हास्य कविताएँ

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चाँदी जैसी चूत है तेरी, उस पे सोने जैसे बाल .. एक तू ही धनवान है रण्डी, बाकी सब कंगाल.. जिस रस्ते से तू गुजरे, सबके लण्ड खड़े हो जाएँ.. तेरी चूत की कोमल आहट, सोते लण्ड उठाये.. जो लौड़ा चूसे तू गोरी, वो पत्थर बन जाए.. तू जिससे चुदवा ले अपनी, वो डाले तुझमें माल.. एक तूही धनवान है रण्डी, बाकी सब कंगाल.. जो भी छेद हों तेरे उसमें, लण्ड घुसाते लोग.. तू नादान न जाने, कैसे चूत बजाते लोग.. छैलछबीली रण्डी थोड़ी चूची और निकाल.. तेरी चूत न फटे कभी, तू चुदे हज़ारों साल.. एक तू ही धनवान है रण्डी, बाकी सब कंगाल!


मुझ से माँगता था रोज़, मैं उसे टाल जाती थी जब भी वो देख  लेता मुझे टपक उसकी राल जाती थी…

अकेली थी इक दिन मैं घर में मेरे सिवा कोई भी ना था वो ज़िद करने लगा और मेरे पास भी बहाना कोई ना था…

उससे बोली मैं चलो दिखाओ अपना गर पसंद आया तू मुझे मंज़ूर मैंने  सोचा कि छोटा कह के ना कर दूंगी रहूँगी बेक़सूर

उठ के उसने ज़िप  पैन्ट की खोली तो झट उछलता लपकता निकल आया मुछंदर बहुत ही सुंदर था, मुँह में आ गया पानी नीचे बहने लगा समुन्दर…

अब तू बेखुद हो के मैंने ले लिया हाथ में और लगी उसे चूमने और चूसने कभी उसे देखती तो  कभी मसलती हाथों से  चूम चूम के सर लगा घूमने…

बोली उससे कि पहले दिखा देते तो  अब तक कई बार में ले चुकी होती ना तुम मिन्नतें  करते रहते ना मैं  पछताती, ना यूँ मेरी सूखी होती…

वो बोला नहीं कुछ मुझे लिटा लिया सोफे पर और मेरी कच्छी दी उतार टाँगें मेरी उठा कर इतने बड़े को मेरी पिंकी पे रख के करने लगा प्यार…

मैं उसको अंदर लेने को थी बेचैन, उससे बोली अब जानी देर ना करो आज अपनी तसल्ली कर लो रात है इस काम के लिए छोटी अब वक्त बर्बाद ना करो..

कुछ देर तू खेलता रह यूँ ही फिर उतर गया गहराई में अपनी ही रवानी में , ऐसा कोई कोई ही मिलता है  किसी को  जवानी में

उसने ऐसे मसल दिया मुझे बेसुध होके मैं  तू बन गई बंदी उसकी बेदाम जिसस तरह वो मचला अंदर जा  के क्या  बताऊँ करती रहूंगी हमेशा उसको सलाम..!!


होठों को छूआ उसने… एहसास अब तक है!

आँखों में नमी और… साँसों में आग अब तक है!

वक़्त गुज़र गया पर… याद उसकी अब तक है!

क्या पानी-पूरी थी यार… स्वाद अब तक है!!!

पहले उसने उतारी साड़ी फिर आई पेटीकोट की बारी ब्लाउज तो पहले ही दिया था उतार ज्यादा उत्साहित मत हो यार यह तो था, कपड़े सुखाने का तार!

जब तेरे चीकू थे, सब तेरे पीछू थे; जब तेरे आम हुए, सब परेशान हुए; जब तेरे खरबूजे हुए, बड़े-बड़े अजूबे हुए; जब तेरे झूल गए, सब तुझे भूल गए!

खड़ी चूत लपलप करे

पड़ी चूत डकराय

बलिहारी इस लंड की

रखत ही घुस जाय

रखत ही घुस जाय

भीतर में द्वन्द मचाय

भीतर की सुध ले

जब बाहर को आय

कह ठनठन कविराय

लंड की ऐसी तैसी

लंड गयो मुरझाय

चूत वैसी की वैसी

Pussy! Pussy! Dont go far, Can I rub you in salwar? Up above the legs so high Always juicy never dry Let me fuck you, don,t feel shy Come on baby, Just one try.


