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सेक्सी हिंदी में कहानिया में पढ़ें कि मेरे पड़ोस की भाभी ने अपनी वासना पूर्ति के लिए मुझे अपने घर में ही पेइंग गेस्ट रख लिया. उनकी बेटियाँ भी खुश हो गयी.
कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि सिनेमा हाल में भाभी और मैंने एक दूसरे को हस्तमैथुन का मजा दिया.
अब आगे की सेक्सी हिंदी में कहानिया:
अगले रोज मैं यूनिवर्सिटी चला गया. दिन भर क्या हुआ मुझे कुछ भी नहीं पता चला.
मुझे भाभी के घर के बाहर भी कोई नहीं दिखाई दिया. लगभग सांय 8.00 बजे बिन्दू ने मेरे कमरे की नीचे से बैल बजाई और जल्दी में नीचे से ही यह कहकर वापिस चली गई- आपको मम्मी ने अभी बुलाया है. मुझे लगा कोई झमेला हो गया है अतः मैं उसी समय चला गया.
सरोज भाभी ड्राइंगरूम में बैठी मेरा इंतजार कर रही थी. मैंने जाते ही पूछा- क्या हुआ? सरोज भाभी बोली- कुछ नहीं हुआ, पहले तुम बैठो.
मैं बैठ गया. तभी वहाँ नेहा भी आ गईं.
मैंने देखा सरोज भाभी ने घुटनों तक की एक घाघरी स्कर्ट और ऊपर एक स्कीवलेस टॉप पहन रखा था. उन्होंने टॉप के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी जिससे उनके बड़े बड़े चूचों से उनका टॉप उनके पेट पर से उठा हुआ था.
नेहा ने भी ऊपर स्लीवलेस टॉप और नीचे बहुत ही टाइट घुटनों तक की चिपकी हुई स्लैक्स पहन रखी थी. इसी तरह बिन्दू ने भी टॉप और नीचे बहुत ही टाइट बिल्कुल छोटी सी नाइलोन की निक्कर पहन रखी थी.
दोनों बहनों की चूतों का मांस उनकी सलेक्स और निक्कर में से बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा था. चूंकि घर पर मैं मेरे लोअर के नीचे अंडरवियर नहीं पहनता और मैं भी उस वक्त वैसे ही उठकर आ गया था, इसलिए उन तीनों को इतने छोटे और तंग कपड़ों में देखकर मेरा लण्ड हरकत करने लगा था.
लड़कियों के बैठने के बाद भाभी बोली- राज, बात यह है कि आज मैंने रोहित को यहाँ से जाते हुए देखा है, मुझे उसके इरादे ठीक नहीं लग रहे हैं. मैं तुमसे एक बात पूछना चाहती हूँ कि क्या तुम हमारे घर में ऊपर वाले कमरे को किराये पर ले सकते हो? देखो, ‘ना’ नहीं करना है, मैंने दोनों लड़कियों से बात कर ली है, इन दोनों ने हाँ कर दी है.
भाभी आगे बोली- हम किराये के पैसे के लिए नहीं कह रहे हैं. बल्कि हमें आपकी जरूरत है. आपको जो ठीक लगे वह किराया दे देना. जैसे ही मैं बोलने लगा, भाभी एकदम बोली- चलो उठो, मैं तुम्हें पहले कमरा दिखा दूँ! और यह कह कर भाभी खड़ी हो गई और मुझे इशारे से बोली- आओ मेरे साथ.
मैं चुपचाप भाभी के पीछे चल पड़ा. हमारे साथ जैसे बिन्दू उठकर चलने लगी, भाभी ने उसे कहा- तुम यहीं बैठो, मैं जा रही हूँ न!
भाभी सीढ़ियों पर आगे आगे चढ़ने लगी. घुटनों तक कि स्कर्ट में उनकी गोरी और गुदाज पिंडलियाँ और घुटने के पीछे का चौड़ा भाग बहुत ही सेक्सी लग रहा था. भाभी अपनी गांड मटकाती हुई ऊपर चढ़ रही थी. उनकी मस्त गांड और गुदाज पटों को देखते ही मेरा लण्ड लोअर में तन चुका था.
