मालकिन के साथ नौकरानी को भी चोदा–2

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Malkin ke Sath Naukrani ko bhi Choda-2 मानसी का सुबह कॉल आया और उसने कहा- सब सूरत जाने के लिए निकल गए हैं… तुम दस बजे तक मेरे घर पर आ जाना.. मैं तुमको पता मैसेज करती हूँ।

मैंने कहा- तुमने सबको कैसे मना लिया कि तुम नहीं जा रही?

उसने कहा- मेरी तबीयत ठीक नहीं है मैंने यही बहाना बना दिया.. पर उन्होंने मेरी नौकरानी को मेरे पास रहने का बोल कर गए हैं। तुम चिंता मत करो वो मैं देख लूँगी.. तुम सिर्फ वक्त से आ जाना।

उसने मुझे पता मैसेज किया और मैं बाइक लेकर दिए हुए पते पर जाने के लिए निकल पड़ा।

मैंने वहाँ पहुँच कर मानसी को कॉल किया तो उसने कहा-105 नम्बर के बंगले के अन्दर आ जाओ.. मैं तुम्हारा कबसे इन्तजार कर रही हूँ.. अब और इंतजार नहीं होता।

मैंने कहा- मेरी जान.. बस अभी आया।

मैंने 105 नम्बर बंगले के बाहर पहुँच कर घन्टी बजाई.. मुझे लगा मानसी ही दरवाजा खोलेगी.. पर दरवाजा उसकी नौकरानी ने खोला। लेकिन एक पल में तो दिमाग के तार ही हिल गए… साली नौकरानी ही क्या पटाखा लग रही थी।

मैं सोच में पड़ गया कि बाहर ये नजारा है तो अन्दर कयामत होगी।

मैंने अपने दिमाग के तार ठीक किए और उससे कहा- मेरा नाम श्लोक है मुझे मानसी जी से मिलना है।

उसने कहा- आइए.. आप यहाँ हॉल में बैठिए.. मैं मालकिन को बुलाती हूँ।

फिर उसने आवाज लगाई- मालकिन… आपसे कोई मिलने आया है..

और वो रसोई में चली गई।

मेरी नजरें जिसको देखना चाहती थीं.. वो अब मेरे सामने थी।

अब आप लोगों को ये लगता होगा कि अब ये ऐसा कहेगा कि क्या लग रही थी यारो!

उसके 34 के मम्मे 28 की कमर 36 के चूतड़..

पर मेरे दोस्तों बुरा मत मानना.. कुदरत की कारीगरी पर कभी कहा नहीं जाता।

वो जो भी लग रही थी.. बहुत कामुक लग रही थी।

वो सही में किसी अप्सरा से कम नहीं थी।

वो थिरकते और मदमाते क़दमों से मेरे पास आई और कहा- हाय श्लोक…

मैं बस उसको ही देखने में ही मग्न हो गया था।

उसने एक बार और कहा- हाय श्लोक…

मेरा फिर ध्यान भंग हुआ और कहा- ओ… हाय.. मानसी.. सॉरी जान.. मैं बस तुम्हारी खूबसूरती में खो गया था… तुम बहुत खुबसूरत हो और साथ में बहुत ही सेक्सी भी।

फिर उसकी नौकरानी पानी लेकर आई.. उसने मुझे पानी दिया और चली गई।

फिर हमने हॉल में बैठ कर बहुत सारी बातें की.. इसलिए कि उसकी नौकरानी को लगे कि ये सच में मालकिन के दोस्त हैं।

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. मैं मानसी के पास सट कर बैठ गया और उसके बालों में ऊँगलियाँ डाल कर उसको कस कर पकड़ लिया।

कामातुर होकर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उसको बेहिसाब चूमने लगा।

ऐसा करने से एक अलग ही नशा छा जाता है और सामने वाले को ये भी पता चल जाता है कि आज उसकी चूत.. भोसड़ा बनने वाली है।

उसने मुझसे कहा- रुको जान.. तुम पहले ये बताओ कि तुम क्या लोगे?