लड़कियाँ अगर गोरी ना होती,

लड़कियाँ अगर सोहनी ना होती,

लड़कों के दिल की चोरी ना होती,

कोई ना पूछता उनके हुस्न को,

अगर उनकी टांगों के बीच में मोरी ना होती।

प्रेषिका : रविता तेरे लंड की रानी मेरी चूत के राजा आजा आजा मेरी चूत बजा जा।

चोदा होगा तूने हजारों को लेकिन मेरे जैसी ना उनमें थी। – आजा आजा और भी दिखाऊँगी मजेदार बड़े चुचों और गोरी गांड का कमाल। – पीऊँगी और पिलाऊँगी भी मीठा रस बढ़िया चूसूँगी और पेलूँगी भी खास। – आजा आजा मेरे राजा जल्दी प्यास बुझा जा।

कितना शरीफ शख्स है

जो पत्नी पे फ़िदा है

उस पे कमाल यह कि

अपनी पे फ़िदा है…

चूत एक घाटी है, जहाँ घुसती केवल पुरुष की लाठी है। चूत एक गड्डा है, जहाँ लंड नामक जीव का अड्डा है। चूत एक आशियाना है, जहाँ लंड के दो पल का ठिकाना है। चूत एक आसमान है, जहाँ खड़े लंड का मिटता झूठा गुमान है। चूत एक बाग़ है, जहाँ लंड के पंहुचने से पहले लगी होती आग है। चूत एक अद्वितीय लोक है, जहाँ खड़ा लंड सिधारता परलोक है। चूत एक अज़ब सा शहर है, जहाँ लंड के रस की बहती एक नहर है। अंत में मित्रो, यह चूत ही हर लंड का अफसाना है, जहाँ लंड को खड़े हुए जाकर मुरझाये वापिस आना है।

[email protected]

प्रेषक : स्मार्टी मिक्कू बहुत अँधेरा है कमरे में रौशनी कर दो,

उतार दो यह पैराहन, चांदनी कर दो।

चली भी आओ, मैं जकड़ूँगा तुम को बाँहों में,

मैं पीना चाहता हूँ आज बस निगाहों से।

दिखा के अपना हुस्न मेरे होश गुम कर दो,

कि आज प्यार की पहली पहल भी तुम कर दो।

चले भी आओ तड़प के हमारी बाँहों में,

कि अपनी सांस मिला दो हमारी सांसों में।

मेरे जलते हुए होठों पे अपने लब रख दो,

उतार दो ये कपड़े पलंग पे सब रख दो।

मैं अपने लबों को रख दूँ तेरे रुखसारों पे,

और अपने हाथ फिराऊँ तेरे उभारों पे।

तुझे सर से पाँव तक मैं चूमता ही रहूँ,

तेरे कंधे, तेरी छाती को चूसता ही रहूँ।

मैं चाहता हूँ छेड़ना तेरे अंग-अंगारों को,

दबा के चूस के पी लूँगा इन उभारों को।

तेरा वोह अंग जो दुनिया में सबसे प्यारा है,

मैं उसे जीभ से चाटूं तेरा इशारा है।

फिरा के हाथ बदन पे मैं सज़ा दूँ तुझको,

फिर अपनी जीभ से ज़न्नत का मज़ा दूँ तुझको।

मेरे लिए भी तो यह काम एक बार करो,

मुंह में लेके चूसो इसे और प्यार करो।

फिर आओ इसके बाद एक हो जाएँ हम तुम,

मुझे अपने बदन में पूरा समा लेना तुम।

और इस खेल में आखिर में वोह मुकाम आये,

मेरे बदन में जो भी कुछ है तेरे काम आये।

चले आओ मेरी खुशियों को सौ गुणी कर दो,

बहुत अँधेरा है कमरे में रौशनी कर दो !


अहसान किसी का लेते नहीं

हाथों से गुज़ारा करते हैं

जब याद तुम्हारी आती हैं

उठ उठ के दुबारा करते हैं


जिस दिन हम उनसे दिल लगा बैठे

तन्हाई में अपने सुकून की माँ चुदा बैठे

वो तो सो गई भेनचोद किसी और के साथ

और हम अपनी ही झाँटों में आग लगा बैठे!


डालो अपनी चाबी किसी और के लॉक में आओ, कुछ दिन तो गुजारो बैंकॉक में

डाले रहते हो हाथ अपनी ही बीवी के पेटीकोट में आओ, कुछ दिन तो गुजारो बैंकॉक में

पराई चूत का रस लगाओ अपने कोक पे आओ, कुछ दिन तो गुजारो बैंकॉक में

ढूंढो अपनी खुशी किसी और के फ्रॉक में आओ, कुछ दिन तो गुजारो बैंकॉक में

खुलकर ठोको तुम गली-रस्ते-चौंक में आओ, कुछ दिन तो गुजारो बैंकॉक में

रहते हो हमेशा बीवी के खौफ में कुछ दिन तो गुजारो बैंकॉक में…

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