रश्मि और रणजीत-10

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फारूख खान कुछ देर बाद रणजीत उठा और चूंकि उसे मालूम था कि रानी अभी नहीं उठ पाएगी तो उसने रानी को अपनी गोद में उठाया और चूमता हुआ बाथरूम में ले गया। रानी को यह बहुत ही अच्छा लगा और वो अपना सारा दर्द भूल गई।

गुसलखाने में उसको नहाने के टब में लिटा दिया और गीजर चालू करके मिक्सर से हल्का गुनगुना पानी चालू कर दिया और रानी की चूत की सिकाई होने लगी।

फिर रणजीत ने रानी को एक दर्द निवारक गोली दी जिसे उसने खा ली।

तभी रणजीत का मोबाइल बज उठा।

रणजीत ने कमरे में जाकर देखा तो उसकी बेटी का फोन था।

रश्मि ने कहा- पापा आप जल्दी घर आ जाओ।

रणजीत ने पूछा- क्या हुआ? तुम्हारी मम्मी घर आ गईं?

रश्मि ने कहा- नहीं… उनको पैर में फ्रैक्चर निकला है और आपका आना जरूरी है।

रणजीत ने पूछा- तुम्हारी माँ अभी किधर हैं?

रश्मि ने कहा- वो हस्पताल में भरती हो गई हैं, उनको मेरी सहेली नेहा देख रही है।

रणजीत ने कहा- ठीक है…. मैं जल्द ही घर पहुँचता हूँ।

इसके बाद उसने रानी को पूरी बात बताई और रानी ने भी उसकी मजबूरी को समझा तथा वे दोनों अपने कपड़े पहन कर जाने के लिए तैयार हो गए।

रणजीत ने रानी को अपनी बाइक पर बैठा कर एक ऑटो तक छोड़ दिया और अपने घर पहुँच गया।

रश्मि ने उसको सारी बात बताई और रश्मि को अपनी बाइक पर बिठा कर रणजीत हस्पताल की तरफ तेज रफ्तार से चल दिया।

रास्ते में गड्डों में जब बाइक गिरती तो रश्मि का पूरा शरीर रणजीत की पीठ से रगड़ जाता, जिससे उसके मम्मे जोर से दब रहे थे। हालांकि रणजीत इस बात को बिल्कुल भी महसूस नहीं कर रहा था लेकिन रश्मि की चूचियां रणजीत की पीठ से रगड़ कर एक अलग सी मस्ती पैदा कर रही थीं और रश्मि की चूत में गुदगुदी सी हो रही थी।

वो इस बात को जानती थी कि रणजीत उसका पिता नहीं है और उसके चुदाई के किस्सों को भी उसने बहुत सुन रखा था।

उस दिन जब उसने रणजीत को नंगा लेटा हुआ देखा था तभी से उसकी बुर में चुनचुनी हो रही थी।

अब जब भी सड़क पर गड्डे में बाइक गिरती तो रश्मि और जोर से अपनी चूचियां रणजीत की पीठ से रगड़ देती। आज अचानक उसे बहुत चुदास चढ़ने लगी थी।

खैर.. तभी हस्पताल आ गया और रश्मि ने माँ को देखा उसके पंजे हड्डी टूट गई थी, जिसके कारण उसके एक पैर में अभी कच्चा पलस्तर बंध चुका था।

रणजीत ने भी ममता के हाल-चाल जाने और कुछ समय बाद नेहा की कार से रश्मि अपनी माँ को हस्पताल से घर ले आई। पीछे से रणजीत अपनी बाइक से घर पहुँच गया।

करीब एक घंटे के बाद सब कुछ व्यवस्थित हो गया और ममता को बाहर वाले कमरे में दो कारणों से लिटा दिया जाने का निर्णय हुआ क्योंकि एक तो ममता का हाल जानने वाले मेहमानों को उधर आराम से बिठा कर ममता से मुखातिब किया जा सकता था। दूसरे रणजीत रात को दारु पीकर आता था, तो सोते समय उसके पैर कहीं ममता के पैर पर न चढ़ जाएँ इस बात का भी ख्याल खुद ममता ने रख कर रश्मि से बाहर वाले कमरे में लेटने को कहा था।

अब रात के सोने का समय हुआ तो रणजीत ने अपने कमरे में दारु की बोतल खोल ली और रश्मि से कुछ नमकीन लगाने को कहा। रश्मि के लिए यह सब पुरानी बातें थी, उसको रणजीत के शराब पीने से कोई दिक्कत नहीं थी।

रश्मि जब नमकीन लेकर रणजीत के कमरे में गई तो रणजीत ने अपने शरीर पर सिर्फ एक तहमद पहनी हुई थी और उसकी चौड़ी छाती बिल्कुल नंगी थी।

रणजीत शराब का गिलास हाथ में लिए था और दूसरे हाथ से अपना लौड़ा सहलाता हुआ रानी की चूत को याद कर रहा था।

उस वक्त उसकी आँखें मुंदी हुई थीं और चूत के विषय में सोचने से उसका मूसल खड़ा हो चला था जो कि उसकी तहमद के ऊपर से उठा हुआ दिख रहा था।

रश्मि ने नमकीन की प्लेट रही और बड़ी ही लालसा भरी निगाहों से रणजीत का लौड़ा देखने लगी।

तभी रणजीत ने आँखें खोलीं और रश्मि को अपने लौड़े की तरफ निहारता देखा तो उसने हल्के से खंखारा।

