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अनुजा- अरे क्या हुआ रानी चूस ना।
दीपाली- दीदी मुझे ये लौड़ा एकदम असली जैसा लग रहा है और शहद के साथ-साथ कुछ नमकीन सा और भी पानी मेरे मुँह में आ रहा है इसकी गोटियों की चमड़ी भी बिल्कुल असली लग रही है।
अनुजा- अरे पगली ये सब आँख बन्द होने का कमाल है.. असली लवड़ा कहाँ से आएगा? तू चूसती रह.. इसके बाद देख.. आज मैं तेरे निप्पल और चूत को नए अंदाज से चुसूंगी।
बेचारी भोली-भाली दीपाली अनुजा की बातों में आ गई और दोबारा से लौड़ा चूसने लगी।
करीब 5 मिनट बाद विकास ने इशारे से अनुजा को कहा- अब इसको लेटा दो.. मैं इसके चूचों को मसलना और चूसना चाहता हूँ।
अनुजा- बस दीपाली अब मेरी बारी है तू सीधी लेट जा.. अब मैं तुझे स्वर्ग की सैर कराती हूँ।
दीपाली- मैं कैसे लेटूं दीदी.. मेरे हाथ तो पीछे बँधे हैं।
अनुजा ने उसके हाथ खोल दिए उसको सीधा लिटा कर बिस्तर के दोनों बगल से उसके हाथ बाँध दिए।
दीपाली- अरे अरे.. ये क्या कर रही हो दीदी अब तो मेरे हाथ खुले रहने दो ना…
अनुजा- नहीं मेरी जान.. आज तू ऐसे ही मज़ा ले.. बस अब कुछ मत बोल.. देख मैं तुझे कैसे मज़े देती हूँ.. इतना बोल कर अनुजा ने विकास को इशारा कर दिया कि टूट पड़ो इस सेक्स की मलिका पर..
विकास को तो बस इसी मौके का इन्तजार था।
वो दीपाली के ऊपर लेट गया और सबसे पहले उसके मखमली होंठों को चूसने लगा।
उसका अंदाज ऐसा था कि दीपाली भी उसका साथ देने लगी।
वो दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे.. मगर विकास सिर्फ़ होंठों से ही थोड़े खुश होने वाला था..
थोड़ी देर बाद वो नीचे खिसकने लगा और अब उसके होंठों में दीपाली के निप्पल थे।
वो दोनों हाथों से उसके कड़क चूचे दबा रहा था और निप्पल चूस रहा था.. जैसे कोई भूखा बच्चा अपनी माँ का दूध पी रहा हो।
दीपाली- आह आआ दीदी अई मज़ा आ गया उह.. धीरे से दबाओ ना उफ़फ्फ़.. दर्द होता है अई काटो मत ना… दीदी आइ मज़ा आ रहा है।
दोस्तो, अनुजा का प्लान तो अच्छा था मगर एक पॉइंट ऐसा था जिसके कारण दीपाली को थोड़ा शक हुआ कि कहीं अनुजा की जगह उसके ऊपर कोई आदमी तो नहीं है ना।
ना ना.. टेंशन मत लो.. आपको सोचने की जरूरत नहीं है.. मैं खुद बता देती हूँ आपको।
जब विकास होंठ चूस रहा था उसका सीना दीपाली के मम्मों को दबा रहा था और उसके सीने के बाल दीपाली महसूस कर रही थी उसने मन में सोचा भी कि अगर दीदी मेरे ऊपर हैं तो उनके मम्मों और मेरे मम्मों को आपस में टकराने चाहिए.. मगर ये तो एकदम सपाट सीना है और बाल भी हैं।
मगर ना जाने क्या सोच कर वो चुप रही।
विकास को भी काफ़ी मज़ा आ रहा था और आएगा क्यों नहीं एक कमसिन कली जिसके पतले होंठों में उसका लौड़ा फँसा हुआ था।
अब विकास लौड़े को आगे-पीछे करने लगा।
एक वक्त तो लौड़ा पूरा दीपाली के गले तक पहुँच गया और उसी वक़्त दीपाली ने झट से मुँह हटा लिया और विकास ने जैसे ही लौड़ा आगे किया उसकी गोटियाँ दीपाली के मुँह के पास आ गईं.. दीपाली को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
