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Pados ki Aunty ne Mujhe Choda हैलो दोस्तो, मेरा नाम रणजीत सिंह है, मैं पटना (बिहार) का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 25 साल है। मैं आर्मी की तैयारी कर रहा हूँ। आप समझ सकते हैं कि मैं कैसा दिखता होऊँगा।
मैं अपनी एक सच्ची आपबीती आप सबको बता रहा हूँ। ये बात 5 साल पहले शुरु हुई थी।
मेरे पड़ोस में एक आंटी हैं, उनका नाम रीना है। क्या कमाल की माल हैं। एकदम गोरी, लम्बाई 5 फुट दस इंच, फिगर तो पूछो ही मत। उनकी चूचियां इतनी बड़ी हैं कि पकड़ में ही नहीं आएं।
चूतड़ों को हिलते हुए देखो तो मुँह मैं पानी आ जाए.. जब चलती हैं तब लगता है कि तूफान आ जाएगा। उम्र की बात करो तो उनका बड़ा लड़का मुझसे दो साल का छोटा है। मगर आज भी उनको देखो तो लगती हैं कि 3O साल की हैं।
शुरु-शुरु मैं जब उनके घर जाता तो उनको देखता ही रह जाता था।
तभी मैं उनके घर सुबह के समय जाने लगा, जब वह नहा रही होती थीं।
उनका भीगा और आधा नंगा जिस्म देख कर मेरे मुँह और लंड दोनों में पानी आ जाता था। चूची पर चूचुकों को देख कर ऐसा लगता था कि मानो चाँद पर दाग हों, मैं छुप-छुप कर उनको देखता था।
वो सिर्फ ब्रा और पैन्टी पहनकर नहाती थीं और उसके बाद पूरी नंगी होकर चूची और चूत पर मालिश करती थीं। यह देख मैं मुठ मारने लगता। जिसके कारण मुझे मुठ मारने की आदत पड़ गई।
मैं हमेशा उनके बारे मैं सोचता था और मेरा माल गिर जाता था।
उन्हीं के कारण मैं अति-उत्तेजित होकर कभी-कभी रंडियों के पास भी चला जाता था। गर्मी के मौसम में वो ब्लाउज और पेटीकोट में ही रहती थीं। उनके ब्लाउज के ऊपर के दो हुक खुले रहते थे और ब्रा बहुत ही कसी हुई होती थी, जिस कारण उनकी चूचियों को देख कर लगता था कि ब्लाउज और ब्रा फाड़कर बाहर आ निकल आएगीं।
पेटीकोट पतला होने का कारण कभी-कभी रौशनी में उनकी चूत पर उगे हुए छोटे-छोटे झांट के बाल और उनकी गोरी जांघें दिखाई देती थीं। एक बार मैं उनके घर दिन में गया, उस दिन गर्मी बहुत थी जिस कारण वे सिर्फ पेटीकोट पहने हुई थीं और उसे भी ऊपर करके बैठी थीं।
जिस कारण उनकी आधी चूचियां और एकदम गोरी आधी जांघें साफ़ दिख रही थीं। वे बैठ कर पंखा झल रही थीं। थोड़ी देर में बत्ती आ गई, वो पलंग पर लेट गईं और मैं वहीं पर टीवी देखने लगा।
थोड़ी देर के बाद एकाएक मेरी नजर उन पर पडी, मैंने देखा कि वे सो गई थीं और पंखा चलने के कारण उनका पेटीकोट और ऊपर को उठ गया था। जिस कारण से उनकी चूत साफ-साफ दिख रही थी। उनकी बुर एकदम पावरोटी के जैसी फूली हुई लाल-लाल चिकनी दिख रही थी।
उन्होंने आज ही झांटें साफ की थीं। यह देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया। मेरा मन तो हुआ कि अभी इनकी चुदाई कर दूँ, लेकिन डर भी रहा था। मैं तुरन्त उठा और उनके बाथरुम में जाकर मूठ मारने लगा।
उनकी ब्रा और पैन्टी वहीं पर पड़ी हुई थी। जिसको उठा कर मैं चूमने लगा उसमें से परफ्यूम की महक आ रही थी। मैंने अपने लंड का सारा माल उनके ब्रा और पैन्टी पर गिरा दिया और वापस आ कर टीवी देखने लगा। अब यह मेरा रोज का काम हो गया था।