मैंने कहा- बस अब और इन्तजार नहीं होता। मैं तो अब सिर्फ तुम्हारी चूत ही लूँगा।

उसने हँस कर कहा- जान वो तो तुम्हारी ही है.. पर उसके अलावा क्या लोगे?

मैंने कहा- जो तुम्हारी मरजी हो.. वो ले आओ।

फिर उसने अपनी नौकरानी को आवाज लगाई और दो गिलास में रेडवाइन ले आने को कहा।

मैं चौंक गया और कहा- रेडवाइन क्यूँ?

तो उसने कहा- जब हम फोन पर बात करते थे.. तब तुमने मुझे बताया था कि मैं कभी-कभी ड्रिंक करता हूँ.. इसलिए सिर्फ तुम्हारे लिए मैंने मंगवाई है।

मैंने कहा- तुमने तो दो गिलास मंगवाए हैं।

तो उसने कहा- आज मैं भी जम कर तुमसे चुदवाना चाहती हूँ जान… और ये हमारा पहली बार है.. शर्म में रह कर मिलन में कोई कमी नहीं करना चाहती हूँ … तुम फ़िक्र मत करो मैंने शादी से पहले दोस्तों के साथ बहुत बार ड्रिंक की है।

नौकरानी वाइन लेकर आ गई..

फिर हम दोनों वाइन पीने लगे, पर नौकरानी को मुझ पर शक सा होने लगा ओर क्यों ना हो.. पहले मैं उसकी मालकिन से दूर बैठा था.. पर अब एक-दूसरे से सट कर बैठे थे.. इतने नजदीक बैठे थे कि हवा भी हमारे बीच से ना जा सके।

हमने पैग खत्म किए और मानसी ने फिर से दो गिलास रेडवाइन के पैग बनाने को नौकरानी को कहा।

हमने दूसरे पैग भी खत्म किए।

मैं फिर मानसी को चूमने लगा.. चाटने लगा। अब तो वो भी मेरा साथ दे रही थी।

दो पैग अन्दर जाने के बाद कौन देख रहा है क्या चल रहा है.. किसको ध्यान रहता है।

मानसी अब पूरे जोश में थी.. वो भी अब मुझे जोर-शोर से चूम और चाट रही थी। ये सब हम हॉल में ही कर रहे थे।

मैंने मानसी से कहा- यहाँ हॉल में तुम्हारी नौकरानी देख लेगी.. चलो कमरे में चलते हैं।

मानसी ने कहा- ठीक है।

फिर उसने नौकरानी को आवाज लगाई तो वो आ गई।

मानसी ने नौकरानी से कहा- ये मेरा दोस्त है श्लोक.. मैं इसको बंगला दिखाती हूँ.. तब तक तुम नीचे का काम करो।

फिर हम कमरे में आ गए।

जैसे ही हम कमरे में आए.. मैंने उसको अपनी बाँहों में ले लिया।

वाह.. क्या अलग सा सुकून था यारों.. मैंने उसको उठाया ओर धीरे से बिस्तर पर लिटाया फिर से चूमने लगा।

अब मेरे हाथ धीरे-धीरे उसके शरीर के सारे अंगों को छूने लगे।

उसके शरीर से एक अलग ही किस्म की कंपन मुझे महसूस हुई। मुझे कुछ समझ में तो आया पर मैंने सर झटक दिया।

मैं अब उसके मम्मों को ऊपर-ऊपर से ही मसलने लगा। मैंने उसकी साड़ी और पेटीकोट को उतार कर फेंक दिया।

अब वो सिर्फ ब्रा पैन्टी में थी.. क्या कयामत लग रही थी।

वो इतनी गोरी-चिट्टी थी कि उसको छुओ तो भी दाग पड़ जाए.. पर अब मुझे उस शरीर से हर जगह से पानी निकालना था।

मैंने उसकी ब्रा निकाल कर फेंक दी.. अब उसके तने हुए मम्मे मेरे सामने थे। मैं उसके रसीले मम्मों को अपने मुँह में लेके चूसने लगा। उसका स्तन जितना मेरे मुँह में आ सकता था.. मैं उतना ही उसको पूरा अन्दर लेकर चूसने की कोशिश करने लगा।

