अपनी चुदाई की सफलता पर नाज़

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मैं अन्तर्वासना की कहानियाँ नियमित पढ़ती हूँ। यहाँ कहानियाँ पढ़ने के बाद मुझे लगा कि मुझे भी अपनी रास-लीला के बारे में आप सबको बताना चाहिए। इससे पहले मैं अपना परिचय देना चाहती हूँ, मेरा नाम ज्योत्सना है, मैं 32 साल की शादीशुदा महिला हूँ।

मैं और राजू बचपन के दोस्त हैं। हम स्कूल से लेकर कॉलेज तक साथ साथ पढ़े।

मेरा घर और उसका घर आमने सामने में था। राजू बहुत ही सुंदर और अच्छे शरीर का मालिक है। मेरा दिल उस पर शुरू से ही था।

मैं उस से कभी कभी सेक्सी मजाक भी कर लेती थी। वो भी इशारों में कुछ बोलता था जो मुझे समझ में नहीं आता था।

राजू भी मुझ पर मरता था, यह मैं जानती थी।

सन 2001 में मैं फाइनल इयर में थी, जुलाई का महीना था, पापा के ऑफिस चले जाने के बाद मम्मी मेरी छोटी बहन प्रीति को कॉलेज में एडमिशन कराने चली गई, मैं घर पर अकेली थी, टीवी पर रंगीला फिल्म देख रही थी और कुछ सेक्सी मूड बन रहा था।

तभी राजू का ख्याल आया, मैंने खिड़की से देखा, वह अपने दरवाजे पर खड़ा होकर बारिश का आनन्द ले रहा है।

मैंने उसे हाथ दिखा कर उसे बुलाया और कहा- काम वाली बाई नहीं आई है अभी तक! उसने कहा- क्या मैं तुम्हारा काम कर दूँ और हंसने लगा।

फिर हम दोनों साथ बैठ कर बातें करने लगे और रंगीला फिल्म भी देखने लगे।

फिल्म देखते देखते मैंने राजू की तरफ़ एक बार प्यार भरी नज़र से देखा। वो भी मुझे देख कर और पास आने लगा। आँखों आँखों में इशारे होने लगे, फ़िर उसने मुझे अपनी बाहों में लिया… और मैं उसकी बाहों में खिंचती चली गई।

उसने धीरे से कहा- ज्योत्स्ना… अब मुझसे सहा नहीं जा रहा है। उसने अपने होंठ मेरे नर्म नर्म होंठों पर रख दिए, उसके होंठ भी नर्म नर्म थे। वो मेरे होंठ चूसने लगा।

मैंने अपनी अदाएँ भी दिखानी शुरू कर दी, मैंने कहा- यह क्या कर रहे हो ! राजू ! मुझे छोड़ो ना…! मुझे डर लग रहा है, कोई आ जाये ग़ा…

मेरी बात अनसुनी करके उसने अपनी बाहें मेरी कमर में डाल कर मेरी चूतड़ों की दोनों गोलाइयों को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा।

‘आह… नहीं… नहीं करो…बस करो अब… सी स्स… बस राजू…!’ मैं मुड़ कर जाने लगी तो फ़िर पीछे से खींच लिया… और मेरी नाइटी उठा कर कमर से कस लिया… उसके दोनों हाथ मेरे स्तनों पर आ गए और उनको मसलने लगे।

उसका कड़क लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा जा रहा था। मैं काम-पिपासा से जल उठी। मेरी पैन्टी तो नहीं के बराबर थी।

उसके लण्ड क स्पर्श चूतड़ों में बड़ा आनन्द दे रहा था।

उसके हाथ मेरे कठोर अनछुए स्तनों को सहला रहे थे, बीच बीच में मेरे चूचकों को भी मसल देते थे और खींच देते थे। ‘आह… सी सी… मैं मर जाऊँगी… राजू ; क्या कर रहे हो?’

उसने मेरी नाइटी निकाल दी तो अब मैं सिर्फ पैन्टी में थी, ब्रा मैंने नहीं पहनी थी !

मुझे पता चल गया था कि अब मैं चुदने वाली हूँ।

इसी समय के लिए मैं ये सब कर रही थी और इस समय का इन्तजार कर रही थी।

मेरी छोटी सी पैन्टी उसके लण्ड को रोकने में कामयाब नहीं हो पा रही थी।

मैं चुदवाने को तड़प उठी।

उसने मेरी पैन्टी नीचे खींच दी और अपनी पैन्ट भी उतार दी और अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पर लगा दिया।

मैंने उसकी तरफ़ देखा।

फ़िर आँखों ही आँखों में इशारे हुए, उसकी अनकही भाषा मैं समझ गई।

राजू को उभरी जवानी मसलने को मिल रही थी… और वो आनन्द से पागल हुआ जा रहा था।

उसका लण्ड मेरी अनचुदी फ़ुद्दी के छेद पर दबाव डालने लगा…

मैं खुशी में झूम उठी।

मैं चुदने वाली थी।

उसकी आँखें नशे में बंद हो गई थी।

अब मैंने अपने आप को उसके हवाले कर दिया।

वो मेरे चूचे भींच रहा था, मैं मस्त हुए जा रही थी… आँखें बंद कर ली मैंने और दूसरी दुनिया में आ गई।

इतना सोचा ही था कि उसने जोर लगा कर अपनी लुल्ली की सुपारी मेरे चूत में घुसा दी। मेरे मुख से आनन्द और दर्द भरी चीख निकल गई।

उसने सुपारी निकाल कर फ़िर जोर से धक्का मार दिया। इस बार और अन्दर गया।

‘राजू ! दर्द हो रहा है…’

मगर इस दर्द में भी मजा है।

उसने कुछ नहीं कहा और थोड़ा सा निकाल कर जोर से धक्का मारा। उसका लण्ड पूरा मेरी चूत में समा गया।

मैं दर्द के मारे तड़प कर चीख उठी- राजू बाहर निकालो… जल्दी… बहुत दर्द हो रहा है…

उसने कहा- ज्योत्सना, अभी तो कह रही थी इस दर्द में भी मजा है, अब क्या हुआ?

