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कहानी का पहला भाग : मामा के घर भाई से चूत चुदाई-1
कहानी का दूसरा भाग : मामा के घर भाई से चूत चुदाई-2
उसने मुझे 30 मिनट तक चोदा.. मैं दो बार झड़ चुकी थी.. अब वो झड़ने वाला था।
तो वो मुझे तेज-तेज चोदने लगा और मेरी चूत में ही झड़ गया। मैं भी उसके साथ तीसरी बार झड़ गई।
हमारे शरीर पसीने से भीग गए थे.. हम 20 मिनट तक ऐसे ही एक-दूसरे की बाँहों में लेटे रहे।
फिर वो मेरे ऊपर से उठा.. मैंने देखा कि उसके लंड पर मेरी चूत का खून लगा हुआ है।
मैं उठी और देखा कि मेरी जाँघ और टाँगों पर भी बहुत खून लगा था। ज़मीन पर भी खून गिरा हुआ था… उसने अपने कपड़े पहने और बोतल में पानी लाया और मुझे साफ़ किया।
उसके बाद मैंने ऋतु को बुलाया..
ऋतु बोली- दीदी हो गया…
मैंने कहा- यस… मेरे से ठीक से चला भी नहीं जा रहा था। रोने के कारण मेरी आँखें लाल हो गई थीं।
घर आने पर नानी ने पूछा- क्या हुआ टाँगों में?
मैं बोली- गिर पड़ी थी नानी.. मोच आ गई है।
फिर रात में मामा-मामी और मामा की लड़की अलग कमरे में सो गए और मैं और नवीन.. नानी..
ऋतु अलग यानी जहाँ मामा के पशु बंधे थे.. वहाँ ऊपर वाले हिस्से में सोने चले गए…
एक चारपाई पर ऋतु और मैं और एक पर नवीन और दूसरी तरफ नाना और नानी लेटे थे…
मेरे मामा के परिवार की आदत है कि वो सब बहुत जल्दी सो जाते हैं। गर्मी के दिन थे.. बिजली थी ही नहीं।
हम बाहर ही लेटे हुए थे.. मुझे नींद आने लगी।
ऋतु तो सो चुकी थी.. लेकिन नवीन का ध्यान मेरी तरफ था।
जब उसे लगा की नाना-नानी सो गए हैं और ऋतु भी गहरी नींद में सो चुकी है, तब उसने अपनी खाट मेरे नज़दीक कर ली.. और मुझे छेड़ने लगा.. मेरे सूट में हाथ डाल कर मम्मे दबाने लगा।
मेरी आँख खुल गई.. मैंने कहा- प्लीज़ यार सोने दो…
वो बोला- मुझे प्लान सूझ रहा है…
मैं बोली- तुम्हें प्लान सूझ रहा है और मेरी सूजी हुई है…
मेरी चूत सूज चुकी थी और जलन भी हो रही थी… वो मेरी सलवार में हाथ डालकर मेरी पैन्टी के ऊपर से मेरी चूत दबाने लगा।
वो बोला- प्लीज़ जान.. क्या पता हम यहाँ कब तक रहें.. जब तक रहें.. हमको इस आनन्द को नहीं छोड़ना चाहिए।
तभी बिजली आ गई और फर्राटा पंखा चालू हो गया..पंखा की आवाज़ ज़्यादा थी..पड़ोस मे सभी के पंखा फर्राटा ही थे..
वो बोला- कमरे में चलो और कपड़े उतार कर तैयार रहना.. अन्दर खाट बिछी है.. मैं थोड़ी देर में आता हूँ।
मैं चाह कर भी अपने प्यार को मना ना कर सकी.. मैं अन्दर चली गई। सारी बत्तियां बन्द थीं। अन्दर छत वाला पंखा था.. वो मैंने चालू कर दिया।
मैंने अपना सलवार सूट उतार दिया.. अब मैं सिर्फ़ ब्रा पैन्टी में ही लेट गई।
दस मिनट बाद वो अन्दर आया और मुझे चूमने लगा मसलने लगा.. मेरे मस्त मम्मों को रगड़ने लगा.. बहुत ज़ोर से दबाने लगा..
मुझे दर्द हो रहा था।
फिर थोड़ी देर बाद मुझे दर्द का अहसास कम होने लगा.. मेरे मम्मे बिल्कुल लाल हो चुके थे… दिन की चुदाई से.. मेरी पूरी छाती लाल हो गई थी..
मैं अपनी गेंदों के ऊपर दुपट्टा रखने लगी.. पर उसने हटा दिया।
उसने अपने कपड़े निकाल दिए.. अब वो सिर्फ़ अंडरवियर में ही मेरे ऊपर चढ़ गया.. मेरे होंठ चूसता रहा.. फिर हम एक-दूसरे की जीभ चूसने लगे…
मेरे होंठ सूज भी गए थे..
