This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
जीजा साली सेक्सी स्टोरी में पढ़ें कि मैं अपनी कामुक साली को अपने लंड के नीचे लाना चाहता था. मैं उसे भावनात्मक रूप से पिघला रहा था कि वो मुझे सेक्स का मजा दे दे.
“आपको मेरे इसको अपनी मुट्ठी में पकड़ कर के इसे स्पीड से आगे पीछे करना है ताकि ये पानी छोड़ दे और बैठ जाये. अब तुम देख लो कर पाओ तो. अदरवाइज कोई बात नहीं.” मैंने सीधे लेटते हुए कहा. मेरी बात सुन निष्ठा सिर झुकाए चुपचाप कुछ सोचती हुई सी बैठी रह गयी. “देखो निष्ठा, जो काम तुम नहीं करना चाहतीं तो मत करो न, मैंने तुमसे कुछ कह तो रहा नहीं हूं न, मेरी मुसीबत है मैं खुद भुगत लूंगा. तुम परेशान मत होओ!” मैंने कहा.
अब आगे की जीजा साली सेक्सी स्टोरी:
“ठीक है जीजू, अच्छा लाओ मैं कोशिश करती हूं कुछ करने की, मैं आपको इस तरह दर्द से तड़पते हुए भी तो नहीं देख सकती.” वो बोली. और उसने अपना हाथ मेरे अंडरवियर पर रख कर मेरे लंड को डरते डरते पकड़ लिया.
निष्ठा के हाथ का स्पर्श पाते ही मेरा लंड फनफना कर और अकड़ गया.
“साली जी, पहले इसमें तेल लगा दो अच्छी तरह से! फिर इसे प्यार से आगे पीछे करना तो ये जल्दी पानी छोड़ देगा और वापिस छोटा हो जाएगा.” मैंने उसे समझाया.
“जीजू, आप भी न कैसे कैसे काम करवा रहे हो मुझसे सच में. चलो ये भी कर देती हूं.” साली जी बोलीं और फिर उसने अपनी हथेलियों में खूब सारा तेल मल लिया और मेरी चड्डी में नीचे से हाथ घुसा कर अपने बाएं हाथ से मेरे लंड में तेल लगाने लगीं.
“आह निष्ठा … हां स्सस्सस्स ऐसे ही करती रहो … जादू है तुम्हारे हाथों में!” मैंने कहा.
उस दिन लग रहा था कि जैसे मेरे किसी पूर्व जन्म का कोई बड़ा पुण्य फलित हुआ हो. जवान खूबसूरत कुंवारी साली के तेल सने हाथ की चिकनाहट में मेरा खड़ा लंड खेल रहा था. ऐसे सुख की तो मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी.
आनंद के अतिरेक से मेरी आंखें स्वतः ही मुंद गयीं.
कुछ देर बाद साली जी ने अपना दूसरा दायां हाथ मेरी चड्डी में घुसा दिया और फिर लंड को तेल लगा कर सूतने लगीं. इतना आनंद तो मुझे कभी चूत मारने में भी नहीं मिला था. साली जी का भोला सुन्दर चेहरा देखते हुए लंड में आ रहे मजे को फील करना, उसकी कोमल हथेलियों और उँगलियों का स्पर्श मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था.
जब चूत में लंड घुसता है तो एक ही टाइप की फीलिंग आती है. पर साली जी द्वारा लंड पर तेल मालिश करने से तो अलग अलग भिन्न भिन्न प्रकार से अनुभूति हो रही थी. ये वाला मज़ा चूत मारने के मज़े से लाख गुना मजेदार था. मैं तो जैसे आनंद के सागर में गोते लगाने लगा था.
फिर निष्ठा ने दोनों हाथों से लंड पकड़ लिया और मालिश करने लगीं. ऐसा मज़ा तो कभी मेरी बीवी ने भी मुझे नहीं दिया था और न ही उससे ऐसा करवाने का ख्याल तक मेरे मन में कभी नहीं आया था.
“जीजू, हो गया न … अब ठीक है आपका दर्द?” निष्ठा कुछ देर लंड की मालिश करने के बाद उकताये से स्वर में बोली.
“अरे अभी इतनी जल्दी कहां से ठीक होगा, जब तक इसका पानी नहीं निकलेगा तब तक मेरा पेट दर्द होता ही रहेगा.” मैंने धीमे से कराहते हुए कहा. “तो कर तो रहीं हूं न, कुछ आप भी तो कोशिश करो कि जल्दी हो जाये.” वो बोली.
