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सौरव मेरा नाम सौरव है, मैंने बहुत सी सेक्स कथाएँ पढ़ी हैं, तो सोचा क्यों ना अपनी सेक्स कहानी भी आपके साथ शेयर की जाए।
मेरी उम्र 22 साल है, दिखने मैं मस्त हूँ, 5’11′ हाइट है, रंग साफ़ है, ग्रेजुएट हूँ और काफी लड़कियों को चोद चुका हूँ..
मगर वो सब बाद में, अभी इस कहानी का मजा लीजिए, यह कहानी मेरी और मेरे मामा की लड़की यानि मेरी बहन की है।
उसका नाम प्रीति है, मेरी बहन की उम्र 18 साल है, 5’3′ लम्बी है, उसके चूचे 28 साइज़ के हैं। उसकी पिछाड़ी 32′ की बिल्कुल गोल-मटोल है।
बात एक साल पहले की है। मेरी मामी का देहान्त हो गया था, तो मेरी बहन के छोटे होने की वजह से और जब तक सब काम ख़तम नहीं हो जाते तब तक के लिए मम्मी उससे घर ले आईं। उसी वक्त मैं ग्रेजुएट हुआ ही था। मैंने उसे बहुत छोटे में देखा था जब वो 10 साल की थी। मगर अब जब वो घर में आई तो मैं उसे देखता ही रह गया।
उसे देखते ही मेरा लण्ड उसे सलामी देने लगा। मन तो कर रहा था कि अभी अभी दबा दूँ, मगर मैंने अपने ऊपर काबू रखते हुए उससे उसका हाल-चाल पूछा, बस पूछते ही उसने गंगा-जमना बहानी शुरू कर दी फिर मैं और मम्मी उसे चुप कराने लगे और फिर मम्मी उसके लिए पानी लेने रसोई में चली गईं।
मैं उसे चुप करा रहा था, उसे शांत करते हुए उसे समझा रहा था और उसकी कमर सहला रहा था। जहाँ तक उसकी ब्रा थी मैं बस वहीं तक अपना हाथ चला रहा था।
इतने में मम्मी आ गईं और उससे पानी पिलाया।
वो थोड़ा पानी पीकर फिर रोने लगी और रोते-रोते बेहोश हो गई, मैंने और मम्मी ने उसे सँभालते हुए बेड पर लेटा दिया।
मम्मी ने मुझसे कहा- तू इसके पास ही रहना मैं मार्किट से सब्जी वगैरह लेकर आती हूँ। फिर तुम्हारे लिए कुछ खाने को बना देती हूँ।
मैंने कहा- हमारे लिए क्यों ! आप और पापा नहीं खायेंगे !
तो मम्मी बोलीं- तेरे पापा एक घंटे में ऑफिस से आ जायेंगे तो फिर हम तेरे मामा के यहाँ जायेंगे.. रात तक लौट कर फिर खायेंगे।
मैंने कहा- ठीक है जल्दी आना।
मुझे पता था मम्मी को मार्केट से आने में कम से कम आधा घंटा तो लगेगा ही। फिर मम्मी के जाने के बाद में प्रीति के पास जाकर बैठ गया और टी.वी देखने लगा।
मैंने टी.वी का वॉल्यूम हल्का रखा जिससे प्रीति की नींद ना खुल जाए।
मैंने धीरे से प्रीति को देखा कि वो सो ही रही है ना.. फिर मैंने एफ-टीवी लगा लिया उस पर सेक्सी फोटो-शूट आ रहा था। मैं गर्म होने लगा, मैंने फिर उसकी तरफ देखा और अपना लण्ड मसलने लगा।
मैं उसे ऊपर से नीचे तक देख रहा था और साथ ही साथ एफ-टीवी भी देखता जा रहा था। उसने गुलाबी रंग का हल्का सा सूट सलवार पहना हुआ था, उसमें से उसकी ब्रा हल्की हल्की दिख रही थी।
फिर जब एफ-टीवी फोटो-शूट खत्म हो गया, तब मैंने धीरे से उठ कर टी.वी. बंद कर दिया और उसके साइड मैंने आकर बैठ गया।
मुझे डर लग रहा था कि अगर मैंने कुछ किया और प्रीति उठ गई तो मेरी तो शामत आ जाएगी।
फिर भी मैंने हिम्मत की और मैंने पहले चेक किया कि वो गहरी नींद में है या हल्की में !
