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जॉन सिंह सभी पाठकों को नमस्कार। बात उन दिनों की है जब मैंने इन्जीनियरिंग में एडमिशन लिया ही था, मेरी उम्र 19 साल थी, मैं किराये से कमरा लेकर रहता था, मेरी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, अतः अपना खर्च चलाने हेतु मैंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया।
शुरूआत में मैंने कक्षा 11 की 3 लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया रीमा, निशा और अंजलि !
धीरे धीरे छात्राओं की संख्या बढ़ने लगी व संख्या बढ़कर 13 हो गई।
पहले मैं अश्लील बातों के बारे में सोचता भी ना था, पर धीरे-2 दोस्तों की संगति में आकर मेरे मन में भी अश्लील ख्याल आने लगे। सबसे पहले मुझे हस्तमैथुन की आदत लगी, कॉलेज की मस्त गांडों, चूतों के बारे में सोचकर मैं मुठ मारने लगा।
एक रात में मुठ मारते मारते सोचन लगा कि वास्तव में चूत कैसी होती होगी क्या उससे भी लंड की तरह पानी निकलता होगा।
मैं अपने पर ट्यूशन आने वाली लड़कियों की गांड व चूत को भी निहारने लगा क्योंकि ज्यादातर लड़कियाँ जींस व टॉप पहन कर आती थीं जिनमें से उनकी गांड को नुमाया जा सकता था।
इसी तरह 10-12 दिन तक चलता रहा, फिर एक दिन मेरी छात्रा अंजलि की बर्थ डे पार्टी में मुझे निमन्त्रित किया गया।
अंजलि की उम्र 18 साल थी लेकिन गजब की गोल मटोल गांड थी, हुबहू कैटरीना जैसा फिगर था उसकी।
दिसम्बर का महीना था, मैं रात 9 बजे अंजलि के घर पहुँचा पार्टी रात 12 बजे तक चली.. उसके बाद मैं अपने कमरे पर पहुँचने के लिए जाने लगा तो अंजलि के माता-पिता ने मुझे वहीं रुकने को कहा तो मैं रुक गया। रात का एक बज चुका था, उस रात कड़ाके की सर्दी थी, सभी लोग हारे थके थे जिसको जहाँ जगह मिली, वहीं सो गया। मैं भी अंजलि के कमरे में सो गया। संयोग से उस कमरे में कवल हम तीन लोग थे, मैं, अंजलि और अंजलि का छोटा भाई अतुल जो 12 वर्ष का था।
अंजलि, उसका भाई और मैं जमीन पर ही रजाईयाँ ओढ़कर सो गये। अंजलि के दाहिने ओर मैं और बाईं ओर उसका भाई जो उसी की रजाई में था।
रात के ढाई बजे चूहे के मेरे ऊपर चढ़ने के कारण मेरी नींद खुल गई।
अचानक मैंने देखा कि अंजलि मेरी तरफ चूतड़ करके सो रही है और रजाई उसके ऊपर से हट चुकी है।
कमरे में हल्की सी रोशनी थी, मैंने देखा कि सभी लोग गहरी नींद में थे। अंजलि की सफेद सलवार में से गाण्ड की दरार को मैं ध्यान से देखने लगा।
मुझसे रहा न गया, मैंने अपनी रजाई में अंजलि को ले लिया। फिर उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसकी पैंटी भी उतार दी। वो इतनी गहरी नींद में थी, उसके कान पर जूं तक न रेंगी।
फिर मैं उसके चूतड़ों पर हाथ फिराने लगा तथा बीच बीच में हल्की सी गांड में लगभग आधा ईंच उंगली डाल देता। 5 मिनट तक में यह करता रहा, उसके बाद नींद में ही वो हल्की सी सी… सी… की अवाज के साथ पीछे की ओर गांड धकेल देती।\
धीरे धीरे मैंने उसको चित लिटाया और उसकी चूत पर हाथ ले गया। उसकी चूत बिल्कुल क्लीन शेव थी, एक भी बाल नहीं था, शायद हेयर रिमूवर से उसने साफ कर रखी थी। हल्के से मैं एक उंगली चूत की दरार पर ले गया और उसकी भगनासा को छुआ, उसने एक लम्बी सीत्कार के साथ दोनों पैरों को भींच लिया, मानो वह उंगली को अंदर ले जाना चाहती हो और दूसरी ओर करवट बदल ली।
मैंने सोचा शायद वह जाग गई, मैंने अपनी उंगली तुरंत वापस ले ली लेकिन वह जागी नहीं थी।
मैं गर्म हो चुका था, उसकी गांड मैंने अपना लण्ड पर सटाया और रगड़ने लगा।
10 मिनट तक रगड़ने के बाद मैंने अपना पानी उसके चूतड़ों पर छोड़ दिया। उसकी चड्डी ऊपर सरकाई, सलवार भी !