“निष्ठा, तू एक काम कर मेरी चड्डी नीचे खिसका दे और फिर इसे अच्छे से पकड़ कर खूब तेज तेज स्पीड से करना उससे जल्दी हो जाएगा.” मैंने उसे समझाया “नहीं … जीजू, इसे अन्दर ही रहने दो.” वो झट से बोली.
पर मैंने खुद ही अपना अंडरवियर नीचे सरका दिया. मेरा लंड आजाद होकर खुली हवा में जैसे किसी स्प्रिंग लगे खिलौने की तरह उछला और छत की ओर मुंह उठा कर सीधा तन गया. निष्ठा की नज़र मेरे खड़े लंड पर पड़ी और उसने झट से अपनी आंखों पर हाथ रख लिए.
“हाय राम जी, ये कितना लम्बा है ये और मोटा भी कित्ता सारा है; जीजू, मैं नहीं छुऊँगी इसे! मुझे तो इसे देख कर ही डर लगने लगा है. आप तो वापिस ढक लो इसे!” वो घबराहट भरे स्वर में बोली.
“अरे साली जी, डरो मत ये कोई काटेगा थोड़े ही!” मैंने कहा और उसका हाथ पकड़ कर अपने नंगे लंड पर रख लिया और उसकी उंगलियां लंड पर लपेट दीं और इसे ऊपर नीचे करने लगा. ऐसे चार छह बार करने के बाद मैंने अपना हाथ हटा लिया.
अब साली जी खुद जल्दी जल्दी मेरा लंड मुठियाने लगीं थी. लेकिन वो लंड को देखना ही नहीं चाह रहीं थीं. उसने एक हाथ की बांह से अपनी आंखें ढक रखी थीं. वो बस इस तरह आंखें मूंदे मेरा लंड की मूठ मारे जा रही थी.
उसके मेहंदी रचे गोरे गोरे हाथों की नाजुक हथेली में मेरा गहरा काला लंड बड़ा ही मनमोहक लग रहा था मुझे! लंड और उसकी हथेलियों का परफेक्ट कलर कॉम्बिनेशन था. साली जी कभी बायें हाथ से, कभी दायें हाथ से मेरे लंड की मुठ मार रही थी.
फिर अचानक उसने लंड छोड़ दिया. “उफ्फ, जीजू कितना मोटा और कड़क है आपका ये! मेरी मुट्ठी में पूरा नहीं समा रहा और मेरे तो हाथ दुखने लगे. अब मेरे बस का नहीं है.” वो आंखें बंद किये हुए ही बोलीं और अपने हाथ खुद दबाने लगीं.
मेरा लंड बिना किसी सहारे के हवा में फहराने लगा था. मैं उसकी परेशानी समझ रहा था. पर इधर मुझे लंड को डिस्चार्ज करना भी बहुत जरूरी था.
फिर मैंने कुछ सोच कर निष्ठा से कहा- साली जी, बस दो तीन मिनट और लगेंगे, अबकी बार इसे अपने पैरों के बीच दबा कर कर दे न जल्दी जल्दी! मैंने याचना करने जैसे स्वर में कहा.
निष्ठा ने आंखें खोल कर मुझे असमंजस भरी निगाहों से देखा और फिर थोड़ा सा पीछे खिसक कर अपने दोनों पैरों के तलुओं में मेरा लंड दबा लिया और अपने पैर ऊपर नीचे करते हुए लंड का पग-मैथुन करने लगी. इस बार उसने आंखें बंद नहीं कीं और लंड की ओर देखती रही.
निष्ठा के सुकोमल गुलाबी पैरों के नाखूनों में लाल रंग की नेल पोलिश लगी हुई थी और उन कोमल गुलाबी तलवों के बीच मेरा तेल सना चमकदार काला लंड जैसे अपनी किस्मत पर इठला रहा था. साली जी के पांव जब नीचे की तरफ आते तो मेरे लंड का सुपारा भी फोरस्किन से बाहर निकल झांकने लगता. और जब वो पांव ऊपर करती तो सुपारा वापिस गायब हो जाता. अआह … कितना नायाब नज़ारा था वो मेरे लिए.
करीब दो मिनट तक तो निष्ठा ने पैरों से लंड ऊपर नीचे किया फिर हट गयी. “जीजू, अब मेरे बस का कुछ नहीं है. आप जानो आपका काम जाने, अब जो करना हो आप खुद ही कर लो, थक गयी मैं तो बुरी तरह!” वो थोड़ा झुंझला कर बोली.