कुछ दिन पहले की बात है उन्होंने मुझे बुलाया और कहा- आज रात को तुम मेरे घर पर ही सो जाना। हम सभी एक शादी में जा रहे हैं।
मैंने उनकी बात मान ली और रात में उनके घर चला आया। अभी वे तैयार हो रही थीं। मैं चुपचाप उनके घर में घुस गया, उनके कमरे का दरवाजा बंद था। दरवाजे में एक छेद था। मैंने झांक कर देखा तो वो बिल्कुल नंगी थीं।
मैं देख कर पागल हो रहा था। वो अपने शरीर पर मालिश कर रही थीं, कभी अपने चूची को मलतीं तो कभी अपनी चूत में उँगली डालकर हिला रही थीं और सिसकारियां भर रही थीं। यह देख कर मेरा माल अपने आप गिर गया। मगर वो अभी ऊँगली कर रही थीं।
थोड़ी देर बाद वो भी झड़ गईं। उसके बाद उन्होंने अपनी चूत को पौंछा और कपड़े पहनने लगीं। मैं वहाँ से हट गया। थोड़ी देर बाद तैयार होकर कमरे से निकलीं। वे गजब की कामुक लग रही थीं।
उन्होंने गुलाबी रंग की साड़ी और ब्लाउज में उजले रंग की बिल्कुल कसी हुई ब्रा पहनी हुई थी, जिस कारण से उनकी चूचियां बाहर निकली हुई थीं। साड़ी का पल्लू थोड़ा सा हटा हुआ था, जिससे गोरी और बड़ी चूचियों का दर्शन साफ़-साफ़ हो रहा था।
मेरा मन किया कि उनकी चूचियों को पकड़ कर दांत से काट लूँ। उनकी इस अदा को देख कर किसी का भी माल अपने आप गिर जाए।
तभी उन्होंने मुझसे सेक्सी अदा से कहा- तुम्हारा गला सूख रहा है, पानी दूँ क्या?
मैंने कहा- हाँ..।
उन्होंने मुझको पीने के लिए पानी दिया और वो घर में बाहर से ताला लगा कर शादी में चली गईं। मैं भी सो गया। मुझे बहुत गहरी नींद आ रही थी। रात मैं मैंने महसूस किया कि कोई मेरे लंड को सहला रहा है, मैंने धीरे से आँख खोल कर देखा तो वह आंटी थीं।
मैं तो दंग रह गया और मैं मस्त भी था सो चुपचाप लेटा रहा। आंटी ने मेरा पैन्ट उतार दिया और मेरे लंड को लेकर चूमने लगीं।
उसके बाद उन्होंने अपनी साड़ी, ब्लाउज और ब्रा को उतारा और अपनी दोनों चूचियों के बीच में मेरा लंड फंसा कर हिलाने लगीं। मेरा लंड एकदम खड़ा और मोटा हो गया था, कुछ देर बाद उन्होंने अपना पेटीकोट और पैन्टी भी उतार दिया।
वो अब मेरे सामने बिल्कुल नंगी थीं। उसके बाद उन्होंने मेरे लंड में कण्डोम पहनाया और मेरी जांघ पर बैठ कर अपनी चूत में लण्ड डालने लगीं। मैंने धीरे से आँख खोल कर देखा कि उनकी चूचियां उछाल मार रही थीं मानों जैसे कोई फुटबॉल से खेल रहा हो। लगभग 20 मिनट बाद मैं झड़ गया। उन्होंने मेरे लंड से कन्डोम निकाला लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं।
उसके बाद आंटी उठीं और अपने कपड़े लेकर अपने कमरे में चली गईं।
मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में होऊँ। उसके बाद मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं आंटी के कमरे के नजदीक गया, देखा कि आंटी नंगी लेटी हुई हैं। यह देख मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
मैं आंटी के पास चला गया और उनकी चूचियों को सहलाने लगा, तो उनकी नींद खुल गई और उठ कर बैठ गईं।
वो गुस्सा करते हुए अपनी चूची और चूत को हाथ से ढकते हुए बोलीं।
आंटी- ये क्या कर रहे हो?
