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लेखिका : कमसिन ॠदिमा
सम्पादक : जूजा जी
मेरा नाम ॠदिमा है और मैं एक सुन्दर गोरी कमसिन लड़की हूँ और 12वीं क्लास में पढ़ती हूँ। मैं आज आप लोगों को अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रही हूँ, जो कि मेरी पहली चुदाई की है और वो भी मेरे सगे भाई के साथ।
मेरी क्लास की सारी लड़कियों के बॉयफ्रेंड्स हैं और जब मेरी सहेलियाँ अपने बॉयफ्रेंड्स की बात मेरे साथ करती हैं तो मेरा मन भी करता था कि मैं भी कोई बॉय-फ्रेंड बना लूँ और जिन्दगी के मज़े लूँ, पर मैं डरती थी कि किसी को पता चल गया या कोई मुझे ब्लैकमेल करने लगा तो क्या होगा!
मेरी क्लास के सारे लड़के मुझ पर मरते हैं और कईयों ने मुझे प्रपोज भी किया पर मैंने सब को मना कर दिया।
मेरे अन्दर सेक्स की भूख बढ़ती गई। मेरे भाई की उम्र 19 साल है और वो बहुत ही खूबसूरत है। वो दिल्ली में हॉस्टल में रह कर बी.कॉम की पढ़ाई कर रहा है।
मैं वैसे तो कच्ची उम्र में ही बड़ी ही गदराई मस्त जवान माल हो गई थी, मेरा कमसिन कुँवारा बदन भर गया था और मैं किसी के साथ चुदाई की सोचने लगी।
फिर मैंने सोचा कि क्यों ना अपने भाई के साथ ही अपनी चूत की प्यास बुझाई जाए, पर मैं अपनी तरफ से कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। मैं चाहती थी कि मेरा भाई ही पहल करे इसलिए मैं उसे उत्तेजित करने की कोशिश करने लगी।
इस बार जब भाई हॉस्टल से आया, उस वक्त हमारे घर पर कुछ मेहमान आए हुए थे, जिसकी वजह से भैया को मेरे कमरे में ही सोना पड़ा।
जब रात को मैं भाई के साथ सोई तो भाई से चिपक गई और कोशिश यही करती रही कि भाई के लंड से मेरी चूत चिपकती रहे और मेरे उभरते हुए अमरुद भाई को मज़ा देते रहे।
मेरी चूत बार-बार कुछ अन्दर लेकर चुदना चाहती थी। मेरा मदमाता यौवन प्यासा था, इसलिए मैं भाई से चिपक-चिपक कर उसे बहकाने लगी।
भाई भी मेरे गुदगुदे रस भरे जवान होते जिस्म का सुख भोगने लगा। मेरी चढ़ती मादक जवानी का असर उस पर उसी रात हो गया और उन्होंने भी मुझे अपने से चिपका लिया।
उसका लंड एकदम कड़क था। मैं बार-बार अपनी चूत उसके लंड पर दबा-दबा कर उसके साथ बातें करते-करते सो गई।
अगले दिन मैं स्कूल से घर जल्दी आ गई। घर पर कोई नहीं था, मम्मी-पापा किसी काम से दो दिन के लिए बाहर गए थे तो मैं खाना खाकर लेट गई। घर में कोई नहीं था।
मैंने एक तकिया अपने मुँह पर रखा और लेटी थी, सोच रही थी कि अगर भाई आएगा तो देखूँगी क्या करता है!
मेरा अनुमान सही निकला, भाई आया और धीरे से उन्होंने मुझे देखा कि मैं गहरी नींद में हूँ कि नहीं।
फिर भाई ने मेरी स्कर्ट पकड़ कर ऊँची कर दी और मेरी कमसिन और निखरती हुई जाँघों को देखने लगा।
उसके हाथ मेरी चिकनी-चिकनी गदराती जाँघों को सहलाने लगे और वो मेरे उभरते जोबन के मज़े लेने लगा।
धीरे-धीरे उसके हाथों की गर्मी से मैं बहकने लगी थी, पर तभी मेरी साँसों की गर्माहट से भाई ने मुझे छोड़ दिया और बाहर चला गया।उसके जाते ही मैंने अपनी स्कर्ट उठाई और लापरवाही से लेट गई।
थोड़ी देर बाद भाई फिर आया और मेरी उठी हुई स्कर्ट से चमकती मेरी गोरी-गोरी नंगी जाँघें देखने के बाद मेरी चिकनी-चिकनी जाँघें फिर से सहलाने लगा और मुझे आवाज दी- ॠदिमा!?
मैं कुछ नहीं बोली तो उसे लगा मैं नींद में हूँ सो वो धीरे से फुसफुसाया- हाय कैसी कसी हुई मस्त जाँघें हैं.. ॠदिमा!
