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सम्पादक – इमरान
मैं दूसरे कमरे में आ गया था मगर उनको कुछ पता नहीं चला था। दोनों ही जवान लग रहे थे पर पता नहीं दोनों में क्या रिश्ता था, पति पत्नी या फिर कुछ और?
मैंने दोनों की बातें सुनने की कोशिश की।
लड़का- यार रानी… यह तो इस छम्मकछल्लो को नंगी ही छोड़ कर कहीं चला गया?
ओह! इस लड़की का नाम रानी था।
वो पीछे से बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
जरा सी देर में ही पता चल गया कि ये दोनों भी पति पत्नी हैं और मामाजी के बेटे और बहू हैं।
बेटा अपने बाप को ही मस्ती करते हुए अपनी बीवी के साथ देख रहा था।
मैंने देखा दोनों केवल देख ही नहीं रहे थे बल्कि आपस में मस्ती भी कर रहे थे।
मामाजी की बहू भी बहुत सेक्सी लग रही थी, 30-31 साल की बहुत सुन्दर थी, उसके बदन पर भी इस समय एक ब्रा और पेटीकोट था।
मैंने सोचा सही मौका है इसके साथ मस्ती करने का!
यह भगवान भी एकदम से भलाई का बदला भलाई से दे देता है, उधर मैंने मामाजी का ख्याल रखा और अपनी बीवी को उनके लिए छोड़कर आया, इधर उन्हीं की बहू इस रूप में मिल गई।
देखता हूँ साली अपने पति के सामने हाथ रखने देती है या नहीं?
मैं वहीं रानी की कमर के पास बैठ गया, मैंने उसकी नंगी कमर पर अपना हाथ रखा, उसने कुछ नहीं कहा, शायद वो अपने पति का हाथ ही समझ रही थी।
मैं हाथ को खिसकाते हुए सीधे उसके मोटे मोटे चूतड़ों तक ले गया, उसके चूतड़ थे कुछ छोटे और बाहर को भी निकले हुए थे।
क्या बात है! यह भी सलोनी की तरह ही बहुत हॉट निकली।
रानी ने भी पेटीकोट के अंदर कच्छी नहीं पहनी थी।
मेरे हाथों को बहुत ही मुलायम और गद्दे जैसा एहसास हुआ, मैंने पेटीकोट के ऊपर से ही उसके एक चूतड़ को अपनी मुट्ठी में लेकर दबाते हुए मसला और बहुत ही हल्की सी आवाज में बल्कि फुसफुसाते हुए ही कहा- यह क्या हो रहा है?
दोनों ने एक साथ चौंककर मुझे देखा, उनकी साँसें रुक सी गई। मैं समझ गया कि दोनों बेइंतहा डर गए हैं, उनको शायद यह चिंता थी कि उनके पिता क्या सोचेंगे।
बस मैंने उनकी इसी मज़बूरी का फायदा उठाने की सोची, मैं वहीं दोनों के बीच दरवाजे के पास बैठ गया। उन्होंने दरवाजा इतना तो खोल ही रखा था कि अंदर क्या हो रहा है, उसका पूरा नजारा मिल रहा था।
इस कमरे में आने के बाद मैंने पहली बार ही देखा कि सलोनी और मामाजी क्या कर रहे हैं!
सलोनी पेटीकोट और ब्लाउज में सीधी लेटी थी, जबकि मामाजी ने उसकी ओर करवट ले ली थी। सलोनी का पेटीकोट भी उसके घुटनों तक था, सब कुछ सामान्य ही लग रहा था। सलोनी शायद खुद पहल करना नहीं चाह रही थी।
तभी मामाजी ने अपना हाथ सीधे ही सलोनी की चूत के ऊपर रखा। मैंने साफ़ साफ़ देखा कि मामाजी ने पेटीकोट के ऊपर से ही चूत को अपनी मुट्ठी में लेकर मसला है।
सलोनी अपनी आँखें बंद किये चुपचाप लेटी थी। मुझे यकीन था कि वो जाग रही है और उसको पता है कि मैं कमरे में नहीं हूँ। फिर भी वो मामाजी को नहीं रोक रही, उसको भी दिल मजा लेने का कर रहा है।
इधर मैंने रानी को ध्यान से देखा, 28-30 साल की जवानी से लबालब, भरपूर माल दिख रही थी, रंग गोरा, लम्बे बाल, 5 फ़ीट 4 इंच कद और करीब 34 के मम्मे, चूतड़ जरूर सलोनी से कुछ छोटे थे 32 के आस पास होंगे पर उनकी गोलाई और कसावट मस्त थी।
मैं उस कमरे में देखते हुए रानी के चूतड़ मसल रहा था, रानी को भी अपने ससुर की रासलीला देख़ने में मजा आ रहा था। वो मेरी गोद में आकर झुककर उधर देख रही थी, उसके मस्त मम्मे मेरी जांघों पर दबे थे।
हालांकि उसने ब्रा पहनी हुई थी पर नंगे मम्मों का एहसास होते हुए मैं जान गया कि वो ब्रा से बाहर निकले होंगे। जांघों पर उसके नुकीले निप्पल बहुत ही सुखद मजा दे रहे थे।
मैं सलोनी की चूत की मसलाई देखते हुए ही रानी के चूतड़ को मसल रहा था।
रानी का पति भी केवल सलोनी को देखने में ही लगा था, उसने मेरे हाथों से रानी को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया।
जबसे पिंकी से मेरे सम्बन्ध बने थे, तभी से मेरे दिल में उसको उसके ही पति के सामने चोदने की तमन्ना थी मगर वो इतनी आसानी से नहीं हो सकता था।
मैं यह देखना चाहता था कि क्या मेरे में ही ऐसी इच्छा होती है या फिर दूसरे पति भी अपनी बीवी को दूसरे से चुदवाकर मजा लेते हैं?
