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साली की चुत की कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी साली को लंड दिखाकर उसकी वासना को जगाया. फिर उसे चूमते चूसते हुए उसकी सलवार पैंटी उतार कर …
“शैतानी मत करो जीजू, ये ठीक नहीं हैं … मान जाइए प्लीज!” वो कांपती सी आवाज में बोली. पर मैंने उसकी बात अनसुनी करते हुए अपनी मनमानी करता रहा. फिर मैं उसके ऊपर आ गया और उसका निचला होंठ अपने होंठों में दबा कर अच्छी तरह से चूसने लगा.
अब आगे की साली की चुत की कहानी:
अब आगे की साली की चुत की कहानी:
वो लगातार मेरा विरोध किये जा रही थी और मुझसे दूर हटने की पूरी पूरी कोशिश कर रही थी पर मैंने उसकी दोनों हथेलियां अपनी हथेलियों में फंसा लीं और उसे अच्छे से चूमते हुए किस करता रहा. मेरे सीने तले दबते हुए उसके स्तन बहुत ही मस्त फीलिंग दे रहे थे. मैंने उसकी हथेलियां छोड़ कर दोनों मम्में दबोच लिए और उन्हें कुर्ते के ऊपर से ही मसलने लगा और उसके दोनों गाल चाटने लगा.
कुंवारी लड़की की देह को मसलने का, उसके जिस्म का नमक चखने का निराला मज़ा होता है जिसका आनंद में जी भर कर लूट लेना चाह रहा था.
“जीजू ऐसे मत करो उफ्फ …” वो बेचैनी से बोली. “क्यों क्या हो रहा है साली जी को?” मैंने कहा और उसका एक दूध कुर्ते के ऊपर से ही अपने मुंह में भर लिया. “मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता बस. आप बहुत ही गंदे हो; मुझे छोड़ दो आप तो बस बहुत हो गया.” वो तुनक कर गुस्से में बोली और मुझे परे धकेलने लगी. “निष्ठा मेरी जान, अभी तो खेल शुरू हुआ है, आज मेरी साली पूरी घरवाली बनेगी.” मैंने कहा और सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत मसल दी.
“देखो जीजू मान जाओ, नहीं तो मैं कल दीदी से शिकायत करूंगी आपकी.” उसने मुझे धमकी दी. पर उसकी आवाज में दम नहीं था “ठीक है कर देना मेरी शिकायत, जो होगा मैं भुगत लूंगा.” मैंने भी ढिठाई से कहा और अपना हाथ उसकी जांघों के बीच घुसेड़ के उसकी चूत कुरेदने लगा.
वो मेरा हाथ हटाने की कोशिश करने लगी पर हटा नहीं पाई. साथ ही ऊपर की तरफ मैं उसकी क्लीवेज चाट रहा था; मुझे पता था कि मेरी कोशिशों का असर जल्दी ही होगा और हुआ भी वैसा ही; उसका विरोध कमजोर पड़ने लगा.
मैं उसकी चूत सलवार के ऊपर से लगातार मसले जा रहा था और कुर्ते की ऊपर से ही बूब्स काटता जा रहा था. दो तीन मिनट बाद ही निष्ठा ने शरीर ढीला छोड़ दिया. मतलब उसकी चूत भी रसीली होने लगी थी.
मौका देख कर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया. उसने झट से दोनों हाथों से सलवार पकड़ ली और बोली- देखो जीजू, आप ऊपर ऊपर से जो चाहो सो कर लो! पर मेरे साथ अभी वो काम मत करो प्लीज! जीजू मैं सच में बिल्कुल कोरी कुंवारी हूं.
“साली जी, देखो हम यूं प्यार करते करते अब इतनी दूर आ चुके हैं कि अब वापिस लौटना असंभव है. इसलिए जो हो रहा है उसे होने दो और एन्जॉय करो.” मैंने भी गंभीर होकर कहा.
“एंड आई एम् डैम्न लकी निष्ठा. तेरी दीदी भी सुहागरात में बिल्कुल कोरी कुंवारी, सील पैक निकली थी, आज इतिहास फिर से खुद को दोहराएगा और निष्ठा रानी के कौमार्य का भोग भी मुझे ही लगेगा.” मैंने कहा और साली जी का कपोल चूम लिया.
मैंने उसे अपने आगोश में भर कर उसकी ढीली सलवार में हाथ घुसा कर पैंटी के भीतर लेजाकर उसकी नंगी चूत अपनी मुट्ठी में भर ली और उसे बड़े प्यार से धीरे धीरे आहिस्ता आहिस्ता मसलने, सहलाने लगा. निष्ठा की सांसें अब तक भारी हो चुकीं थीं. स्पष्ट था कि कामदेव का पुष्पबाण उसे भी वेध चुका था.