और मेरी चिकनी जाँघें हाथ से सहला कर मज़े लेते हुए कहने लगा- कितनी गदरा गई है ॠदिमा.. कितना चिकना और सख़्त बदन है तेरा.. ॠदिमा.. हय..काश! एक बार तेरे छोटे-छोटे सख़्त निप्प्ल चूसता.. तेरी छोटी सी कुँवारी चूत चोदता… हाय ॠदिमा कैसे ऊ..हहम्म ऊ..हम्म करके कसमसाएगी.. मेरी ॠदिमा.. तेरी चूत कितनी क़सी-कसी सी होगी एकदम टाइट!
भाई की हरकतों से मेरे प्यासे बदन में आग लगा गई।
भाई ने फिर मुझे आवाज़ लगाई- ॠदिमा! पर मैं कुछ नहीं बोली और ऐसी एक्टिंग करने लगी कि मैं बहुत गहरी नींद में सो रही हूँ।
मुझे गहरी नींद में सोया हुआ समझ कर मेरे भाई की हिम्मत खुल गई। वो बोला- ॠदिमा…!
मैं कुछ नहीं बोली तो उन्होंने हौले से मेरे उभरते हुए सीने पर अपना हाथ फेर दिया। ओह गॉड! मैं कितने दिनों से ऐसे मज़े के लिए तरस रही थी।
फिर भाई ने शर्ट के ऊपर से ही मेरे निप्पल को दबा दिया। मैं एकदम से उठ गई और बोली- भैया.. यह आप क्या कर रहे हैं?
भैया कहने लगे- कुछ नहीं ॠदिमा.. मैं तो तुझे प्यार कर रहा हूँ आई लव यू ॠदिमा! मैं तेरे बिना जी नहीं सकता.. आई लव यू सो मच!
मैंने कहा- नहीं भैया.. ये सब ग़लत है किसी को पता चलेगा, तो बहुत बुरा होगा!
तो भाई ने कहा- किसी को कुछ पता नहीं चलेगा और मैं तेरे बिना जी नहीं सकता हूँ.. आई लव यू! और वो मेरे सीने पर हाथ रख कर सहलाने लगे। अब मेरे से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
तो मैंने कहा- भैया… आई लव यू टू! तो भैया ने कहा- डर कैसा! जब हम किसी को कुछ बताएँगे ही नहीं, तो किसी को कुछ पता कैसे चलेगा? मैंने भाई से लिपट कर कहा- हाँ भाई.. आई लव यू!
और भाई ने मेरे गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें बुरी तरह चूमने लगे। भाई मुझे पागलों की तरह चूमने लगा। उन्होंने मेरी स्कर्ट पूरी उतार दी और मेरी शर्ट भी उतार फ़ेंकी।
मेरे सख़्त और नुकीले स्तनों को देख कर भैया से रहा नहीं गया और वो मेरे तने हुए मम्मों को चूमने-चाटने लगे।
भाई मेरे मम्मों को मुँह में पूरा भर कर चूस रहे थे, क्योंकि मेरे छोटे-छोटे समोसे जैसे मम्मे उनके मुँह में पूरे समा रहे थे।
वहीं मुझे मौका नहीं दे रहा था। मेरे मम्मों को हाथ में मसलता और निपल्स चूसता भैया बोला- हमम्म ॠदिमा, हाउ शार्प योर निपल्स यार…! ऐसा लग रहा है कि गुलाबी आइस क्रीम हो और तेरे निपल्स… जैसे आइस क्रीम कोन पर चैरी रखी हो…!
मैं बोली- चैरी को चूसो भैया… आहह बड़ा मज़ा आता है! ‘किसमें ॠदिमा?’ ‘ये चैरी चुसवाने में भाई!’
‘अरे रुक ॠदिमा, तेरी चूत चाटूँगा तो और मज़ा आएगा…! हाय तू जब चुदेगी.. तब कितना मज़ा आएगा तुझे नहीं पता ॠदिमा!’ मैंने पूछा- चुदाई में और मज़ा आता है भैया?
‘हम्म.. चुदाई में चूत में बड़ी गुदगुदी होती है… बड़ी खुजलाहट होती है.. ॠदिमा लड़कियों को चूत में खूब मस्ती होती है.. अरे बदकिस्मत है वो लड़की कभी जिसने चूत नहीं चुदवाई!’
फिर थोड़ी देर बाद भाई ने मेरी मरमरी चिकनी-चिकनी जाँघें चूमी.. भाई पागलों की तरह मेरी जाँघों को अपने मुँह से सहला रहा थे और चूम रहा था।
फिर हौले से भाई ने मेरी पैंटी खींच दी। ‘हा..अययए..ईईई ॠदिमा! कैसी अनछुई कली है तू…!’