“साली जी मैं आपकी परेशानी समझ रहा हूं. आज आपने मेरे लिए बहुत कुछ कर दिया है. मेरे हाथ पैरों की मालिश करके आपने मुझे बहुत राहत दी है पर उसी का साइड इफ़ेक्ट ये हुआ कि ये लिंगदेव उत्तेजित हो कर खड़े हो गए. वास्तव में मुझे आपसे इसका पानी निकालने के लिए कहना ही नहीं चाहिए था. पर मेरी भी मजबूरी थी; आई एम् सॉरी निष्ठा. देखो निष्ठा मेरे लिंग का खड़ा हो जाना एक नेचुरल क्रिया है, प्रकृति के अपने नियम हैं, शरीर की कुछ क्रियाएं परिस्थितिवश अनचाहे, अनैच्छिक, अपने आप स्वतः ही होती हैं. सो प्लीज किसी बात का बुरा नहीं मानना; जैसे मुझे ये हुआ तो तुम्हें भी तो कुछ न कुछ हुआ ही होगा, है न?” मैंने कहा.
“कोई बात नहीं जीजू, मुझे किसी बात का बुरा नहीं लगा. आपने कोई जानबूझ कर तो कुछ किया नहीं और सुनो मुझे कुछ नहीं हो रहा है, आप मेरे बारे में ऐसे मत सोचो.” वो बोली.
“थैंक्स साली जी, तुम कितनी अच्छी हो. अब एक लास्ट बात और मान लो तो इसका काम तमाम मैं ही कर देता हूं अभी!” मैंने लंड पकड़ कर हिलाते हुए कहा. “जीजू, अब मैं कुछ नहीं करूंगी, कब से तो लगी हूं इसका कुछ हो ही नहीं रहा तो मैं ऐसे कब तक करूंगी?” वो थके स्वर में बोली. “अरे मैं तुझसे कुछ करने के लिए थोड़े ही कह रहा हूं, पूरी बात तो सुन पहले!”
“अच्छा जल्दी बताओ क्या है अब?” वो आशंकित स्वर में बोली. “निष्ठा तुम यहीं लेट जाओ और इसे अपने दोनों हाथों से पकड़ लो मैं तुम्हारे ऊपर आ के इसे अपनी कमर से हिलाता रहूंगा तो दो मिनट में इसका पानी छूट जाएगा.” मैंने संकोचपूर्वक कहा.
“धत्त, मुझे बहुत शर्म आएगी आपके नीचे लेटने में, मैं ना लेटती, रहने दो आप तो!” साली जी ने नखरे दिखाये. “प्लीज साली जी, मान जा न ये आखिरी बात, जब तूने इतना सब किया है तो ये अंतिम बात भी मान ले न. बड़ी कृपा होगी आपकी!” मैंने प्यार से हाथ जोड़ कर कहा. “सच में बहुत बुरे हो जीजू आप! क्या कह देते हो कुछ सोचते भी नहीं. अगर मैं आपकी बात मान भी गयी तो फिर कोई और शरारत सूझेगी आपको फिर कहोगे कि ये तो नेचुरल था, है न?” वो बोली.
“अरे बाबा मुझे और कुछ भी नहीं करना है अभी, बस तू मेरे ऊपर थोड़ी सी दया और कर दे बस!” मैंने प्यार से दुखी सा होकर कहा.
“ठीक है जीजू, ये लास्ट बात मान के लेटती हूं सिर्फ दो तीन मिनट के लिए; आपका हो जाय तो ठीक नहीं तो आप जानो!” निष्ठा ने तिक्त स्वर में कहा. और वो बेड पर मेरे बाजू में अनमनी सी लेट गयी.
मैं भी उसके ऊपर छा गया और मैंने अपना लंड उसकी दोनों हथेलियों के बीच पकड़ा दिया और उसके हाथ उसकी जाँघों के बीच कर दिए फिर उससे कहा- बस इसे ऐसे ही पकड़ के पड़ी रहना, बाकी मैं खुद कर लूंगा.