उसने तेजी से धक्के मारने चालू कर दिए। मैं उसे रोकती रही, चीखती रही, कराहती रही, गिड़गिड़ाती रही। बिलबिलाती रही पर उसने मेरी एक ना सुनी।

अब मुझे मज़ा आने लगा।

पहली बार कोई लण्ड मेरी चूत में घुसा था।

मुझे सच में मज़ा आने लगा और मेरे मुख से निकल ही गया- राजू ! आह… मज़ा आ रहा है… जरा जोर से चोदो ना…

‘हाँ हाँ मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है… ये लो…’

उसने एक धक्का जोर से मारा, मेरे मुख से फ़िर चीख निकल गई- हाय राजू… मैं मर गई!

और चादर पर थोड़ी खून की बूंदें टपक गई।

मैं घबरा गई- राजू यह क्या हुआ? यह खून?

उसने प्यार से मेरी पीठ सहलाई और कहा- ज्योत्सना ! मैं तो समझा था कि तुमने पहले चुदवा रखा है… सॉरी ! अकसर शक करता था तुम पर इस बात का पर तुम तो पहली बार चुदी हो… मुझे पता होता तो मैं धीरे धीरे ही करता…

मुझे लगा कि कहीं राजू मुझे चोदना बंद ना कर दे, मैंने एकदम कहा- नहीं नहीं, मज़ा आ रहा है… चोद दो ना… हाय रे… अब आगे तो बढ़ो कुछ…

राजू ने फ़िर से अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया और हौले हौले धक्के मारने लगा।

मुझे अब चूत में मीठी मीठी गुदगुदी होने लगी, मेरे मुँह से निकल गया- राजू… लगा ना जोर से धक्का… और जोर से… अब मज़ा आ रहा है।

राजू भी तेजी से करना चाहता था, उसने मुझे गोदी में उठाया और बिस्तर पर पटक दिया और कूद कर मेरे ऊपर चढ़ गया।

मेरी चूत बहुत ही चिकनी हो गई थी और बहुत सा पानी भी छोड़ रही थी, उसका लण्ड फ़च से अन्दर घुस गया और घुसता ही चला गया।

मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई- आह… घुस गया स्स… स…स… अब रूकना नहीं… चोद दो मुझे…

राजू ने अपनी कमर चलानी शुरू कर दी, मैं भी नीचे से अपने चूतड़ों को उछाल उछाल कर चुदवाने लगी।

‘हाय रे… मज़ा आ रहा है… लगा … जोर से लगा… ओई उ उईई… मम्मी… मज़ा आ रहा है…’

‘कैसा मज़ा आ रहा है… टाँगें और ऊपर उठा लो… हाँ… ऐसे ठीक है…’

उसने अपने आप को और सही पोजीशन में लेते हुए धक्के तेज कर दिए।

मेरे चूतड़ अपने आप ही तेजी से उछल उछल कर उसके एक एक धक्के का करारा जवाब दे रहे थे।

जोश के मारे मैं उसके चूतड़ हाथ से दबाने लगी, मैं उसे अपने से चिपका कर थोड़ी देर के लिए उसके होंठ चूसने लगी।

मैंने महसूस किया कि उसकी उत्तेजना बढ़ गई थी…

मुझे महसूस हुआ कि उसका लंड चूत के अन्दर ही और कड़कने लगा था।

मैंने धीरे से अपनी चूत सिकोड़ ली, उसका लंड मेरी चूत में भिंच गया।

‘ज्योत्सना… ..ना… मेरा निकल जाएगा…’ वो सिसक उठा।

‘तो फिर चोदो ना… रुक क्यूँ गए…?’

‘पहले मेरा लंड तो छोड़… हाय… …निकल जाएगा..ना…’

मैंने चूत ढीली छोड़ दी…

उसने अब मेल इंजन की तरह अपना लंड पेलना शुरू कर दिया।

मुझे भी अब तेज गुदगुदी उठने लगी- हाय.. हाय… मर गई… हाय… चुद गई… …आ अ अ… …एई एई एई… ..मैं गई…!!!’

मुझे मालूम था… वो मुझे ऐसे नहीं छोड़ने वाला है, मैं तकिये में मुँह दबा कर टांगें और खोल कर पड़ गई।

वो धक्के मारता रहा, मेरी चूत चुदती रही।

फ़िर… ‘आह मेरी… ज्योत्सना… मैं गया… मैं गया… हाऽऽऽ स्स… निकला आ आ आह म्म्म हय रए…!!!’ मैं हाथ फैलाये चित्त पड़ी रही।

राजू ने पूरा आनन्द दिया था मुझे ! वो मुझे चूमता हुआ उठ खड़ा हुआ… मैंने भी आँख खोल कर उसकी तरफ़ देखा और प्यार से मुस्कुरा दी।

मुझे अपनी चुदाई की सफलता पर नाज़ था… मैं खुद ही उससे चुदवाना चाहती थी। बस डर लग रहा था कि यह पहली चुदाई है… जाने क्या होगा.. पर अब मुझे लग रहा है कि यह तो जिन्दगी का लुत्फ़ उठाने का एक शानदार तरीका है।

पिक्चर अभी बाकी है। आपके ख़त का इन्तजार रहेगा।

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