण्ड आह्ह..
दीपाली- आह्ह.. ठीक है मार लो आह्ह.. कम से कम चूत को तो सुकून मिलेगा।
विकास ने रफ्तार से दो-चार झटके मार कर लौड़ा बाहर निकाल लिया दीपाली ने चैन की सांस ली और बैठ कर लौड़े को देखने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! दीपाली- क्या बात है राजा जी.. ये तो भूखे शैतान की तरह अकड़ा खड़ा है चूत का हाल बिगाड़ दिया.. फिर भी इसका मन नहीं भरा क्या?
विकास- अब बातें चोदना बन्द कर.. चल बन जा घोड़ी.. तेरी चूत का चबूतरा तो बना दिया.. अब गाण्ड को भी गड़हिया बना देता हूँ।
दीपाली- अरे गाण्ड भी मार लेना.. पहले लौड़े को चूस तो लूँ.. बड़ा मान ललचा रहा है.. ऐसे कड़क लौड़े को देख कर..
दीपाली ने लौड़े को मुँह में ले लिया और मज़े से चूसने लगी।
विकास का बदन जलता अंगारा बन गया था.. वो हवसी हो गया था दीपाली का सर पकड़ कर झटके मारने लगा.. पूरा लौड़ा अन्दर तक डालता और बाहर निकाल लेता।
दीपाली भी कम ना थी.. वो होंठों को भींच कर विकास के लौड़े को कसी चूत का अहसास दिला रही थी।
विकास- आह्ह.. आह चूस साली… क्या मस्त चूसती है राण्ड आह्ह.. मज़ा आ गया आह्ह.. साला आज तो लौड़ा झड़ने का नाम ही नहीं लेगा.. बहुत पावर की गोली खाई है.. आह्ह.. चूस ऐसे ही आह्ह..
विकास पागलों की तरह उसके मुँह को चोदने लगा। काफ़ी देर बाद विकास ने लौड़ा मुँह से बाहर निकाला।
विकास- चल अब घोड़ी बन जा बस अब तेरी गाण्ड में ही झडूंगा.. चूत तो पानी पी-पी कर काफ़ी गीली हो गई है। अबकी बार गाण्ड को भी वीर्य रस का मज़ा दे ही देता हूँ।
दीपाली- ऑउह्ह.. मेरे राजा जी.. आप के लौड़े में क्या मज़ा आ रहा था.. दिल कर रहा था बस अभी पानी निकाले और सारा गटक जाऊँ.. उफ्फ.. कितना गर्म अहसास था.. आपने सब चौपट कर दिया.. लो बन गई घोड़ी.. कर लो अपना अरमान पूरा.. गाण्ड की हालत पहले ही खराब है अबकी बार पूरी फाड़ ही दो.. ताकि दर्द होने का झंझट ही ना रहे।
दीपाली ने मुस्कुराते हुए ये बात कही थी.. उसके साथ विकास भी मुस्कुरा दिया।
दीपाली अब घोड़ी बन गई थी और विकास तो एकदम बेसबरा हो रहा था उसने जल्दी से लौड़े को गाण्ड पर टिकाया और घुसा दिया पूरा.. एक ही बार में..
दीपाली ने लंड को चूस कर एकदम चिकना कर दिया था इसलिए एक ही झटके में पूरा अन्दर घुस गया।
दीपाली- आहइ मर गई रे.. अई सर आह्ह.. अपने एक ही बार में आह्ह.. पूरा घुसा दिया.. आईईइ गाण्ड पहले ही दुख रही थी उफ़फ्फ़…
विकास- मेरी जान बस जब तक मेरा रस तेरी गाण्ड में नहीं गिरता, तब तक ये दर्द रहेगा.. उसके बाद तू खुद कहेगी कि गाण्ड मरवाने में बहुत मज़ा आता है.. चल अब संभल जा… मैं तेरी सवारी शुरू कर रहा हूँ।
इतना बोलकर विकास रफ्तार से गाण्ड मारने लगा। दीपाली भी ‘अई उ उफ़फ्फ़ कककक’ करती रही। दस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई से विकास के लौड़े में करंट पैदा हो गया था। वो अब अँधाधुंध शॉट मार रहा था।
दीपाली- अईयाया सर.. आह्ह.. आह उफ़फ्फ़ आपका आह्ह.. पानी कब निकलेगा आह…
विकास- उह उह बस आह.. निकलने ही वाला है आह..।
विकास का लौड़ा एकदम से फट गया उसमें से वीर्य की धार निकलने लगी दीपाली की गाण्ड में गर्म-गर्म पानी भरने लगा.. उसको भी बड़ी राहत मिली।
जब विकास ठंडा हो गया तो एक तरफ सीधा लेट गया दीपाली ने भी चैन की सांस लेते हुए विकास के सीने पर सर रख दिया।
अचानक से दीपाली बैठ गई और इधर-उधर देखने लगी।
दीपाली- सर दीदी कहाँ हैं कब से नहीं दिखीं…
विकास- हा हा हा इतनी देर बाद तुम्हें याद आया कि अनुजा यहाँ नहीं है हा हा हा… तुम भी कमाल करती हो।
दीपाली- इसमें कमाल की क्या बात है.. सोई हुई चूत में तो आपने लौड़ा घुसा दिया.. जब पूरी तरह से नींद टूटी.. तब तक लंड दिमाग़ पर हावी हो गया था। उस वक़्त किसे फ़र्क पड़ता है की कोई कहाँ है.. अब चुद कर सुकून में आई.. तब आपसे पूछ लिया.. अब बताओ भी…
दीपाली थोड़े तीखे अंदाज में बोली शायद विकास की बात उसको बुरी लगी।
विकास ने उसे सब बता दिया कि अनुजा के पेट में दर्द था.. वो दवा लेकर दूसरे कमरे में सो रही है।
दीपाली- उह्ह.. माँ.. सर आप भी ना.. चलो उनको देखते हैं… कहीं ज़्यादा तकलीफ़ तो नहीं हो रही उनको…
विकास- अरे मेरी रानी.. ऐसा कुछ नहीं है.. नॉर्मल सा दर्द था.. उसने दवा ले ली है.. अब वो सुकून से सो रही है.. अगर तुमको यकीन ना आए तो खुद जाकर देख आओ।
दीपाली बिना बोले कमरे से बाहर चली गई। पांच मिनट बाद वापस आकर विकास के पास बैठ गई।
विकास- क्यों हो गई तसल्ली.. देख आई अपनी दीदी को?
