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कहानी का पिछला भाग: फुफेरी बहन की सील तोड़ी-1
तभी अंजलि जल्दी से उठ कर बाथरूम के अन्दर चली गई और दरवाजा बंद कर लिया, तो मैंने प्रिया से मौका देख कर पूछा तो उसने मुस्कराते हुए बताया कि अंजलि को पीरियड आ गया, चूँकि उसको डेट याद नहीं रही, तो पैड वगैरह नहीं थे, इसी लिए हम लोग अपनी क्लास टीचर से जल्दी छुट्टी लेकर घर आ गए। अब बात मेरे समझ में आई।
मुझे यह बताने के बाद प्रिया अन्दर कमरे में गई और अपनी एक ड्रेस और चूत में पीरियड के समय लगाने वाला पैड (मुझे दिखाते हुए) लेकर बाथरूम के बाहर लेकर दरवाजे पर दस्तक दी जिसको अंजलि ने हाथ निकाल कर ले लिया।
मैंने तुरंत अपना दिमाग लगाया और प्रिया को वापस आते ही अपनी बाँहों में भर लिया और उसके प्यारे चेहरे पर अनगिनत चुम्मी कर डालीं। प्रिया ने भी उसी तरह से उत्तर दिया।
फिर मैंने उसकी आँखों में देखा और मुस्कराने लगा, शायद उसको मेरी आँखों की भाषा समझ आ गई थी। वो प्यार से मेरी आँखों में देखती हुई बोली- क्या बहुत मन है.. अंजलि की सील तोड़ने का प्रियम ! मैंने उसको बहुत जोर से अपने से चिपका लिया और कहा- हाँ जान.. बहुत ज्यादा !
उसने कहा तो कुछ नहीं, बस वैसे ही चिपके हुए मेरे बाल सहलाती रही, फिर बोली- अभी तुम जाओ, देखती हूँ.. क्या हो सकता है ! शाम को फूफा जी अंजलि को लेने आए, लेकिन फिर जो भी बात हुई हो उनकी प्रिया और अंजलि से, वो अकेले ही वापस लौट गए थे।
दूसरे दिन सुबह प्रिया के स्कूल जाने के टाइम मैं बालकनी में गया तो देखा कि प्रिया अकेले ही स्कूल जा रही थी, अंजलि उसको गेट तक छोड़ने गई। उसने ऊपर मेरी तरफ देखा और मुस्कराकर मुझे नमस्ते किया। मैंने भी उसको नमस्ते का जवाब दिया, मुझे लगा शायद प्रिया ने जानबूझ कर मुझे मौका देने के लिए ऐसा किया है और मुझे इसका फायदा उठाना चाहिए।
लेकिन अभी तो चाचा जी भी घर में थे और मेरी तरफ मेरी माता जी भी घर में ही थीं। मैं थोड़ी देर बाद अपने चाचा की तरफ गया तो देखा कि चाचा आफिस जाने के लिए तैयार हो रहे थे और अंजलि सोफे पर बैठ कर टीवी देख रही थी। मुझे देख चाचा जी बोले- अमित, आज अंजलि की तबियत ठीक नहीं है, यह घर पर ही रहेगी, तुम इसका ध्यान रखना ! मैंने कहा- जरूर !
थोड़ी देर बाद चाचा जी चले गए, मैं भी वहीं अंजलि के साथ सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगा। फिर मैंने पूछा- अंजलि, अब तबियत कैसी है, डाक्टर के यहाँ तो नहीं चलना? उसने कहा- नहीं भैया, मैं ठीक हूँ.. बस थोड़ा आराम कर लूँ, सब ठीक हो जाएगा।
खैर… हम लोग टीवी देखते रहे, फिर थोड़ी देर बाद मैं खड़ा हुआ और कहा- अंजलि मुझे कुछ काम है, मैं अभी आता हूँ ! मैं वहाँ से निकल आया, लेकिन दोस्तों मैंने अपना मोबाइल फ़ोन जानबूझ कर वहीं छोड़ दिया। यहाँ मैं बता दूँ कि मैं 2 मोबाइल रखता हूँ, और मेरे दूसरे मोबाइल में बहुत सारी चुदाई की मूवी और फोटो, गंदे-जोक्स वगैरह स्टोर रहते हैं।
मैंने अपना वही फ़ोन अंजलि के पास छोड़ा था। मैं जानबूझ कर बहुत देर तक उधर नहीं गया और आज तो वैसे भी मेरी माता जी घर पर ही थीं। मैं अपने कमरे में लेटा टीवी देख रहा था, लेकिन मेरा दिमाग अंजलि की तरफ ही था। पता नहीं उसने मेरा फ़ोन देखा भी होगा या नहीं।
करीब 2 घंटे के बाद मेरे कमरे में हल्की सी आहट हुई मैंने पलट कर देखा तो अंजलि थी। वो तुरंत बोली- भैया आपका फ़ोन, आप शायद भूल आए थे ! मैंने उसके हाथ से फ़ोन ले लिया, उसके चहरे पर हल्की सी मुस्कान थी.
