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हाय दोस्तो, कैसे हो आप सब… आज मैं आपको दीपाली सिंह की कहानी बताती हूँ।
दोस्तो, कहानी के सभी किरदार असली हैं.. बस कहानी मैंने दीपाली और मेरी पक्की सहेली अनुजा के लिए लिखी है।
इसमें कुछ घटना-क्रम एकदम वास्तविक है और कुछ आपके मनोरंजन के लिए अपनी कलम से लिख रही हूँ!
और हाँ.. अबकी बार मैंने लिखने का अंदाज थोड़ा बदला है.. उम्मीद है कि पहले की तरह इस बार भी आपको मज़ा आएगा।
तो आइए आपको कहानी की ओर ले चलती हूँ।
सर- दीपाली ये क्या है? इस बार भी फेल.. आख़िर तुम करती क्या हो..? पढ़ाई में तुम्हारा ध्यान क्यों नहीं लगता। जब स्कूल-टेस्ट में ये हाल है तो बोर्ड के इम्तिहान में क्या खाक लिखोगी?
ये सर हैं विकास वर्मा जिनकी उम्र 35 साल है और ये साइन्स के टीचर हैं.. थोड़े कड़क मिज़ाज के हैं। इनका कद और जिस्म की बनावट अच्छी है.. और एकदम फिट रहते हैं।
दीपाली- सॉरी सर प्लीज़.. मुझे माफ़ कर दो.. अबकी बार अच्छे नम्बर लाऊँगी.. प्लीज़ प्लीज़…
दोस्तो, यह है दीपाली सिंह.. अच्छे ख़ासे पैसे वाले घर की एक मदमस्त यौवन की मालकिन.. जिसकी उम्र 18 साल, कद 5’3″.. छोटे सुनहरे बाल.. गुलाब की पंखुड़ी जैसे पतले गुलाबी होंठ.. भरे हुए गोरे गाल.. नुकीले 30″ के मम्मे.. पतली कमर और 32″ की मदमस्त गाण्ड।
स्कूल में कई लड़के दीपाली पर अपना जाल फेंक रहे हैं कि काश एक बार उसकी मचलती जवानी का मज़ा लूट सकें..
मगर वो तो तितली की तरह उड़ती फिरती थी। कभी किसी के हाथ ना आई !
और हाँ आपको यह भी बता दूँ कि गंदी बातों से दूर-दूर तक उसका वास्ता नहीं था। वो शरारती थी.. मगर शरीफ़ भी थी। उसको चुदाई वगैरह का कोई ज्ञान नहीं था।
सर- नो.. अबकी बार तुम्हारी बातों में नहीं आऊँगा.. कल तुम अपने मम्मी-पापा को यहाँ लेकर आओ.. बस अब उनसे ही बात करूँगा कि आख़िर वो तुम पर ध्यान क्यों नहीं देते।
दीपाली- सर आप मेरी बात तो सुनिए.. बस साइन्स में मेरे नम्बर कम आए हैं और बाकी सब विषयों में मेरे अच्छे नम्बर आए हैं।
सर- जानता हूँ इसी लिए तो हर बार तुम्हारी बातों में आ जाता हूँ.. तुम बहुत अच्छी लड़की हो.. सब विषयों में अच्छे नम्बर लाती हो.. मगर ना जाने विज्ञान में तुम पीछे क्यों रह गई.. आज तो मुझे बता ही दो आख़िर बात क्या है?
दीपाली- व..वो.. सर आप तो जानते ही हो.. मैं रट्टा नहीं मारती.. सारे विषयों को समझ कर याद करती हूँ.. विज्ञान का पता ही नहीं चलता क्या लिखा है… क्यों होता है.. बस इसी उलझन में रहती हूँ तो ये सब हो जाता है और नम्बर कम आ जाते हैं।
सर- क्या.. अरे तुम क्या बोल रही हो..? मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा ठीक से बताओ मुझे।
दीपाली- वो.. वो.. सर मानव अंगों के बारे में मेरी सहेलियाँ पता नहीं क्या-क्या बोलती रहती हैं.. बड़ा गंदा सा बोलती हैं.. म…म..मुझे अच्छा नहीं लगता.. बस इसलिए मैं विज्ञान में इतनी रूचि नहीं लेती हूँ।
दीपाली की बात सुनकर विकास सर के होंठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई।
सर- अच्छा तो ये बात है.. ऐसा करो शाम को तुम किताब लेकर मेरे घर आना.. वहाँ बताना ठीक से.. अभी मेरा क्लास लेने का वक्त हो रहा है.. देखो आ जाना नहीं तो कल तुम्हारे पापा से मुझे मिलना ही होगा।
दीपाली तो फँस गई थी.. अब विकास शाम को उसका फायदा उठाएगा.. आप यही सोच रहे हो ना..