मेरे चूत मसलने का असर ये हुआ कि उसने अपनी जांघें थोड़ी सी खोल दीं जिससे उसकी समूची चूत मेरी मुट्ठी में बड़े आराम से आ गयी. अब मैंने बड़े इत्मीनान से उसकी चूत के बाहरी होंठ अपनी तर्जनी उंगली और अंगूठे से चौड़ी खोल कर चूत के रस से अपना अंगूठा गीला किया और चूत की मणि या भगान्कुर को अपने अंगूठे से छेड़ने लगा.
निष्ठा के कामकेंद्र का मेनस्विच ऑन हो चुका था और अब उसकी रग रग में प्रचण्ड वासना की उत्तेजना खून के साथ बह निकली थी.
प्रत्युत्तर में निष्ठा ने मेरी बांह पकड़ कर अपने ऊपर झुका लिया और अपनी बाहें मेरी गर्दन में डाल कर मुझे अपने आप से चिपटा लिया.
अब मैं पूरी तरह से आश्वस्त होकर कि साली जी अब चुद कर ही मानेंगी, मैं उसके पांव के पास बैठ गया और उसके तलवे चाटने चूमने लगा. फिर पैरों को चूमते हुए सलवार के ऊपर से ही जांघों को दांतों से काटने लगा.
निष्ठा परकटी हंसिनी की तरह बेबस अपनी एड़ियां बिस्तर पर रगड़ रही थी.
फिर मैंने अगला स्टेप लिया. निष्ठा की सलवार-पैंटी दोनों को एक साथ पकड़ कर नीचे खिसकाने लगा. साली जी ने तुरंत अपनी कमर उठा दी जैसे उसेखुद जल्दी थी अपनी पैंटी उतरवाने की. सलवार उतार कर मैंने वहीं फर्श पर फेंक दी और पैंटी को हाथ में लेकर मैंने जोर से सूंघा. निष्ठा की चूत की मादक गंध मेरे भीतर तक समा गई. अब निष्ठा कमर से नीचे पूरी नंगी थी और उसकी नंगी चूत मेरे सामने थी. अब सामने क्या? बिजली तो कब की जा चुकी थी और कमरे में तो घुप्प अंधेरा था … काश वो नजारा मैं अपनी आंखों से देख पाता.
ये कैसा अजीब खेल था वो कुदरत का, कैसी विडम्बना थी कि साली जी की नंगी चूत मेरे सामने थी पर मैं उसे देख नहीं सकता था.
तेज बारिश और बादलों की गड़गड़ाहट बदस्तूर जारी थी; बीच बीच में बिजली भी कौंध जाती जिससे निष्ठा की झांटों वाली चूत का दीदार क्षणमात्र के लिए हो जाता था. मैं साली जी की नंगी जांघों पर झुक गया और चूम चूम कर उन्हें जीभ से चाटने लगा.
ऐसे करते करते मेरे होंठ साली जी की चूत पर जाकर ठहर गए. साली जी की झांटें कुतरी हुई छोटी छोटी सी थीं, नाखून बराबर छोटी छोटी सघन झांटें मेरे होंठो में चुभ रहीं थीं पर उस चुभन में भी मज़ा था.
मैंने साली जी की बुर के बाहरी होंठ चाटते हुए उन्हें आहिस्ता से खोल लिया और चूत के आंगन में अपनी जीभ घुसा ली. उसकी चूत के रस का नमकीन साल्टी स्वाद मेरे मुंह में घुल गया जैसे मोनेको का नमकीन बिस्किट होता है न कुछ कुछ वैसा ही.
“छी जीजू … कितने गंदे हो आप. आपको जरा भी झिझक नहीं लगती इस गंदी जगह पर मुंह रखने से, हटो मेरे पास से!” वो किंचित रोष पूर्वक बोली. “निष्ठा तेरे लिए दूल्हा भी मैं ऐसा ही ढूँढ के लाऊंगा जो तेरी चूत को रस मलाई की तरह चाटेगा फिर चोदेगा तुझे!” मैंने मजाक में कहा.
“जीजू, आगे कुछ और कहा न तो फिर देख लेना आप पिटोगे मेरे हाथ से आज!” वो बोलीं और उसने मेरे सिर के बाल पकड़ कर मेरा सिर अपनी चूत पर जोर से दबा दिया साथ ही उसके मुंह से ‘आआअ ह्हह्हह जीजूऊ ऊऊऊ … ये क्या कर दिया मुझे. उफ्फ्फ मत करो न …’ ऐसी कामुक आवाजें उसके मुंह से आने लगीं और उसने अपनी जांघें मेरी गर्दन में लपेट कर लॉक कर दीं और अपनी कमर उठा उठा कर चूत को मेरे मुंह पर रगड़ने लगीं.