हमें तीसरे माले पर जाना था, दूसरी मंजिल के पास पहुंचकर भाभी बोली- राज, मैं तुम्हें बहाने से ऊपर लाई हूँ, आप यहां रहने को मना मत करना, पिक्चर हाल की बातें याद कर कर मैं कल सारी रात नहीं सो सकी. आज दिन भर प्लानिंग करती रही कि हम कैसे आराम से मिल सकते हैं, फिर मुझे यही समझ आया कि तुम्हें किरायेदार रख लूं.
हम ऊपर पहुंच गए.
भाभी कमरे का दरवाजा खोल कर जैसे ही बिजली जलाने लगी, मैंने भाभी को पीछे से बांहों में जकड़ लिया. भाभी चुपचाप मेरी बांहों में आ गई.
मैंने अपना खड़ा लण्ड बाहर निकाल कर भाभी की गांड में धंसा दिया और भाभी के टॉप के ऊपर से उनके दोनों चूचे पकड़ लिए. मैं जोर जोर से भाभी की गांड में अपना लौड़ा आगे पीछे करने लगा. उनकी स्कर्ट गांड में पूरी धंस गई थी.
भाभी की चुचियों के दोनों निप्पल बुरी तरह से सख्त हो कर सीधे खड़े थे. मैंने उन्हें मसलना शुरू कर दिया. मैंने आगे से भाभी की स्कर्ट को उठाया और उनकी चूत को अपने हाथ में भर कर भींच दिया. चूत मद रस से गीली हो चुकी थी. मैं भाभी के सारे शरीर पर जल्दी जल्दी हाथ फिराने लगा.
भाभी आ … आ … की आवाजें निकालने लगी. भाभी एकदम मेरी तरफ सीधा हुई और अपनी चुचियों को मेरी छाती में गड़ाती हुई मुझसे लिपट गई. मैंने भाभी के सुलगते होठों पर अपने होंठ रख दिये. भाभी जोर जोर से मेरे होठों को चूसने लगी. मैंने भी भाभी के निचले होंठ को अपने होठों में ले कर चूसना शुरू कर दिया.
तभी भाभी बोली- लाइट जला देती हूँ. मैंने भाभी को छोड़ दिया.
भाभी ने लाइट जलाई. हमने एक दूसरे को देखा, भाभी का टॉप उनके तने हुए चुचों की नोक से उठ गया था.
एक झटके से हम फिर एक दूसरे से चिपक गए. भाभी पूरी तरह से वासना की आग में जल रही थी. मैंने भाभी को कहा- आप तो आज बहुत ही ज्यादा हॉट लग रही हो. भाभी बोली- आज दिन में मैं ब्यूटिशियन के यहाँ गई थी और उसने स्पेशल ट्रीटमेंट से मुझे तुम्हारे लिए तैयार किया है.
मैंने भाभी की जांघों में एकबार फिर से लोअर में खड़ा लण्ड टच करवा दिया. भाभी ने तुरंत एक हाथ से मेरे लोअर के इलास्टिक को नीचे किया और मेरे लौड़े को अपनी हथेली में भींच लिया और आगे पीछे करने लगी.
भाभी- ओ राज, मेरी तो जान ही निकलने को हो रही है, इसे अंदर डाल दो. मैंने भाभी से कहा- चलो लेटो बेड पर. भाभी- नहीं, अभी तो हमें देर हो गई है, मैं कुछ और जुगाड़ लगाती हूँ, आज अंदर लेना जरूर है, नहीं तो आज मेरी रात नहीं कटेगी.
फिर भाभी बोली- चलो, अब नीचे चलते हैं, और जो कुछ मैं तुम्हें कहूँ, वह मान जाना. हम नीचे आ गए.
मेरा लण्ड अब भी अपने हल्के उभार से मेरे लोअर में काफी हिलता हुआ दिखाई दे रहा था जिसे चोर नजरों से नेहा देखकर अंदर ही अंदर खुश हो रही थी. मैं नीचे आकर बैठ गया. भाभी कहने लगी- राज, बताओ कमरा पसन्द आया? मैंने कहा- भाभी कमरा तो एकदम आलीशान है लेकिन इसका किराया कितना है? भाभी बोली- जो तुम देना चाहो दे देना.
