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प्रेषिका : कौसर सम्पादक : जूजाजी मैं नहा-धो कर जल्दी से रसोई में गई और उनका नाश्ता और दोपहर का खाना जल्दी से तैयार किया। मुझे उनकी तिलावत करने की आवाज़ आ रही थी। मैंने मन में कहा कि कैसा ढोंगी इंसान है, यह तो अल्लाह से भी नहीं डर रहा। फिर थोड़ी देर में मैंने उनका नाश्ता ड्राइंग रूम में लगा दिया। आज मैंने रोज की तरह साड़ी ही पहनी थी। वैसे तो मैं रोज ससुर जी को सलाम करती थी, पर आज चुपचाप खड़ी रही। ससुर जी- बहू… मुझे पता है तूने कल से कुछ नहीं खाया है.. चल बैठ मेरे साथ और कुछ खा ले! मैंने कहा- मुझे अभी भूख नहीं है। ससुर जी बोले- तू मेरे साथ खाती है या मैं फिर आज छुट्टी करूँ स्कूल की.. बोल? कल छुट्टी करने पर मेरा क्या हाल हुआ था, वो सोच कर मैं फिर काँप गई और चुपचाप सोफे पर बैठ गई। मैं नज़रें झुका कर बैठी थी और धीरे-धीरे मैंने ससुर जी के साथ नाश्ता कर लिया। उन्होंने अपना दूध का कप भी मेरे आगे कर दिया और कहा- चलो पियो इसे! वो मुझे ऐसे नाश्ता करा रहे थे, जैसे कोई बच्चे को कराता है। ससुर जी बोले- बहू.. इस घर में हम दोनों अकले हैं, इसलिए हमें एक-दूसरे का ख़याल रखना चाहिए… खुश रह बेटा और तू साड़ी में सिर पर पल्लू डाल कर बड़ी सुंदर लगती है… चल अब मैं स्कूल जा रहा हूँ.. तू दरवाज़ा बंद कर ले..! वो ऐसा कह कर चले गए। मैंने फिर दरवाज़ा बंद कर लिया और सोचने लगी कि ससुर जी आज इतने अच्छे से बात कर के गए हैं और कल उन्होंने मेरी इज़्ज़त तार-तार कर दी थी, वो ऐसा क्यों कर रहे हैं। फिर मैं अपने घर के काम में लग गई। दोपहर के 2-00 बज चुके थे, आम तौर पर ससुर जी अब तक स्कूल से आ जाते थे, पर वो आज नहीं आए थे। मुझे लगा पता नहीं क्या हुआ, वो आज कहाँ चले गए। करीब तीन बजे दरवाजे की घंटी बजी, तो मैंने दरवाज़ा खोला। ससुर जी अन्दर आ गए थे, मैंने कहा- बाबूजी आप फ्रेश हो लो, मैं आपका खाना लगा देती हूँ। तो ससुर जी बोले- बेटा ये ले! मैंने देखा तो उनके हाथ में एक पोली बैग था, उसमें कुछ कपड़े थे। मैंने कहा- यह क्या है? ससुर जी- बहू.. कल तेरे कपड़े फट गए थे ना मुझसे… मुझे मुआफ़ करना… मैं नए लाया हूँ। आज शाम को तू इन्हीं को पहन लेना..! और वो फ्रेश होने चले गए। मैंने वो पोली बैग अपने कमरे में रख दिया और उनका खाना लगाया, खुद भी खाया और फिर अपने कमरे में थोड़ा आराम करने आ गई। अब मेरा ध्यान उस पोली बैग पर गया, जो ससुर जी ने मुझे दिया था। मैंने सोचा देखूँ इसमें वो क्या लाए हैं। बैग खोला तो मैं एकदम दंग रह गई, उसमें एक मशहूर ब्रांड की बहुत ही महंगी सुनहरे रंग की ब्रा थी और साथ में एक सुनहरे रंग की थोंग (पैन्टी) थी। पैन्टी तो बिल्कुल किसी डोरी की तरह थी। उसमें पीछे की तरफ की डोरी पर कुछ चमकदार नग लगे हुए थे। और साथ में एक नाईटी भी थी, जो काले रंग की एकदम पारदर्शी थी। उसमें बहुत ही कम कपड़ा था, वो एकदम लेस वाली नाईटी थी। उसे कोई पहन ले तो शायद ही उसमें लड़की का कोई अंग छुप सके। आज तक अताउल्ला ने भी मुझे ऐसी कोई ड्रेस नहीं दी थी। ऐसी ड्रेस तो मैंने सिर्फ़ फिल्मों में ही देखी थी। तो ससुर जी को आज आने में इसलिए देरी हुई थी। मुझे यकीन नहीं हुआ कि वो मेरे लिए ऐसी ड्रेस भी खरीद सकते