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Bahan Ke Sath Prem-leela-1 आप सभी पाठक एवं पाठिकाओ को साजन शर्मा का ‘नमस्कार’।
आप सभी यह सोच रहे होंगे, कि एकाएक मैं कहाँ गायब हो गया था। दरअसल किसी कारणवश मैंने अपनी जॉब छोड़ दी, जॉब छोड़ने के बाद मैंने सोचा क्यों न अब अपना कोई काम किया जाए और अपने साथ-साथ मैं ऐसा कुछ करना चाहता था, जिससे और लोगों को भी काम मिले।
फिर क्या था, मैं लग गया अपने इस मकसद को अंजाम देने के लिए!
बस यही कारण था जो आप से इतने दिनों तक दूर रहा। जैसे ही मैं अपने मकसद में कामयाब हो जाऊँगा तो आप सभी को बता दूंगा। अब मैं आपका ज्यादा टाइम न लेते हुए अपनी कहानी पर आता हूँ।
यह बात आज से करीब एक साल पहले की है, मुझे ऑफिस के काम से 15 दिनों के लिए मथुरा जाना था और सारा खर्चा कम्पनी ही दे रही थी।
यह बात आकर मैंने अपने घर में बताई तो मेरी मम्मी ने कहा- वहाँ तो तेरे मामा भी रहते हैं। मैं उसको फ़ोन करके कह दूंगी और तू वहीं उनके पास रह लेना।
मैंने मम्मी से पूछा- कौन से मामा रहते हैं मथुरा में?
तो मम्मी ने बताया- वो नवीन मामा जो पहले मेरठ में रहते थे, पर अब वो मथुरा चले गए हैं।
‘नवीन मामा!’ मैंने चौकते हुए कहा- अब वो मथुरा में रहते हैं? मेरठ तो मैं कई बार जा चुका हूँ पर मथुरा का मुझे पता ही नहीं था ! चलो यह भी अच्छा हुआ, अब तो मैं उसके यहाँ ही रहूँगा।
अगले दिन ही मुझे मथुरा के लिए निकलना था इसलिए मैंने अपना सामन रात में ही पैक कर लिया था और फिर अगले दिन मैं मथुरा के लिए रवाना हो गया।
मम्मी ने नवीन मामा को फ़ोन करके बता दिया था कि मैं मथुरा आ रहा हूँ। इसलिए नवीन मामा मुझे लेने मथुरा बस स्टैंड पहुँच गए।
मामा मुझे देख कर बहुत खुश हुए और मुझे लेकर अपने घर पहुँचे तो लगभग रात हो चुकी थी।
अब मैं आपको अपने नवीन मामा और उनके परिवार के बारे में बता दूँ, नवीन मामा हमारे सगे मामा तो नहीं थे पर सगे से कम भी नहीं हैं।
नवीन मामा ने हमें कभी इस बात का भी एहसास नहीं होने दिया की वो हमारे सगे मामा नहीं है। नवीन मामा के घर में उनको मिला कर कुल पांच सदस्य थे। मामा, मामी और उनके तीन बच्चे जिसमे से दो लड़की थी और एक लड़का।
नवीन मामा की उम्र यही कोई पैंतालीस साल के आस पास थी और वो एक अच्छी कम्पनी में सुपरवाइजर थे जिसकी वजह से वो कभी कभी रात को घर नहीं आते थे और कभी कभी तो रविवार को भी जाना पड़ता था।
मामी की उम्र यही कोई अड़तीस साल के करीब थी पर उनको देख कर कोई यह नहीं कह सकता था की उनके तीन बच्चे होंगे।
दरअसल मामा और मामी की शादी कम उम्र में ही हो गई थी और वो मामा से करीब सात साल छोटी थी।
मामी का नाम शालिनी था, शालिनी मामी बहुत ही चंचल शोख हसीना थी वो हमेशा ख़ुश रहती और सभी को खुश रखने में विश्वास रखती थी।
