मेरे साथ ज़बरदस्त चुदाई हुई -2

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गीता ने सपाट शब्दों में कहा- तू एक काम कर, उस लौंडे को कल दोपहर दो बजे यहाँ मेरे घर पर ले आना, क्योंकि कल दोपहर के बाद मैं घर पर अकेली ही हूँ।

अब मुझे थोड़ी शांति महसूस हुई कि चलो कुछ तो सूझा, पर मुझे क्या मालूम था कल तो मेरा आज से भी बुरा हाल होने वाला था।

अब उसे बुलाने की बारी थी वो ठीक दो बजे गीता के घर पर आ भी गया, पर मैं तो घबराहट से मरी जा रही थी कि ये गीता क्या करने वाली है पर इसके बाद जो हुआ वो तो मैंने सोचा भी नहीं था।

वो दोनों, गीता और वो लड़का गीता के कमरे में चले गए और मैं बाहर खड़ी देखती रही कि ये सब क्या हो रहा है।

तभी गीता बाहर आई और मुझसे कहा- अब तुम जाओ.. अन्दर क्या हुआ वो मैं तुम्हें बाद में बताती हूँ.. ओके!

मैंने भी कहा- ओके..।

पर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो दोनों पिछले एक घंटे से अन्दर कर क्या रहे हैं, पर मैंने सोचा जो भी करें मुझे क्या.. यह सोचकर मैं वहाँ से निकल आई।

अब अपने घर जा ही रही थी कि मुझे भी एक ख्याल आया कि ये क्या हो रहा है मुझे जानना तो चाहिए।

आजकल किसी पर सीधे-सीधे तो भरोसा नहीं कर सकते।

मैंने सोचा कि वापिस जाकर चुपके से देखती हूँ कि आख़िर मुझे बाहर निकल कर ये दोनों कर क्या रहे हैं?

मैं गीता के घर के अन्दर नहीं गई, क्योंकि मुझे लगा शायद मैं पकड़ी जाऊँ.. तो इसलिए मैं गीता के घर के पीछे वाली खिड़की से अन्दर झांकने गई।

बाप रे बाप.. वो दोनों क्या बताऊँ यार.. वो दोनों नंगे-पुँगे एक-दूसरे के सामने खड़े थे।

तब मुझे समझ में आया कि मुझे क्यों वहाँ से निकाला गया।

पर तभी गीता अपने घुटनों के बल बैठ गई।

मैं तो यह सब हैरत भरी नजरों से देख रही थी कि आख़िर ये हो क्या रहा है। तभी गीता ने उस लड़के का लिंग पकड़ कर मुँह में ले लिया। मुझे तो देख कर अजीब सी घिन आने लगी। साला पूरा दिन वो इससे मूतता है और वो उसे ही मुँह में ले रही है।

तभी गीता उसका लिंग अपने मुँह में आगे-पीछे करने लगी। वो लड़का जोरों से ‘आहें’ भर रहा था और उसका पूरा शरीर भी हिल रहा था।

मैं अभी भी कुछ समझ नहीं पा रही थी कि तभी गीता उठी।

अब उसकी बारी थी गीता बिस्तर पर लेट गई, उसने अपनी दोनों टाँगो को फैला लिया, वो गीता की दोनों टाँगों के बीच में अपना सर डालकर कुछ कर रहा था।

तकरीबन दो मिनट हुए होंगे कि गीता एकदम से कमर के हिस्से को उछालने लगी, पता नहीं उसे क्या हो रहा था।

तभी वो बोली- अब बस करो अनिल मुझसे अब नहीं रहा जाता.. अब मेरा काम ही तमाम कर ही डालो।

तभी वो उठा और अपना लिंग उसने गीता की योनि के मुहाने पर रखा।

गीता बोली- पहले थोड़ा धीरे करना अनिल।

तो उसने ‘ओके’ बोला और शुरू हो गया।

अभी तो आधा लिंग ही अन्दर गया होगा कि गीता चिल्लाने लगी- प्लीज़ निकालो इसे, बहुत दर्द हो रहा है।

तो उसने लिंग बाहर निकाल कर पूछा- क्यों क्या हुआ?

तो गीता बोली- तुम्हारा लिंग बहुत मोटा है और बहुत तकलीफ़ हो रही है।

तभी अनिल बोला- ओके ओके.. अब तकलीफ नहीं होगी।

अब अनिल ने फिर से लिंग को निशाने पर लगाया और अब वो धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था, फिर उसने अपने हथियार का दाखिला करवा दिया।

अब क्या था गीता कुछ बोलना तो चाह रही थी, पर बोल नहीं पा रही थी।

बस बड़ी-बड़ी आँखें करके अनिल को देख रही थी, पर तभी फिर अनिल ताबड़तोड़ शुरू हो गया उसने एक धक्का लगाया और गीता का चेहरा देखने लायक था जैसे किसी ने उसकी योनि में चाकू घुसेड़ दिया हो।

तभी अनिल ने अपनी गति बढ़ाई और ज़ोर-ज़ोर से वो तो शुरू हो गया और अब तो गीता की आँखों में से आँसू निकल रहे थे और बोल रही थी- जल्दी करो.. अनिल मुझे बहुत दर्द हो रहा है।

मैं अपने मन में कह रही थी कि जो भी हो रहा है, सही हो रहा है क्योंकि उसने मुझे उल्लू बनाया था।

दोनों ने करीब आधे घंटे तक ये सब किया।

अब मैं भी खड़े-खड़े थक गई थी तो मैं भी अब निकलने की सोच कर वहाँ से चली आई। ठीक है जो भी हुआ उसमें मुझे क्या.. मुझे वैसे तो कुछ हुआ नहीं था, पर थोड़ा-थोड़ा मन हो रहा था क्योंकि मुझे वो कल वाला किस्सा याद आ रहा था कि कैसे उसने मेरे साथ यही सब किया।