तभी अचानक लाइट आ गई. बेडरूम में नीले रंग का नाईट बल्ब जल रहा था जिससे मद्धिम सी रोशनी कमरे में फैल गई. लाइट आते ही निष्ठा ने मुझे धकेल कर अलग कर दिया और उसने अपने घुटने मोड़ कर सीने से लगा कर फिर करवट लेकर लाज की गठरी बन गयी.
“जीजू लाइट बंद करो जल्दी से!” वो घबराहट भरे स्वर में बोली.
साली जी के गोल गोल गोरे चिकने नितम्ब उस हल्की सी रोशनी में भी दमक रहे थे, मैंने अनायास ही झुक कर उन्हें चूम लिया और उसकी मांसल चिकनी जाँघों को सहलाते हुए नितम्बों पर चार पांच चपत लगा कर पैर खोलने का प्रयास करने लगा.
“जीजू, प्लीज लाइट बुझा दो पहले. मैं मर जाऊँगी अगर आपने मुझे बिना कपड़ों के देखा तो!” साली जी फिर से घबराते हुए बोली. “अरे यार अब ये क्या बात हुई निष्ठा डार्लिंग. नयन सुख भोगने का भी अपना अलग ही आनंद है, मुझे तो तुम्हारा सबकुछ देखना है अभी!” मैंने कहा और तुरंत उठ कर ट्यूबलाइट ऑन कर दी जिससे बेडरूम में तेज उजाला फैल गया.
निष्ठा ने भी तुरंत पास पड़ी चादर ओढ़ ली. “साली जी प्लीज, अब देखने का सुख मत छीनो मुझसे, जब इतना कुछ दे रही हो तो फिर आधा अधूरा सा क्यों देना, मान जा न!” मैंने उसका गाल चूमते हुए कहा.
“नहीं जी, मुझे बहुत शर्म आ रही है सच में!” वो और सिकुड़ती सी बोली.
फिर मैंने चादर में हाथ घुसा कर उसके नितम्ब सहलाते हुए बीच की दरार अपनी उंगली से सहलाते हुए उसकी चूत तक ले गया और वहां गोल गोल घुमाने लगा.
साली जी की चूत अच्छी खासी गीली हो रही थी. मैंने अपनी उंगली की एक पोर चूत में धीरे से घुसा दी और धीरे धीरे उसे अन्दर बाहर करने लगा. इसका असर तुरंत हुआ और साली जी आनंद से कराहने लगीं.
मैंने मौका देख चादर खींच ली और उसे फर्श पर फेंक दिया. फिर मैंने तुरंत अपने कपड़े भी उतार डाले और पूरा नंगा हो गया.
साली जी ने मुझे नंगा देखा और लजा कर अपनी हथेलियों में मुंह छिपा लिया. मैंने अब उसेचित कर लिया और उसके दोनों पैर भी अलग अलग कर दिए जिससे उसकी फूली हुई चूत मेरे सामने आ गई. वाह क्या नजारा था!
साली जी की गुलाबी चिकनी जांघें और उसके बीच हल्की हल्की काली झांटों वाली चूत का उभरा हुआ त्रिभुज बड़ा प्यारा लग रहा था. चूत की दोनों फांकें आपस में सटी हुईं थीं. झांटें छोटी छोटी होने से चूत की गुलाबी त्वचा नुमाया होकर अलग ही मस्त नजारा पेश कर रही थी.
मेरे लंड ने जोश में आकर उसकी चूत को जोरदार सैल्यूट मारा और मैं पुनः चूत पर झुक गया और उसके होंठ खोल कर भीतर निहारने लगा. निष्ठा की चूत बिल्कुल किसी कमसिन लड़की की तरह मासूम सी चूत थी, चूत की फांकें फूली हुई गद्देदार या स्पंजी थीं, भगनासा खूब फूली हुई जिसके सिरे पर गुलाबी मोती दमक रहा था; चूत के भीतर लाल तरबूज के रसीले गूदे जैसा दिख रहा था और एकदम नीचे स्वर्ग का वो छोटा सा प्रवेश द्वार किसी आगंतुक की प्रतीक्षा में लरज रहा था.
एक बात और कहूं, प्रत्येक चूत का अपना विशिष्ट, दर्शनीय सौन्दर्य होता है जिसके दर्शन का आनंद कुछेक को ही मिल पाता है शेष तो सब चूत ‘मारने’ के फेर में ही उलझे रहते हैं बस उनके पास चूत का सौन्दर्य निहारने की वो दृष्टि ही नहीं होती. मैं तो काफी देर तक साली जी की कुंवारी चूत का सौन्दर्य निहारता रह गया.
‘कितनी मस्त चूत है इसकी, अभी तो ये गुलाबी है पर चार छह बार चुद कर इसके होंठों पर सांवलापन आ जाएगा जल्दी ही!’ मैंने सोचा और झुक कर फिर से चाटने लगा.
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साली की चुत की कहानी जारी रहेगी.
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