फिर भाभी ने पूछा- तुम्हारा खाने के समेत कितना खर्च आता है? मैंने कहा- किराया और होटल का खाना मिलाकर लगभग 5000 रुपये महीना आता है. भाभी- ठीक है आज से तुम हमारे पेइंग गेस्ट हो और तुम सब मिला कर 4000 रुपये दे देना. मैंने कहा- ठीक है, मैं कल से आ जाऊंगा.
भाभी कुछ सोचने लगी, फिर बोली- राज, मुझे डर है कि कहीं रोहित कुछ पंगा न कर दे? मैं सोच रही थी कि क्यों न तुम आज से ही सोना शुरू कर दो, सामान कल शिफ्ट कर लेना. मैं भाभी की बैचेनी समझ रहा था और मेरा लण्ड भी झटके मार रहा था.
मैंने नेहा और बिन्दू की तरफ देखा तो वे दोनों भी बोली- मम्मी ठीक कह रही हैं, आप सामान कल ले आना. मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि चलो अब हर रोज कोई न कोई बढ़िया चूत मिलती रहेगी.
सरोज और नेहा खाना बनाने लग गईं. बिन्दू वहाँ से उठ कर चली गई.
मैंने भाभी से कहा- भाभी, मैं एक बार अपने कमरे में हो कर आया. मैं कमरे में गया और वहां से अपना ब्रश, टॉवल आदि ले आया.
मैंने भाभी से कहा- भाभी मैं यह सामान अपने कमरे में रख दूँ? भाभी बोली- रख दो, लेकिन आज तो तुम यहाँ ड्राइंगरूम में दीवान पर ही सो जाना, कल सुबह कमरा तैयार करवा दूंगी, अभी तो बच्चों की बुक्स वगैरह होंगी. मैं भाभी का इशारा समझ गया.
भाभी बड़ी ही सफाई से अगले प्रोग्राम को अंजाम दे रही थीं. मैं ऊपर गया तो कमरे में बिन्दू अकेली थी.
मैंने तुरंत बिन्दू को अपनी गोद में उठा लिया और उसको मसलने लगा. बिन्दू भी मुझसे चिपक गई. बिन्दू बोली- ये बहुत अच्छा हो गया, अब हम आराम से मिल सकते हैं.
मैंने बिन्दू की टाइट निक्कर में उसकी उभरी चूत को जोर से सहला दिया. बिन्दू एकदम सिसक उठी.
मेरा लौड़ा फिर झटके मारने लगा. मैंने जल्दी में बिन्दू के मम्मों को जोर से दबाया तो बिन्दू सिसकारी लेने लगी. जल्दी में लौड़ा निकाला और बिन्दू के हाथ में पकड़ा दिया. बिन्दू उसको हाथ में पकड़ कर मस्त हो गई. बिन्दू लण्ड को आगे पीछे करने लगी.
मैंने बिन्दू से पूछा- यह अंदर कब लेना है? बिन्दू बोली- जैसे ही मौका मिलेगा, लेकिन किसी को भी शक नहीं होना चाहिए.
तभी नीचे से नेहा की आवाज आई- खाना तैयार है, सभी आ जाओ. मैंने बिन्दू को छोड़ दिया और कहा- तुम नीचे चलो, मैं लंड को बैठा कर आता हूँ. बिन्दू मुस्कुराने लगी और बोली- यह तो शाम से ही इसमें झूल रहा है, आपने नीचे अंडरवियर नहीं पहन रखा है क्या? मैंने कहा- मैं घर पर अंडरवियर नहीं पहनता हूँ.
अब मैंने बिन्दू से पूछा- क्या तुमने इस निक्कर के नीचे पैंटी पहन रखी है? बिन्दू ने मेरी तरफ देखा और ना में सिर हिला दिया.
