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सारिका कँवल वो मेरे ऊपर से हट गए और बगल में लेट गए।
मैंने भी दूसरी और मुँह घुमा कर अपनी आँखें बंद कर लीं। मैंने न तो कपड़े ठीक करने की सोची और न अपनी योनि साफ़ करने की, बस पता नहीं किस ख्याल में डूब गई।
मैं बस यह सोच रही थी कि क्या इतने बुजुर्ग मर्द में भी इतनी ताकत होती है? मेरे दिल में अब यह ख्याल नहीं आ रहा था कि वो मेरे रिश्तेदार हैं, बस एक संतुष्टि सी थी।
लगभग 15-20 मिनट बाद मुझे पता नहीं क्या हुआ मैं उनकी तरफ पलटी और उनको उठाया, वो भी नहीं सोये थे।
उन्होंने मुझसे पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- और करना है क्या?
उन्होंने तुरंत कहा- हाँ..
फिर मैंने अपने कपड़े खुद ही उतार दिए सारे और नंगी हो गई। मुझे ऐसा देख उन्होंने भी कपड़े उतार दिए और नंगे हो गए, वो मेरे सामने पूरे नंगे थे, मैंने गौर से देखा उनके शरीर पर झुर्रियाँ तो थीं पर लगता नहीं था कि वो बूढ़े हैं, सीना ऐसे मानो कोई पहलवान हो।
सीने पर काफी बाल थे और कुछ सफ़ेद बाल भी थे। उनका लिंग तो पूरा बालों से घिरा था, पर वहाँ के बाल अभी भी काले थे, उनके अंडकोष काफी बड़े थे।
मुझे पता नहीं क्या हुआ शायद एक बार में ही उनका चस्का सा लग गया। वो इससे पहले कि कुछ करते, मैंने खुद ही उनका लिंग पकड़ लिया और हिलाने लगी।
उनका लिंग ढीला था और मेरे हाथ लगाने और हिलाने से कोई असर नहीं पड़ रहा था, वो अब भी झूल रहा था।
उनके लिंग को अपने हाथ में पकड़ते ही मुझे फिर से कुछ होने लगा, मेरी योनि में गुदगुदी सी होने लगी।
वो अपने दोनों हाथ पीछे करके पैर सीधे किये बैठे थे और मैं उनके लिंग को हिला रही थी, पर करीब 5 मिनट हिलाने के बाद भी कोई असर नहीं हो रहा था।
मैंने एक हाथ से उनके सर को पकड़ा और अपने स्तनों पर झुका दिया, फिर दूसरे हाथ से अपने एक स्तन को उनके मुँह में लगा दिया और वो चूसने लगे।
मैंने फिर से उनके लिंग को पकड़ कर खड़ा करने के लिए हिलाने लगी।
तभी उन्होंने एक हाथ से मेरी टांग को फैला दिया और मेरी योनि को छूने लगे।
कुछ देर सहलाने के बाद उन्होंने मुझे रुकने को कहा और बिस्तर से उतर कर मेरी फटी हुई पैंटी उठा ली और मेरी योनि में लगा हुआ वीर्य पोंछ दिया और फिर उसे सहलाने लगे।
मैंने फिर से उनके लिंग को पकड़ सहलाना शुरू कर दिया और वो मेरी योनि को सहलाते हुए स्तनों को चूसने लगे।
उनका लिंग कुछ सख्त हो चुका था, पर इतना भी नहीं कि मेरी योनि को भेद सके।
तब मैंने उनके चेहरे को अपने स्तनों से अलग किया और उनके लिंग को मुँह में भर कर चूसने लगी। मेरे कुछ देर चूसने के तुरंत बाद उनका लिंग खड़ा हो गया, पर मैं उसे अभी भी चूस रही थी, साथ ही उनके अन्डकोषों को सहला रही थी।
तभी उन्होंने कहा- ठीक है अब छोड़ो, चलो चुदाई करते हैं।
तब मैंने छोड़ दिया और बगल में लेट गई और अपनी कमर के नीचे तकिया लगा कर अपनी टाँगें फैला दीं।
वो मेरे ऊपर आ गए मेरी टांगों के बीच, वो मेरे ऊपर झुके तो मैंने उनके लिंग को पकड़ लिया और योनि की दरार में 4-5 बार रगड़ा और छेद में सुपारे तक घुसा दिया और कहा- चोदिये।
उन्होंने मेरी बात सुनते ही अपने कमर को मेरे ऊपर दबाया और लिंग को धकेल मेरी योनि में घुसा दिया।
मैं थोड़ा सा कसमसाई तो उन्होंने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं।
तो उन्होंने कहा- दर्द हो रहा है क्या?
