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मैं रोशनी जैन, मेरी उम्र 38 साल है, बदन 38D-31-38 है. पाँच साल पूर्व मेरी पति की मृत्यु एक कार दुर्घटना में हो गई थी। मेरी कोई औलाद भी नहीं है। पर मेरे पति बहुत आकर्षक थे, मुझे बहुत प्यार करते थे. अब मैं उसी प्राइवेट कम्पनी में नौकरी कर रही हूँ जहाँ मेरे पति काम करते थे। पिछले पाँच साल में मुझे किसी का मर्दाना साथ नसीब नहीं हुआ। ऐसा नहीं कि किसी मर्द ने मेरे पास आने की कोशिश ही नहीं की, बल्कि मैंने ही किसी को अपने पास नहीं आने दिया। मैं अकेली रहती रही और रहती हूँ!
मैं अपनी यौन जरूरतें अपनी उंगली, घर में रखी हुए सब्जियों जैसे बैंगन, तोरी, खीरा, केला गाजर से पूरी करती हूँ। कई बार जब बहुत मन चाहता है तो अपनी कुछ ऑफ़िस फ्रेंड्स को बुला लेती हूँ और ब्ल्यू फ़िल्म देख कर आपस में एक दूसरी को मज़ा देती हैं। इस कहानी में मैं आपको कुछ रोचक घटनाएं जो पिछले पाँच सालों में मेरे साथ हुई, वो आपको बताऊँगी।
चूँकि मुझे पता था कि अब मैं शादी नहीं करूँगी इसलिए मैंने अपनी फ़ुद्दी के साथ कुछ अलग ही प्रैक्टिकल किया था, मगर आप लड़कियाँ, बहनें और आंटी प्लीज़ आप ऐसा कुछ करने की कोशिश मत करना, इन सब से दूर ही रहना…
एक दिन मैं रसोई में तोरी काट रही थी, मैंने काफ़ी दिनों से फ़ुद्दी के बाल साफ नहीं किए थे, मुझे फ़ुद्दी पर खारिश शुरू हो गई, मैं घर में अकेली थी, मैंने एक दो बार फ़ुद्दी पर खुजली की मगर साली खारिश फिर भी लगी हुई थी।
मेरे हाथ में एक बड़ी दस इन्च लंबी और तीन इन्च मोटी तोरी थी, मुझे अपनी फ़ुद्दी पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि मैंने सुबह ही तो स्नान किया था तो अब फ़ुद्दी में खुजली क्यों हो रही है, मैंने सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार उतार दी, मैंने वो मोटी तोरी गुस्से में आकर अपनी फ़ुद्दी में पूरी उतार दी जिससे मेरी फ़ुद्दी के लबों से थोड़ा खून भी निकल आया और मैं दर्द के मारे चीखने लगी।
खैर जब तोरी को फ़ुद्दी में घुमाया तो खून निकलना रुक गया, तो मैं उस मोटी तोरी से अपनी फ़ुद्दी को चोदने लगी। दोस्तो, ऐसा मज़ा मुझे पहला कभी नहीं आया था, जो उस दिन आया था, अपने हाथों से अपनी फ़ुद्दी फाड़ कर !
फिर मैं जिस छुरी से तोरी काट रही थी, उसी से फ़ुद्दी के बाल काटने लगी, एक हाथ की उंगलियों से बाल पकड़ कर उन पर ऐसे छुरी चला रही थी कि जैसे मैंने उन्हें हलाल कर रही हूँ। बाल तो क्या कटने थे, मुझे काफ़ी तकलीफ़ हुई पर इस दोहरी तकलीफ़ में मुझे खूब यौनानन्द मिला और मेरी फ़ुद्दी शांत हो गई, फुद्दी का वीर्य भी निकल आया।
फ़िर तो वो मैंने तोरी छिलके समेत बिना धोये कुकर में डाल कर पका ली और मज़ा ले ले कर खा गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मैंने वो सब्जी अपनी पड़ोसन को भी दी, बाद में उसने मुझे बताया कि सब्जी बहुत स्वादिष्ट थी।
मैंने दिल में सोचा- अपनी फ़ुद्दी फाड़ कर जो पकाई थी। मैं आप सब बहनों, भाभियों, आन्टियों और बहु-बेटियों से एक बार फ़िर गुजारिश करती हूं कि ऐसा करने की कोशिश मत कीजिएगा।
दूसरी घटना:
होली का दिन था, मेरी ऑफ़िस की तीन सहेलियाँ मुझसे मिलने घर पर आ गईं। उस दिन वैसे ही मेरा मूड ऑफ था, वो सालियाँ मुझे बताने लगी कि उनके पतियों ने उन्हें कस कर चोदा, जिससे मेरा दिल भी लण्ड लेने को करने लगा और वो सालियाँ मज़े से अपनी चुदाई की कहानियाँ सुना रही थी। मुझे गुस्सा आ रहा था मगर मैंने कंट्रोल किया।
मेरे ज़हन में एक आइडिया आया, मैंने अपनी सहेलियों को हार्ड ड्रिंक की ऑफर की तो उन्होंने मना नहीं किया। मैं रसोई में गई, शराब की बोतल निकाली, एक गिलास भरा और बाकी एक जग में पूरी बोतल उलट दी। मैंने अपनी साड़ी को ऊपर किया, पैंटी नीचे की और अपनी फ़ुद्दी से जग में पेशाब करने लगी, मैंने सोचा कि अब सालियों को मज़ा आएगा।
मैंने जग से दोबारा शराब एक सादी बोतल में डाली और उन रण्डियों के सामने तीन गिलास, बोतल, सोडा वगैरा रख दिया। बार बार रसोई से सामान लाने के चक्करों में मैं अपना गिलास भी ले आई, उन्हें पता नहीं लगने दिया। वे सब पैग बना बना कर पीने लगी।
मैंने पूछा- कैसा लग रहा है? सबबे कहा- यह बहुत मजेदार है, लेबल तो है ही नहीं? मैं बोली- लेबल कहाँ से होगा, देसी है, गाँव की भट्टी की ! और मैं दिल में हँसने लगी।
फिर जब उन्होंने 3-3 पैग लगा लिए तो मैं एक बार फिर बोली- मज़ा आया ना? सबने कहा- हाँ, मगर वो नशा नहीं है, जो होता है। मैंने कहा- हाँ, तुम्हें शराब का नशा थोड़े ही होगा, तुम तो लण्ड के नशे में रहती हो। और वो सब हँसने लगी।
मैं आप सब बहनों, भाभियों, आन्टियों और बहु-बेटियों से एक बार फ़िर गुजारिश करती हूं कि ऐसा करने की कोशिश मत कीजिएगा। अगली घटनाएँ मैं अगले भाग में पेश करूँगी।
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