मेरे प्यारे दोस्तों देश बदल रहा है.. सोच बदलो.. खुद देख लो।
शाम को 6 बजे दीपाली विकास सर के घर पहुँच जाती है।
सर- अरे आओ आओ.. दीपाली बैठो.. अरे अनु ज़रा यहा आना.. देखो दीपाली आई है, मैंने बताया था ना तुमको…
अनुजा- जी अभी आई।
दोस्तो, यह है अनुजा वर्मा.. यह विकास सर की पत्नी है, दिखने में बड़ी खूबसूरत है, इसका फिगर 34″ 32″36″ है। इनकी शादी को 3 साल हो गए हैं। दोनों बेहद खुश रहते हैं।
अरे यार आप अनुजा को भूल गए.. हाँ भाई ये वही अनुजा गुप्ता और विकास हैं.. जो पहले लवर थे, अब इनकी शादी हो गई है और अनुजा गुप्ता से वर्मा बन गई है.. चलो अब आगे का हाल देखते हैं।
अनुजा- हाय दीपाली कैसी हो?
दीपाली- मैं एकदम ठीक हूँ मैम!
सर- दीपाली, ये है मेरी पत्नी अनुजा.. सुबह तुमने अपनी प्राब्लम मुझे बताई थी ना.. मैंने अनु को सब बताया है.. अब मैं नहीं ये ही तुम्हारी मदद करेंगी। चलो तुम दोनों बातें करो मैं थोड़ी देर में बाहर जाकर आता हूँ ओके..।
दीपाली- ओके सर थैंक्स।
अनुजा- हाँ तो दीपाली.. अब बताओ तुम्हारी प्राब्लम क्या है और देखो किसी भी तरह की झिझक मत रखना.. सब ठीक से बताओ ओके..
दीपाली- ओके मैम बताती हूँ।
अनुजा- अरे ये मैम-मैम क्या लगा रखा है मुझे दीदी भी बोल सकती हो.. अब बताओ तुम्हारी सहेलियाँ क्या बोलती हैं?
दीपाली- व..ववो दीदी… मैंने उनसे एक बार पूछा ये योनि और लिंग किसे कहते हैं तब उन्होंने मेरा बड़ा मज़ाक उड़ाया और मेरे यहाँ हाथ लगा कर कहा.. इसे योनि कहते हैं और इसकी ठुकाई करने वाले डंडे को लिंग कहते हैं।
दीपाली ने अपना हाथ चूत पर रखते हुए यह बात बोली तो अनुजा की हँसी निकल गई।
दीपाली- दीदी आप भी ना मेरा मज़ाक उड़ा रही हो.. जाओ मैं आपसे बात नहीं करती। इसी लिए मैं किसी से इस बारे में बात नहीं करती हूँ।
अनुजा- अरे तू तो बुरा मान गई.. देख मेरा इरादा तेरा मजाक उड़ाने का नहीं था.. बस ये सोच कर हँसी आ गई कि तुम किस दुनिया से आई हो जो इतनी भोली हो.. अब सुनो मैं जो पूछू उसका सही जबाव देना और जो बोलूँ उसको ध्यान से सुनना।
दीपाली- ठीक है दीदी आप कहो।
अनुजा- सबसे पहले यह बता कि तेरी उम्र क्या है.. और तुम्हारे घर में कौन-कौन है.. तुम सोती किसके साथ हो?
दीपाली- दीदी मैं 18 की हूँ.. मैं पापा-मम्मी की इकलौती बेटी हूँ.. हमारा घर काफ़ी बड़ा है। मैं करीब 6 साल से अलग कमरे में सोती हूँ.. नहीं तो पहले मम्मी के कमरे में ही सोती थी।
अनुजा- अच्छा यह बात है.. तुम सेक्स के बारे में क्या जानती हो.. किसी से कुछ सुना होगा… वो बताओ।
दीपाली- ये सेक्स क्या होता है दीदी.. मुझे नहीं पता.. हाँ मेरी सहेलियाँ अक्सर बातें करती हैं.. बस उनसे मैंने सुना था कि लड़कों का पोपट होता है.. और लड़की का पिंजरा.. मगर मेरे कभी कुछ समझ नहीं आया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! अनुजा- ओह ये बात है.. तेरी सहेलियाँ कोडवर्ड में बातें करती हैं और तुम सच में बहुत भोली हो। अच्छा ये बताओ क्या कभी किसी ने तुम्हारे सीने पर हाथ रखा है या इनको छुआ या दबाया है..? तुमने किसी लड़के को पेशाब करते देखा है?