मैंने उसे हिला कर उसका नाम 3-4 बोला, पर उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया, जिसे मेरी हिम्मत बढ़ गई।
मैंने धीरे से उल्टे हाथ वाले चूचे पर अपना सीधा हाथ रखा और अपने उल्टे हाथ से मैं अपना लण्ड हिला रहा था।
मैंने धीरे-धीरे चूचे पर हाथ घुमाना शुरू किया और हल्के-हल्के दबाने लगा कभी उल्टे चूचे को कभी सीधे को फिर मैंने धीरे से उसके होंठों पर अपनी उंगली घुमानी शुरू की और उसके बाद मैं धीरे से उसके मुँह की तरफ अपना मुँह लेकर गया और जल्दी से एक उसके होंठों पर चुम्बन कर दिया और उसके चूचों पर भी चुम्बन किया।
फिर मैंने अपने शॉर्ट्स मैं से अपना लण्ड निकाला और उसके होंठों पर लगाने के लिए जैसे ही आगे बढ़ा कि मम्मी आ गईं और फिर मैं वहाँ से गेट खोलने भागा।
मम्मी ने अन्दर आते ही पूछा- प्रीति उठ गई?
मैंने कहा- नहीं.. अभी भी सो रही है।
मम्मी ने कहा- चल ठीक है, मैं खाना बना देती हूँ, फिर तेरे पापा आ जायेंगे तो उनके आते ही जाना है और चल तू भी खाना बनाने में हेल्प कर !
मैंने कहा- ठीक है.. रुको मैं टॉयलेट हो आऊँ।
फिर मैं जल्दी से टॉयलेट गया और फटाफट मुठ्ठ मारी और हाथ धोकर आके मम्मी से बोला- बताओ क्या करूँ।
तो मम्मी बोलीं- गोभी साफ़ कर दे और काट दे।
एक बात और दोस्तो… मैं बहुत अच्छा खाना बनाता हूँ। मुझे बचपन से ही खाना बनाने का बहुत शौक रहा है।
फिर मैं गोभी साफ़ करने लगा और मम्मी आलू काटने लगीं।
फटाफट काम निपटा कर मम्मी ने हाथ-मुँह धोकर सब्जी चढ़ा दी और रोटियाँ सेंकने लगीं।
इतनी देर में पापा भी आ गए और पापा ने घर में आकर पानी पिया और 15 मिनट में वापस मामा के यहाँ जाने को कहा।
फिर मम्मी ने प्रीति को उठाया। मम्मी की एक ही आवाज में प्रीति उठ गई।
मैं देखता ही रह गया कि मैंने इतना कुछ किया, तब नहीं उठी और मम्मी की एक आवाज में उठ गई।
फिर मुझे लगा उसे सोते हुए भी तो काफी देर हो गई है तो हो सकता है, जल्दी उठने का यही कारण हो।
फिर मम्मी ने उससे कहा- तू हाथ-मुँह धो ले फिर खाना खा कर सो जाना।
वो खाने के लिए मना करने लगी पर मम्मी के जिद करने पर वो मान गई, वो हाथ-मुँह धोकर खाना खाने बैठ गई।
पापा भी वहीं टेबल पर बैठे थे, तो पापा उसे प्रवचन देने लगे जैसे सभी के देते हैं।
वो चुपचाप खाना खाती रही और खा कर फिर से बेड पर जाकर लेट गई।
मम्मी ने मुझसे कहा- तू भी खाना खा ले और बहन से पूछ लेना उसे कुछ चाहिए तो नहीं.. हम 3-4 घंटे में आ जायेंगे।
फिर वो निकल गए।
मैंने टीवी चला दिया और प्रीति से बोला- टीवी देख ले मूड सही हो जाएगा।
मगर यह बात बस कहने की होती है जिस पर बीतती है, वो उसी को पता होती है।
मैंने फटाफट खाना खाया और उसके साथ टीवी देखने लगा। वो कुछ नहीं बोल रही थी।