भैया मेरी बिना बालों वाली अधखिली गोरी गुलाबी चूत को देखता रह गया। भाई ने मेरे पूरी चूत हाथ मे थाम ली, उसको दबा दिया और बोला- हाए ॠदिमा.. मेरी बहन क्या चीज़ है तू… क्या मस्त बदन है तेरा… कैसी चटकती मस्त कली है ॠदिमा… हह..ससस्स हहाअ!
भाई ने मेरी अन्दर की जाँघें बड़े प्यार से चूमी और सहलाते हुए मेरी जाँघों को फैला दिया।
फिर भैया ने मेरी कमसिन कच्ची कली की खुशबू सूँघी- हमम्म हा..वाह..ह ॠदिमा कुँवारी कली की कुँवारी खुशबू..ओह.. हाय.. मेरी बहन कितनी मस्त है और मैं बाहर की लड़कियों को चोदता रहा!
और भैया ने धीरे से मेरी फैली जाँघों के बीच में देखा, जहाँ मेरी चढ़ती जवानी का रसीला छेद है। मेरी चूत की कली एकदम क़सी हुई थी। दोनों फांकें चिपकी हुई थीं। भाई ने हौले से मेरी चिपकी हुई फांकों को उंगली से रगड़ दिया- स्सस्स हहाअ उई भैयआआ!
और भैया ने मेरी फिर नहीं सुनी, जुट गए मेरी गुदगुदी चूत को चाटने, चूसने में!
मेरी नंगी चिकनी चूत की कली पर उसने अपनी जीभ चला दी और मैं मस्ती में, ‘सीईई…!’ सिसकार उठी। जब भाई थोड़ी देर रुक गया तो मैं बोली- हाए भैया… चूसो ना..आआ!
भाई ने मेरी चूत को पूरा अपनी हथेली में थाम लिया और बोला- इतनी खुजली हो रही है ॠदिमा?
मैं बोली- हाँ…भाई.. प्लज़्ज़ चूसो ना..आ! भाई ने मेरी चूत की दोनों फांकों पर होंठ रख दिए और कसी हुई चूत के होंठों को अपने होंठ से दबा कर बुरी तरह से चूसने लगा और मैं तो बस कसमसाती रह गई, तड़पती.. मचलती- आआहह आअहह भैया हाअ उईईइ आहह!
और भाई चूस-चूस कर मेरी अधपकी जवानी का रस पीता गया, मेरी कच्ची कली का कच्चा रस उसे भा गया।
बड़ी देर तक मेरी कमसिन छोटी सी चूत से चिपका रहा। अब मैं झड़ने वाली थी। मैं बार-बार कहने लगी- छोड़ दो भैया!
मैं दो बार झड़ भी चुकी थी, पर भाई मेरी चूत से अलग ही नहीं हो रहे थे। मैं रोने सी लगी तब उन्होंने मुझे छोड़ा और तब तक मेरी चूत चूने लगी, मेरा सारा रस चू..चू कर मेरी मुत्ती से बहने लगा।
भाई चटकारे लेकर मेरे चूत रस का पान करने लगा- ॠदिमा हमम्म मेरी जान.. बड़ी छोटी सी चूत है तेरी! भाई अपनी कुँवारी बहन की चूत का मज़ा लेना चाहता था।
भैया- ॠदिमा तेरी कुँवारी चूत आज मस्ती में डूब जाएगी! भैया ने अपने कपड़े उतार दिए और जब अपना लंड दिखाया तो मेरी आँखें खुली ही रह गई’
भाई का लंड काफ़ी बड़ा और मोटा था। भैया ने अपना भीगा चिकना लंड मुझे दे दिया और कहा- ले इसे मुँह में ले ले! पर मैंने मना कर दिया, तब भाई ने अपना भीगा लंड मेरे मम्मों पर सहला दिया।
मेरे नुकीले तने हुए निपल्स भाई के लंड की छुअन से सिहर उठे- सस्स्सस्स भैया!
भाई मेरे निपल्स को अपने लंड के चिकने रस से मसल कर सहलाता रहा। फिर उठ कर मेरी जाँघों के पास गया। मेरी ठोस चिकनी जाँघों को सहलाते हुए उन्होंने अपना लंड मेरी चूत की दरार में फिसला दिया।
मैं मचल गई। मेरी चूत की कसी हुई फांकों पर अपने लंड से रगड़ मार कर भाई ने मेरी कसी-कसाई फांकों को अलग किया और बोले- क्या मस्त चीज़ है तू ॠदिमा.. हाय.. इतनी कसी चूत.. एकदम तरोताजा चूत है मेरी बहना की!