अब विकास मम्मों से नीचे उसके पेट तक चूमता हुआ आ गया और आख़िर कर वो अपनी असली मंज़िल यानी चूत तक पहुँच गया। विकास की गर्म साँसें दीपाली अब अपनी चूत पर महसूस कर रही थी और छटपटा रही थी कि कब दीदी के होंठ चूत पर टिकेंगे और कब उसको सुकून मिलेगा।
विकास ने चूत के होंठों को कस कर अपने मुँह से भींच लिया। दीपाली की सिसकी निकल गई।
विकास बड़े प्यार से चूत को चूस रहा था और अपनी जीभ से अन्दर तक चाट रहा था.. दीपाली एकदम गर्म हो गई थी।
दीपाली- अया ऐइ उफ़फ्फ़.. दीदी आह.. प्लीज़ चूत के अन्दर ऊँगली करो.. ना आ आहह.. चूत में बहुत बेचैनी हो रही है।
अनुजा- मेरी जान तेरी चूत की आग अब ऊँगली से ठंडी नहीं होने वाली.. इसको तो अब लौड़े की जरूरत है.. बोल क्या बोलती है।
दीपाली- दीदी आहह.. डाल दो ना.. आहह.. आपके पास तो इतना मस्त लौड़ा है आहह.. पूछ क्यों रही हो.. अई आहह.. शायद मेरी किस्मत में यही लिखा था कि अपने सर से ही अपनी सील तुड़वाऊँ आहह.. प्लीज़ विकास सर आहह अब बर्दाश्त नहीं होता.. डाल दो ना आहह..
दीपाली की बात सुनकर अनुजा और विकास दोनों ही भौंचक्के रह गए.. दोनों का मुँह खुला का खुला रह गया।
अनुजा- त..त..तू.. ये क..क्या.. बोल रही है व..विकास यहाँ क..क..कहाँ है?
दीपाली- अई आह.. दीदी आह.. मानती हूँ मुझे चुदाई का अनुभव नहीं है.. मगर इतनी भी भोली नहीं हूँ कि औरत और मर्द के शरीर में फ़र्क ना महसूस कर सकूँ और दूसरी बात आपकी आवाज़ मेरे बगल से आ रही है जबकि आपके हिसाब से आप मेरी चूत चाट रही हो.. आह्ह.. अब ये पट्टी खोल दो.. मुझे कोई ऐतराज नहीं कि सर मेरी चूत की सील तोड़ें.. प्लीज़ आह्ह..
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विकास और अनुजा की नज़रें मिलीं और आँखों ही आँखों में दोनों की बात हो गई।
विकास ने पहले दीपाली के हाथ खोले.. उसके बाद आँखों की पट्टी निकाल दी।
दीपाली- ओह.. सर आपका लौड़ा कितना मोटा और बड़ा है.. उफ़फ्फ़ जब मेरे मुँह में था.. कसम से बड़ा मज़ा आ रहा था.. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह विज्ञान के चक्कर में चुदाई का ज्ञान मिल जाएगा.. पहले मुझे कुछ पता नहीं था.. मगर इन दो दिनों में मुझे पता चल गया कि चुदाई में जो मज़ा है.. वो किसी और चीज़ में नहीं है।
अनुजा- मेरी जान मैं तो कब से कह रही थी कि विकास को बुलाऊँ क्या.. मगर तुम ही हो कि बस मना कर रही थीं।
दीपाली- दीदी सच कहूँ.. तो जब आप सर का नाम लेती थीं.. मेरी चूत में पानी आ जाता था.. मगर शर्म के मारे आपसे कुछ बोल ना पाती थी.. अभी जब लौड़ा चूस रही थी.. तब मुझे पक्का पता चल गया कि ये लौड़ा नकली नहीं.. असली है और सर के सिवा यहाँ कौन आ सकता था.. इनके सीने के बाल भी मैंने महसूस किए थे।
विकास- ओह.. मेरी रानी… तुम जितनी सुन्दर हो.. उतनी ही समझदार भी हो।
अनुजा- अब बातों में क्यों वक्त खराब कर रहे हो.. जल्दी से लौड़ा अन्दर डालो ना.. इसकी चूत में..