हैं। मैंने फ़ौरन उस पोली बैग को बंद कर के बेड पर एक तरफ रख दिया और फिर मैं लेट गई और मेरी आँख लग गई। जब आँख खुली तो शाम के छः बजे थे। मैंने जल्दी से उठ कर चाय बनाई और ससुर जी को देने के लिए ड्राइंग रूम में आ गई। वो ड्राइंग रूम में अख़बार पढ़ रहे थे। मैंने चाय मेज पर रख दी और जाने लगी। ससुर जी- बहू… तुझे कहा था मैंने कि शाम को वो कपड़े पहन लेना, जो मैं आज लाया था और तूने अभी तक साड़ी पहन रखी है। मुझे तेरा फोटोशूट लेना है, चलो जल्दी से वो ड्रेस पहन कर आ जा.. मैं हाथ जोड़ते हुए बोली- बाबूजी… प्लीज़ मुझे छोड़ दो, मैं वो कपड़े पहन कर आप के सामने कैसे आ सकती हूँ.. प्लीज़ बाबूजी! मैंने अपनी आँखें नीचे की हुई थीं। ससुर जी- बहू, तू एक बार मेरी बात मान ले, आज के बाद तुझे कुछ पहनने को नहीं बोलूँगा.. प्लीज़, मान जा! मैं उनसे अर्ज कर रही थी और वो मुझसे..! ससुर जी- जा अब.. और मुझे तू रात तक उसी ड्रेस में दिखनी चाहिए, बस! मुझे लगा वो गुस्सा होने वाले हैं, इसलिए मैं तुरंत अपने कमरे में आ गई। मरती क्या ना करती.. मैंने वो पोली बैग उठाया और उसमें से वो ब्रा, पैन्टी और वो नाईटी निकाल ली। मैंने ड्रेसिंग टेबल के सामने जाकर अपनी साड़ी उतारी और फिर वो नई ब्रा और पैन्टी पहन ली। मैंने पहली बार इतनी महंगी ब्रा और पैन्टी पहनी थी। मैंने शीशे में खुद को देखा, मैं उस समय बहुत ही सेक्सी लग रही थी। मैं एकदम गोरी हूँ और वो सुनहरे रंग की ब्रा और थोंग (पैन्टी) मेरे जिस्म पर एकदम ग्लो कर रही थी। थोंग तो ऐसी थी कि बड़ी मुश्किल से मेरी चूत उसमें छुप पा रही थी और उसके पतले डोरे मेरी टांगों के बीच में डाल लिए थे। मैंने ऊपर से वो पारदर्शी नाईटी डाल ली, मैंने ड्रेसिंग टेबल में देखा तो मैं एकदम मॉडल सी लग रही थी। उस समय मैं सब कुछ भूल गई और अपने बालों को अच्छे से बनाए, अपना मेकअप किया और फिर खुद को शीशे में निहारने लगी। मुझे नहीं लगता कि उस नाईटी में कुछ भी छुप रहा था। मेरी चूचियां और तनी हुई लग रही थी उस ब्रा में और थोंग तो सिर्फ़ 3 इंच का कपड़ा डोरियों के साथ था, उसमें यक़ीनन मैं बहुत ही मादक और कामुक लग रही थी। मेरी टाँगें एकदम नंगी थीं। मुझे इतना भी ध्यान नहीं रहा कि मैंने अपने रूम का दरवाज़ा बंद नहीं किया है। पीछे मुड़ी तो देखा कि ससुर जी मुझे टकटकी लगाए देख रहे हैं.. मैं एकदम शरमा गई। मैंने कहा- बाबूजी.. आप यहाँ क्या कर रहे हैं? और अपने हाथों से अपने तन को ढकने लगी। ससुर जी- बहू अब शरमा मत… देख मैं कैमरा भी लाया हूँ.. अब मैं जैसा कहूँगा तू वैसा करेगी, नहीं तो तू सोच ले! मैंने नजरें झुका लीं और चुपचाप खड़ी रही। ससुर जी- चल अब सीधी खड़ी हो जा… मैं तेरे इस मादक रूप की फोटो तो खींच लूँ! मैंने हाथ हटा लिए, ससुर जी ने कई फोटो लिए। ससुर जी- चल.. अब नाईटी भी उतार दे.. मैंने उनकी वो बात भी मान ली। अब मैं अपने ससुर के सामने केवल एक ब्रा और एक पतली डोरी वाली की थोंग में थी। अपने को छुपाने की पूरी कोशिश कर रही थी, पर इन कपड़ों में कुछ छुपता कहाँ है। ससुर जी ने मुझे अलग-अलग हालत में खड़ा कर के कई फोटो लिए। फिर बोले- चल अब पूरी नंगी हो जा बहू और नंगी तू इस कैमरा के सामने होगी..! मैंने कहा- बाबूजी प्लीज़, मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ… प्लीज़ मुझे नंगा मत करिए, आपने जो कहा, वो मैंने किया! ससुर जी- बेटा… तू अभी कौन से कपड़ों में है? यह कहते हुए उन्होंने मेरे शरीर से ब्रा और पैन्टी भी उतार दी। मैं अब एकदम नंगी थी, मैं एकदम सीधी खड़ी हो गई। उन्होंने मेरी कई नंगी फोटो खींची। फिर मेरी चूचियाँ देख कर बोले- बेटा.. ये तो अब तक लाल है, कल मैंने ज़्यादा तेज़ मसल दी थी क्या! और मेरे चूचुक छूने लगे। मैंने कहा- प्लीज़ बाबूजी, ऐसे मत करिए! ससुर जी- चल अब दोनों हाथ दीवार पर रख और पीछे मुँह कर के खड़ी हो जा! जैसा उन्होंने कहा, मैं वैसे ही खड़ी हो गई। मेरे हाथ दीवार पर थे, मेरे बाल खुले हुए थे और वो मेरे चूतड़ों तक आ रहे थे। उन्होंने उस स्थिति के कई कोणों से फोटो लिए। थोड़ी देर बाद मैंने पीछे मुड़ कर देखा वो एकदम नंगे हो चुके थे और उनका लंड एकदम तना हुआ था। उनका लवड़ा आज तो और भी लंबा लग रहा था। मैंने फिर से दीवार की तरफ मुँह कर लिया और अपनी आँखें बंद कर लीं। मुझे अब अपने जिस्म पर उनके हाथ महसूस हो रहे थे, उनका एक हाथ मेरी बाईं चूची को मसल रहा था और दूसरा दाईं चूची को भभोंड़ रहा था। मेरे मुँह से ‘उफआह.. बाबूजी प्लीज़… उफ्फ….नहीं…आह.. बस करो.. आ..’ जैसे अल्फ़ाज़ निकल रहे थे। तभी उन्होंने दायें हाथ की एक उंगली मेरी चूत में डाल दी, मैं एकदम से उछल सी गई, तो उन्होंने मेरे बाल पकड़ लिए। ससुर जी- बहू.. बस थोड़ी देर ऐसे ही खड़ी रह..! और फिर मुझे अपनी चूत पर उनका मोटा लण्ड महसूस होने लगा। उन्होंने मेरे बाल पकड़े हुए थे और दाईं वाली चूची मसल रहे थे। उन्होंने एक झटका मारा और पूरा लंड मेरे अन्दर समा गया। बिल्कुल जैसे हीटर की रॉड मेरे अन्दर समा गई हो। आज वो मेरे साथ खड़े-खड़े ही चुदाई कर रहे थे। मैंने अपनी आँखें बंद की हुई थीं। फिर पता नहीं क्या हुआ मुझे अपनी चूत में सनसनी होने लकी और लगा मेरी चूचियाँ खड़ी हो रही हैं…! या अल्लाह…. मेरा जिस्म मेरा साथ छोड़ रहा था, अब मैं भी मजे में डूबती जा रही थी, अब उनका लंड मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मेरे मुँह से निकल रहा था- उफ़फ्फ़… बाबूजी…प्लीज़ नहीं…आहाहहा..! और में उनके हर झटके का जवाब अपने चूतड़ हिला-हिला कर दे रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! ससुर जी- ऊ…आहह.. बहू… तू बहुत ही प्यारी है बस दस मिनट और खड़ी रह…! और इस तरह वो मुझे 20 मिनट तक दीवार पर खड़ा करके चोदते रहे, वो भी मेरे अपने कमरे में। उसके बाद एक करेंट सा लगा और मेरी चूत से पानी की धार बह गई! मुझे लगा वो भी झड़ गए हैं, वो एकदम मुझसे चिपक गए और मुझे सीधा करके मेरे होंठों को चूसने की कोशिश करने लगे। फिर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया और मुझे गोदी में उठा कर मेरे बेड पर लिटा दिया और खुद भी लेट गए। हम दोनों 15 मिनट ऐसे ही लेट रहे। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं अपने ससुर के साथ अपने बिस्तर पर नंगी पड़ी हूँ। और इतने में मेरा फोन बजने लगा। कहानी जारी रहेगी। आपके विचारों का स्वागत है। आप मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं। https://www.facebook.com/zooza.ji
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