वो मेरे आते ही फिर से सोने लगी। मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा कि आज तो चाहे कुछ भी हो इसे खुश करके रहूँगा।
मेरे पास 3-4 घंटे थे।
मैं उसके सोने का इन्तजार करने लगा। वो अब भी सीधी ही सो रही थी। उसके टाइट चूचे आसमान की तरफ खड़े हुए थे। उसने आंख बंद कर रखी थीं और मैं टीवी चला कर उसके जिस्म को निहार रहा था।
करीब 45 मिनट बाद मैंने उसको धीरे हिला कर देखा, धीरे से मैं उसके और करीब आ गया और उसके हाथ पर अपनी उंगलियाँ चलाने लगा। फिर मैंने उसके होंठों पर एक चुम्बन किया।
जब मुझे यकीन हो गया कि प्रीति बहुत गहरी नींद में है, तब मैंने अपना निक्कर नीचे खिसका कर अपने 8 इंच के लण्ड को जो पूरा तना हुआ था, निकाल लिया।
फिर मैंने धीरे से प्रीति का कमीज़ उसके पेट पर से धीरे-धीरे उठाना शुरू किया और उसके चूचों के ऊपर से निकाल दिया।
उसके चूचे एकदम पर्वत की तरह तने हुए थे, उसके निप्पल भी ब्रा में उभर कर बाहर निकल रहे थे।
मेरी तो हालत खराब हो गई। मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचे मुँह में लेने लगा।
मैंने धीरे से उसके लेफ्ट वाले निप्पल को काटा, तो वो एकदम से हिली और मेरी फटी ! मैं एकदम से हट गया, मगर वो ‘ओऊ आअ’ करके फिर सो गई या सोने का नाटक करने लगी।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपना फनफनाता हुआ लण्ड उसके हाथ में पकड़ा दिया और हिलाने लगा।
फिर मैंने उसकी ब्रा धीरे से उसकी चूचियों के ऊपर कर दी और जैसे ही मैंने अपनी थूक भरी जीभ लगा के उसका मम्मा मुँह में लिया। उसने मेरा लण्ड कस कर दबा दिया।
एकदम मैंने छोड़ दिया और उसकी तरफ देखा तो वो मुझे ही देख रही थी।
मैंने पूछा- कब से जाग रही हो?
उसने कहा- जब से तुम मुझे देख रहे थे।
फिर मैं कुछ और बोलता, उससे पहले वो बोल पड़ी- अब और कोई सवाल नहीं, जो कर रहे थे करो !
फिर मैंने उसे बिठाया और उसका सूट और ब्रा निकाल कर फेंक दी और उसे चुम्बन करने लगा।
हम एक-दूसरे के मुँह में अपनी जीभ डाल कर चूस रहे थे और साथ ही साथ वो मेरा लण्ड हिला रही थी, मैं उसके मम्मे दबा रहा था। करीबन दस मिनट की चूमा-चाटी के बाद हम अलग हुए और मैंने अपने सारे कपड़े उतार फेंके और उसकी सलवार और पैन्टी भी उतार दी। उसकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे।उसकी चूत एक गोरी और बीच में से गुलाबी थी।
मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा तो वो आवाजें निकालने लगी- ऊऊऊऊओ अहहहह्हह्ह्ह्ह !’
फिर मैंने उससे पूछा- तूने कभी सेक्स किया है?
तो उसने कहा- नहीं मगर पापा-मम्मी को काफी बार करते हुए देखा है और चूत में उंगली की है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं.. आज तेरी चूत में मैं मोटी उंगली करूँगा !
