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मैंने कुछ सुना नहीं, उनके बिस्तर पर धकेला… उनके पैर नीचे लटक रहे थे… मैंने सलवार की इलास्टिक खींची तो साथ में गुलाबी रंग की पैंटी भी नीचे आ गई।
‘जीईईजाजी, क्या कर रहे हओओ.. मुझे खराब मत करो…’
लेकिन उन्होंने गांड उठा दी और सलवार निकल आई और पैंटी भी…
चूत पर छोटे छोटे बाल थे.. मेरा तो लंड अब बेकाबू होने लगा… भाभी की गांड पर हाथ फेरा और ज़ोर से मसल दिया।
‘आआआअह्ह ह्ह्ह… प्लीज मत करो… वो उछल पड़ी… क्या गोरी और चिकनी गांड थी उनकी… मैंने अब अपने कपड़े उतारना शुरू किया.. इस मौक़े का फायदा उठा कर भाभी उठी और कपड़े उठा कर जल्दी से नीचे भागी।
मेरी पैंट आधी खुली थी.. मैंने पूरी खोली, उसे वहीं फेंका और अंडरवीयर में उनके पीछे भागा, वो अपने बेडरूम में घुस गई, दरवाजा बंद दिया… मैं दरवाजे के पास गया और हल्के से धकेला… दरवाजा खुल गया।
भाभी वैसी ही बेड पर उलटी लेटी हुई थी.. मैं समझ गया, मैं उनके पीछे गया, मैंने अपना अंडरवीयर भी निकाल दिया.. मेरा काला मूसल जैसा 7″ का लंड छिटक कर बाहर आ गया, मैंने पीछे से उनके बदन पर लण्ड छुआया।
वो चौंक कर पलटी- आआह्… ओह… मुझे क्यों परेशान कर रहे हो.. और यह क्या… हाय अल्ल्लाआह्ह्ह इतना बड़ा और मोटा… बाप रे… सुरेखा तो रोती होगी?
‘उसकी बात छोड़ दो भाभी!’ लेकिन आपको तो यह अच्छा लगेगा।
मैंने फ़िर से उन्हें दबोच लिया।
अब मेरा लंड उनके पेट के पास था, मैंने उनकी चूचियाँ ज़ोर ज़ोर से मसलन शुरू की और उनके होंठ चूमने लगा।
इस बार वो सिर्फ ‘आआह नहीं.. ऊऊओह्ह अखिलेश मत करो..’ बोल रही थी लेकिन साथ में मुझसे लिपटी जा रही थी, मेरे लंड का प्री-कम उनके पूरे पेट को गीला कर रहा था।
मैंने उनसे कहा- इसे पकड़ो ना… और उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर लगाया..
उन्होंने बदमाशी की और उसे पकड़ के जोर से दबा दिया।
‘आआआह भाभी… प्यार से सहलाओ!’ ‘क्या प्यार से इतना मोटा?’ भाभी पुरानी खिलाड़ी थी लेकिन फ़िर भी कहा- तुम्हारा बहुत लम्बा और मोटा है… तुम आज मुझे बर्बाद कर के छोड़ोगे!
मैंने कुछ नहीं कहा और उनके गोरे पेट को सहलाते हुए जीभ से गीला करने लगा। भाभी मुझे धकेल रही थी लेकिन उन्होंने मेरा लंड नहीं छोड़ा।
मैंने अब सीधे उनके पैर फैला दिये, अपना मुँह उनके पैरों के बीच रखा और चूमा।
‘आआआअ अह्ह्हह… कितने गंदे हो.. वहाँ क्यों मुँह लगा रहे हो?’
‘भाभी, अभी आप कुछ मत कहो!’
‘तुम भाभी भाभी कहते हो, कहते हो ‘इज्जत करता हूँ!’ यह इज्जत का तरीका है? ..उईईई ईईइ…’
मेरी जीभ चूत के अंदर दाखिल हो गई और अंदर गोल गोल घुमाने लगा।
‘आआह्ह ह्ह्ह… अखिलेश… मैं पागल हो रही हूँ… मत करओ… प्लीज.. मैं तुम्हारी भाभी हूँऊ…’
लेकिन मुझे अब उनकी गुलाबी चूत और उसके अंदर का नमकीन पानी ही याद था.. मैंने तेजी से चाटना शुरू किया..
भाभी अपने चूतड़ उछालने लगी थी- अखिलेश… हरामीई ये क्या कर रह है… ईआआअह! भाभी का बदन अकड़ने लगा था, उनका पानी निकलने वाला है, यह मैं समझ गया।
अब मैंने अपनी एक उंगली उनके मुँह में डाली, उन्होंने काट ली। फ़िर उसे धीरे धीरे चूसना शुरू किया.. मैंने पोजीशन बदली और उन्हें उठाया, किनारे पर मैं बैठ गया और उनसे कहा- नीचे आओ!