मैंने एकदम अपने लंड को हाथ से पकड़ा और निक्कर के ऊपर से ही बिन्दू की उभरी हुई चूत पर रख दिया. वो एकदम सिहर गई. कुछ मेरे लंड का पानी था और कुछ बिन्दू की चूत में से कुछ बूंदें पानी की निकली थी अतः लंड के दबाव देने से बिन्दू की चूत के ऊपर से उसकी निक्कर गीली हो गई.
बिन्दू ने नीचे देखा तो कहने लगी- आप चलो, मैं बीच वाले पोर्शन में जाकर इसे प्रेस से सुखा कर आती हूँ.
मैंने बाथरूम में जाकर पेशाब किया जिससे लंड कुछ नीचे बैठा. फिर मैं नीचे ड्राइंग रूम में चला गया.
हम लोग सीधे डाइनिंग टेबल पर बैठ गए, कुछ ही देर में नेहा और उसकी मम्मी ने खाना लगा दिया और हम चारों ने खाना खाया.
ग्राउंड फ्लोर पर दो बैडरूम, एक ड्राइंग रूम, किचन और दोनों बेडरूम के साथ अटैच बाथरूम थे. दोनों बेडरूम के बीच में एक छोटी सी गैलरी थी जो सामने से पीछे की ओर निकलती थी. एक बैडरूम का दरवाजा ड्राइंग रूम में खुलता था जिसमें नेहा की मम्मी अर्थात सरोज सोती थी, गैलरी के दूसरी ओर नेहा का बेडरूम था.
सरोज भाभी ने पहली रात मेरा सोने का प्रबंध ड्राइंग रूम में जानबूझकर किया था. यदि ड्राइंग रूम का दरवाजा गैलरी की तरफ से बंद कर लिया जाए तो सरोज का बेडरूम अलग हो जाता था अर्थात सरोज के बेडरूम में जाने का एक रास्ता ड्राइंग रूम से था, एक दरवाजा पीछे के आंगन में निकलता था.
खाना खाने के बाद सरोज ने लड़कियों से कहा- जाओ अपने अपने कमरों में सो जाओ. रात के 11:00 बज गए थे. उन्होंने दीवान के ऊपर ओढ़ने के लिए एक चादर रख दी और मुझसे कहने लगी- राज तुम भी सो जाओ और ड्राइंगरूम का दरवाजा अंदर से बंद कर लेना, मुझे अगर जरूरत पड़ेगी तो मैं अपने पिछले आंगन के दरवाजे से गैलरी में आ जाऊंगी.
मैं दीवान पर बैठ गया और लड़कियों का वहां से जाने का इंतजार करने लगा. नेहा अपने कमरे में चली गई. बिन्दू भी ऊपर अपने कमरे में चली गई.
5 मिनट किचन का काम करके सरोज ने मुझसे कहा- मैं अभी एक बार लड़कियों को देख कर आती हूँ.
कुछ देर बाद सरोज आ गई. उसने बताया कि लड़कियाँ अपने कमरों में लाइट बंद करके सो गई हैं. तभी सरोज ने ड्राइंग रूम का दरवाजा गैलरी की तरफ से बंद किया और मेरे साथ दीवान पर बैठ गई.
दीवान पर आते ही मैंने सरोज को अपनी गोद में लिटा लिया और उसके होठों से अपने होंठ चिपका दिए. मैंने सरोज से कहा- यह तो आपने कमाल कर दिया, बहुत ही पक्का अरेंजमेंट किया है.
सरोज कहने लगी- राज बस तुम्हारी चाहत ने यह सब करवा दिया, मैं तो तुम्हारी कायल हो गई हूँ, अब तुम आराम से यहां रहो और हम आराम से जब मर्जी अपना काम कर लिया करेंगे. मैंने कहा- बिल्कुल ठीक है, यदि मैं मेरे पुराने कमरे में रहता और बार- बार आपके यहां आता जाता या आप वहां आती जाती तो लोग शक करते. सरोज कहने लगी- लोगों की तो मुझे वैसे भी परवाह नहीं है.
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सेक्सी हिंदी में कहानिया जारी रहेंगी.
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