शालिनी मामी बहुत ही खूबसूरत है और हाईट करीब 5’ 5” थी, मामी का लम्बा चेहरा, गोरा बदन, न ज्यादा पतली और न ही ज्यादा मोटी बस जो एक औरत में जो खूबी होनी चाहिए उन में वो सब था।
मामी के शरीर का आकर 36-28-36 है अब तो आप समझ ही गए होगे वो दिखने में कैसी लगती होगी।
मामी के तीनों बच्चो में सबसे बड़ी प्रिया है, उसकी उम्र यही कोई उन्नीस से बीस साल के आस पास ही थी।
प्रिया अपनी मम्मी की ही तरफ खूबसूरत है, वो भी बहुत गोरी है, हाईट करीब 5’2″ और उसके शरीर का आकार 30-24-32 ही रहा होगा।
प्रिया से एक दो साल छोटी पारुल थी और वो भी अपनी मम्मी और बहन के जितनी ही सुन्दर थी। पारुल के चूचे अभी छोटे थे जैसे कच्चा अमरुद पर उसकी गांड उसकी मम्मी के बराबर ही थी 36 के आकार की, इस कारण वो और भी मस्त दिखाई देती थी।
प्रिया और पारुल से छोटा उनका भाई मुकेश था जो अभी बारह-तेरह साल का ही था।
मैं जब मामा मामी के घर मेरठ आखरी बार गया था जब ये दोनों बहनें छोटी थी जिसकी वजह से मेरा ध्यान कभी उनकी तरह नहीं गया था।
अब प्रिया का बदन यौवन के फलों से भरा हुआ था और दूसरी का भरने वाला था।
वैसे तो मैंने अब भी उसको उस नजर से नहीं देखा था, मैं अब भी वही पाक साफ़ नजर से देख रहा था।
पर जो सामने हो उसको अनदेखा भी तो नहीं कर सकता था।
जब मैं मामा के घर पहुँचा तो सब बहुत खुश हुए और कहने लगे- बड़े दिनों बाद हमारी याद आई है।
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है… एक तो जॉब के कारण टाइम ही नहीं मिलता और दूसरा आप लोगों का मुझे पता भी नहीं था कि आप शिफ्ट हो गए हो अब मैं आ गया हूँ तो आपकी नाराजगी दूर करके ही जाऊँगा क्योंकि मैं यहाँ कम से कम 15 दिनों रहूंगा।
मेरी बात सुनकर सभी लोग बहुत खुश हो गए।
मामी ने कहा- तुम नहा धो लो, थकान उतर जाएगी… तब तक मैं खाना लगाती हूँ।
फिर मैंने नहा धोकर सबके साथ खाना खाया, खाना खाने के बाद वो तीनों ऊपर बने हुए रूम में चले गए और मैं कुछ देर मामा मामी से बात करने लगा।
हमें बात करते हुए दस से ऊपर का वक़्त हो गया था तो मामी ने कहा- तुम्हारा बिस्तर उन तीनों के साथ लगा दिया है। क्योंकि मुझे पता है कि वो तीनों तुमको आज नहीं छोड़ने वाले और तुमको सोने भी नहीं देगे क्योंकि उन तीनो के सबसे चहेते भाई जो हो।
मैं भी मामी की बात सुनकर मुस्कुरा दिया।
मामा का घर दो मंजिल था और वो तीनों भाई बहन दूसरी मंजिल के कमरे में सोते थे, दूसरी मंजिल पर दो कमरे बने हुए थे। उन्हीं दो कमरों में से वो एक कमरे में सोते थे, हर कमरे में अटेच बाथरूम भी थे।
मामा और मामी अब भी एक साथ ही सोते नीचे के कमरे में सोते थे।
मैं मामा मामी को नीचे छोड़कर ऊपर उनके कमरे में पहुँचा ही था कि बाहर बारिश होने लगी।
बाहर बारिश हो रही है, यह बात उन तीनों को भी पता चल गई थी।
मुझे कमरे के अन्दर आता देख मुकेश बोल पड़ा- भाई तो बारिश भी साथ लाये हैं !