चार बज चुके थे, मैं मन में यह सोचकर कि किसी न किसी दिन मैं अपने लंड का पानी तेरी चूत में छोड़ कर चूत को भौसड़ा जरूर बनाऊँगा, सो गया।
सुबह मैं अपने कमरे पर पहुँचा, फिर कालेज गया, कालेज से लोटते समय मैंने कुछ एडल्ट बुक व एक रेजर खरीदा।
शाम 5 बजे मैं रूम पर पहुँचा तो वहाँ लड़कियाँ खड़ी थी। मैंने रूम का ताला खोला, पालिथिन एक तरफ रखी और ट्यूशन पढ़ाने लगा। ट्यूशन पढ़ाने के बाद खाना खाया, रात 10 बज चुके थे, मैंने पालिथिन से रेजर निकालकर झांटें साफ की, फिर एडल्ट बुक पढ़ते पढ़ते मुठ मार लिया, बार बार मेरे मन में यही ख्याल आ रहा था कि कैसे अंजलि को चोदा जाए।
15-20 दिन तक यों ही चलता रहा फिर मेरे मूड में एक प्लान आया और मैंने सभी लड़कियों को पिकनिक पर ले जाने को कहा।
कुछ के घरवालों ने नहीं जाने दिया, केवल 4 लड़कियाँ तैयार हुई, अंजलि भी उनमें से एक थी।
सुबह 10 बजे हम सब निकले, मैंने जाते समय कुछ सैक्स पावर बढ़ाने की टेबलेट भी रख ली क्योंकि मेरा मक्सद अंजलि को जमकर चोदना था।
पिकनिक पर शाम के 6 बज गए, सर्दी की वजह बताकर मैंने वहीं रुकने को कहा, वास्तव में मेरा मकसद अंजलि को चोदना था।
हम सबने एक लौज में दो कमरे बुक किए। खाना खाने के बाद मैंने पानी में नींद की गोलियाँ मिला दीं, मैं और अंजलि एक ही कमरे में सो गए। शायद अंजलि का मूड भी चुदने का हो !
रात 1 बजे अंजलि सो चुकी थी, मैं खड़ा हुआ, एक टेबलेट खाई और अंजलि की रजाई में घुस गया।
वह चित सो रही थी, मैंने धीरे से उसकी जींस का बटन व चैन खोल के नीचे सरकाई, फिर अपना हाथ उसकी चड्डी में डालकर चूत में उंगली चलाने लगा और कभी-2 उसके बूब्स भी दबा देता।
5 मिनट बाद वो लम्बी-2 सीत्कार के साथ कसमसाने लगी, वो सचमुच में जाग चुकी थी और सोने का नाटक कर रही थी।
मैंने कहा- अब नाटक बंद करो और मजे लो !
उसने आँखें खोल लीं।
मैंने उसके सारे कपड़े उतारे और अपने भी फिर मैंने उसको चूमना और बूब्स दबाना शुरु किया। वो भी मेरे लंड को सहलाने लगी।
मेरा लंड कड़ा हो गया एवं उत्तेजना भरने लगी, शायद टेबलेट ने भी अपना असर शुरू कर दिया था।
वो भी गर्म हो चुकी थी, उसकी गुलाबी चूत से पानी रिसने लगा।
मैंने कहा- पहले मैं तेरी गांड में पेलूंगा, बहुत दिनों से ललचा रही है साली !