दीपाली- रूको सर.. उस वक्त तो मेरी आँखें बन्द थीं और हाथ भी बँधे हुए थे.. पर अब मैं आपके लौड़े को छूकर देखना चाहती हूँ.. खुली आँखों से.. इसे चूसना चाहती हूँ.. आहह.. क्या मस्त कड़क हो रहा है।
दीपाली ने लौड़े को अपने मुलायम हाथों में ले लिया और बड़े प्यार से सहलाने लगी।
विकास की तो किस्मत ही खुल गई थी.. दीपाली अब एकदम कामुक अंदाज में लौड़े को चूसने लगी।
विकास- उफ़फ्फ़.. दीपाली तेरे होंठों के स्पर्श से कितना मज़ा आ रहा है.. जब मुँह में इतना मज़ा आ रहा है तो तेरी चूत में कितना मज़ा आएगा.. आह.. चूस जान आज तेरी चूत का मुहूर्त है.. कर दे एकदम गीला मेरे लंड को उफ्फ.. आज तो बड़ा मज़ा आएगा..
दीपाली ने लौड़े को चूस कर एकदम गीला कर दिया।
अनुजा- बस भी कर अब.. क्या चूस कर ही पानी निकालोगी.. चल सीधी लेट जा.. तेरी चूत को खोलने का वक्त आ गया है।
दीपाली- हाँ दीदी.. मगर सर का लौड़ा बहुत बड़ा है.. ये अन्दर कैसे जाएगा और मुझे दर्द भी होगा ना…
अनुजा- अरे पगली.. मैंने तुझे क्या समझाया था.. चूत कितनी भी छोटी क्यों ना हो.. बड़े से बड़े लौड़े को खा जाती है.. पहली बार तो सभी को दर्द होता है.. लेकिन उसके बाद चुदवाने का लाइसेंस मिल जाता है.. तू कभी भी कहीं भी किसी से भी चुदवा सकती है जान.. बस थोड़ा सा दर्द सहन कर ले.. फिर देख दुनिया की सारी खुशियाँ एक तरफ और चुदाई से मिली ख़ुशी एक तरफ.. डर मत.. विकास बहुत एक्सपर्ट खिलाड़ी है.. बड़े आराम से तेरी सील तोड़ेगा।
ये दोनों बातें कर रही थीं तभी विकास दीपाली की चूत को चूसने लगा.. उसके दाने को जीभ से टच करने लगा।
दीपाली- आह आह आह.. उफ़फ्फ़ सर.. ये आपने क्या कर दिया.. आहह.. मेरी चूत में आग भड़क गई है.. ऊह.. डाल दो.. अब जो होगा देखा जाएगा उफ्फ.. आज कर दो मेरी चूत का मुहूर्त आह…
विकास ने मौके का फायदा उठा कर अनुजा के दोनों पैर मोड़ दिए और लौड़े की टोपी चूत पर सैट किया। अनुजा ने ऊँगलियों से चूत की दोनों फांकें खोल दीं जिसके कारण टोपी चूत की फांकों में फँस गई।
अनुजा ने जल्दी से अपने होंठ दीपाली के होंठों पर रख दिए और विकास को इशारा कर दिया।
विकास ने कमर पर दबाव बनाकर एक झटका मारा.. लौड़ा चूत की दीवारों को चौड़ा करता हुआ अन्दर घुस गया।
अभी एक इन्च ही घुसा था कि दीपाली ‘गूं-गूं’ करने लगी… वो जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी। अभी तो उसकी सील भी नहीं टूटी थी.. बस लौड़ा जाकर सील से टच हुआ था।
विकास ने कमर को पीछे किया और ज़ोर से आगे की ओर धक्का मारा। अबकी बार आधा लौड़ा सील को तोड़ता हुआ चूत में समा गया। दीपाली की तो आँखें बाहर को निकल आईं.. उसका सर चकराने लगा।
विकास ने देरी ना करते हुए आधा लौड़ा पीछे खींचा और पूरी रफ्तार से वापस चूत में घुसा दिया। अबकी बार लौड़ा चूत की जड़ तक घुस गया था। विकास की गोटियाँ दीपाली के चूतड़ों से टकरा गई थीं।
दीपाली तो सोच भी नहीं सकती थी कि अचानक उस पर दर्द का पहाड़ टूट पड़ेगा।
अभी बेचारी पहले के दर्द से ही परेशान थी कि 5 सेकंड में ही दूसरा तगड़ा झटका उसको मिल गया।
उसकी आँखों से आँसू बहने लगे और चीखें ऐसी कि अगर अनुजा ने कस कर उसके होंठ अपने होंठों से ना भींचे होते.. तो शायद बाहर दूर-दूर तक उसकी आवाज़ पहुँच जाती।
विकास लौड़ा जड़ तक घुसा कर अब बिल्कुल भी नहीं हिल रहा था और बस ऐसे ही पड़ा… दीपाली के मम्मों को चूस रहा था।
लगभग 5 मिनट तक ऐसे ही चलता रहा दीपाली अब शान्त पड़ गई थी। तब अनुजा बैठ गई और दीपाली के सर पर हाथ घुमाने लगी।
दीपाली- दीदी आहह.. अई उउउ उउउ प्लीज़.. मुझे बचा लो अई.. सर प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है आ.. निकाल लो आहह…
अनुजा- अरे मेरी जान.. अब निकाल कर क्या फायदा.. तेरी सील तो टूट गई..
