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मैंने कहा- रूको भाभी, ज़रा आप अपनी टाँगें मोड़ लो, मैं बैठ कर आपकी योनि चाटता हूँ। उन्होंने जैसे ही अपनी टाँगें मोड़ीं, मैंने भी फुर्ती में अपना लिंग उनकी योनि में डाल दिया।
पर शायद वो अन्दर नहीं गया था और वो चिल्लाने लगीं- यह क्या कर रहे हो? मैंने कहा- प्लीज़ एक बार डालने दो.. मैं बाहर निकाल लूँगा!
तो वो मान गईं। फिर मैंने डाला, पर नहीं गया।
वो बोलीं- अरे ऐसे नहीं जाएगा, ज़रा ये तकिया नीचे लगाओ! तो मैंने पूछा- क्यों?
वो बोलीं- मोटी औरत की चूत नीचे होती है और पतली की थोड़ी ऊपर, इसलिए! मैं मोटी हूँ न.. बिना तकिये के चूत में डालने में तुम्हें परेशानी होगी और समय भी नहीं है, इसलिए जल्दी से डालो और निकलो!
मैंने कहा- ठीक!
जैसे मैंने अन्दर डाला कि उनकी चीख निकल पड़ी।
वो बोलीं- अरे निकालो दर्द हो रहा है! मैंने कहा- आप झूट बोल रही हो क्योंकि आपके चार बच्चे हैं और मैंने सुना है कि बच्चे होने के बाद चूत ढीली हो जाती है! तो बोलीं- तुम्हारे भाईसाहब का पिछले 6 महीने से नहीं लिया है, क्योंकि उन्होंने कुछ पूजा करवाई है जिसमें उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन करना है।
बातें करते-करते मैंने अपना लिंग डाल कर आगे-पीछे करने लगा और भाभी चूतड़ हिला-हिला कर मज़े लेने लगीं।
मैंने कहा- शायद इसलिए आपने आज मेरे साथ यह किया है!
तो वो बोलीं- शायद.. पर सच ये है कि मैंने तुम्हें नहाते हुए हिलाते देखा था, तब से मेरे दिमाग़ तुम्हें सिड्यूस करने का मन था।
मैंने कहा- आपने मुझे नहाते हुए कब देखा?
तो वो बोलीं- जब तुम ऊपर छत पर आए थे और नहा रहे थे तब!
मैंने कहा- ठीक इसलिए आप एक बार मेरे सामने बिना कपड़ों के आ गई थीं!
वो हँसने लगीं।
फिर मैं लगातार रुक-रुक कर झटके मार रहा था और मेरे झड़ने का समय हो गया, मेरा पूरा वीर्य उनकी योनि के अन्दर था।
हम दोनों एक-दूसरे के ऊपर यूँ ही चढ़े रहे। हम लोगों की आँखें बंद थीं।
पर जब हमने आँखें खोलीं तो होश उड़ गए क्योंकि सामने भाभी के बच्चे खड़े थे। हम लोग डर गए।
तभी भाभी बोलीं- अरे बच्चों तुम लोग कब आए?
बच्चे कुछ नहीं बोले और ऊपर छत पर चले गए। मैं डर गया था।
भाभी ने मुझसे कहा- तुम जाओ, मैं बच्चों को समझाती हूँ।
मैं डरा हुआ था, मुझे ऐसा लग रहा था कहीं मेरी किसी ने मार दी है। मैं सोच रहा था यह साली किस्मत है, एक खुशी भी आई इतना बड़ा डर और दुख लेकर!
मेरे दिमाग़ में बहुत सारे सवाल आ रहे थे। अब क्या होगा, मैं पढ़ने आया था और क्या हो गया! क्या करूँ.. कहीं जबरदस्ती का आरोप ना लग जाए!
मैं बुरी तरह डर गया था, डर के कारण मैंने खाना भी नहीं खाया और मुझे बुखार आ गया। तीन दिन तक मैं ऊपर नहीं गया।
और चौथे दिन भाईसाहब आए और बोले- मनु मकान खाली कर दो!
मेरी वजह पूछने की हिम्मत नहीं थी, मैंने कहा- दो दिन का समय दो!
वो बोले- ठीक है।
दो दिन बाद मुझे नया घर मिल गया और मैंने अपना सामान उसमें शिफ्ट कर दिया और शाम को उनके पास हिसाब करने गया।
तो भाईसाहब ने पूछा- कैसे हो?
मैंने कहा- ठीक हूँ!
फिर वो बोले- मकान खाली करवाने की वजह नहीं पूछोगे?
मैंने कहा- आपका घर है, आपकी मर्ज़ी!
