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‘शैतान.. ये क्या कर रहा है.. ब्रा क्यों खोली तुमने..?’
‘अरे मामीज़ी.. थोड़ा टाइट सा लग रहा था.. इसलिए और एक बात बताऊँ.. आज मैंने अपनी ज़िंदगी में पहली बार किसी की ब्रा खोली है.. जब मेरा हाथ आपकी ब्रा के हुक पर गया तो मैं यह अवसर छोड़ना नहीं चाहता था.. इसलिए हुक खोल दिया।’
मामी सिर्फ़ मुस्कुरा दीं और मैं बोला- थोड़ा और पी लूँ?
तो उसने कहा- क्यों भूखा है क्या..? अभी तो खाना खाया था…
मैं बोला- वो तो कब का हज़म हो गया.. अब फिर से भूख लग गई है।
यह कह कर मैंने फिर से उसका स्तन मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। मैंने देखा कि छोटू दूध पीकर सो गया है और निप्पल भी उसके मुँह से निकल गया है।
मैंने मामी से कहा- मामी ज़ी.. अब आप सीधी हो कर लेट जाओ प्लीज़..।
मामी ने छोटू को देखा.. वो सो चुका था। मामी सीधी हो गईं.. तो मैंने उसकी ब्रा और नाईटी बिल्कुल ऊपर तक उठा दीं। अब वो पेट से ले कर कंधों तक मेरे सामने नंगी थी।
मैंने उसके दोनों स्तन अपने हाथों में पकड़ लिए और दबा-दबा कर उनसे खेलने लगा.. कभी ये स्तन चूसता तो कभी वो.. कभी दबाता तो कभी चाट लेता…
मामी चुपचाप मुझे देख रही थीं। मैंने नज़र उठा कर मामी की तरफ देखा, उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे.. वो शांत चित्त हो कर लेटी हुई थी।
मैं उसकी आँखों में और वो मेरी आँखों में देख रही थी।
मेरे मन का शैतान पूरी तरह से जाग चुका था.. मैं धीरे से आगे बढ़ा और मामी के होंठों पर हल्के से चूम लिया.. सिर्फ़ ये देखने के लिए कि कहीं वो बुरा तो नहीं मानती।
उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने दोबारा चूमा।
उसके बाद 5-6 बार चूमा और अपने हाथों से उसके मम्मे दबाता रहा।
उसके बाद तो मामी ने मेरा सर पकड़ा और मेरे होंठों से अपने होंठ लगा दिए।
मैंने उसका नीचे वाला होंठ मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया।
फिर होंठ छोड़ दोनों के मुँह आपस में जुड़ गए।
मामी ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी.. मेरे लिए ये मजा भी नया था.. पर मज़ेदार था। मैंने भी साथ दिया.. फिर तो कभी मैं उसकी जीभ चूसता तो कभी वो मेरी जीभ चूसती।
अब मैंने आगे बढ़ने की सोची.. मैंने अपना बायाँ हाथ सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत पर रख दिया, तो उसने और ज़ोर से मुझे अपने से भींच लिया।
मैंने अपना मुँह उसके मुँह से अलग किया और कहा- मामी ज़ी ये नाईटी उतार दो.. ये बीच में फँस रही है।
‘पहले तो तू मुझे ‘मामी ज़ी’ मत बोल, पिंकी कह और अगर ब्रा खुद खोल सकता है.. तो नाईटी भी खुद ही उतार ले..’
मैंने बोला- पिंकी से लगता है जैसे व्बॉय-फ्रेण्ड और गर्ल-फ्रेंड हों.. पर मैं तो इन्सेस्ट (रिश्तों में चुदाई) का मजा लेना चाहता हूँ।
‘इन्सेस्ट का मजा.. वो क्या होता है?’ उसने पूछा।
‘बाद में बताऊँगा.. पर अभी मुझे आपको मामी जी ही कहने दो..।’
यह कह कर मैंने उसकी नाईटी और ब्रा दोनों उतार दी। आज पहली बार वो मेरे सामने अधनंगी हालत में बैठी थी।
मैंने छुप-छुप कर तो कई बार दूध पिलाते हुए उसके स्तन देखे थे.. पर आज तो दोनों खुल्लम-खुल्ला मेरे सामने.. मेरे हाथों में थे।
मैंने अपना भी कुर्ता-पजामा और बनियान उतार दी। अब मेरे बदन पर सिर्फ़ चड्डी थी.. जिसमें से मेरा पूरी तरह से तना हुआ लण्ड दिख रहा था।
मामी ने मेरे लण्ड पर हाथ मार के कहा- इसको क्या हुआ?