मैं समझ गया कि इसने खूब अच्छी तरह से मेरा फ़ोन देखा है। मैं तो चाहता भी यहीं था, उसके बाद वो मुड़ी और मेरी माँ के कमरे में चली गई। थोड़ी देर बाद प्रिया भी स्कूल से वापस आ गई, मौका मिलते ही प्रिया ने मुझसे पूछा- कुछ हुआ? मैंने कहा- नहीं ! और उसको पूरी बात बता दी, सुनने के बाद वो बोली- जो करना है कल कर लो, क्योंकि कल के बाद अंजलि अपने घर चली जाएगी !
अब मैं अभी से कल की प्लानिंग में लग गया क्योंकि कल तो मुझे अंजलि की कुंवारी चूत की सील किसी भी हाल में तोड़नी होगी। दूसरे दिन सुबह, प्रिया फिर अकेले ही स्कूल जा रही थी, मेरी नजर मिलते ही उसने मुझे इशारे से फिर याद दिला दिया कि आज शाम को अंजलि अपने घर चली जाएगी।
थोड़ी देर बाद मैं अपनी माँ के कमरे की तरफ गया तो माँ ने बताया कि अभी मेरे मामा जी, जो घर के पास में ही रहते हैं, उनकी तबियत ठीक नहीं हैं और वे उनको देखने जायेंगी। मैंने कहा- ठीक है और इधर मेरे दिमाग ने योजना बनाना शुरू कर दिया क्योंकि अब चाचा के जाने के बाद पूरे घर में सिर्फ मैं और अंजलि ही बचेंगे।
करीब नौ बजे मेरी माँ, मामा के यहाँ गईं, मैं उनको गेट तक भेज कर वापस सीधे चाचा के पोर्शन में गया, चाचा ऑफिस जाने के लिए बिल्कुल तैयार थे। अंजलि शायद बाथरूम में थी। मैंने चाचा से बात करते हुए धीरे से अपना मोबाइल मेज पर जहाँ अंजलि की एक किताब रखी थी, उसी के बगल में रख दिया। चाचा ने अंजलि को आवाज दी- मैं ऑफिस जा रहा हूँ !
मैं भी उनके साथ ही बाहर निकल आया, उनके जाने के बाद गेट बंद करके मैं सीधा अपने कमरे में चला गया। मेरे पास कुछ चुदाई वाली फिल्मों की सीडी थीं, उनमें से एक मैंने सीडी प्लेयर में लगा कर प्ले कर दिया और सिर्फ चड्डी और बनियान पहन कर सोफे पर बैठ कर चुदाई वाली फिल्म का आनन्द उठाने लगा।
मैं देख तो रहा था टीवी, लेकिन मेरे दिमाग में सिर्फ अंजलि का बदन ही घूम रहा था। मैं सोच रहा था कि पता नहीं आज अंजलि मेरे मोबाईल को देखेगी या नहीं !
