This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
लेखक : नामालूम प्रस्तुतकर्ता : जूजा जी उन्होंने मेरे झड़ने पर मुझे चूम लिया और कहा- थैंक्स असद…! उस वक़्त तक उनके ऊपर लेटे-लेटे उनको चूमता रहा। जब तक कि लंड अपनी मर्ज़ी से बाहर नहीं निकल गया।
हम दोनों ने अलग-अलग शावर लिया और एक-दूसरे के साथ चिपक कर बैठे रहे। उन्होंने वादा लिया कि मैं उनके यहाँ दिन के वक़्त में आता रहूँ। काफ़ी देर बाद ख़ान साहब आ गए और वो बिल्कुल नॉर्मल थे।
खाना खाने के बाद मैं जाने लगा तो ख़ान साहब ने कहा- आते रहना। मैं उनके घर बार-बार गया और जब-जब गया, हम दोनों ने खूब चुदाई की और मुझे उनसे लगाव होने लगा था।
लेकिन यह सिलसिला सिर्फ़ एक-दो महीने रहा और ख़ान साहब का तबादला कराची हो गया। उसके बाद मेरा जाना ज्यादा नहीं हुआ। बस एक दो-बार गया। उनके यहाँ रात गुजारना मुश्किल था। उनके घर रात ने गुजार पाने का एक कारण यह था कि मैं आपने घर वालों से क्या कहता..!
कई बरस गुज़र गए और मैं ग्रेजुएशन के बाद जॉब पर आ गया और कुछ अरसे एक-दो शहरों में गुजार कर कराची शिफ्ट हो गया। मेरे वालिदान ने मेरी बहनों की पसंद से मेरी शादी बहुत ही हसीन लड़की नोशबाह से करवा दी।
उस ज़माने में आपनी पसंद-नापसंद की वजह वालिदान ही तय करते थे। मैंने सिर्फ़ नोशबाह की तस्वीर ही देखी थी। सुहागरात को उनसे सेक्स करते हुए उनको देखा तो मिसेज ख़ान साहब की याद आ गई क्योंकि उनके बाद आज किसी दूसरी के साथ सेक्स कर रहा था।
नोशबाह की और मेरी उम्र में काफ़ी फ़र्क़ था यानि वो मुझसे तक़रीबन 18 साल छोटी थी। मगर इस निकाह से किसी को एतराज़ नहीं था। नोशबाह के वालिद का इंतकाल हो चुका था और यह शादी उनकी खाला ने तय की थी। जबकि उनकी वालिदा आपने भाई के साथ कनाडा में थीं।
उनकी शादी में भाइयों की फैमिली के साथ आना था, मगर अचानक नोशबाह के नाना की तबीयत खराब हो गई और यही फैसला हुआ कि शादी कर ली जाए, वो लोग बाद में आ जायेंगे।
फ़ोन पर सबसे ही बात होती थी और उनकी वालिदा तो बार-बार मुझ से बात करती थीं और बहुत ही प्यार से बात करती थीं। यहाँ नोशबाह के मामून और बाक़ी रिश्तेदार शरीक थे। हम दोनों ही खुश थे, बल्कि बहुत ही खुश थे।
कोई दो महीने बाद नोशबाह के नाना और अम्मी बगैरह वगैरह सब ही कराची आ गए और आज वो लोग हमारे घर आने वाले थे। नोशबाह प्रेग्नेंट हो चुकी थीं और सब लोग बहुत खुश थे। नोशबाह आपने मामून की बेटी से बहुत प्यार करती थी और उसकी खूबसूरती की बहुत ही तारीफ करती थी।
सब लोग मेरे घर आए हुए थे और मैं शाम को जल्दी घर पहुँच गया था। घर पहुँचते ही मैंने कपड़े बदले, नोशबाह ने उनसे मिलने के लिए मेरे कपड़े पहले ही निकाल दिए थे। वह बहुत ही ज्यादा खुश थी कि उनकी पूरी फैमिली आ चुकी थी।
वो मेरे हाथों में हाथ डाल कर ड्राइंग-कमरे में दाखिल हुई और वहाँ मौजूद लोगों से मेरा परिचय कराया। वहाँ मेरी बहनों और वालिदा के अलावा कोई 8 लोग थे। मुझे उनके मामून ने गले लगाया और खूब प्यार कर रहे थे कि अचानक चाय के कप की शीशे के टेबल पर गिरने की आवाज़ आई। सब मुझे देख कर खड़े हुए थे और नोशबाह सब को छोड़ कर एक ख़ातून की तरफ अम्मी कह कर लपकी, जिनके हाथों से कप गिर गया था और वो खुद भी सोफे पर ढेर हो गई थीं। मैं भी उनकी तरफ लपका और उनके क़रीब जा कर उन्हें देखते ही मेरी तो चीख निकलती-निकलती रह गई कि नोशबाह की अम्मी फरजाना ख़ान थीं।
सारी सूरत-ए-हाल मैं समझ गया और खुद को कंट्रोल करने लगा। नोशबाह ने अम्मी को संभाला और मेरे कमरे में ले जाने लगी, मैं भी मुज़ारत करके उनके साथ ही हो लिया। नोशबाह उन्हें लेटा कर पानी लाने कमरे से बाहर निकल गई। फरजाना ख़ान होश में थीं और उनका रंग पीला हो गया था।
मैंने नोशबाह की गैर-मौजूदगी में सिर्फ़ खौफज़दा होकर पूछा- क्या नोशबाह मेरी बेटी है? और उन्होंने रोते हुए कहा- जी.. तुम्हारी बेटी है!