दीपाली- छी छी.. दीदी आप भी ना.. मैं क्यों किसी को पेशाब करते देखूँगी और आज तक किसी ने मुझे नहीं छुआ है।
अनुजा- अच्छा ये बात है.. तभी तुम ऐसी हो.. अब अपने अंगों के नाम बताओ.. मैं भी तो देखूँ तुम क्या जानती हो।
अनुजा ने दीपाली के गुप्तांगों के नाम उससे पूछे।
दीपाली- दीदी ये सीना है.. ये फुननी है और ये पिछवाड़ा बस।
अनुजा- अरे भोली बहना.. अब सुन ये सीना को मम्मों.. चूचे या कच्ची लड़की के अमरूद भी बोलते हैं और इसको चूत या बुर बोलते हैं समझी और ये पिछवाड़ा नहीं.. एस या गाण्ड है.. जिसको मटका-मटका कर तुम चलती हो और लड़कों के लौड़े खड़े हो जाते हैं।
अनुजा बोलने के साथ दीपाली के अंगों पर हाथ घुमा-घुमा कर मज़े ले रही थी। दीपाली को बड़ा अजीब लग रहा था मगर उसको मज़ा भी आ रहा था।
दीपाली- उफ़फ्फ़ आह दीदी ये लौड़ा क्या होता है?
अनुजा- अरे पगली दुनिया की सबसे अच्छी चीज़ के बारे में नहीं जानती..? लड़कों की फुननी को लौड़ा बोलते है जो चूत के लिए बना है.. बड़ा ही सुकून मिलता है लौड़े से।
दीपाली- दीदी कसम से.. मुझे इन सब बातों के बारे में कुछ भी पता नहीं था.. थैंक्स आपने मुझे बताया.. मगर मेरी एक बात नहीं समझ आ रही इन सब बातों का मेरे इम्तिहान में फेल होने से क्या सम्बन्ध?
अनुजा- अरे दीपाली.. तू सब विषयों में अच्छी है क्योंकि तुझे उन सबकी समझ है.. मगर विज्ञान में तू अनजान है क्योंकि तुझे कुछ पता नहीं.. ये चूत.. लौड़ा और चुदाई सब विज्ञान का ही तो हिस्सा हैं। अब देख मैं कैसे तुझे सेक्स का ज्ञान देती हूँ और देखना अबकी बार कैसे तेरे नम्बर अच्छे आते हैं.. बस तू मेरी बात मानती रहना, जैसा मैं कहूँ वैसा करती रहना।
दीपाली- ओके दीदी.. मैं आपकी सब बात मानूँगी.. बस मेरे नम्बर अच्छे आने चाहिए।
अनुजा ने आधा घंटा तक दीपाली को लड़की और लड़के के बारे में बताया और उसको जाते समय एक सेक्स की कहानी वाली किताब भी दी।
दीपाली- दीदी ये क्या है?
अनुजा- ये असली विज्ञान है.. रात को अपने कमरे में कुण्डी लगा कर सारे कपड़े निकाल कर इस किताब को पढ़ना.. और कल शाम को आ जाना.. बाकी सब कल समझा दूँगी।
दीपाली- सारे कपड़े निकाल कर.. नहीं दीदी मुझे शर्म आ रही है।
अनुजा- अरे पगली मैं किसी के सामने नंगी होने को नहीं बोल रही हूँ.. अकेले में ये करना है और नहाते वक्त क्या कपड़े पहन कर नहाती हो जो इतना शर्मा रही हो..? पास नहीं होना है क्या..?
दीपाली- सॉरी दीदी.. जैसा आपने कहा, वैसा कर लूँगी।
दीपाली वहाँ से अपने घर चली जाती है।
उफ़फ्फ़.. सॉरी दोस्तो, आपने क्या सोचा विकास बहला-फुसला कर दीपाली की चुदाई कर देगा और आपको मज़ा मिलेगा… मगर यहाँ तो बात उल्टी हो गई। चलो कोई बात नहीं आप निराश मत हो… मैं हूँ ना यार चुदाई का सीन भी आएगा.. थोड़ा सबर करो। अच्छा चलो रात होने दो दीपाली के नंगे जिस्म को आपको दिखा दूँगी.. बस खुश? इसके आगे क्या हुआ जानने के लिए पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए.. मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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