दीपाली- हाँ देख आई.. वो तो घोड़े बेच कर सो रही हैं. मैंने उनको छू कर भी देखा.. मगर उनकी नींद काफ़ी गहरी है इसलिए मैं वापस आ गई वरना उनसे पूछ लेती कि अब दर्द कैसा है..
विकास- चलो मेरे कहने से ना सही खुद देखने से तो तुम्हें यकीन हुआ कि अनु सो रही है। अब वहाँ क्या बैठी हो.. यहाँ आ जाओ मेरी बांहों में…
दीपाली दोबारा से विकास के सीने पर सर रख कर उससे लिपट जाती है और बड़े प्यार से उसके पेट पर हाथ घुमाने लगती है।
दीपाली- सर एक बात कहूँ?
विकास- हाँ जान.. कहो ना…
दीपाली- दो दिन पहले तक मैं कितनी अनजान थी ना.. इन सब बातों से लौड़ा, चूत और चुदाई क्या होती है.. कुछ पता नहीं था, मगर अब देखो आज एक ही दिन में कई बार आपसे चुदवा चुकी हूँ और नंगी ही आपसे लिपटी हुई हूँ।
विकास- मेरी जान.. दो दिन पहले तू बस एक साधारण लड़की थी.. मगर अब तू…
विकास बोलता हुआ रुक गया।
दीपाली- कहो ना सर.. अब मैं क्या?
विकास- सॉरी यार गलत शब्द दिमाग़ में आ गया था।
दीपाली- आपको मेरी कसम है… अब बताओ अब क्या?
विकास- ओके बोलता हूँ.. पर प्लीज़ बुरा मत मानना.. अब तू पक्की रंडी बन गई है।
दीपाली- ये तो गाली है ना.. वैसे ये रंडी क्या होती है।
विकास- बहुत भोली है तू.. मेरी जान जो लड़की बिना डरे कभी भी कहीं पर भी किसी से भी चुदवा ले.. उसे रंडी कहते हैं।
दीपाली- ऊह.. माँ.. किसी से भी चुदवा लेती है.. सर मगर मैंने तो बस आपसे चुदवाया है.. मैं कैसे रंडी हुई?
विकास- अरे मेरी माँ.. तुझे कैसे समझाऊँ.. अब देख तू कुँवारी है ना..
और बिना शादी के तूने चूत मरवाई.. अगर मैं तेरा ब्वॉय-फ्रेंड होता तो चलता.. मगर तुमने तो अपने सर से चुदवा लिया.. ऐसी लड़की को भी समाज रंडी बोलता है.. अब बस इसके आगे कुछ मत पूछना.. मैंने ग़लती से बोल दिया था.. मैं तेरे आगे हाथ जोड़ता हूँ।
दीपाली हँसने लगती है।
दीपाली- सर प्लीज़ आप ऐसे ना करो.. मुझे कुछ पता नहीं है प्लीज़.. आप नहीं समझाओगे तो कौन बताएगा.. बताओ ना प्लीज़…।
विकास- अच्छा सुन वो ब्लू-फिल्म देखी थी ना.. उसमें वो लड़की रंडी थी.. समझी सीधी बात है जो लड़की बिंदास हो कर चुदाई के लिए किसी भी वक्त तैयार रहे.. लौड़ा किसका है उसको कोई मतलब ना हो.. बस चुदना चाहती हो.. वो पक्की रंडी होती है और दूसरी बात सेक्स की भाषा में उत्तेजना बढ़ाने के लिए भी प्यार से रंडी बोला जाता है..
दीपाली- तब तो ठीक है.. आप भी मुझे रंडी बोल सकते हो.. अच्छा सर एक बात और.. अब इम्तिहान आने वाले हैं और इस बार बोर्ड के इम्तिहान हैं मैं पास तो हो जाऊँगी ना…
विकास- अरे पगली तो बहुत होशियार स्टूडेंट है.. सब विषयों में कितने अच्छे नम्बर लाती है.. रही विज्ञान की बात तो अब तो तुझे लिंग-योनि जैसे शब्दों से शर्म नहीं आएगी और मैं हूँ ना.. कल से तुझे असली ज्ञान दूँगा। ये चुदाई तो चलती रहेगी.. तेरा साल बर्बाद नहीं होने दूँगा.. ओके…
दीपाली- ओके सर.. मैं बहुत खुश हूँ कि मुझे आप जैसा सर मिला.. अब मुझे पास होने से कोई नहीं रोक सकता क्योंकि मैंने वो सफ़र तय कर लिया है.. जो बेहद जरूरी था.. विज्ञान से चुदाई ज्ञान तक का सफ़र…
विकास- अरे वाह.. ये हुई ना बात…
विकास ने कस कर दीपाली को अपनी बांहों में भर लिया और काफ़ी देर तक वो दोनों ऐसे ही चिपके रहे।
बस दोस्तो, आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं?
क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए.. मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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