मैं यह सुनकर बड़ी मुश्किल से संभला और मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा हार्ट-फेल ना हो जाए। बहुत मुश्किल से खुद पर क़ाबू पाया। नोशबाह ने उन्हें पानी पिलाया और इसी दौरान सब लोग कमरे में आ गए।
सबने पूछा कि क्या हुआ.. और उन्होंने गहरी सांस लेते हुए कहा- कुछ नहीं… हैरानी में क़ाबू ना पा सकी कि मेरे दामाद ख़ान साहब के सबसे क़रीबी स्टूडेंट थे और मैं कई बार इनसे मिल चुकी हूँ।
यह सुनकर सब बहुत खुश हुए और बच्चों ने तालियाँ भी बजाईं और फिर सब कमरे में ही इधर-उधर बैठ गए और अब सबने ही कहना शुरू कर दिया कि मुझे क्या हुआ।
मैं बदनसीब क्या बोलता कि क्या क़यामत टूट रही है…! मैं पसीना-पसीना हो रहा था और कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि क्या सोचूँ क्या करूँ…! मेरी अम्मी और बहनें भी परेशान थीं कि मुझे क्या हुआ? मैंने कह दिया- मैं भी ख़ान साहब का सुनकर हैरान हुआ और कुछ नहीं! मुझे मालूम ही नहीं था कि ख़ान साहब का इंतकाल हो चुका है..! अब सब लोग आपस में बात कर रहे थे कि इस दौर में भी लोग आपने टीचर से इस कदर प्यार करते हैं…! फ़रज़ाना ख़ान भी सन्नाटे में थीं और बदहवाश थीं।
लेकिन क़ुसूर हम दोनों का नहीं था।
सब लोग खाने तक रुके और मैंने नॉर्मल रहने की बहुत कोशिश की, फ़रज़ाना साहिबा की तरह। सब लोग चले गए और मैं चाहता भी था कि सब चले जाएँ। मैं आपने कमरे में आ गया और अब फिर सोच रहा था कि यह क्या हो गया!
काम से फारिग होकर नोशबाह भी आ गई और बैठी ही थी कि मेरी बहन आ गई कि फ़रज़ाना का फ़ोन आ गया। उस ज़माने में मोबाइल फोन नहीं थे। वो मुझसे बात करना चाह रही थीं। उन्होंने सिर्फ़ इतना कहा- प्लीज़ हो सके तो ख़ान साहब, मेरी और अपनी बेटी की इज़्ज़त रख लेना! मैंने सिर्फ़ इतना कहा- आप परेशान ना हों..!
और मैं वापस आपने कमरे में आ गया। मैं बिस्तर पर निढाल होकर लेट गया। मैं नोशबाह को देख रहा था और सारी दास्तान सामने घूम रही थी। नोशबाह ने बिस्तर के सिरहाने इशारा किया और कहा- अम्मी लाई थीं! वो अपनी, फ़रज़ाना और ख़ान साहब की एक तस्वीर की तरफ इशारा कर रही थी। मैंने देखा और कुछ ना कहा तो उसने कहा- बुरा लगा क्या? मैंने कहा- नहीं, बहुत ही अच्छी तस्वीर है।
मैं बुरी तरह टूट चुका था और इस कदर कि नोशबाह मेरे साथ चिपक गई और कहने लगी- कुछ हुआ है क्या.. आप तो ऐसे कभी ना थे…! मैं क्या खाक जवाब देता, बस कुछ नहीं कहा और यूँ ही लेटा रहा। ज़हन में अजीब ऊहापोह चल रही थी और नोशबाह जो कि अब प्रेग्नेंट हो चुकी थी, उसे नहीं मालूम कि वो अपने बाप की बीवी है। वो शादी के बाद पहली बार इस कदर खुश थी और मुझे उस पर रहम आ रहा था। वो मुझसे चिपटी हुई थी और मेरे होंठों पर चुम्बन कर रही थी।
वो बहुत ही खुश और जज्बाती हो रही थी और कह रही थी- आपको अंदाज नहीं है कि यह जान कर मैं किस कदर खुश हूँ कि आप अब्बू के सब से प्यारे स्टूडेंट थे! मैं कांप गया था कि अब क्या होगा! वो मेरे ऊपर लेट गई और मेरे चेहरे को चूमने लगी लेकिन उसकी गर्म हरकतों से भी मेरी बदन में आज कोई गर्मी नहीं हुई और मैं एक बेजान की तरह शान्त लेटा रहा।
नोशबाह खुद ही नंगी हो गई जबकि आम तौर पर मैं उसे नंगा करता था। अब मुझे नंगा कर रही थी और बस पूछे जा रही थी- क्या हुआ? मुझे नंगा करके और हैरान हो गई कि मेरा लण्ड बुझा हुआ एक गोश्त के लोथड़े की तरह लटका हुआ था। उसने अब तो परेशानी का इज़हार किया कि कुछ तो हुआ है और पूछने लगी- क्या अम्मी ने फोन पर कुछ गलत कह दिया?