तो उन्होंने बोला- तुमने पड़ोस की लड़की के साथ जो किया है, तो उसका बाप बोला कि मकान खाली करा दो, मैंने उसे कहा कि नहीं, मनु ऐसा नहीं है.. तब तेरी भाभी से मैंने पूछा, तो वो बोलीं कि हाँ यह सच है, इसलिए मैंने तुम्हें मकान खाली करने को कहा है।
इतना कह कर भाईसाहब ऊपर छत पर चले गए।
भाभी चाय लेकर मेरे सामने आईं और बोलीं- तुम जाओ हमारे लिए यही ठीक होगा। हमारे बीच जो हुआ, उसे भूल जाओ। मैं भी यही चाहती हूँ।
मैंने पूछा- बच्चों ने कुछ कहा तो नहीं?
तो वो बोलीं- अब जो मैंने किया है शायद उसका क्या असर पड़ेगा उनके दिमाग़ में, यह तो भगवान ही जानते हैं, पर तुम चले जाओ उसमें ही सब का भला होगा। बच्चे अभी मुझसे ठीक से बात नहीं करते हैं।
इतना सुनकर मैं वहाँ से चला आया।
मेरी जिंदगी के उस दिन दो बड़े नुकसान हुए थे। मेरी महबूबा भी गई और मज़ा देने वाली भाभी भी। मैं सीधा अपने नए घर में आ गया।
यह घर मेरे उस एरिया से लगभ 5 किलोमीटर दूर था। इसमें मेरा कमरा ऊपर था, मकान-मालकिन एक बुड्डी औरत थी और उसका पति और उसकी तलाक-शुदा लड़की थी।
पर मैंने यह सोच लिया था कि अब मैं कुछ भी ग़लत नहीं करूँगा क्योंकि एक बार चोट लग चुकी है और अब मैं आराम से अपने कॉलेज जाता था और पढ़ाई करता था।
पर दोस्तो, कुछ दिन बाद मेरे लिंग में मैंने देखा कि सूजन आ गई है और दर्द भी होने लगा तो मैं डर गया, यह सब क्या हो गया। मैंने सोचा कहीं कुछ खराब तो नहीं हो गया और यह बात किसी को बता भी नहीं सकता और छिपा भी नहीं सकता था।
बहुत टेन्शन में था और लिंग में दर्द बढ़ता जा रहा था। उसकी स्किन कुछ ज्यादा ही ऊपर हो गई थी।
शायद उसको भाभी ने अपने हाथ से ज़ोर-ज़ोर से आगे-पीछे किया था इसलिए या फिर उसने मुँह में लिया था उसका इन्फेक्शन हुआ होगा।
पर मैं क्या करूँ?
तभी अगले दिन मेरी मम्मी का फोन आया कि वो आज शाम तक आने वाली हैं।
मुझे खुशी भी हुई और डर भी लगा क्योंकि मेरे लिंग में सूजन की वजह से मैं नंगा सोता था और मेरे पास सिंगल रूम ही था, पर उनको मना भी नहीं कर सकता था।
पूरा दिन बीत गया और शाम को मम्मी को लेने के लिए मैं स्टेशन गया और उनको लेकर वापस रिक्शा में बैठ गया।
मैं बहुत ही चुपचुप बैठा था, तो मम्मी ने पूछा- क्या हुआ तबियत ठीक नहीं है क्या?
मैंने कहा- नहीं, सब ठीक है।
फिर मैं उनको लेकर वापिस घर आ गया। मेरी मम्मी को देख कर मकान-मालकिन ने नमस्कार किया फिर हम लोग कमरे में आ गए। मैंने आपको बताया है कि मेरे पास एक ही रूम था और बाथरूम नीचे था। साइड में एक छोटी सी नाली थी जिसमें मैं रात को सूसू कर लिया करता था।
रात के 8 बज गए थे। हम लोग कमरे में आ गए थे। मम्मी अपने साथ छोटा वाला रसोई सिलेण्डर लेकर आई थीं और खाने-पीने का सामान भी लाई थीं। सब सामान हमने साइड में रख दिया और मैं बेड पर जाकर बैठ गया।
मम्मी बोलीं- चलो मैं हाथ-पैर धो लेती हूँ और फ्रेश हो जाती हूँ।
जनवरी का महीना था, मेरे इम्तिहान आने वाले थे, इसलिए वो मेरी हैल्प करने आई थीं, पर मुझे क्या मालूम था हैल्प कैसे होगी। अगले भाग में पढ़िए मम्मी ने कैसे मेरी हैल्प की! प्लीज़ थोड़ा इंतज़ार करो।
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