और वो अश्लील भाव से हँस दी।
मैंने कहा- ये गुस्से से अकड़ गया है.. कहता है मुझे कोई प्यार नहीं करता।
ये कह कर मैंने मामी को कन्धों से पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया और बिल्कुल उसकी बगल में खुद भी लेट गया।
मैंने अपना दाहिना हाथ उसकी गर्दन के नीचे से निकाला.. उसके सर को अपनी तरफ घुमा कर उसके होंठों को अपने होंठों से पकड़ा और चूसने लगा।
उसकी मोटी गुदाज़ जाँघ को अपनी जांघों में जकड़ा ताकि मेरा लण्ड उसकी कमर पर घिस सकूँ।
अब मैंने अपना हाथ सीधे उसकी सलवार में डाल दिया और अपनी बीच वाली ऊँगली से उसकी चूत का दाना छेड़ने लगा।
उसकी चूत पूरी तरह से पानी से भीगी पड़ी थी। उसने भी अपना हाथ मेरी चड्डी में डाल दिया और मज़बूती से मेरा लंड पकड़ कर हिलाने लगी।
‘मामीज़ी, मुझे आपकी चूत चाटनी है.. क्या मैं आपकी चूत चाट सकता हूँ..।’ मैंने उससे कहा।
‘छी:.. उसे चाटते थोड़े ही हैं..’ वो बोली।
मैं उठा और उठ कर उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सरका कर उसकी सलवार नीचे उतार दी।
एक बेहद गोरी और शेव की हुई साफ़-सुथरी चिकनी चूत देखने को मिली।
मैंने 69 में घूम कर अपना लंड उसके मुँह के पास कर दिया और दोनों हाथों से उसकी टाँगें चौड़ी करके अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया।
पहले तो उसकी चूत के दाने को जीभ से चाटा… फिर मुँह नीचे ले गया और उसकी चूत में अपना सारा मुँह डाल दिया।
मैं यह कोशिश कर रहा था कि अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दूँ.. पर जीभ छोटी थी और चूत बहुत गहरी…
मैं मामी के ऊपर ही लेट गया और उसकी टाँगें मोड़ दीं.. जिससे उसकी चूत खुल कर सामने आ गई.. अब मैं ऊपर से लेकर नीचे तक उसकी चूत की सारी दरार में अपना मुँह फिरा रहा था और ऊपर से नीचे उसकी गाण्ड तक चाट रहा था।
मैंने अपने बाएं हाथ का अंगूठा उसकी चूत में डाल कर आगे-पीछे किया तो मामी तड़प उठी।
वो बार-बार कमर उचका रही थी।
मैंने अपना अंगूठा कभी उसकी चूत के अन्दर तो कभी उसकी गाण्ड के छेद में करता रहा और जब वो कमर उठाती तो मेरा अंगूठा उसकी गाण्ड में घुस जाता।
ऐसे ही करते-करते मैंने अपना पूरा अंगूठा उसकी गाण्ड में पेल दिया।
अब उसने भी मेरी चड्डी उतार दी और मेरे लंड को दोनों हाथों से पकड़ लिया।
मैं समझ गया था कि वो क्या चाहती है। मैं थोड़ा पीछे हटा तो मेरा लंड बिल्कुल उसके मुँह के ऊपर आ गया और उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! वाह.. मेरे लंड के आस पास.. उसके नर्म होंठों का.. क्या मस्त अहसास था।
जब उसने लंड मुँह में लिया तो मैंने थोड़ा सा नीचे को ज़ोर लगाया और मेरे लंड का सुपारा उसके मुँह में खुल गया।
उसने मेरा पूरा लंड अपने मुँह की गहराई में समा लिया।
अब मैं नीचे उसकी चूत चाट रहा था और दूसरी तरफ उसका मुँह चोद रहा था।
कुछ देर ऐसे ही चलता रहा।
फिर मामी ऊपर आ गईं और उसने अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी।
मैं चाटने लगा और वो मेरे मुँह पर बैठी अपनी कमर हिलाने लगी।
वो पूरे मज़े से चूत चटवाने का आनन्द ले रही थी। ‘वीरू.. मेरी गाण्ड चाट..’ वो बोली।
मैंने उसकी गाण्ड में भी जीभ फेरी तो वो अपनी कमर मेरे मुँह पर हिलाती रही।
उसकी चूत के पानी से मेरा सारा मुँह भीगा हुआ था और उसके स्तनों से टपकते दूध ने मेरे बदन और बिस्तर गीला कर दिया था।
वो झुकी और मेरे लंड पे टूट पड़ी।
मस्ती से चूसते हुए उसने कई बार मेरे लंड पर काट लिया।
‘वीरू सिर्फ़ चाट मत.. इसको दांतों से काट.. खा..’