जितना दर्द होना था हो गया.. अब बस थोड़ी देर में तुझे मज़ा आने लगेगा और तू खुद कहेगी कि और ज़ोर से चोदो मुझे…
दीपाली- आहह.. दीदी मुझे नहीं पता था इतना दर्द होगा वरना मैं कभी ‘हाँ’ नहीं करती आहह..
कुछ देर विकास ने दीपाली के मम्मों को चूसा तो दीपाली को कुछ दर्द से राहत सी मिलती लगी।
विकास- अरे रानी.. कुछ नहीं हुआ है, बस थोड़ी देर रुक जा.. उसके बाद मज़े ही मज़े हैं.. अब तुझे दर्द कम हुआ ना..
दीपाली- आहह.. हाँ सर अब थोड़ा सा कम हुआ है।
विकास अब धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे करने लगा और दीपाली के निप्पलों को चूसने लगा।
दीपाली को दर्द तो हो रहा था.. वो सिसक रही थी मगर अब उसमें ना जाने कहाँ से हिम्मत आ गई थी.. बस वो चुपचाप चुद रही थी।
दस मिनट तक विकास धीरे-धीरे चोदता रहा।
अब दीपाली का दर्द कम हो गया था और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी.. जिसके कारण लौड़ा आसानी से आगे-पीछे हो रहा था।
दीपाली- आहह.. सर दर्द हो रहा है.. उई मेरी चूत में अई.. आह्ह.. कुछ हो रहा है.. उफ़फ्फ़ अई मेरा पानी छूटने वाला है.. उई ज़ोर से आहह.. ज़ोर से क..करो आह..
मौके का फायदा उठा कर विकास अब रफ्तार से झटके मारने लगा था।
दीपाली चरम सीमा पर थी और अब उसकी चूत ने लावा उगल दिया था.. उसका बदन झटके खाने लगा था। वो काफ़ी देर तक झड़ती रही.. मगर विकास अब भी दे दनादन शॉट पर शॉट मार रहा था।
अनुजा ने अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया.. वो भी एकदम गर्म हो गई थी।
विकास- ओह्ह ओह्ह.. दीपाली आहह.. क्या टाइट चूत है तेरी.. आह्ह… मज़ा आ गया.. लौड़ा बड़ी मुश्किल से आगे-पीछे हो रहा है आह्ह… दीपाली आह..
लगभग 10 मिनट तक विकास उसको चोदता रहा.. दीपाली दोबारा गर्म हो गई।
उसकी चूत में अब दर्द के साथ-साथ मीठा-मीठा करंट भी दौड़ रहा था.. वो दोबारा चरम पर पहुँच गई थी और पहुँचती भी कैसे नहीं 8″ का लौड़ा ताबड़तोड़ उसकी चूत में आगे-पीछे हो रहा था।
दीपाली- आह आह आह सर प्लीज़.. ज़ोर से आह्ह… मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है आआह आह्ह…
विकास- आह.. ले मेरी दीपा रानी ओह्ह ओह्ह ओह्ह.. मेरा भी पानी निकलने वाला है.. आह्ह… आज तेरी चूत को पानी से भर दूँगा 18 सालों से ये प्यासी थी.. आज इसकी प्यास बुझा दूँगा आह्ह… आह…
विकास के लौड़े से पानी की तेज धार निकली और दीपाली की चूत की दीवारों से जा टकराई.. गर्म-गर्म वीर्य के अहसास से उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। अब दोनों शान्त पड़ गए.. दोनों के पानी का मिलन हो गया।
बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ? तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए.. मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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