मैंने अपने दोनों हाथ बेड पर रख दिए ताकि मेरा भार निष्ठा पर न पड़े. फिर मैंने अपनी कमर को धीरे धीरे ऊपर नीचे करना शुरू किया तो निष्ठा की मुट्ठी में मेरा तेल से सना चिकना लंड अच्छे से सटासट अन्दर बाहर होने लगा. निष्ठा अपनी आंखें मूंदें चुपचाप मेरा लंड अपने दोनों हाथों से दबाये लेटी थी. मेरे लगातार घर्षण करने से वो भी व्याकुल होने लगी और अपना सिर दायें बायें करने लगी जैसे उसे बहुत बेचैनी हो रही हो. आखिर वो जवान छोरी थी लंड के घर्षण का असर तो उस पर होना ही होना था. जैसा मैं चाहता था वैसा ही हो रहा था.
इसी विश्वास के साथ मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. मेरे नीचे लेटी निष्ठा ने भी अपनी जांघें थोड़ी सी खोल दीं और लंड को हाथों से छोड़ इसे अपनी जाँघों के बीच कस के दबा लिया और जांघे भींच लीं.
इससे हुआ ये कि मेरे लंड के धक्के उसे अपनी जाँघों के बीच महसूस होने लगे और मेरा लंड बार बार उसकी चूत के ऊपर टकरा टकरा कर घर्षण करने लगा, चूत पर रगड़ने लगा.
मैंने देखा कि निष्ठा की आँखों में वासना के गुलाबी डोरे तैरने लगे थे. उसका मुंह खुल चुका था और वो मुझसे लिपटने जैसी कोशिशें करने लगी थी. बस तभी मेरा लंड जवाब दे गया और लंड से वीर्य की पिचकारियां छूटने लगीं.
“निष्ठा … आआ आअह्ह ह्हह्ह मेरी जान … बस मजा आ गया.” मेरे मुंह से निकला और मैंने उसके दोनों दूध कुर्ते के ऊपर से पकड़ कर जोर से दबाते हुए उसके गालों को चूम चूम कर उसका निचला होंठ चूसने लगा. इधर मेरे लंड से रस का फव्वारा सा निकल निकल कर उसकी सलवार को भिगोने लगा था.
“ओ मेरे प्यारे जीजू …” साली जी के मुंह से भी निकला और वो मुझसे अचानक जोर से, पूरी ताकत से लिपट गयी और उसने अपनी कमर को चार पांच बार जोर जोर से उछाला और अपनी चूत मुझसे रगड़ने लगी फिर उसने अपनी टांगें मेरी कमर में लपेट दीं. स्पष्ट था कि वो बिना चुदे ही झड़ रही थी.
कोई दो मिनट तक वो मुझसे जोंक की तरह लिपटी झड़ती रही. और जब उसके जिस्म के कम्पन शांत हुए तो उसका भुज बंधन भी ढीला पड़ गया.
मैं भी उसके ऊपर से हट गया और वो झट से बेड से उतर कर खड़ी हो गयी. उसके चेहरे पर लाज की गहरी लाली स्पष्ट दिख रही थी पर उसकी कामवासना युक्त गुलाबी आंखें चढ़ी चढ़ी सी लग रहीं थीं जैसे उसने कोई नशा कर लिया हो.
“कर ली न अपनी मनमानी? देख लो मुझे और मेरे सारे कपड़े गंदे कर दिए आपने!” साली जी ने मुझे मेरे वीर्य से सनी अपनी सलवार दिखाई. साथ ही मैंने देखा कि उसकी सलवार भीतर की तरफ से भी भीगी थी और जाँघों से चिपक गयी थी, इसका मतलब इनकी चूत से जो रस बहा होगा उससे पहले पैंटी फिर सलवार गीली हुई और जांघे भी भीग गयीं थीं, गुलाबी जांघों की आभा गीली सलवार से फूट फूट कर निकल रही थी.
“साली जी मेरी सॉरी, पर जो आपकी पैंटी और जांघें आपने खुद गीली कर लीं उसका दोष तो मुझे मत दीजिये न!” मैंने मुस्कुरा कर कहा. मेरी बात का अर्थ समझ कर निष्ठा का मुंह लाज शर्म से और लाल पड़ गया.
“रहने दो, आपसे बात करना तो अपनी मुसीबत खुद मोल लेना है. मैं जा रही हूं नहाने! आप भी उठो और रेडी हो जाओ फिर अस्पताल चलना है.” साली जी बोलीं और फुर्ती से निकल लीं.
प्रिय पाठको, जीजा साली सेक्सी स्टोरी कैसी लग रही है आपको? [email protected]
जीजा साली सेक्सी स्टोरी जारी रहेगी.
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000