मेरा हाथ अब धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। मैं उसके चूतड़ों को मसलने लगा।

मैंने अब उसकी पैन्टी में हाथ डाल दिया तो देखा कि उसकी पैन्टी कुछ ज्यादा ही गीली थी।

मैंने मानसी से कहा- जान क्या बात है.. कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ रही है तुम्हारी चूत…

मानसी ने कहा- जान मेरी चूत ने तो तभी पानी छोड़ दिया था.. जब तुमने मुझे अपनी बाँहों में लिया था।

मैंने कहा- मुझे पता है जान…

तो उसने कहा- तुम्हें कैसे पता चला?

मैंने कहा- जान.. मुझे तुम्हारे शरीर की कंपन महसूस हुई थी।

इन्हीं सब बातों में मैंने उसकी पैन्टी निकाल दी। मैं अब उसकी चूत के दाने को सहलाने लगा और उसके मम्मों को भी चूसे जा रहा था।

हम बिस्तर पर लेटे हुए थे और एक-दूसरे को खूब चूस और चाट रहे थे। मैं अब धीरे-धीरे नीचे की ओर जा रहा था। मैंने पैन्टी निकाल दी थी.. पर उसकी चूत अभी तक देखी न थी।

दोस्तों चूत न देखने का मेरा एक लॉजिक है.. अगर तुम कपड़े निकालते-निकालते चूत को एक बार देख लो तो तुम्हारा सारा ध्यान वहाँ ही चला जाएगा और तुम चूत चोद बैठोगे.. और लड़की को ज्यादा मजा नहीं दे पाओगे।

लेकिन दोस्तों लड़के का पहेला फर्ज़ लड़की को तृप्त करना होता है और खास करके शादीशुदा औरत के लिए तो ये जिम्मेदारी और भी अधिक ढंग से निभानी चाहिए।

दोस्तो, आप जितने भी काम से क्यों ना थके हों.. पर घर पर जाकर अपनी बीवियों से प्यार चुदाई या फिर प्यार वाली बातें जरूर करें.. वरना आपकी बीवियों के बाहर जाने की सम्भावना बढ़ जाती है। जैसे कि मैं अभी किसी और की बीवी के पास हूँ…

हम दोनों गलत नहीं थे.. सिर्फ अपनी-अपनी जरूरत के लिए साथ हैं।

यह बात मेरे दिल में थी.. जो बता दी.. आप बुरा मत मानना दोस्तो।

मैं अब धीरे-धीरे चूत के पास आ गया। जैसे ही चूत के पास मुँह रखा.. एक अजीब सी मादक खुश्बू छा गई।

अब उसने भी मेरे सारे कपड़े निकाल दिए.. सिर्फ अंडरवियर को छोड़ कर।

वो मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से पकड़ कर दबाने लगी।

मैं उसकी चूत के दाने को चाटने लगा.. मैं उसकी चूत में पूरी जीभ डाल कर चाट रहा था और उसकी गान्ड में एक ऊँगली डाल कर उसे चोद रहा था।

अब आप ही सोचो क्या सुकून मिला होगा उसको…

मेरा लंड भी अपने राक्षसी आकार में आता जा रहा था और उसी वक्त मानसी ने मेरा अंडरवियर भी निकाल दिया।

मानसी की चूत का स्वाद कुछ अलग ही था।

नमकीन पानी.. वो भी एक अलग खुश्बू के साथ पीने का माहौल था.. ओर अब वो समय आ ही गया।

मानसी ने अकड़ कर.. कस के मेरे बालों को पकड़ रखा था।

मैं समझ गया कि अब एक जोरदार लहर आने वाली है.. जो मेरे मुँह पर सुनामी की तरह छा जाएगी और ऐसा ही हुआ।

उसकी चूत ने इतनी पानी छोड़ा कि मेरा मुँह पूरा भर चुका था।

मैंने पानी मुँह में भरके रखा और उसके मुँह के पास जाकर हम दोनों ने उसकी चूत का रसपान किया।

अब वो काबू के बाहर थी.. वो मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ खींच रही थी और बोल रही थी- अब चोदो भी जान.. जल्दी चोदो जान.. अब और मत तड़पाओ.. मैं मरी जा रही हूँ.. तुमसे चुदने के लिए.. लंड डाल दो मेरी चूत में..