‘क्यों?’ ‘आओ तो!’
वो नीचे आई मैंने उन्हें घुटनों पर बिठाया, मेरा लंड उनके मुँह के सामने था, वो तो तड़प रही थी, फ़िर भी उठ कर जाने लगी।
मैंने जबरदस्ती बिठाया और लंड को उनके गालों पर रगड़ा, फ़िर होंठों पर रख कर कहा- इसे किस करो !
वो मेरी तरफ देखने लगी।
मैंने उनके सिर को पकड़ा और लंड को होंठों पर रगड़ा।
चाहती तो वो भी थी… पहले थोड़ा चाटा, जीभ से फ़िर होंठों को खोला और लंड का सुपारा मुँह में लिया।
मैंने देखा उनके छोटे मुँह में लंड नहीं जा रहा था.. बहुत मोटा जो है.. मैंने सिर को कस के पकड़ा और दबाया- ले साली… बहुत दिनों से तडपा रही है… अपनी चूची और चूतड़ दिखा दिखा के..
अब उन्होंने चूसना शुरू किया मैं तो जन्नत में पहुँच गया था.. ‘ऊओह्ह भाभीईईई… मज़ा आ रहा है…!
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मेरे गोटियों में सूजन आ रही है, मेरा हो जाएगा, मैंने भाभी को उठाया और बेड पर लिटा दिया। पैर नीचे लटक रहे थे, पैरों को उठाया।
‘नहीं प्लीज़… अभी मैं सेफ नहीं हूँऊ.. मेरे ठहर सकता है.. नहीईई…’
मैंने कहा- फ़िक्र मत करो, मैं बाहर निकाल लूँगा। और पैरों को फैलाया, अपने कंधे पर रखा, लंड को चूत के ऊपर रगड़ना शुरू किया- भाभी, कैसा लग रह है?
‘हरामजादे अपने लंड को मेरी चूत पे लगा के भाभी कह रहा है…? अब जल्दी कर जो करना है।’
यह सुन कर मुझे तो जोश आ गया और अपना लंड उनकी चूत पे धीरे धीरे रगड़ने लगा, रगड़ता रहा, रगड़ता रहा, भाभी को छटपटाता हुआ देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था!!
फ़िर मैं भाभी के मम्मे दबाने लगा !!
वो बोली- मादरचोद… और कितना तड़पायेगा?
मैं हंसा और अपना लंड उनके छेद पर रख कर दबाया।
भाभी तड़प उठी- ऊऊओह्ह ह्ह्ह मर गई मादरचोद निकाल… निकाआल… बहुत मोटा है.. अह… मैं मर जाऊँगीई!मैं रूक गया और लंड को बाहर खींच लिया। भाभी ने आँखें खोली और पूछा- अब क्या हुआ?
मैंने कहा- आपने कहा ‘निकाल!’ इसलिए निकाल लिया।
‘हरामी, क्यों तड़पा रहा है… अब जो करना है कर…’
मैंने आव देखा ना ताव और लंड को चूत पर रख कर जोर का झटका मारा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! भाभी का पूरा बदन ऐंठ गया- आआअ आआह्ह ह्ह्ह मार डालाआअ रे हरामीईईई… ये आदमी का है या घोड़े का, सुरेखा की क्या हालत करते हो, ऊऊफ़्फ़्फ़ पूरी भर गई मेरी…
मैं अब थोड़ा थोड़ा आगे पीछे करने लगा और भाभी को चूमने लगा, निप्पल चूसने लगा.. वो थोड़ा नॉर्मल हुई और उनकी चूत ने भी अब फ़िर से पानी छोड़ा…
मैंने आधा लंड बाहर निकाल के इस बार तूफानी शॉट मारा और बिल्कुल धोनी के सिक्सर की स्पीड से लंड पूरा भाभी के चूत में पेल दिया।
‘आआआअ… उईईईइ ईईईई माआआआ… किस मनहूस घड़ी में मैं तुम्हारे हाथ लग गईईईई…!’
मैंने उनके बगल के नीचे से हाथ डालकर उनके कंधों को पकड़ा जिससे वो हिल नहीं पाए और फ़िर मैंने धोनी की स्टाइल बैटिंग शुरू की।
वो उफ़ उफ्फ्फ आआह अह्ह्ह कर रही थी, चूत से पानी की धार बहने लग गई।
उनकी गांड तक बहने लगी और नीचे चादर भी गीली हो रही थी।
मेरी स्पीड जोर की थी, भाभी के मुँह से निकला- वाह मेरे शेर !!! वाह… आज मुझे पहली बार इतना मजा आया ऊऊऊ.. आज मेरी मुराद पूरी हो गईईइ… ऊऊह ऊओह्ह मेरा होने वालाआ हैईई ! और ज़ोर सेईई…
मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था, काट रह था.. उनके लंबे नाखून मेरी पीठ में गड़ रहे थे। ‘फाड़ दे… मेरी फाड़ दीईईईए… आआ आआह्ह्ह!’