यही सब सोचते हुए करीब एक घंटा गुजर गया। इधर अन्जलि को चोदने के ख्याल से ही मेरा लंड बिल्कुल सीधा खड़ा हो गया था। मैं अपनी चड्डी के अंदर हाथ डाल कर उसको सहला रहा था, तभी मुझे दरवाजे पर कुछ आहट महसूस हुई। मैं समझ गया कि अंजलि ही होगी, लेकिन मैं वैसा ही सोफे में पसरा रहा, टीवी में इस समय भयकंर चुदाई का सीन चल रहा था।
मेरे कमरे में ड्रेसिंग टेबल इस तरह सेट है कि उसमें कमरे के दरवाजे तक का व्यू आता है। मैंने उसमें देखा कि अंजलि की नजर टीवी पर पड़ गई थी और वो दरवाजे पर ही रुक गई, पर उसकी नजरें अभी भी टीवी पर ही थीं। मैंने जानबूझ कर अपनी चड्डी नीचे खिसका दी, अब मेरा नंगा लंड मेरे हाथ में था। मैं उसको सहला रहा था, मेरे हिलने से शायद अंजलि का ध्यान मेरी तरफ गया और मुझे लगा कि वो मुड़ कर जाने वाली है।
मैंने अपना सर घुमा कर दरवाजे की ओर देखा और तुरंत उसी पोजीशन में खड़ा हो गया। अंजलि वापस जाने के लिए मुड़ चुकी थी। मैंने तुरंत उसको आवाज दी, वो मुड़ी मेरी तरफ देखा और जब उसने मुझे उसी हाल में (मेरी चड्डी नीचे खिसकी हुई थी और मेरा लंड खड़ा था) पाया तो मैंने देखा उसका चेहरा बिल्कुल लाल हो रहा था।
उसने हल्की सी मुस्कान दी और बिना रुके वापस चाचा जी के पोर्शन की तरफ भागती हुई चली गई। मैंने एक-दो मिनट सोचा और फिर एक तौलिया लपेट कर उधर गया।
धीरे से अन्दर गया तो देखा कि अंजलि प्रिया के बेड में उलटी लेटी थी, उसकी पीठ मेरी तरफ थी और वो मेरे मोबाइल में शायद कुछ कर रही थी। मैंने तुरंत निर्णय लिया, मैंने अपनी तौलिया हटाई और कूद कर अंजलि के पास बेड पर पहुँच गया। मेरी नजर सीधे मोबाइल में गई, उसमें एक चुदाई वाली फिल्म चल रही थी।
मेरे इस तरह पहुँचने से अंजलि एकदम चौंक गई। इसके पहले कि वो मोबाइल बंद करती, मैंने उसके हाथ से मोबाइल ले लिया। वो सब इतना अप्रत्याशित था कि अंजलि एकदम स्तब्ध रह गई। मैंने उसको गौर से देखा तो उसने अपनी नजरें नीची कर लीं।
आज शायद उसने अपने बालों में शैम्पू किया था क्योंकि उसके बाल खुले थे जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे। आज उसने प्रिया का गुलाबी स्कर्ट और टॉप पहना था। शायद वो थोड़ी देर पहले ही नहा कर आई थी, वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
मैंने सीधे उससे पूछ लिया- कैसी लगी पिक्चर? वो कुछ नहीं बोली, मैंने थोड़ी हिम्मत कर उसको ठोढ़ी को हाथ से ऊपर उठाया और फिर पूछा- अंजलि तुमको यह मोबाइल वाली पिक्चर कैसी लगी? अबकी वो थोड़ा मुस्कराई और उठ कर भागने की कोशिश करने लगी।
मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ कर बेड में गिरा दिया और ताबड़-तोड़ चुम्बन करना शुरू कर दिया। इसके पहले कि वो कुछ समझ पाती, मैंने उसके ऊपर छा गया और बहुत सारे चुम्बन कर दिए।
अब वो छटपटाने लगी, पहली बार उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए कहा- छोड़िए मुझे! मैंने कहा- क्यों केवल मोबाइल में चुदाई देखनी है? कहने के साथ ही मैंने अपना हाथ नीचे स्कर्ट के अन्दर डाल दिया, उसने चड्डी नहीं पहनी थी, इसलिए मेरा हाथ सीधे चूत पर ही पहुँच गया।
अंजलि बहुत जोर से चिहुंक गई, उसने पूरा जोर लगा कर मुझे अपने ऊपर से हटाना चाहा, लेकिन मैंने अपने हाथ से उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके हाथों को संभालता रहा।
कहानी जारी रहेगी। मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
कहानी का अगला भाग: फुफेरी बहन की सील तोड़ी-3
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