मैंने भी अब ज्यादा वक्त ना लेते हुए.. लगा दिया लंड को चूत के दरवाजे पर…

चूत का दरवाजा पूरी तरह खुला था और चूत लंड के स्वागत के लिए पानी छोड़ रही थी।

मैंने मानसी की चूत में जैसे ही लंड डाला तो उसकी जोर से चीख निकल गई.. पर मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! अब मैं धीरे-धीरे लंड अन्दर-बाहर करने लगा।

मानसी मुझे कुछ ज्यादा ही खुश दिख रही थी। वो मजे के साथ ही मुझसे कह रही थी- ओहह… जान लव यू.. और जोर से करो डियर… करते रहो.. मुझे कभी छोड़ कर मत जाना… मममम… मुझे आज तक ये सुख और ऐसी चुदाई नहीं मिली.. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ… चोदो जान चोदो…आह्ह..

मैंने भी अब मेरी रफ़्तार बढ़ा दी। मैं जोर-जोर से धक्के मारने लगा। चूत ओर लंड में जो प्यारी सी लड़ाई छिड़ी हुई थी.. उसका अब सुखद परिणाम आने वाला था। एक ऐसा ऐतहासिक परिणाम जिसमें दोनों की जीत थी।

मेरे लंड के झटके उसके दोनों मम्मों को जैसे झूला झुला रहे थे.. इतनी तेजी से उसके मम्मे आगे-पीछे थिरक रहे थे।

मेरा माल अब निकलने ही वाला था.. मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ?

तो उसने कहा- हम साथ में ही झड़ते हैं.. मैं भी अभी दुबारा झड़ने वाली हूँ।

बस चार-पाँच जोर के झटकों के साथ हम दोनों झड़ गए।

मेरा गर्म लावा एक तेज धार के साथ उसकी चूत के अन्दर की दीवारों से जा टकराया। उसकी धार से जो सुकून मानसी के चेहरे पर था.. वो देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा।

उसने मुझे माथे पर चूमा और कस कर अपनी बाँहों में समेट लिया।

उसकी आँखों में एक चमक सी आ गई थी।

हम एक-दूसरे से चिपक कर ऐसे ही लेटे रहे।

दस मिनट के बाद अब वापिस मानसी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उससे खेलने लगी। मेरे लौड़े को वो धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगी।

लेकिन ये लंड साला नंगी लड़की देखते ही खड़ा हो जाता है.. तो लड़की के पकड़ने से क्या नहीं हो सकता। वो वापिस अपने राक्षसी आकार में आ गया।

मानसी ने लंड देख कर कहा- ये बहुत अच्छा है कितने इंच का होगा?

मैंने कहा- तुम्हीं बताओ.. कितने इंच का है?

तो उसने कहा- ह्ह्म्म… 8 इंच? फिर मैंने कहा- 8 इंच नहीं.. 7 इंच का है.. पर मैं तो ये मानता हूँ कि लड़कियों को खुश रखे.. लंड ऐसा ही होना चाहिए। मैं तुमसे ही पूछ रहा हूँ.. बताओ क्या तुम मेरे लंड से खुश हो?

मानसी ने कहा- मैं इसका जवाब कुछ दूसरे तरह से दूँगी… तो तुमको भी पता चल जाएगा..

मैंने मानसी और नौकरानी की कैसे साथ में चुदाई की… इसका रस आपको अगले भाग में मिलेगा। कहानी जारी रहेगी। दोस्तो, मेरी कहानी आपको कैसी लगी? मेरी कहानी पर अपने विचार मुझे जरूर बताएँ।

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