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दस मिनट बाद हमारा हमारा स्टॉप आ गया था।
स्टॉप पर उतर कर भाभी साड़ी का पल्लू हटाकर मुझसे बोलीं- देखो, ब्लाउज के सारे बटन टूट गए, सिर्फ एक बचा है।
मैंने देखा कि उनके ब्लाउज का सिर्फ नीचे का एक बटन बचा था, जिसे उन्होंने लगा लिया, स्तन ब्लाउज में कहने मात्र को बंद हो गए थे, उनकी नंगी गोलाइयाँ और काली निप्पल ब्लाउज से बाहर झांक रहा थी और स्तनों की सुन्दरता में चार चाँद लगा रही थी।
भाभी ने ब्लाउज को पल्लू से ढकते हुए कहा- अब ऑटो में चूचियों पर रहम कर देना।
भाभी और मैंने ऑटो कर लिया, ऑटो में भाभी ने मेरे मुँह पर पप्पियों की बारिश कर दी और बोलीं- रास्ते में बड़ा मज़ा आया।
पूरे रास्ते हम पति पत्नी की तरह बैठे और एक दूसरे को बाहों में भरकर स्टॉप आने तक लब-चुम्बन करते रहे। दस बजे हम सोनम के घर थे, वो घर में अकेली थी। सोनम 22-23 साल की एक कमसिन बदन की मालकिन थी, थोड़ी सांवली थी लेकिन उसके चेहरे से जवानी का रस टपक रहा था।
भाभी को देखकर वो उनसे चिपक गई और बोली- तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लग रहा है।
अन्दर घुसते ही भाभी ने सोनम की तरफ देखते हुए कहा- राजेश, यह मेरी पक्की सहेली है, हम साथ साथ पढ़े हैं। इसे मैं सोनम कम कुतिया ज्यादा बोलती हूँ, यह भी मुझे प्यार में रंडी बुलाती है।
सोनम से भाभी बोलीं- यह मेरा देवर राजेश है, इससे शर्माने की कोई जरूरत नहीं, पूरे रास्ते हम मज़े करते आ रहे हैं।
सोनम भाभी का पल्लू हटा कर ब्लाउज का एक मात्र बटन खोल कर उनकी चूचियों पर हाथ फिराते हुए बोली- हाँ हाँ… दिख रहा है, पूरे रास्ते तू अपने गुब्बारों में देवर जी से हवा भरवाते हुए आ रही है, तभी तो एक बटन बचा है।
भाभी हँसते हुए अपनी साड़ी उतारने लगीं और सोनम से बोलीं- तू तो एक कुतिया की तरह ही सोच सकती है।
भाभी ने ब्लाउज भी उतार दिया और सोनम से बोलीं- जा जल्दी से अपनी एक मैक्सी दे दे।
यह सब देखकर मेरा लौड़ा फिर खुलने लगा था।
सोनम कमरे से बाहर चली गई। पेटीकोट में भाभी मेरे सामने टॉपलेस खड़ी थीं, अंगड़ाई लेते हुए उन्होंने अपने स्तन हिलाए और बोली- आज रात पूरी अपनी है जमकर मज़े करेंगे।
मुझको एक गोली का पत्ता देकर बोलीं- सुबह शाम एक एक खा लेना, चोदने में मज़ा आ जाएगा, पूरे दिन 5-6 बार चूत मारने के बाद भी कमजोरी नहीं लगेगी।
यह कहकर भाभी बाहर चली गईं..
