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दोस्तो, मैं संजना लुधियाना वाली, आप सबके लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ। यह कहानी बिल्कुल काल्पनिक है। यह सिर्फ़ उन लड़के-लड़कियों के लिए है, जिनके कोई गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड नहीं हैं और वो इस कहानी को पढ़ कर अपने हाथ से अपनी काम की भूख शांत करेंगे। इसमें कोई ग़लत बात भी नहीं है क्योंकि मैं भी छोटी उम्र से ऐसा ही करती रही हूँ, तो मस्ती कीजिए..! बात तब की है जब मैं सिर्फ़ 18 साल की थी, 12वीं क्लास की स्टूडेंट थी, लड़कियों के स्कूल में पढ़ती थी।
को-एजुकेशन ना होने के कारण स्कूल में हमें आजादी कुछ ज़्यादा ही थी। बीस में से सिर्फ़ तीन टीचर जेंट्स थे और उन तीनों में सिर्फ़ एक दुर्गादास को छोड़ कर सब बुड्ढे थे।
एक चौकीदार और एक सफाई वाला पर वो भी बेकार के खूसट थे। तो अक्सर लड़कियाँ इस बात से बेफ़िक़र रहती थीं कि उनके उल्टा-सीधा बैठने पर कोई उन्हें घूर कर देखेगा। बहुत सी लड़कियों के बॉयफ्रेंड थे, मेरी ही क्लास में कुल 35 लड़कियाँ थीं जिनमें से 25 के बॉयफ्रेंड थे और 18 लड़कियाँ ऐसी थीं, जो सब कुछ अपने बॉयफ्रेंड को सौंप चुकी थीं।
पता नहीं सच था या झूठ पर वो हमेशा बहुत ही बढ़-चढ़ कर अपने सेक्स की कहानियाँ सुनाती थीं। जैसे जो ज़्यादा सेक्स करती हैं, वो शायद ज़्यादा ही कुछ हैं। मैं एक साधारण से परिवार की साधारण सी लड़की, मुझ पर एक-दो लड़के लाइन तो मारते थे, पर डर के मारे मैंने कभी उन्हें लाइन नहीं दी, पर जब भी वो आते-जाते कोई कमेन्ट देते, तो बड़ा अच्छा लगता था।
मैं भी चाहती थी कि मैं भी किसी के साथ सैट हो जाऊँ, उससे सेक्स करूँ और सबको अपनी कहानी सुनाऊँ, पर ऐसा सम्भव नहीं हो पा रहा था। एक दिन मेरी एक सहेली एक मैगजीन स्कूल लेकर आई, फ्री-पीरियड में हम सब लड़कियाँ उसके अगल-बगल में इकट्ठी हो गईं। हर कोई वो मैगजीन देखना चाहती थी।
उसमें एक औरत के तीन पुरुषों के साथ संभोग के चित्र थे। हम सब लड़कियों ने मज़े ले-ले कर वो चित्र देखे। सबका मन ललचा रहा था, कमरे का माहौल गरम हो चला था, हमने अन्दर से दरवाज़े की कुण्डी लगा ली।
नेहा जो हमारी क्लास की सबसे शानदार और धाकड़ लड़की थी, ब्लैक-बोर्ड के पास जाकर खड़ी हो गई और बोली- डियर फ्रेंड्स, आज मैं आप सबको सेक्स का ज्ञान देना चाहती हूँ। यह कह कर उसने वो मैगजीन का पहला पन्ना सब को दिखाया और बोली- यह देखो, इसमें जो मर्द का लिंग दिखाया गया है, वो जब तन जाता है तो ऐसे अकड़ जाता है।
वो किताब की हर तस्वीर को सब के सामने अपनी समझ से बयान कर रही थी। क्लास की 1-2 लड़कियों ने इसका विरोध किया तो बाकी सबने उनको डांट कर चुप कराके बिठा दिया। क्लास की हर लड़की गर्म हो चुकी थी, मेरे साथ बैठी पूजा ने तो अपनी स्कर्ट उठा कर अपना हाथ अपनी चड्डी में डाल लिया था। जगदीप और संतोष तो एक-दूसरे के होंठों को चूस रही थीं और एक-दूसरे के मम्मों को दबा रही थीं।
कुछ करके मज़ा ले रही थीं कुछ देख कर मज़ा ले रही थीं। फिर नेहा बोली- गर्ल्स, आज हम अपनी क्लास में एक फैशन शो करेंगी, हर लड़की को अपनी स्कर्ट उठा कर अपनी पैन्टी और शर्ट खोल कर अपनी ब्रा दिखना होगा, जो दिखाना चाहे तो दिखा दे, नहीं दिखाना चाहे तो ना दिखाए, कोई मजबूरी नहीं है, जस्ट फॉर फन… तो कौन आएगी सबसे पहले? गीता ने कहा- तू ही शुरू कर दे…!