वो राजी हो गई।
चुदाई के मामले में हम दोनों अनाड़ी थे, दोनों का पहला अनुभव था, क्या पता क्या होगा।
मैंने उसके नीचे रजाई रखकर उसे उल्टा लिटाया गांड ऊपर उचका कर तने हुए लंड का सुपारा छेद पर लगाकर जोर लगाने लगा।
लंड गांड में घुस नहीं रहा था, बहुत जोर लगाने पर एक इंच लंड घुस गया, उसकी चीख निकली, मैंने अपने हाथों से उसका मुँह बंद कर दिया ताकि कोई सुन न ले।
वो मेरा विरोध करने लगी लेकिन मैंने उसे जकड़ कर जोर लगाना जारी रखा। लंड अंदर जा नहीं रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने लंड बाहर निकाला और दुबारा डालने को कहा। वो राजी नहीं हुई तो मैंने उसे 10 मिनट तक समझाया साथ-2 उसकी चूत भी सहलाई, तब वो राजी हुई।
इस बार मैंने सोचा कि साली कुछ भी करे, पेल कर ही रहूँगा। इस बार मैंने उसकी गांड में बहुत सारा थूक व लार भर दी व लंड से रिस रहे पानी को लंड पर लपेट लिया, लंड चिकना हो गया।
जैसे ही मैंने लंड गांड में लगाकर जोरदार झटका मारा, सड़ाक से एक ही झटके में चार इंच लंड घुस गया। मैंने उसको तेजी से दोनों टांगों के बीच दबाकर उसके मुंह पर हाथ रख लिये, उसकी आंखें फटी रह गईं तथा तड़फने लगी जैसे कोई उसको चीर रहा हो। 5 मिनट तक मैं उसी अवस्था में दबोचे रहा, फिर थौड़ा-2 लंड हिलाने लगा, फिर धीरे-2 आगे पीछे करने लगा। अब तक वह भी गांड को हल्का सा हिलाने लगी। यह देख मैंने बाकी लंड भी पेल दिया, छह इंच लंड उसकी गांड में समा गया।
मैंने धक्कों की गति तेज कर दी, वह भी गांड पीछे की ओर धकेल-2 कर मजा लेने लगी।
10 मिनट बाद मैं झड़ने वाला था, मैंने लंड गांड से खींच मुंह में पेल दिया, एकदम पिचकारी सी उसके मुंह में छूटी, उसका मुंह गले तक भर गया, मैंने इसे निगलने को मना किया और पूरा उसकी ही चूत पर कुल्ला करवा दिया।
फिर मैं चूत में उंगली अंदर बाहर करने लगा, 15 मिनट तक मैंने यह जारी रखा, उसके बाद वह गर्म हो कर कहने लगी- सी… सी… चौद दो मुझे !
मैंने देर न की, लंड का सुपारा चूत पर रख कर तेजी से झटका मारा, चूत पहले से ही गीली थी, एक ही झटके में पूरा लंड अंदर चला गया, उसके आँसू निकल आए तथा चूत से खून बहने लगा, चूत गर्म भट्टी की तरह तप रही थी।
मैंने धीरे-2 धक्के लगाना शुरु किया, थोड़ी देर बाद वह भी चूतड़ उठा-2 कर आ…ह सी… चोदो जोर से आ..ह..ह और जोर से ! मैं भी जाने क्या क्या बोल रहा था- आज तो फाड़ दूंगा, भौंसड़ा बना दूंगा।
उसकी छूटने वाली थी, उसने तेजी से मुझे भींचा और चिपक गई लेकिन मैं धक्के लगाता रहा।
वो झड़ चुकी थी, 5 मिनट बाद वो कहने लगी- बस !
पर मैं लगा रहा वह रोने लगी…
मैंने कहा- रंडी साली, चुदवा !
और तेज धक्के लगाने लगा। तेजी से मेरे लंड से पिचकारी छूटी और उसकी चूत लबालब भर गई।
मैंने तेजी से उसे भींच लिया, फिर शरीर ढीला छोड़ दिया। 20 मिनट तक मैं लेटा रहा, लंड चूत में ही था।
अचानक मुझे पेशाब लगी, ठंड के मारे उठने का मन नहीं हुआ तो चूत में ही पेशाब कर दिया।
सुबह 6 बजे तक मैंने उसे तीन बार चोदा।
सुबह उसकी आँखें लाल हो रहीं थी, दर्द के मारे उससे चला भी न जा रहा था।
सुबह मैंने उसे उसके घर छोड़ा, कहा कि ठंड के कारण बीमार हो गई है।
वह किसी को बता भी नहीं पा रही थी।
अगले 15 दिन तक वह ट्यूशन नहीं आई.. 16 वें दिन आई।
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