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मैं विनय अग्रवाल नागपुर से हूँ। मैं 6 फीट हाइट का किसी मॉडल जैसा दिखने वाला आकर्षक लड़का हूँ जिसका लंड मोटा है।
मैं दिखने में एकदम गोरा हूँ। कॉलेज के ज़माने से कई लड़कियाँ मुझ पर मरती थीं।
मैं मॉडलिंग भी कर चुका हूँ। मैंने कभी अपना लंड नापा तो नहीं, पर इतना बड़ा ज़रूर है कि हर लड़की अपनी चूत में लेकर खुश हो जाए।
वैसे तो मैं शादी तक सेक्स करने के लिए भूखा नहीं था। मैं हमेशा सोचता था कि बीवी के साथ ही भरपूर सेक्स करूँगा, पर मेरी किस्मत ही ख़राब निकली क्योंकि जिस लड़की से मेरी शादी हुई, उससे मुझे ना सेक्स करना जमता था, ना ही वो लंड मुँह में लेती थी, ना खुद से कभी चुदाई की इच्छा होती थी, बल्कि हरदम बीमार ही बनी रहती थी। अगर एक दिन चुदाई हो भी जाए तो बस 3 दिन तक उसके नाटक ही होते रहते थे।
मेरे तो मानो अरमानों पर पानी ही फिर गया था।
मेरी बीवी के इस रवैये के कारण ही मुझे अपनी कहानी लिखनी पड़ी।
यह किस्सा वाकयी सच्चा है। मेरे मामा की लड़की है उसका नाम स्वीटी है।
हम लोग एक ज़माने में एक-दूसरे को प्रपोज कर चुके थे, पर चूंकि हम दोनों का आपस में कुछ हो नहीं सकता था, इसी वजह से हम लोग भाई-बहन होते हुए भी बेस्ट-फ्रेंड के जैसी ज़िन्दगी बिताने लगे।
हम दोनों के घर में बहुत अच्छे सम्बन्ध होने के कारण हम लोगों के परिवारों का घूमना भी साथ होता रहता है।
देखने में स्वीटी ऐसी लड़की थी जिसके पीछे पूरा गाँव दीवाना था। वो बिल्कुल करीना जैसी दिखती थी। उसका कद 5’8′ दूध जितनी गोरी, पूरी गुलाबी रंगत लिए मतवाला जिस्म, बड़ी-बड़ी आँखें, खूब सजने-संवरने की शौकीन, उसका कामुक फिगर 38-28-38.. हाय… एकदम नागिन से कमर तक लहराते उसके बाल।
मेरे दिल के हिसाब से वो दुनिया की सबसे सुन्दर लड़की है।
मेरी शादी को एक साल हो गया था। अपनी बीवी से मैं सेक्स के मामले में कभी खुश नहीं था। कई बार तो होता यह था कि मेरी सेक्स की इच्छा को मैं हाथ से पूरी करता।
मेरी बीवी आधी चुदाई में बोलती थी- बस करो.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
मैं गुस्से में उसे आधे में ही छोड़ देता था क्योंकि मैं उन लोगों में से नहीं हूँ जो बिना इच्छा के चुदाई करना पसंद करें।
मैं कई दफा इसके लिए उससे लड़ भी चुका हूँ, पर जब भी उससे लड़ता हूँ वो कहती कि मैं आपको खुश नहीं रख सकती, मुझे छोड़ दो और वो खूब रोती। मैं कई बार बोलता कि मैं बाहर किसी के साथ कुछ करके आ जाऊँगा, पर उसका इस बात पर कोई असर नहीं होता।
जैसे-तैसे शादी के एक साल निकल गए। अब चुदाई के नाम पर सिर्फ मुझे एक निष्काम और संवेदनहीन शरीर ही मिलता, जिसके साथ सब कुछ मुझे ही करना पड़ता था।
मेरे जोर देने पर वो औरत सिर्फ नंगी होकर लेट जाती थी, मुझे उसका कोई सहयोग या ख़ुशी कभी नहीं दिखती।
मेरे दिमाग में चुदाई की भूख बढ़ती गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! तब हम लोगों के यहाँ स्वीटी कुछ दिन के लिए आने वाली थी। मैं स्वीटी से चुदाई करने के बारे में सोचने लगा।
मैं सब से पहले तो स्वीटी के करीब जाने लगा, जैसे फ़ोन करके लम्बी बातें करना, चैट करना वगैरह!