थोड़ी देर बाद भाभी और सोनम आ गए, दोनों ने सेक्सी लो कट मैक्सी पहन रखी थी।
खाने के बाद हम लोग साथ बैठकर डबल बेड की रजाई में मूंगफली खाने लगे।
भाभी और सोनम सामने बैठी थीं हम लोग बातें करने लगे भाभी मेरे पैर अपने पैर से रजाई के नीचे से सहलाने लगीं।
उधर सोनम जब भी झुकती उसकी लो कट ढीली मैक्सी से उसकी पूरी चूचियाँ दिखने लगतीं थीं।
मैंने भाभी की मैक्सी के अन्दर से पैर उनकी जाँघों में घुसा दिए थे और पैरों से उनकी जांघें गरम कर रहा था।
बारह बजे के पास भाभी सोनम से बोली- अब सोते हैं, तू अपने कमरे में सो जा, मैं तो इसके साथ ही सो जाऊँगी।
सोनम भी खुल गई थी, मुस्कराते हुए बोली- हाँ हाँ रंडी, सो जा, तुझे अपनी भट्टी की आग जो बुझानी है, तेरा ऑपरेशन चूत जो चल रहा है। लेकिन इस बेचारे के घोड़े की जान मत ले लेना।
भाभी हँसते हुए बोली- तू तो एक कुतिया की तरह ही सोच सकती है… यह तो मेरा देवर है देवर तो बच्चे के सामान होता है। थोड़ा दूध पिला कर सुला दूँगी। वैसे भी मेरी भट्टी पर तो तेरे भाई का राज है, अब तू तंग मत कर और जाकर सो और हमें भी सोने दे।
सोनम वहाँ से चली गई।
भाभी ने सोनम के जाने के बाद पर्स से निकाल कर एक गोली खा ली और बोलीं- गर्भ निरोधक है, मुझे तो नंगे लौड़ा से ही चुदने में मज़ा आता है।
उन्होंने अपनी मैक्सी उतार दी और मुझे भी पूरा नंगा कर दिया। मेरे लौड़े को सहलाते हुए बोलीं- आज किसी का डर नहीं, आज तो डलवाने में मज़ा आ जाएगा, लाइट खुली रहने देना, रोशनी में चुदने का तो एक अलग ही मज़ा है, पूरी अपनी औरत समझ कर चोदना यहाँ किसी का डर नहीं, यह सोनम तो अपनी यार है कुतिया को मैंने पहले ही बता रखा है कि अपने देवर से चुदने आ रही हूँ, न कि एग्जाम देने… तभी हरामण, ऑपरेशन चूत चूत कर रही थी।
उन्होंने झुककर मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया और चुसना शुरू कर दिया।
रास्ते भर मैं बुरी तरह से उतेजित था, मैंने भाभी के मोटे मोटे नितंब दबाने, सहलाने और पीटने शुरू कर दिए, बीच बीच मैं उनकी गाण्ड में भी उंगली घुस देता था।
थोड़ी देर बाद भाभी लेट गईं और टांगें चौड़ी करके बोलीं- आह आह… अब पेल दो, रहा नहीं जा रहा है।
उनकी चूत मेरी आँखों के सामने थी, मैं उनके ऊपर चढ़ गया, अपने हाथ से चूत पर मेरा लौड़ा लगाते हुए बोली- आज बस में तुमने बहुत तड़पाया है। अब इस कमीनी फ़ुद्दी को फाड़ दो।
मैंने भाभी की चूत में लौड़ा घुसेड़ दिया और उसे अन्दर पेलने लगा।
उनकी दोनों चूचियाँ मेरी मुट्ठी में थीं, एक दूसरे से दूधों को मिलाते हुए मैंने चूत की चुदाई शुरू कर दी थी।
भाभी ने मेरी पीठ पर अपनी टांगें मोड़ लीं थी और लौड़ा को अपनी गाण्ड हिलाते हुए पूरा अन्दर तक घुसवा लिया, मेरे टट्टे भी उनकी चूत पर तबला बजाने लगे थे, लौड़ा भाभी की चूत फाड़ रहा था।
हम दोनों के बदन रगड़ खा रहे थे, भाभी आह उह उह की आवाजें बिंदास भर रही थी और अपके चूतड़ हिला कर लौड़ा अन्दर बाहर करते हुए निडर होकर चुदने का मज़ा ले रही थीं।
बार बार उतेजना से वो चिल्ला रही थीं- चोदो राजेश चोदो… इस कमीनी चूत को चोदो… बड़ा मज़ा आ रहा है… आह पेलो न… उह आह उह उई उई उई… और अन्दर… और अन्दर… वाह क्या पेला है, वाह वाह…
भाभी की आहों ने मुझे पूरा उत्तेजित कर दिया था, मैं पूरी ताकत से धक्के मार रहा था, दोनों तरफ से पूरा सहयोग हो रहा था।
थोड़ी देर में मेरा गर्म लावा उनके गर्भ प्रदेश में घुस गया, उन्होंने भी ढेर सारा चूत रस छोड़ दिया था।
हम दोनों कस कर दुबारा एक दूसरे से चिपक गए। यह सेक्स का क्लाइमेक्स था। उसके बाद एक दूसरे से चिपक कर हम सो गए। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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