ऐसा कहते हुए भाई ने धीरे से मेरी चूत में अपना लंड टिकाया। मैं सिहर उठी, क्योंकि दर्द के मारे मेरी जान निकल रही थी। भाई ने मुझे सहलाते हुए कहा- ॠदिमा तेरी इस प्यारी सी चूत में पहले थोड़ा सा दु:खेगा.. फिर खूब मज़ा आएगा!
फिर भाई धीरे धीरे करके अपना लंड मेरी चूत में ठेलने लगा। भाई अपनी छोटी बहन की चूत में अपना लंड घुसा रहा था।
कितना मस्त नजारा था, सोचिए! एक कमसिन स्कूल-गर्ल अपने से दो साल बड़े भाई के साथ नंगी होकर बिस्तर पर चुदाई का मज़ा ले रही थी।
भैया ने मेरे होंठों को चूमा और उनका चिकना लंड मेरी चिकनी-चिकनी चूत में सरकने लगा।
मुझे दर्द भी होने लगा, अभी भाई का आधा लंड बाहर था और आधा मेरी चूत के भीतर। मेरी चूत से खून निकल रहा था और दर्द के मारे मेरी जान निकल रही था।
मैं भाई को अपना लंड बाहर निकालने को कहने लगी, पर भाई कहाँ मानने वाले थे। भाई आधे लंड को ही अन्दर-बाहर करने लगे ताकि मेरी चूत का रस और उनके लंड का रस गीलापन ला सके और चुदाई में आसानी हो सके।
फिर भैया ने मेरे निपल्स को चूमा और चूसते हुए धीरे-धीरे लंड और अन्दर घुसाने लगे।
मेरी तकलीफ़ बढ़ती ही जा रही थी, मैं कसमसा रही थी- आआहह ऊऊईइ भैया! और मेरी आंखों में आँसू भी आ गए थे, ‘उउन्नह.. भैया रुक जाओ ना… दुख रहा है!
भाई बोला- बस ॠदिमा थोड़ी देर में मज़ा आने लगेगा! और फिर धीरे-धीरे भाई ने अपना पूरा लवड़ा अपनी बहन की छोटी सी चूत में घुसेड़ दिया और सुकून से बोला- बस ॠदिमा पूरा अन्दर है अब देख चुदाई शुरू होगी!
भाई ने पहले मेरे निपल्स चूसे फिर धीरे-धीरे अपना लंड खींच कर फिर से धीरे से घुसा दिया…! इस तरह बड़ी ही धीरे-धीरे अपनी प्यारी बहना को चोदने लगे।
‘उन्न्ह.. आअहहू हाअए.. आन्न.. भैया आई… आईरीई..भैया हन्न ऊऊहह!’ अब मेरा दर्द भी थोड़ा कम हो गया था और मज़ा आने लगा था। मैं मज़े ले ले कर चुदवाने लगी।
भाई भी मेरी टाइट चूत में अपने बम-पिलाट लवड़े से मुझे चोदने का आनन्द लेने लगा।
थोड़ी देर में जब चूत और लंड रस से भीग कर चिकनेपन के कारण आसानी से लौड़ा अन्दर-बाहर होने लगा, तो भैया ने स्पीड भी बढ़ा दी। मैं भी दर्द झेलते हुए धक्के दे देकर चुदाई के मज़े लेने लगी।
मैं भाई के साथ मिल कर खूब उछल-कूद करते हुए चुदवाने लगी। भाई ज़ोर-ज़ोर से पंपिंग करते हुए मेरे निपल्स को भी चूस लेता और फिर मेरी चूत में खूब तेज़ खुजली सी हुई, बादल उमड़ आए और गुदगुदाहट के साथ मेरी चूत, रस से भीग गई…!
‘बस बस भैय्आ हहा अह!’ शांत हो गया सब जैसे। थोड़ी देर में भाई ने फिर धक्के दिए और मेरी चूत के भीतर उनका गरम-गरम लावा टपक पड़ा। भाई ने मुझे सहलाते हुए पूछा- ॠदिमा ठीक है ना तू… मेरी जान!
मैंने कहा- हाँ भाई! आज तो आपने मेरी जान ही निकाल दी थी! भाई कहने लगा, “आज से हम दोनों बॉय-फ्रेंड गर्ल-फ्रेंड हैं।
खैर भाई के साथ अब मैं आज़ाद हूँ। आज अब भैया ने मुझे दिल्ली मे ही एडमिशन दिला दिया है और हम दोनों बिल्कुल लवर्स की तरह घूमते हैं, पिक्चर देखते हैं और भैया मेरे साथ खूब खेलते हैं और मैं भैया से खूब चुदवाती हूँ।
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