रश्मि हड़बड़ा गई और प्लेट रख कर बाहर जाने लगी।

रणजीत ने कुछ समझा तो, पर वो जल्द ही अपनी शराब में मस्त हो गया।

आज रणजीत ने जल्दी ही पांच पैग लगा लिए थे, अमूमन वो दो-तीन पैग से अधिक शराब नहीं पीता था। आज अंगूरी ने कुछ अधिक ही कमाल दिखा दिया था।

उधर रश्मि ने अपनी माँ को एक नींद का इंजेक्शन लगा दिया था जिससे उनको दर्द न हो और वे आराम से सो सकें।

रणजीत ने शराब पीने के बाद रश्मि को कमरे में ही खाना लगाने को कहा, तो रश्मि ने रणजीत का खाना उसके कमरे में लगा दिया। खाना परोसते समय रश्मि ने दुपट्टा नहीं लिया था, इसलिए जब भी वो खाना परोसने के लिए झुकती तो उसकी नारंगियाँ रणजीत की आँखों में रानी की चूचियों जैसी दिखतीं।

रणजीत ने उसकी चूचियों को जी भर कर देखा और इस बात को रश्मि ने भी देख लिया।

अब रश्मि की चूत में चुनचुनी होने लगी और वो बाहर रसोई में गई तो अपने कुरते के एक बटन और खोल आई अबकी बार रणजीत ने जब उसे खाना और परोसने के लिए आवाज दी तो रणजीत काफी नशे में आ चुका था और रश्मि ने अपने मम्मों की खुली झांकी से उसके लौड़े को तन्ना दिया था।

रणजीत ने उसकी मदमस्त चूचियों को देख कर नशे की झोंक में उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके गालों पर एक चुम्मा ले कर कहा- रानी.. तूने मुझे पागल कर दिया है, एक बार चोदने से मेरा मन नहीं भरा है। चल आजा तेरा दूसरा राउंड लेते हैं।

रश्मि की समझ में आ गया कि आज रणजीत किसी रानी नाम की लौंडिया को चोद कर आए हैं। उसने कुछ नहीं बोला और चुपचाप रणजीत की हरकतों का मजा लेने लगी।

रणजीत बोला- अबकी बार तुझे मैं दारु से नहला कर चोदूँगा।

इतना कह कर रणजीत ने शराब की बोतल को रश्मि के उभरे हुए मम्मों पर डाल दी और अपने होंठों से शराब चाटने के साथ-साथ रश्मि की चूचियों को भी पीने लगा, रश्मि भी गनगना उठी।

नीट शराब पीने के कारण रणजीत पर नशा चढ़ता ही जा रहा था। उसने बोतल रश्मि के मुँह से भी लगा दी।

रश्मि के मुँह में शराब का एक घूँट ही गया था कि इससे उसे ऐसा लगा जैसे उसके अन्दर एक तलवार सी काटती हुई चली गई हो।

फिर उसने खुद अपने हाथ से एक गिलास भरा और रणजीत के होंठों से लगाया तो रणजीत ने एक ही सांस में पूरा खाली कर दिया और दूसरा गिलास बनाने को कहा।

अबकी बार रश्मि ने दो गिलास बनाए और चियर्स बोल कर खुद ने भी शराब पी ली।

अब आलम यह था रणजीत पूर्ण रूप से टुन्न होकर रश्मि को रानी समझ रहा था और रश्मि अपनी चूत की आग को रणजीत के मूसल से बुझाना चाहती थी।

सो जल्द ही खाना एक तरफ हो गया और बिस्तर पर रश्मि रणजीत के ऊपर सवार हो गई।

रश्मि की चूत की आग इतनी अधिक थी कि उसने रणजीत की तहमद को खींच कर फेंक दिया, अन्दर रणजीत बिल्कुल नंगा था।

उसका हवा में लहराता लौड़ा रश्मि को इतना खूबसूरत लग रहा था कि उसने एक मिनट से भी कम समय में अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपनी चिकनी चूत को सहलाती हुए रणजीत के ऊपर चढ़ गई।

रणजीत ने उसकी चूत को रानी चूत समझ कर एक बार में अपना हलब्बी लौड़ा रश्मि की चूत में पेल दिया।

अचानक हुए इस हमले से रश्मि की चीख निकल गई, पर रश्मि ने खुद की चीख को रोका और अपने दांतों को भींच कर रणजीत के लौड़े को अपनी चूत में डलवा लिया।

रणजीत ने आव देखा और न ताव… बस धकाधक चोटें मारनी शुरू कर दीं।

लगभग आधे घंटे तक रश्मि चार बार झड़ी पर आज उसने अपनी चूत की खुराक पा ही ली थी।

अंत में रणजीत ने अपना अंतिम प्रहार किया और अपना पानी रश्मि की चूत में छोड़ दिया।

रणजीत शराब के नशे में था और चुदाई के कारण निढाल हो गया था सो वो रश्मि के ऊपर ही लेट गया।

वो नशे में धुत्त था, सो जल्द ही सो गया।

रश्मि ने खुद को किसी तरह से रणजीत के नीचे से निकाल कर अपने कपड़े उठाए और तेजी से वहाँ से निकल कर अपने कमरे में भाग गई।

दूसरे दिन रणजीत उठा तो उसे इस बात का जरा भी अहसास नहीं था कि रात को उसने रश्मि को चोद दिया है। रश्मि भी सामान्य ढंग से व्यवहार कर रही थी।

अब रश्मि जल्द ही ऐसा दूसरा मौका ढूँढ़ने लगी कि कब रणजीत का लौड़ा खाने को मिले। आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा।

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