तो नेहा ने बड़े सेक्सी अंदाज़ में डान्स करते हुए अपनी स्कर्ट उठा कर सब को अपनी सफ़ेद कच्छी, जिस पर लाल गुलाब बने हुए थे, दिखाई और फिर शर्ट के ऊपर के 3-4 बटन खोल कर अपनी सफ़ेद ब्रा दिखाई।
फिर उसने बड़े स्टाइल से अपने मम्मों को गोल-गोल घुमा कर, हिला कर सब को दिखाया। उसके बाद तो प्रीति, किरण, सीमा, बिन्नी, जसविंदर और कइयों ने भी हिम्मत दिखाई। तभी मुझे अहसास हुआ कि जैसे कोई चीज़ मेरी स्कर्ट में घुसी हो। यह पूजा का हाथ था, मैंने भी उसका सहयोग किया और बिना रुकावट उसका हाथ अपनी चड्डी में जाने दिया।
वो आगे बढ़ी और उसने मेरे होंठ अपने होंठों में ले लिए। मैं भी चूसने लगी, मेरे लिए चुम्मी का यह पहला अनुभव था। उसके बाद होंठ चूसते-चूसते, एक-दूजे की जीभें भी चूसने लगे।
पर ये सब ज़्यादा देर नहीं चल सका क्योंकि पीरियड खत्म होने वाला था, तो सबने अपनी-अपनी सेटिंग की और ठीक-ठाक होकर बैठ गईं। पर सब लड़कियों की चड्डियाँ गीली ज़रूर हो गई होंगी।
जब मैडम क्लास में आईं और बोलीं- यह आज क्लास में स्मैल कैसी आ रही है? हर लड़की मन ही मन मुस्कुरा रही थी, पर बोली कोई नहीं। उस दिन के बाद तो ऐसा हुआ को जो काम छुप-छुप कर लड़कियाँ करती थीं, अब क्लास में सब के सामने बिना किसी डर के होने लगा। आपस में एक-दूसरे के होंठ चूम कर अभिवादन करना तो आम हो गया था।
जब मेरी चड्डी में भी आग लगी तो मैंने भी लड़कों को लाइन देना शुरू कर दिया। किस्मत खुली अनुराग की, उसने जब प्रपोज़ किया तो मैंने अगले ही दिन उसे ‘यस’ कह दिया। हम मिलने लगे, कभी-कभी एकांत में मिलने पर वो मुझे चूमता, मेरे मम्मों से खेलता, इन्हें दबाता, मेरे चूतड़ों को सहलाता, मेरी गाण्ड की दरार में अपना लिंग रगड़ता।
मुझे बहुत अच्छा लगता, मैं भी चाहती थी कि वो किसी दिन मुझसे सेक्स करे। एक दिन हम चोरी से फिल्म देखने गए, फिल्म भी बेकार सी ही थी, जिसमें बिल्कुल भी रश नहीं था। हमारे साथ अनुराग का फ्रेंड वीरेन भी था। फिल्म तो खैर किसने देखनी थी। हम तीनों बिल्कुल आखिर वाली सीट्स पर बैठे। दोनों तरफ अनुराग और वीरेन थे, बीच में मैं बैठी थी।
अंधेरा हुआ, फिल्म शुरू हुई और फिल्म शुरू होने के थोड़ी देर बाद, जब उसने आस-पास का माहौल देखा तो अपनी पैन्ट की ज़िप खोली और अपना लिंग बाहर निकाला। पहली बार मैंने उसका लिंग देखा।
कुछ देर आस-पास देखने के बाद उसने अपना लिंग मेरे हाथ में पकड़ा दिया। जो मुझे बड़ा अजीब सा लगा। उसका लिंग नर्म सा, मुलायम सा था जैसे हाथ में छिपकली पकड़ ली हो। पर हाथ में पकड़ने की देर थी कि वो तो अकड़ने लगा और देखते-देखते वो तो ऐसे हो गया जैसे पत्थर का हो।
अनुराग बोला- कैसा लगा हाथ में पकड़ के? मैंने कहा- ठीक है..! ‘जानेमन, एक दिन यह तेरी बुर में घुसेगा, तब बताना कैसा लगा..!’ वो हँस कर बोला। ‘शट-अप..! अनुराग.. मुझ से ऐसी गंदी बातें मत किया करो..!’ मैं थोड़ा नक़ली गुस्से से बोली। ‘अच्छा चल, अब इसे पकड़ कर मत बैठ.. इसे नीचे-ऊपर करके सहला..!’
मैं वैसा ही करने लगी। अनुराग ने अपना एक हाथ मेरी गर्दन के ऊपर से घुमाया और मेरी टी-शर्ट के अन्दर डाल दिया। मेरा बायाँ मम्मा उसके हाथ में था। वो मेरे मम्मों को दबाने-सहलाने लगा, मुझे भी मज़ा आ रहा था।
फिर अनुराग ने अपनी एक टाँग उठा कर सामने वाली कुर्सी की बैक पर रखी और मेरा सर नीचे को धकेला और मेरा सर अपने लिंग के पास ले गया। ‘यह क्या कर रहे हो?’ मैंने पूछा। ‘डार्लिंग, इसे मुँह में लेकर चूस..!’
मेरे लिए यह काम अलग नहीं था, मैं पहले भी उसके लिंग से खेल चुकी थी। यह भी सेक्स का ही एक हिस्सा था, मैंने उसकी बात मान ली। जब उसने मेरा सर और नीचे धकेला तो मैंने उसका लिंग मुँह में ले लिया। मैंने उसका लिंग अच्छी तरह से हाथ में पकड़ कर मुँह में लेकर चूसा।
अनुराग मेरा सर ऊपर-नीचे करने लगा और करीब-करीब अपना आधा लिंग मेरे मुँह में अन्दर-बाहर जाने लगा। जब ये सब हो रहा था तो वीरेन ने मेरा हाथ पकड़ा और उसने अपना तना हुआ लिंग पकड़ा दिया। मैंने अपना हाथ झटक दिया।
कहानी जारी रहेगी। मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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