उन्होंने मुझे कस के पकड़ा और वो झड़ने लगी।
करीब दो मिनट उनका ओर्गैस्म चालू था। इधर मेरा भी होने वाला था। उस तूफानी स्पीड में मैंने कहा- भाभी, मेरा झड़ने वाला है, मैं कहाँ निकालूँ।
‘मेरे अंदर डाल दो दओ.. आआह्ह !’
‘लो भाभी… ये लओ !’ और मैंने लंड को उनकी चूत के एकदम अंदर मुँह पर टिका दिया और मेरी पिचकारी शुरू हो गई।
दोनों ने एक दूसरे को कस के पकड़ा था.. इसी तरह हम करीब दस मिनट रहे।
उन्होंने फ़िर मुझे धकेला और मेरी तरफ देखा- कर दिया ना भाभी को खराब..? और मुझे धकेला।
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मैंने उनकी चूत से लंड बाहर खींचा, वो मासूम भाभी के और मेरे पानी से लिपटा हुआ था। उसे देख कर भाभी ने कहा- देखो कैसे मासूम लग रहा है..!! उन्होंने नीचे देखा, चूत फ़ूल गई थी।
उन्होंने हाथ लगाया और सिहर उठी- देखो क्या हालत की तुमने… छोटी सी थी.. कितना सूज गई है और कितना दर्द हो रहा है… उनकी चूत से मेरा सफ़ेद पानी और उनका पानी बाहर टपक रह था, चूत का मुँह भी खुल गया था… वो उठ भी नहीं पा रही थी।
एक बार की चुदाई के बाद भाभी की हालत तो एकदम खराब हो गई थी.. इस उमर में इतनी जबर्दस्त चुदाई होगी, यः उन्होंने सोचा भी नहीं था लेकिन मुझे भी उनका वो गदराया बदन इतने सालों बाद मिला.. मैंने जम कर चोदा.. सबसे बड़ी बात.. मुझे पता था कि भाभी को मोटे और लंबे लंड से ज्यादा मजा आयेगा और वो मेरे पास है… लेकिन मेरी बीवी मुझसे इस तरह चोदने नहीं देती, रोने लगती है और मुझे चुदाई में रहम से नफ़रत है…
खैर मैं उठा, लंड तो पूरा लथपथ था भाभी के योनि रस से और मेरे वीर्य से.. इतना माल तो मेरा कभी नहीं निकला था.. और भाभी की चूत भी मुँह खोले ‘O’ की आकृति की हो गई थी.. पूरी लाल दीख रही थी.. बाथरूम बाजू में था।
मैंने देखा कि भाभी ठीक से उठ नहीं पा रही हैं… मैंने उन्हें हाथ पकड़ कर उठाया.. मैंने देखा भाभी की कांख में बाल है.. और चूत पर भी बाल बढ़े हुए थे..
किसी तरह मैंने उन्हें उठाया और बाथरूम ले गया।
मैं- भाभी, आप कांख के बाल क्यों साफ नहीं करती?
भाभी- नहीं, क्यों?
मैं- किया करो ना.. और स्लीव्लेस पहना करो!
भाभी- वहाँ शेव कैसे करूँ… डर लगता है, कट जाएगा तो?
मैं- शेविंग का सामान दो मुझे..
भाभी- क्यों?
मैं- मैं कर देता हूँ आपका जंगल साफ!
मैंने वहीं बाथरूम में रखा शेविंग का सामान लिया, भाभी को अपने सामने खड़ा किया, भाभी पूरी नंगी खडी थी मेरे सामने और मेरा लंड आधा खड़ा हो रहा था। उन्होंने एक हाथ ऊपर कर लिया, उनके कांख में साबुन लगा कर आराम से शेव किया, इस बीच मैं उनकी चूचियाँ भी सहला रहा था तो उनके निप्प्ल कड़क होने लगे थे।
भाभी- तुमने मुझे रंडी बना दिया.. मैंने पहली बार किसी दूसरे मर्द को नंगा देखा.. और खुद भी इतनी बेशरम जैसी तुम्हारे साथ नंगी खडी हूँ।
मैंने दोनों बगलों के बाल साफ़ करके पानी से धोया और उस पर चुम्बन करने लगा। कहानी जारी रहेगी।
भाभी- आआअह… फ़िर से मुझे मत गर्म करो प्लीज… एक बार मैंने गुनाह कर लिया है… आआ आह्ह्ह…
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