मैंने उससे मेरा लण्ड मुँह में लेने को कहा, तो उसने कहा- नहीं.. इससे तो पेशाब करते हैं, इसे मुँह में नहीं लूँगी।
फिर मेरे जिद करने पर वो मान गई, उसने झिझकते हुए मेरा लण्ड मुँह में लिया और फिर उसने धीरे-धीरे चूसना शुरू किया और आगे-पीछे करने लगी।
मुझे जोश आ गया और मैं उसके बाल पकड़ कर उसके मुँह को चोदने लगा।
मेरा निकलने वाला था, मैंने जल्दी से उसके बाल छोड़ कर मुँह को पकड़ा और उसके मुँह में ही खाली हो गया और जब तक उसका मुँह नहीं छोड़ा जब तक वो मेरा सारा माल पी नहीं गई।
फिर मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला, तो उसने फिर से मुँह मे लेके चूसने लगी, हिलाने लगी।
मैं फिर से गर्म होने लगा और उसे एक मिनट के लिए रोका और हम दोनों 69 में आ गए और एक-दूसरे के गुप्त अंगों को चूसने-चाटने लगे।
करीब 20 मिनट तक यही खेल चला, इस बीच प्रीति भी झड़ गई मगर लौड़ा एकदम तना हुआ था।
फिर हम सीधे हुए, मैंने प्रीति को लेटाया और उसकी चूत में अपना लण्ड लगा दिया। मगर उसकी चूत बहुत काफी टाइट थी मैंने तीन बार प्रयास किया, मगर हर बार असफल रहा।
प्रीति हँसने लगी। फिर उसने मेरा लण्ड पकड़ा और निशाने पर लगाया, फिर मैं धीरे-धीरे अन्दर खिसकाने लगा।
लण्ड जैसे ही मेरे लण्ड का टोपा अन्दर गया, उसने एकदम से हाथ हटा लिया और दर्द से चीख पड़ी।
मैं उसके ऊपर झुका और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और एक जोरदार धक्का लगाया।
वो दर्द की वजह से छटपटाने लगी।
मैं वहीं दो मिनट तक रुका रहा।
वो रोने लगी और मुझे दूर करने लगी मगर उसकी सारी कोशिशें बेकार थीं।
कुछ देर और रुकने के बाद जब उसका दर्द कम हुआ तो मैं लण्ड को हल्के-हल्के और अन्दर धकेलने लगा।
उसे फिर दर्द होने लगा तो मैं थोड़ा सा पीछे हुआ और फिर एक जोरदार धक्का मारा।
इसके बाद मैं फिर रुका उसके चहेरे पर, होंठों पर चुम्बन करने लगा।
वो दर्द से कराह रही थी और कह रही थी- प्लीज छोड़ दो मुझे… मुझे नहीं होना खुश.. प्लीज बहुत दर्द हो रहा है !’
मैंने उसकी एक न सुनी और उसके होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया।
कुछ देर बाद वो अपनी कमर हिलाने लगी, मुझे पता चल गया कि अब इसे दर्द नहीं हो रहा है।
फिर मैंने धीरे-धीरे लण्ड को आगे-पीछे करना शुरू किया।
करीब दस मिनट बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अपना सारा माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया और उसके ऊपर ही लेट गया।
दस मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे।
तभी मम्मी का फ़ोन आया, फ़ोन उठाते ही मम्मी ने पूछा- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं !
मम्मी बोलीं- प्रीति जाग रही है या सो रही है?
मैंने कह दिया- सो रही है !’
फिर मम्मी ने कहा- चल ठीक है, मैंने फ़ोन इसलिए किया है कि हम कल सुबह आयेंगे.. तो तू भी गेट लॉक करके सो जा।
ये सुन कर तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।
मैंने कहा- ठीक है.. बाय !
फिर उस रात को मैंने प्रीति की गाण्ड भी मारी। हमने पूरी रात ख़ुशी मनाई।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी। प्लीज मेल जरुर कीजिएगा। [email protected]
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