फिर उसने मेरी पैन्टी भी निकाल दी.. अब मैं बिल्कुल उसके नीचे नंगी पड़ी हुई थी।
हम दोनों को वासना का नशा चढ़ने लगा।
तब उसने मेरी चूत को चूसना शुरू किया.. हम 69 की दशा में आ गए।
फिर वो बोला- प्लीज़ मेरा लंड अच्छी तरह से चूसो…
मैंने लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी.. अब मुझे लौड़ा चूसना अच्छा लगने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! वो सिसकारी भरने लगा.. करीब 20 मिनट अपने होंठों से चूसने के बाद वो ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया और मेरे गले तक लंड घुसा कर धक्के मारने लगा और मेरे मुँह में ही पानी निकाल दिया…
मेरे गले में लंड फंसा होने से उसका पूरा वीर्य मेरे मुँह में अन्दर चला गया, इस तरह उसने सारा का सारा रस मुझे पिला दिया।
फिर मुँह में लंड डाल कर रखा और लगातार चूसने को बोला।
मैं भी मस्ती में चूसने लगी.. उसका सांप 20 मिनट बाद फिर से खड़ा हो गया…
मैं बोली- नवीन एक बात बताओ..
वो बोला- पूछ मेरी रानी।
मैंने पूछा- तुम्हारा लंड कितना बड़ा है?
वो बोला- 8 इंच।
अब हम सीधे लेट गए.. थोड़ी देर बाद उसने मेरी टाँगें अपने कंधे पर रखी और लंड चूत के मुँह पर रख कर चुम्बन करते हुए एक करारा धक्का मारा.. लंड अन्दर जाने लगा मुझे दर्द होने लगा।
धीरे-धीरे उसने पूरा लंड मेरे अन्दर डाल दिया.. मुझे बहुत दर्द हो रहा था।
पूरा डालने के बाद वो शॉट मारने लगा।
जब लंड चूत में डाल कर बाहर खींचता तो मुझे ऐसा लगता कि चूत लंड के साथ बाहर आ जाती हो।
मुझे ऐसा लगा कि मेरी चूत लंड के साथ बाहर ना निकल जाए…
वो मुझे चुम्बन करने लगा.. मेरे मम्मे दबाते और चूसते हुए मुझे ठोकने लगा…
फिर उसने चुदाई का आसन बदल लिया.. मुझे घोड़ी बना कर पेलने लगा।
फिर दस मिनट बाद मुझे गोद में लेकर चोदने लगा।
कुछ देर बाद वो मुझे अपने ऊपर लेकर मेरे नीचे लेट गया और मुझे लौड़े पर कूदने को कहा और म उसकी गुलाम की तरह उसका हर आदेश मानती गई।
मैं लंड पर कूदने लगी.. दस मिनट बाद मैं झड़ गई।
तब उसने मुझे नीचे लेकर मेरे ऊपर आकर मुझे चोदने लगा।
लगभग 30 मिनट चोदने के बाद मेरे अन्दर ही झड़ गया। फिर हम ऐसे ही लेटे रहे.. थोड़ी देर बाद उसने मुझे लंड चूसने के लिए कहा। मैं चूसने लगी.. मैंने 20 मिनट तक चूसा.. उसका लंड फिर खड़ा हो गया।
फिर उसने मुझे चोदना चालू किया.. पूरी रात उसने मुझे सोने नहीं दिया।
उस रात उसने मुझे 6 बार चोदा.. मैं काफ़ी थक चुकी थी।
सुबह 4:00 बजे वो अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गया.. मैं भी अपने आपको साफ़ कर के कपड़े पहन कर बाहर आ गई।
बाहर आकर मैं खाट पर आते ही सो गई।
सुबह 7 बजे उठी… मेरी नींद भी पूरी नहीं हुई.. मैं दोपहर को 2 घंटे सोती रही। इसके बाद मैं वहाँ कई दिन रही और मौका लगते ही हम चुदाई करते रहे। बाद में उसने मुझे मेडिकल-स्टोर से गोली लाकर दी.. ताकि मैं गर्भवती ना हो जाऊँ। मैंने उसको अपने स्कूल का पता दे दिया और पड़ोस का फोन नम्बर भी दे दिया।
25 जून 2008 को मुझे लेने मेरा भाई आ गया.. मैं वहाँ से आ गई।
उसका चेहरा बहुत उदास था और मेरा भी मन उदास था।
घर आ कर मेरा कई दिन मन भी नहीं लगा.. उसको ही याद करती रहती।
मैं उसकी याद में कई बार बहुत ज़्यादा रोई.. ऋतु मुझे चुप करवाती थी।
ऋतु ने कहा- दीदी प्लीज़.. चुप हो जा मम्मी से कह कर उसको घर बुला लेंगे।
एक दिन नवीन का फोन पड़ोस वाले फोन पर आया।
मैं और ऋतु दोनों गए.. हमने काफ़ी बातें की.. मुझे बहुत सुकून मिला।
उसके बाद उसने एक बार और फोन किया.. लेकिन बात नहीं हो पाई…
आज भी मैं उसको बहुत याद करती हूँ।
मेरी प्यार की सच्ची कहानी को पढ़ कर आपको कैसा लग रहा है, मैं आप सभी के विचारों के इन्तजार में हूँ, प्लीज़ मुझे ईमेल कीजिएगा। [email protected]
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