यह सुनकर मैं होश में आ गया और कुछ ना कहते हुए उसको लिपटा लिया मेरे जहन में फ़रज़ाना ख़ान के अल्फ़ाज़ गूँज रहे थे कि इज़्ज़त रख लेना! नोशबाह को लिपटा कर प्यार करने लगा, मगर बेदिली से.. यही ख्याल हावी था कि ये मेरी बेटी है! नोशबाह हटी और उसने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया और मुझे यह भी ख्याल नहीं आया कि शादी के बाद से मेरे इसरार पर भी उसने कभी मेरे लंड को नहीं चूसा था।
वो मेरे ऊपर लेटी हुई थी और उसने मेरे मुँह पर अपनी चूत रख दी, तब मुझे अहसास हुआ कि वो आज खुशी से दीवानी हो रही है। मेरी आँखों के सामने मेरी बेटी की नंगी चूत थी और मैं यही सोच रहा था कि क्या आलमनाक हादसा है!
फिर उसने मेरे लंड को चूसते हुए वहीं से कहा- क्या हुआ.. आज तो आपकी सब ख्वाहिशें मान रही हूँ! उसने कुछ देर बाद चूसना छोड़ कर कहा- मैं अम्मी को फोन करती हूँ कि उन्होंने ना जाने क्या कह दिया! यह सुनकर मैं होश में आ गया और उसकी चूत को चूसने लगा!
मुझे चूसते हुए पाकर उसने भी लंड को फिर से चूसना शुरू कर दिया। मैंने खुद को हालत के सुपुर्द कर दिया और बस एक लम्हे को ख्याल आया कि मैं दुनिया में तन्हा तो नहीं, जो बेटी से चुदाई कर रहा होऊँ और फिर एक नए अहसास में डूब गया कि मैं अपनी बेटी से चुदाई कर रहा हूँ! मैंने एक अंगडाई ली और एक नई लज़्ज़त और अहसास से बेटी को अपने नीचे लिटा कर उसके ऊपर आ गया।
मेरी बेटी बहुत खुश थी और कहने लगी- आपने तो डरा ही दिया था! फिर मैंने लंड उसकी चूत में डाल दिया और खूब मस्त होकर उसको चोदा और इतना मस्त होकर चोदा कि वह कहने लगी- आज आप भी बहुत खुश हैं.. मुझे खुश पाकर…
मैं सब भूल कर बेटी को चोद रहा था और मेरा लंड बहुत ही बढ़ा और मोटा है और अक्सर नोशबाह चुदाई के दौरान रुकने का कहती थी मैं उसकी नहीं सुनता था! मगर आज जब उसने कहा- आहिस्ता-आहिस्ता करो, तकलीफ हो रही है..! तो मैं रुक गया और आहिस्ता-आहिस्ता चुदाई करने लगा और उसकी पेशानी को बोसा देते हुए कहा- अब तो दर्द नहीं हो रहा!
वो चीखते हुआ बोली- हाय मैं मर जाऊँ.. आज इतना ख्याल कि जैसे बाप, बेटी का करता है! उसके इन अल्फाज़ों ने क्या किया, मैं बयान नहीं कर सकता…!
मैंने बहुत ही खूब मगर ख्याल करते हुए इस तरह चोदा कि मेरी बेटी को तकलीफ़ ना हो और वह इस कदर खुश थी कि खुद लपक-लपक कर अपने बाप के लौड़े को अपनी चूत में निचोड़ रही थी। आज की चुदाई की लज्जत में अजीब शफाक़त और प्यार था…!
हालत के मुताबिक़ अब मैं कभी बेटी, कभी बीवी जान कर उसके साथ चुदाई करता हूँ। फ़रज़ाना ख़ान ने कभी इस मोज़ू पर बात नहीं की, बस खामोश रहीं और हर बार शुक्रिया करतीं। मेरा नसीब कि मैं नोशबाह के हवाले से अब शौहर, बाप और नाना बन चुका हूँ!
जैसा कि मैंने आप सभी को आरम्भ में ही कहा था कि यह दास्तान मुझे मेरे किसी चाहने वाले ने पकिस्तान से भेजी है और जो भी वाकिया मैंने इधर लिखा है वह सब उसी शख्श के साथ हुए वाकिए का हिस्सा है। आप सभी के कमेंट्स का इन्तजार रहेगा। मुझसे आप फेसबुक पर जुड़ सकते हैं। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000