जैसे ही मैंने काटा… तो उसको थोड़ा दर्द हुआ.. पर उसने मना नहीं किया, मैं कभी काटता तो कभी चाटता… वो बड़े ज़ोर से अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ती रही और मेरे लंड को पागलों की तरह चूसती रही।
फिर जैसे बिजली गिरी हो.. वो एकदम से तड़प उठी.. उसने इतने ज़ोर से अपनी चूत से मेरा मुँह दबा दिया कि मेरा तो साँस ही बंद हो गया।
मेरा पूरा लंड उसके मुँह में था.. उसने बिल्कुल मेरे लंड की जड़ में जा कर ज़ोर से काटा.. मैं तो वहीं खल्लास हो गया.. मेरे लंड से उसके मुँह में पिचकारियाँ छूट गईं। कुछ उसके मुँह के अन्दर चला गया और कुछ बाहर गिर गया।
मुझे ऐसे लगा जैसे मेरा मुँह खट्टे-नमकीन पानी से भर गया हो.. उसकी गाण्ड के बोझ से दबा मैं हिल नहीं सकता था.. सो उस पानी को पी गया।
काफ़ी देर हम ऐसे ही निढाल होकर लेटे रहे। फिर वो एक तरफ को लुढ़क गई।
मैंने उसको देखा एक गोरी-चिट्टी सुंदर पंजाबी लड़की मेरे सामने खल्लास हो कर नंगी पड़ी थी।
करीब आधा घंटा हम लेटे हुए एक-दूसरे को देखते रहे। फिर मैंने कहा- मामीज़ी, मैं चुदाई करना चाहता हूँ..
‘और ये जो किया.. वो क्या था?’
‘नहीं ये तो ठीक है.. पर मैंने आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा है, प्लीज़ मेरा उद्घाटन करवा दीजिए।
मामी हँसी- तो तूने आज तक कभी नहीं किया ना.. कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
‘नहीं.. बस अब तो आप ही हो.. जो भी हो..’
‘अच्छा.. पहले ये बता इन्सेस्ट क्या होता है?’
‘अपने रिश्तों में चुदाई करना.. जैसे माँ.. बाप.. भाई-बहन… बाप-बेटी.. माँ-बेटा.. मामी भांजा.. चाचा-भतीजी.. इसे रिश्तों में चुदाई कहते हैं.. समझ गई पिंकी डार्लिंग!
‘ओये होये.. मर जावां गुड़ खा के… चल आजा..’
यह कह कर मामी ने अपनी टाँगें मेरी तरफ कर के खोल दीं, मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी।
मेरा भी शेर एक मिनट में ही खड़ा हो गया।
पिंकी ने अपनी टाँगें उठाईं और मेरे लंड को अपने चूत के मुँह पर रख लिया।
मैंने धीरे से उसे उसकी चूत में उतार दिया.. अब मैं चुदाई करने लगा।
मामी ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों से अपने होंठ लगा दिए।
मुझे नमकीन सा स्वाद आया,
‘आपके होंठ नमकीन हैं..’
‘और तेरे खट्टे हैं..’ ये कह कर वो हँस दी और बात समझ कर मैं भी हँस दिया।
आज 25 साल हो चुके हैं.. मामीज़ी के बच्चे जवान हो चुके हैं.. मेरी भी शादी हो चुकी है.. पर आज भी मैं अपनी ज़िंदगी की इस पहली चुदाई अनुभव नहीं भूला हूँ।
उसके बाद भी हमने बहुत बार चुदाई की और आज भी अगर मौक़ा मिलता है तो उसे छोड़ते नहीं हैं।
आप अपने विचार मुझे लिखिएगा। [email protected]
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