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सम्पादक : इमरान
मेरा नाम आफताब है, महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ। मैं 30 साल का नौ जवान हूँ, मेरी शादी हो चुकी है और मेरा एक बेटा भी है। मेरी यह कहानी हक़ीकत है। मेरी ज़िंदगी बड़ी मज़े से कट रही थी किस्मत से मैंने बड़ी ही सेक्सी बीवी पाई है पर एक दिन अचानक मेरे बड़े चाचाजान की बेटी हमारे घर आई और साथ में अपनी बेटी को भी ले आई जिसका नाम शफ़ीना है। मेरी आपा ने कहा कि इसे 2 साल के लिये अपने साथ अपने घर रखो तो यह कॉलेज में भी पढ़ लेगी और कुछ घर का काम भी सीख जायेगी तो मेरी अम्मी ने उसको हमारे घर रख लिया और वो रोज़ कॉलेज जाने लगी। वैसे तो मैंने कभी उसको बुरी नज़र से नहीं देखा था पर उसका फिगर मेरी पसन्द जैसा था, मीडियम लम्बाई, गोरा रंग, छोटे छोटे उरोज 32 इन्च के ! वो हर रोज़ सुबह घर का काम करके कॉलेज चली जाती और आकर फिर मोबाइल पर मैसेज करती रहती। मुझे उस पर शक हुआ और मैंने उस पर नज़र रखना शुरू किया। वो उसी कॉलेज में पढ़ती थी जहाँ से मैंने डिग्री की थी। एक दिन उसका पीछा करते करते में कॉलेज के पीछे वाले टायलेट तक चला गया जहा आमतौर पर कोई जाता नहीं था। मैंने देखा शफ़ीना वहाँ एक लड़के के साथ लिपटा-चिपटी, चूमा चाटी कर रही थी। मैं तुरन्त वहाँ से निकल गया और घर आ गया, सोचा कि उसको खूब डांटूँगा पर मुझे लगा कि अगर यह बात घर में सबको पता चली तो अम्मी शफ़ीना को वापस उसके घर भेज देंगी और उसकी पढ़ाई अधूरी रह जायेगी, इसलिये मैं खामोश रहा। उसके लिये कोई अलग से कमरा नहीं था इसलिये वो लिविंग रूम में सोती थी और उस कमरे का एक दरवाज़ा मेरे बेडरूम में खुलता था। जब से वो आई थी, मैं अपनी बीवी के साथ खुल कर सेक्स भी नहीं कर सकता था, अगर थोड़ी सी आवाज़ बढ़ जाये तो मेरी बीवी कहती कि बाजू के कमरे में शफ़ीना है, ज़रा आराम से ! पता नहीं क्या हुआ, अचानक एक रात में नींद से जगा जैसे आधा नींद में हूँ, शफ़ीना के कमरे में चला गया और उसे देखने लगा, उसके छोटे से स्तन मुझे उकसा रहे थे, मुझसे रहा नहीं गया और मैं धीरे धीरे उसके चूचे दबाने लगा, मुझे कोई होश नहीं था कि मैं क्या कर रहा हूँ। अचानक वो जाग गई और कहने लगी- क्या कर रहे हो मामा? मैं थोड़ा सा परेशान हो गया और पीछे सरक गया। वो उठी और फिर मुझसे पूछा- क्या बात है? मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा- चल मेरे साथ ! वो भी उठकर चलने लगी। बाहर वाले बाथरूम में ले जाकर मैंने उसे चूमना चाहा तब वो झटका देकर मुझसे दूर हो गई और कहने लगी- क्या कर रहे हो मामा? मुझे ये सब पसंद नहीं। मैं सकते में आ गया, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, वो चली गई, फिर मैं भी अपने बिस्तर पर जाकर सो गया। सुबह जब मैं उठा तो मुझे अजीब सी शर्मिंदगी थी, मैं उससे नज़र नहीं मिला सकता था पर उसने कुछ ऐसा बर्ताव किया जैसे कुछ हुआ ही नहीं। बस फिर क्या था, मेरी हिम्मत बढ़ गई, जिसे कल तक मैं सिर्फ़ अपनी भांजी समझता था, अब मैं उसके साथ सेक्स करने के सपने देख रहा था। आते जाते में उसके शरीर को छूने की कोशिश करता, कभी उसके चूतड़ों को हाथ लगाता, कभी कोहनियों से उसके चूचे दबाता पर उसकी तरफ से कोई प्रत्युत्तर ही नहीं था। मैं समझ गया कि वैसे भी उसकी प्यास तो उसका बॉयफ्रेंड