मेरा तो पहली बार था और मुझे तो कुछ मालूम भी नहीं था इस बारे में पर मन इसलिए हो रहा था क्योंकि इस सब में जो शुरूआत के पाँच मिनट के बाद जो मज़ा आया, वो थोड़ा आनन्ददायक था।

इसलिए गीता का कांड देखकर अब मुझे भी मेरे तनमन में एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी। अब मैं अभी घर पहुँची ही थी कि गीता का कॉल आया- मेरी अनिल से सब बात हो चुकी है.. अब तुझे सोचना है कि आगे क्या करना है? तो उस पर मैंने पूछा- आगे क्या करना है से क्या मतलब? ‘उसने तुझे और मुझे एक गेस्ट हाउस में बुलाया है और कहा है कि कम से कम दो घंटे का समय लेकर आना, अब मैं क्या करूँ यार? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ और क्या ना करूँ।’

पर मैंने गीता को बताया- उसे बोल मुझे कल सुबह तक का सोचने का वक़्त चाहिए।

तो गीता बोली- तू रुक.. मैं उससे बात करके फिर फोन करती हूँ ओके… मैंने कहा- ओके…

रात के 10:30 बज चुके थे, पर पता नहीं क्यूँ मुझे नींद नहीं आ रही थी और अब तक गीता का कॉल भी नहीं आया।

मुझे लगा कि अनिल ने मना कर दिया होगा ऐसा सोचकर मैं तो अब सोने की तैयारी में थी कि तभी किसी ने मेरे कमरे के दरवाजे को बहुत धीरे से खटखटाया।

मुझे लगा मम्मी होगीं, मैंने दरवाजा खोला तो मैं दंग रह गई, वो अनिल था।

मैंने बताया था कि वो हमारे घर पर ही रहता था, पर मैंने सोचा भी नहीं था कि उसकी इतनी हिम्मत होगी कि वो सीधा मेरे कमरे तक पहुँच जाएगा, मैं तो उसे देख कर डर गई। क्योंकि एक तो मैं छोटी सी स्कर्ट में थी इसलिए मैंने जब डर के मारे दरवाजे को बंद करना चाहा तो उसने धक्का दे दिया।

अब मैं पूरी काँपने लगी कि यह अब दुबारा मेरे साथ वही सब करेगा, पर मैं ग़लत थी क्योंकि उसने ऐसा कुछ किया नहीं और मेरा हाथ पकड़ कर बिस्तर तक ले गया।

वो बोला- डरो मत मैं तुम्हें कुछ नहीं करूँगा.. मैं तो अभी सिर्फ़ बात करने के लिए आया हूँ ओके।

तब मेरी थोड़ी जान में जान आई कि चलो अब कुछ ठीक है और आज कुछ नहीं होने वाला।

तभी उसने पूछा- कल बाथरूम वाला खेल कैसा लगा था?

मैं क्या कहती.. मैं तो भूत बन कर उसे एकटक देख रही थी।

तभी उसने दूसरा सवाल पूछा- तुमने कभी ऐसा कुछ किया था किसी के साथ?

तो मैंने मुंडी हिला कर ‘ना’ का इशारा किया तो वो हँसने लगा।

मैंने पूछा- हँस क्यों रहे हो?

तो अनिल बोला- मैंने तो अंजाने में ही तुम्हारी ओपनिंग कर दी, इसलिए।

पर अचानक वो सीरियस हो गया और पूछने लगा- कल का क्या इरादा है?

तो मैंने पूछा- किस बारे में?

तो उसने कहा- गीता ने कुछ नहीं कहा?

तो मैंने कहा- हाँ.. कहा तो है, पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।

तो अनिल बोला- इसमें सोचना कैसा? देखो मेरे पास बहुत ज्ञान है और मैं उसमें से थोड़ा तुम्हें देना चाहता हूँ.. अगर तुम्हें अच्छा लगे तो और अगर तुम्हें मेरा विश्वास ना हो तो तुम मेरे बारे में गीता से पूछ सकती हो क्योंकि अब गीता तुमसे ज़्यादा मुझे जान चुकी है।

पर उसे क्या मालूम था कि मैं भी सब कुछ जानती हूँ कि गीता और तुम्हारे बीच क्या-क्या हुआ था।

इसके साथ ही मुझे कुछ-कुछ हो भी रहा था कि क्यों न इसके साथ ‘वो’ सब फिर से करूँ।

फिर भी मैं थोड़ा अंजान बन कर अनिल से बोली- देखो जब तुमने कल मेरे साथ जो किया उसके बाद मुझे बहुत सारा खून निकला और मैं इसीलिए डर रही हूँ।

तो उस पर अनिल बोला- मेरी पूजा डार्लिंग.. वो तो पहली बार था इसलिए.. और अब ऐसा कुछ नहीं अब तो सिर्फ़ मज़े करो और क्या।

तो मैंने कहा- क्या सच्ची?

तो उसने हाथ आगे बढ़ा कर ‘प्रोमिस’ किया।

‘अब अगर तुम्हें दर्द हुआ तो तुम जो चाहो वो सज़ा दे सकती हो।’

करीब एक घंटे की अनिल की मिन्नतों के बाद मैंने ‘हाँ’ कहा।

आगे क्या हुआ वो अब अगले भाग में लिखूँगी और हाँ यार.. इस को पढ़ कर आपको कैसा लगा, वो मुझे तो बताओ प्लीज़। [email protected]

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