मैं- वही जो कुछ देर पहले आप मेरे साथ कर रही थीं।
आंटी- मैंने क्या किया?
मैं- मेरे पानी में नींद की दवाओं को डालकर पिला दिया, घर में कोई नहीं था, सो मुझे जल्दी नींद लग गई जब मुझे हल्का होश आया तो देखा कि आप पूरी नंगी हो कर मेरे लंड को अपनी चूत में डाल रही हैं और मस्ती कर रही हैं।
आंटी- ओह.. तो तुम जग गए थे।
मैं- हाँ.. और मैं मजा ले रहा था, अब मेरी बारी है।
मैंने उनके हाथ को हटा कर उनकी चूचियों को और चूत को सहलाने लगा। उनकी नाभि लगभग दो इंच गहरी थी, मैं उसे चूमने लगा।
फिर मैं रसोई में जाकर थोड़ी सी मलाई लाया और उनके नंगी शरीर पर लगा कर चाटने लगा। आंटी मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगीं और बोलीं- मेरी चूत को चाटो।
मैं उनकी चूत को चाटने लगा, मुझे बड़ा मजा आ रहा था। आंटी बोल रही थीं, “तुम्हारे अंकल तो हमेशा काम से बाहर ही रहते हैं जिस कारण मेरी प्यास पूरी नहीं बुझती है, आज तुम ही मेरी प्यास बुझाओ।”
मैं उनको चूम-चाट रहा था और उनके मुँह से सिसकारी निकल रही थी।
“जल्दी मेरी चुदाई करो.. मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा है..।”
लगभग बीस मिनट बाद मैंने उनसे एक कन्डोम माँगा तो वो बोलीं- मुझे बिना कन्डोम के ही चोदो।
मैं पलंग पर चढ़ गया और अपनी ऊँगली उनके चूत में डाल कर हिलाने लगा। तो आंटी बोलीं- ऊँगली से नहीं लंड से चोद साले।
मैं अपना लंड उनकी चूत में डाल कर चुदाई करने लगा और अपने हाथों से उनकी चूचियों को मसलने लगा।
आंटी बोलीं- और कस के चोद..।
मैं और जोर से चुदाई करने लगा, कुछ देर बाद मैं झड़ने वाला था।
मैंने आंटी से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।
आंटी बोलीं- मेरी चूत में ही झड़ जाओ मैंने ऑपरेशन करा लिया है।
दो मिनट बाद मैं झड़ गया और आंटी भी झड़ गई थीं। कुछ देर हम दोनों चिपके रहे। फिर हम दोनों नंगे ही सो गए। सुबह जब मैं जगा तो आंटी सिर्फ ब्रा और पैन्टी पहन कर घर की सफाई कर रही थीं। यह देख कर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने जाकर आंटी की चूचियों को सहलाने लगा।
आंटी बोलीं- फिर से चुदाई करने का मन है?
मैंने कहा- अंकल की कमी मैं पूरी कर दूंगा।
फिर हम दोनों बाथरुम में गए, आंटी ने मुझे और मैं आंटी को नहलाने लगा। उनकी गोरी-गोरी चूत, चूची और चूतड़ों में साबुन लगा कर मलने लगा। फिर मैंने फर्श पर लेट कर उनकी चुदाई की, जब मैं झड़ गया तो उसके बाद हम दोनों नहा कर बाहर आ गए।
फिर मैंने आंटी को कपड़े पहनाए और उसके बाद साथ में नास्ता किया और अपने घर चला गया। अगले दिन मैंने उनको एक पारदर्शी नाइटी गिफ्ट दे दी।
अब भी कभी-कभी अंकल और उनके लड़के के नहीं रहने पर, मैं उनकी और अपनी प्यास बुझाता हूँ।
तो दोस्तों मेरी आत्मकथा कैसी लगी जरुर बताना।
मैं फेसबुक पर भी हूँ।
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