उससे दोस्ती के पुराने वादे और बातों को बार-बार निकालने लगा।
जब वो मिलने आई, तब मैंने मेरी बीवी को कह दिया- हम लोग एक-दूसरे से बहुत ज्यादा क्लोज हैं.. हमारी नजदीकियों को अन्यथा न ले।
हम सब लोग दिन भर साथ में घूमते, जिसमें बड़े लोग एक कार में और हम लोग एक कार में घूमते थे।
हम लोग जब एक दिन घूमने निकले तो हमारा सफ़र थोड़ा लंबा था, जिसमें हम सुबह निकल कर रात तक घर वापस पहुँचने वाले थे। मैं बहुत ज्यादा मस्ती के मूड में था। सब लोग खूब हँस रहे थे और सबसे ज्यादा स्वीटी ही हँस रही थी।
मेरी बीवी और मेरे और भी कुछ कजिन भी साथ में थे। सब हँसते-हँसते लोटपोट हो रहे थे।
स्वीटी मेरे बाजू में ही बैठी थी, तो हम लोग बार-बार एक साथ ही ताली मार रहे थे।
उसने स्लीब-लैस टॉप पहना हुआ था, जिसके कारण उसके मुलायम और नर्म हाथ मुझे महसूस हो रहे थे। थोड़ी देर बाद एक जगह आई, जहाँ मेरी और मेरे पापा की थोड़ी से बहस हो गई।
मैं नाराज़ हो गया और इनोवा कार की पीछे वाली सीट में अकेला बैठ गया, बाक़ी सारे लोग आगे बैठ गए।
अब बस स्वीटी बची थी, वो भी पीछे आकर मेरे साथ बैठ गई। मैं नाराज़ होकर सोने लगा स्वीटी मेरे सर के पास बैठ गई। शाम हो गई थी.. अँधेरा हो गया।
मैंने देखा कि स्वीटी का टॉप के बगल से थोड़ी सी कमर दिख रही थी। मैंने मौका देख कर उसकी कमर से अपने होंठ सटा दिए।
मैं सोने का नाटक कर रहा था, पर वो समझ नहीं पा रही थी कि मैं क्या कर रहा हूँ। उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने उसकी कमर पर चुम्बन कर दिया।
वो एकदम से हिली और छटपटाते हुए उठ कर अपनी कमर को टॉप से ढक लिया।
मैंने सोचा कि अब उसे समझ तो आ ही गया है, एक बार और हिम्मत करनी चाहिए। इस बार मैंने खुद अपने हाथों से उसकी कमर से टॉप हटाया और फिर से चुम्बन किया।
इस पर उसने मुझे हटा दिया और बोली- कैसे सोता है… ढंग से सो न!
मेरी बीवी भी कार में थी। मैं डर कर दूर सो गया, वो भी सो गई। थोड़ी देर तक मैंने कुछ नहीं किया पर मुझे नींद कहाँ आनी थी। मैंने सोचा कि हो सकता है कोई पीछे देख ले, तो मैं उठ गया और स्वीटी की खूबसूरती निहारता रहा क्योंकि वो सो चुकी थी।
मुझे हमारे बचपन की बात याद आ गई जब वो ऐसे ही सोती थी और मैं उसके होंठों पर अपनी उंगली फिराता था।
जब एक बार मैंने उसे प्रपोज किया था तब भी मैंने उसके होंठों पर अपनी उंगली घुमाई थी जोकि मुझे और उसे बहुत ढंग से याद थी। मैं ठीक उसी तरह उसके होंठों पर उंगली घुमाने लगा।
वो कुछ देर तो नहीं हिली.. फिर उठ गई।
अब वो मुझसे बोली- विनय तू ऐसा क्यों कर रहा है.. प्लीज हम लोग इतने क्लोज-फ्रेंड हैं और अब तो तेरी शादी भी हो गई है.. आखिर तू ऐसा क्यों कर रहा है?
मैंने उससे कहा- मैं अपनी बीवी से बिल्कुल खुश नहीं हूँ।
मैंने उसे अपनी बीवी के बारे में सारी बातें बताईं और उससे पूछा- क्या तू चाहती है कि मैं किसी के पास बाहर जाऊँ?
वो बोली- पागल हो गया क्या तू? तेरे जैसा लड़का आज ऐसी बात कर रहा है यकीन नहीं होता।
मैंने उससे कहा- यह तड़प क्या होती है तू नहीं समझ सकती।
हम लोग काफी देर तक बातें करते रहे। उसने मुझे बीवी के साथ रिश्ता सुधारने के लिए थोड़ी सलाह भी दी। हम लोगों ने ढेर सारी बातें कीं और इसी के चलते हमारा घर भी आ गया।
मेरा घर छोटा है और उस दिन मेहमानों की संख्या अधिक होने के मेरी बीवी भी मेरे साथ नहीं सोई थी।
रात में हमने एक ही घर में रह कर चैटिंग की।
स्वीटी को सुबह 6.30 की बस से जाना था। रात में चैट में मैंने उसे फिर से प्रपोज किया और उसने भी मुझे ‘हाँ’ कर दी।
वो रो पड़ी थी कि काश हम दोनों एक-दूसरे को मिल सकते।
मैंने कहा- रिश्ते से नहीं तो क्या हुआ, शरीर से तो मिल ही सकते हैं न!
तो उसने मना कर दिया।
मैंने कहा- कल मुझे जाने से पहले तुमसे तुम्हारे होंठों का एक चुम्बन अपने होंठ पर चाहिए।
वो मना कर रही थी।
मैंने सोचा क्यों न बस में छोड़ने मैं ही जाऊँ, मैंने घर में कह दिया- सुबह स्वीटी को छोड़ने मैं जाऊँगा।
मैं सुबह 5.30 उसके कमरे में चला गया।
कहानी जारी रहेगी। आपको मेरी यह दास्तान कैसी लगी मुझे अवश्य ईमेल कीजिएगा।
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