मैंने कहा- हाँ.. हल्का सा आपका लंड बहुत मोटा है।
इस पर वो मुझे मुस्कुराते हुए देखने लगे और धीरे-धीरे लिंग को अन्दर-बाहर कर सम्भोग करने लगे। मेरी योनि उनके धक्कों से पानी छोड़ने लगी और ‘चप-चप’ की आवाज निकलने लगी।
मैंने एक हाथ गले में डाला, दूसरा पीठ में डाल कर पकड़े हुई थी। वो मुझे मेरे कंधों को पकड़ कर धक्के मार रहे थे।
तभी उन्होंने एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे चूतड़ों को पकड़ कर खींचा तो मैंने भी अपनी दोनों टाँगें उठा कर उनके चूतड़ों पर रख अपनी ओर खींचा।
वो मुझे ऐसे ही चोदे जा रहे थे और मैं कुहक रही थी, हम दोनों एक-दूसरे के चेहरे को देख रहे थे।
तभी उन्होंने मुझसे कहा- पहले तो मना कर रही थीं… रो रही थीं और अब मर्ज़ी से चुदवा रही हो, इतना नाटक क्यों किया?
मैंने सुनते ही नजरें दूसरी तरफ कर लीं और खामोश रही, पर उन्होंने बार-बार पूछना शुरू कर दिया।
तब मैंने कहा- हम दोनों का रिश्ता बाप-बेटी जैसा है और पहले ये मुझे ठीक नहीं लग रहा था।
मेरी बात सुनकर उन्होंने धक्के लगाना बंद कर दिया और कहा- ठीक है.. पर अब दुबारा करने के लिए खुद ही क्यों पूछा?
मैंने कहा- अब तो सब हो ही चुका था मेरे मना करने के बाद भी आप नहीं माने, मेरा मन कर रहा था और करने को सो कह दिया।
मेरी बात सुन कर वो मेरी तरफ गौर से देखने लगे, वो धक्के नहीं लगा रहे थे और मेरी अन्दर की वासना इतनी भड़क चुकी थी कि मुझे बैचैनी सी होने लगी थी।
तब मैंने 3-4 बार अपनी कमर उचका दी और अपनी टांगों से उन्हें अपनी ओर खींचा, फिर उनके होंठों से होंठ लगा कर उन्हें चूमने लगी।
उन्होंने अपना मुँह खोल जुबान बाहर कर दी और मैं उसे चूसने लगी।
वो अब पूरे जोश में आ गए थे। उन्होंने 2-3 जोर के धक्के लगाए जिससे मेरी ‘आह्ह्ह’ निकल गई और वे जोर-जोर के तेज़ धक्के मारते हुए मुझे चोदने लगे। वो धक्के लगा रहे थे और मेरे मुँह से सिसकारियाँ और ‘आहें’ निकल रही थीं।
अभी सम्भोग करते हुए कुछ ही देर हुए ही थे कि मैंने फिर से अपने जिस्म को अकड़ते हुए महसूस करने लगी, मेरी साँसें दो पल के लिए रुक सी गईं।
मेरी योनि सिकुड़ गई और मैंने पानी छोड़ दिया।
मैंने उनको पूरी ताकत से पकड़ रखा था, मेरा पूरा बदन और योनि पत्थर के समान हो गई थी, पर वो मुझे लगातार चोद ही रहे थे।
उन्होंने कहा- बुर को ढीला करो.. जो कि फ़िलहाल मेरे बस में नहीं था।
कुछ पलों के बाद मेरा बदन ढीला पड़ने लगा और वो धक्के रुक-रुक कर लगाने लगे। मैं समझ गई कि वो थक चुके हैं।
मैंने उनको कुछ देर ऐसे ही धक्के लगाने दिया और फिर उनको कहा- आप नीचे आ जाइए।
मेरी बात सुनकर वो मेरे ऊपर से उठे और अपने लिंग को मेरी योनि से बाहर निकाल लिया और पीठ के बल लेट गए।
मैंने देखा तो मेरी योनि के चारों तरफ सफ़ेद झाग सा लग गया था, उधर वो भी अपने लिंग को हाथ से सहला रहे थे।
मैं दोनों टाँगें फैला कर उनके ऊपर चढ़ गई और उनके लिंग को पकड़ कर योनि को उसे ऊपर लगाया, तभी उन्होंने मेरी वही फटी पैंटी ली और मेरी योनि को पोंछ दिया।
मैंने लिंग को योनि के छेद पर सीधा रख दिया और बैठ गई, लिंग फिसलता हुआ मेरी योनि की गहराई में धंस गया। लिंग अन्दर घुसते ही मुझे बड़ा आनन्द महसूस हुआ, उनके लिंग का चमड़ा पीछे की ओर खिसकता चला गया।
मुझे बड़ी ही गुदगुदी सी महसूस होने लगी। मैंने अपने घुटनों को मोड़ा, उनके सीने पर हाथ रख दिया, उन्होंने भी मेरी कमर को पकड़ लिया और तैयार हो गए।
मैंने पहले धीरे-धीरे शुरू किया फिर जब मुझे उनके ऊपर थोड़ा आराम मिलने लगा तो मैंने अपनी गति तेज़ कर दी।
मैं पूरे मस्ती में थी तभी मैं एक तरफ सर घुमाया तो मुझे सामने आइना दिखा। कहानी जारी रहेगी। अपने प्यारे ईमेल करने के लिए मुझे लिखें।
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