और यह सब कितनी आसानी से हो गया था, आज बिना कुछ सोचे एक जवान जोड़ा मेरे साथ था।
वो भी ऐसा संजोग कि रानी के पति का अपना सगा बाप उन्हीं के सामने मेरी बीवी संग मस्ती कर रहा था।
मैं रानी के चूतड़ों को मसलते हुए उसके पेटीकोट को ऊपर को खींचने लगा।
रानी ने अब कुछ विरोध किया, वो जरा सा तिरछी होकर अपने हाथ पर टिक गई। इससे उसका एक मम्मा तो अभी भी मेरी जांघ पर थ मगर वो आधी लेटी अवस्था में करवट से हो गई थी।
मैंने ध्यान से ऊपर से नीचे तक उसको देखा। कमरे में इतनी रोशनी तो थी कि मैं सब कुछ अच्छी तरह देख सकता था। उसके मम्मे वाकयी ब्रा से बाहर को थे जो हाथ रखा होने के बाद भी दिख रहे थे।
जबकि उसका पेटीकोट घुटनों तक था।
रानी की गोरी गोरी पिंडली और पाँव में पड़े पाजेब बहुत ही सेक्सी लग रहे थे।
तभी मुझे उसका मस्ताना रूप दिखा, उसके पेटीकोट को बांधने वाला हिस्सा उस ओर ही था और वहाँ इतना गैप था कि आसानी से मेरा हाथ अंदर जा सकता था।
अँधेरा होने से उसके अंदर तो नहीं दिख रहा था, पर मैं हाथ से उसकी चूत को छू सकता था, वो भी उसके पति की मौजूदगी में…!
मैं यह सोचकर ही रोमांचित था कि उसकी चूत बिना किसी परदे के होगी। क्योंकि यह तो मैंने देख ही लिया था कि उसने पेटीकोट के अंदर कच्छी या कुछ और नहीं पहना है।
मैं रानी की चिकनी कमर पर हाथ रख फिसलाता हुआ वहाँ तक ले गया। वो तो सलोनी की मस्ती देख खुश हो रही थी, मैंने अपना हाथ उस गैप में घुसा दिया और सीधे उँगलियों को जांघों के जोड़ तक ले गया।
रानी- ओह प्लीज… मत करो ना… अह्ह्हाआ! उसने बहुत हल्की सी ही आवाज निकाली और घूमकर अपने पति की ओर देखा। पर उसको कुछ पता नहीं चला, उसने एक बार तिरछी नजर से तो देखा, फिर वापस उसी कमरे में देखने लगा।
रानी भी ज्यादा शोर तो कर नहीं सकती थी, अपने पति की ओर से संतुष्ट होकर उसने भी विरोध करना बंद कर दिया।
मैंने आसानी से ही अपनी उँगलियाँ उसकी चिकनी चूत तक पहुँचा दी। उसने भी अपनी चूत के बाल पूरी तरह साफ़ कर रखे थे, उसकी चूत के होंठ बाहर को उठे ही बहुत ही कोमल महसूस हो रहे थे।
मैंने उसकी पूरी चूत को सहलाते हुए उसके चूत के दाने को रगड़ना शुरू कर दिया।
रानी ने खुद ब खुद अपने पैरों के गैप को बढ़ा दिया जिससे मैं सरलता के साथ उसकी पूरी चूत को सहला पा रहा था।
रानी की चूत को सहलाते और एक उंगली से उसकी चूत के अंदर तक करते हुए मैंने दूसरे कमरे में देखा, मामाजी भी सलोनी से कुछ ज्यादा ही मजा ले रहे थे, वो उससे पूरी तरह सट गए थे।
अरे यह क्या… उन्होंने सलोनी का पेटीकोट पूरा ऊपर तक उठा दिया था और वो उसकी नंगी चूत को चूम रहे थे।
हम जहाँ थे, वहाँ से पूरा दृश्य साफ़ साफ़ दिख रहा था।
तभी रानी अपने पति को बोली- ओह, यह पापा को क्या हो गया? देखो, मैं आपसे नहीं कहती थी कि इनकी हरकतें ठीक नहीं है… पर आपको मेरी बात पर भरोसा ही नहीं था? उस बेचारी को सोते हुए भी परेशान कर रहे हैं। उसका पति केवल ‘ह्म्म्म्म्म’ बोल कर रह गया।
मैंने दोनों को चुप रहने को बोला और रानी की चूत में ऊँगली करता रहा।
उसकी चूत से भरभरा कर रस बाहर आ रहा था।
रानी इतना अधिक मदहोश हो गई थी कि उसने मेरे लण्ड तक को टटोलना शुरू कर दिया था।
मैंने भी उसकी मर्जी को समझा और ज़िप खोलकर अपना पहले से ही तनतनाया लण्ड बाहर निकाल लिया।
मैंने रानी की आँखों में प्रशंसा देखी, उसने मेरे लण्ड को पकड़ लिया। इतना कुछ तो हो गया था, अब यह देखना था कि क्या रानी का पति अपने सामने ही मुझे रानी की इस रस भरी चूत में लण्ड डालने देगा या नहीं?
मैं तो मान भी जाऊँ पर मुझे नहीं लगता कि अब मेरा लण्ड मानेगा।
और उधर मामाजी क्या केवल सलोनी की चूत चाटकर ही संतुष्ट हो जाएँगे या फिर आगे भी बढ़ेंगे।
फिर अगर बढ़े तो क्या सलोनी मना करेगी या उनका सहयोग करेगी?
देखो क्या होता है?
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