बुझा रहा है और वो मुझसे उम्र में 11 साल छोटी थी, फिर भला वो मुझमें क्यों दिलचस्पी लेती, पर मैंने तो ठान लिया था कि किसी भी हाल में शफ़ीना को चोदना है। एक दिन मेरे घर के सभी लोग शादी के लिये गाँव गये, सिर्फ़ मैं और शफ़ीना नहीं गई क्योंकि मुझे ऑफ़िस से छुट्टी नहीं मिली थी और दूसरे दिन शफ़ीना की परीक्षा थी तो उसको पढ़ाई करनी थी। सबके जाते ही मेरे मन में बैठा शैतान जाग गया और मैंने एक योजना बनाया। मेरे बेडरूम वाले कंप्यूटर में वो अक्सर वीडियो सोंग सुना-देखा करती थी, मैंने हिडन फाइल्स में से कुछ ब्लू फिल्म निकाली और उनके नाम बदल करके ‘कुछ कुछ होता है’ और ‘मन’ जैसी फ़िल्मों के नाम दे दिये और मैं ऑफ़िस चला गया, जाते वक़्त मैंने अपना हेंडी कैम चालू कर दिया, यह देखने के लिये कि मेरे नहीं होने पर वो क्या करती है? दिनभर तो मेरा मन ऑफ़िस में नहीं लगा तो मैं शाम को जल्दी जल्दी घर पहुँचा। वो रसोई में खाना बना रही थी, मैंने कंप्यूटर चालू किया और सबसे पहले हिस्ट्री चेक की, उसमें वही सब पॉर्न वीडियो थे। बस मुझे यकीन हो गया कि वो क्या कर रही थी। फिर मैंने हैंडी कैम चालू किया पर उसमें सिर्फ़ 2 घंटे की शूटिंग होती है और उतनी देर तो उसने कंप्यूटर चालू भी नहीं किया था। मेरा आधा प्लान फेल हो गया था पर आज तो कुछ ना कुछ करना था। तो हमने खाना खाया और बातें करने लगे। बातों बातों में मैंने उसको कहा- शफ़ी, ज़रा एमपी थ्री सोंग तो लगा पी.सी पर ! वो उठ कर कंप्यूटर के सामने बैठ गई। मैं उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसकी गर्दन की मालिश करने लगा, वो गाने सलेक्ट करने में लगी थी। मैं मालिश करते करते हाथ पीठ पर ले गया और उसको पूछा- ठीक है ना या और ताक़त लगा कर करूँ? वो बोली- नहीं मामा, इतना ही काफ़ी है। धीरे धीरे मैं हाथ पीठ के बीच में लाया और और पीठ से बूब्स तक मालिश करने लगा तो वो थोड़ा सा बदन चुराने की कोशिश करने लगी पर सब बेकार था क्योंकि आज मुझे किसी का डर नहीं था, ना मेरी बीवी घर में थी, ना अम्मी, ना और कोई में उसके बूब्स ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगा और उसको चूमने के लिये झुका तो उसने मुँह फेर लिया। मुझे गुस्सा आया, मैंने अपने दोनों हाथो में उसको उठाया और बेड पर डाल दिया और उसको गुस्से में बोला- साली रंडी, मुझे किस नहीं देती और वहाँ कॉलेज के टायलेट में किसी अन्जान लड़के से चुदती है? क्या मैं इतना बुरा हूँ साली छीनाल? मैंने ज़ोर ज़बरदस्ती उसके लबों पर अपने लब रख दिये और फिर क्या था, वो भी मुझे नीचे से रेस्पोन्स देने लगी। अगले एक मिनट में मैंने अपनी कई महीनों की इच्छा पूरी कर ली, एक झटके में उसके कपड़े उतार दिये, अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी और उसके छोटे उभारों से मैं खेल रहा था, उसका वजन ज्यादा नहीं था तो मैंने उसे उठा उठा के चोदा। वो मेरे शरीर से ऐसे लिपट गई जैसे सांप किसी पेड़ पर लिपटता है। आज इस बात को कुछ महीने हो गये है पर अभी तक कोई दूसरा मौका नहीं मिला चुदाई का ! बस आते जाते में शफ़ीना को चूम लेता हूँ और यहाँ वहाँ हाथ लगा लेता हूँ पर इतनी आसानी से नहीं छोड़ूँगा मैं उसको… अगले हफ्ते मेरी बीवी 15 दिन के लिये मायके जाने वाली है, फिर देखो चुदाई गपागप !
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