इस बात पर हम चारों ही हँसने लगे।
मैंने कमरे को ध्यान से देखा, वह कमरा बहुत बड़ा था, उसमें एक डबल बेड बिछा हुआ था और साथ ही मेरी चारपाई बेड से कुछ दुरी पर बिछाई हुई थी।
वो तीनों भाई बहन एक साथ बेड पर ही सोते थे।
मैं अपनी चारपाई पर बैठकर उन तीनों से बात करने लगा।
बातें करते करते हमें ठण्ड सी लगने लगी थी एक तो पहले से ही हल्की ठण्ड पड़ रही थी और ऊपर से बारिश भी होने लगी थी।
प्रिया ने ओढ़ने के लिए एक बड़ा सा कम्बल निकल कर प्रिया ने मुझसे कहा- भाई, आप भी यहीं पर आ जाओ।
ठंड तो मुझे भी लग रही थी इसलिए मैं उन तीनों के बेड आ गया, फिर हम चारों ने उस बड़े से कम्बल को ओढ़ लिया और हम बातचीत करने लगे।
बात करते हुए हमें 12 से ऊपर का टाइम हो गया था, उनको नींद आने लगी थी। मैं बेड से उठकर अपनी चारपाई पर जाने लगा तो मुकेश ने कहा- भाई आप यहीं पर हमारे साथ ही सो जाओ न।
मैं उस मासूम मुकेश की बात को टाल नहीं सका और मैंने मुकेश से कहा- ठीक है पर पहले मैं अपने कपड़े चेंज कर लूँ।
और यह कह कर मैंने अपने बैग से अपना लोअर और टी शर्ट निकाला और बाथरूम में घुस गया।
मैं अपने कपड़े चेंज करने लगा।
यहाँ पर मैं आप सभी को बता दूँ कि मैं रात को सोते समय अंडरवियर नहीं पहनता, इसलिए मैंने अपना अंडरवियर उतर कर लोअर पहन लिया। फिर मैं मुकेश के साथ उसी बेड पर लेट गया जिस बेड पर वो तीनों भाई बहन सो रहे थे।
बेड के एक कोने पर मैं फिर मुकेश और फिर उसके बाद प्रिया और बेड के दूसरे कोने पर पारुल सो रही थी।
आप सभी को तो पता ही होगा कि नई जगह आने पर नींद इतनी जल्दी नहीं आती और यही मेरे साथ भी हुआ।
मुझे नींद नहीं आ रही थी और बारिश भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी इसलिए मैंने अपना फ़ोन निकला और फ़ोन में इयरफोन लगाकर मैं पुराने गाने सुनने लगा।
रात का एक बज रहा था पर मेरी आँखों से नींद कोसों दूर थी, अभी मैं गाने सुन ही रहा था कि मुकेश उठा और पेशाब करने चला गया। पेशाब करके जब वो वापस आया तो मुझसे बोला- भाई, आप मेरी जगह लेट जाओ और मैं आप की जगह लेट जाता हूँ क्योंकि मुझे बेड के कोने पर ही नींद आती है।
मैंने मुकेश से कहा- ठीक है, सो जाओ यहाँ पर !
और फिर मैं मुकेश की जगह और मुकेश मेरी जगह लेट गया। अब मैं और प्रिया बीच में लेटे हुए थे और मुकेश और पारुल बेड के दोनों कोने पर।
कुछ देर बाद मुकेश को भी नींद आ गई सब सो चुके थे बस मैं ही जाग रहा था।
मौसम बहुत ही सुहाना और ठण्डा हो रहा था, बारिश की बूंदों की आवाज मुझसे साफ़ सुनाई दे रही थी।
मौसम ठण्डा होने के कारण प्रिया सुकड़ी हुई सो रही थी, जैसे ही मैं उसके करीब लेटा, मेरा शरीर उसके बदन सट गया था।
प्रिया के शरीर की गर्माहट मुझे बहुत अच्छी लग रही थी और अब शायद मेरे बदन की गर्माहट पाकर प्रिया की ठण्ड भी दूर हो गई थी। ख़ैर छोड़ो इस बात को !
कुछ देर बाद मैं पुराने गाने सुन–सुन कर बोर हो गया तो मैंने अपने फ़ोन में ब्लू फ़िल्म लगा कर देखने लगा।
उस फ़िल्म में एक लड़का एक लड़की की मसाज करता है और उस लड़के के बदन पर मात्र एक अंडरवियर था और वो लड़की पूरी नंगी थी। लड़का उसके सर के पास खड़ा था। फिर वो लड़की पेट के बल लेट गई और वो लड़का उसकी पीठ की मालिश करने लगा। फिर कुछ देर बाद उस लड़की ने लड़के का अंडरवियर नीचे खिसका दिया और अपने हाथ से उस लड़के का लंड सहलाने लगी कि तभी अचानक…!!? कहानी जारी रहेगी।
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