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रेणुका मुझे इस बात का पता था कि मरद चुदाई में ‘इसे’ हम लोगों के ‘बिल’ में डालते हैं। ‘जैसा भी है, लेकिन यह मर्द का लौड़ा तेरी चूत में आज ज़रूर घुसेगा।” उसने अपना लंड सहलाते हुए मुझे कहा। फिर उसने मुझे बाँहों में ले लिया और मुझे चुम्बन करने लगा, मेरी चूचियाँ दबाने लगा और चूत को भी खोदने लगा। मैंने अपना नाटक जारी रखते हुए कहा- प्लीज़ मुझे छोड़ दे.. नहीं तो मैं मम्मी-डैडी को सब बता दूँगी और पापा से पिटवाऊँगी। ‘अरे.. वो तो तीन दिन बाद आएँगे तब तक तो मैं तेरी बूरिया को चोद-चोद कर भोसड़ा बना दूँगा… बिटिया, पापा से तो जैसन मर्ज़ी करा लेना, पर अभी तीन दिन तो मुझ से मरवा ले !’ ‘तुझे जेल जाने से बिल्कुल डर नहीं लगता?’ मैंने उसे डराने की कोशिश की। ‘कोई बात नहीं… दोनों की साथ अच्छी कटेगी।’ यह कहते हुए उसने मेरी चूत में उंगली ही घुसेड़ दी। ‘दोनों?’ मैंने हैरत से कहा- मैं क्यूँ जेल जाऊँगी… तू अकेला ही जाएगा ! ‘तू नहीं कुतिया… तेरा प्यारा अंकल जिससे अपनी चूत में उंगली करवा रही थी, वह भी तो जाएगा ! मैं चुप थोड़ा ही बैठा रहूँगा !’ ‘अगर मैं कहूँ कि अंकल ने कुछ भी नहीं किया… तो तेरी बात कौन मानेगा?’ मैंने उसे समझाया। ‘अरे भोसड़ी की… मेरी बात कोई नहीं मानेगा लेकिन इस कैमरे की तस्वीर तो मानेंगे.. इसमें तेरी और तेरे उस कमीने बंगाली की सारी करतूत क़ैद है !’ उसने मेरा छोटा सा कैमरा मुझे ही दिखाया और बताया कि उसने सारी फोटो खींच ली है। ‘रामू चाचा, तू एक शरीफ आदमी को जेल भेजेगा?’ ‘हाँ.. तेरा अंकल तो शरीफ़ज़ादा है और मैं एक नौकर कुत्ता हूँ। वह तेरे बाप का दोस्त.. तेरी चूत को उंगली से चोद रहा था और यदि हम टाइम पर नहीं पहुँचते तो साला वह तुझे लौड़े से भी चोदता !’ यह कहकर मुझ पर सचमुच एक कुत्ते की ही तरह पिल पड़ा और अगले आधे घन्टे तक वह मेरे जवान होते अंगों से नोच-खसोट करने लगा। मैं एक निरीह बकरी की तरह उस कसाई का आगे लाचार थी। ‘बस बहुत हो गया.. हरामजादी की चूत भी गीली हो गई है… चुदवाना चाहती है, अब ‘काम’ का टाइम है !’ यह कहते हुए उसने मुझे उसी बिस्तर पर पटक दिया, जहाँ मम्मी-पापा से चुदती थीं।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! ‘नहीं रामू चाचा.. नहीं.. मुझे छोड़ दे…. देख मेरी इस नादान उम्र का लिहाज कर… मुझे खराब मत कर !’ यह सब मैं नाटक कर रही थी पर असल में तो मैं लौड़े का पूरा मज़ा लेना चाह रही थी। ‘चुप्प रंडी.. अगर एक भी आवाज़ निकाली तो मैं तुझे इतना चोदूँगा कि तू चार दिन तक अपनी टाँगें बंद नहीं कर पाएगी।’ अब वह मेरे ऊपर आ गया और मेरी बिल्कुल गीली चूत के छेद पर अपना मूसल रख कर भीतर ठेलने लगा। पर इस काम में रामदीन सावधानी बरत रहा था, फिर भी मुझे बहुत ही दर्द हो रहा था। ‘यह ले कुतिया.. अब यह संभाल रंडी.. तुम लोगों का बदन जितना कोमल होता है, उतनी ही कोमल बुर भी होती है !’ यह कह कर उसने एक ज़ोर का धक्का भीतर दिया और मेरी ज़ोर से चीख निकली, जिसे उसने अपना मजबूत हाथ मेरे मुँह पर लगा बंद कर दी। फिर वह मुझे 10 मिनट तक वैसे ही चोदते रहा। इस बीच मेरा भी काफ़ी हद तक दर्द कम हो गया था। फिर उसने ढेर सारा गाढ़ा-गाढ़ा सा कुछ मेरी चूत में छोड़ा और तब एक बार फिर फोन की घन्टी बज उठी। मेरी माँ फिर लाइन पर थीं, पर अब तक उसकी बेटी चुद चुकी थी। ‘नहीं.. वो अभी भी बाहर खेल रही है, उससे कुछ कहना है?’ फिर कुछ देर वह उधर की बात सुनता रहा और कहा- मैं बाहर उस पर नज़र रखे हुए था, जब फोन सुना तो भाग कर आया हूँ शायद इसी लिए हाँफ रहा हूँ !’ फिर कुछ देर वह मम्मी की बात सुनता रहा और कहा- ठीक है मेमसाहिब, मैं उस से कह दूँगा। उसके बाद रामदीन ने मुझे फिर पकड़ लिया और एक बार फिर उसका लंड मेरी चूत में था। इस बार मुझे तकलीफ़ नहीं हुई बल्कि मज़ा आया। उस दिन उसने मुझे बाहर खेलने के लिए भी नहीं जाने दिया, रात का खाना उसने जल्द ही बना लिया, फिर वह नहाया, पापा के रेज़र से उसने शेव की और कई तरह की क्रीम और सेंट भी लगाया, जो मम्मी के थे। फिर उसने मुझे भी कहा- तू भी नहा ले, ठीक लगेगा। मैं उससे बिना नज़रें मिलाए नहाने चल पड़ी। जब मैं नहा कर वापस आई, तो वह मम्मी के बेड पर ही बैठा था और मुझे भी वहीं खींच लिया। उस रात उसने मेरी दो बार और चुदाई की। सच बात यह है कि बाद की चुदाई में मुझे बहुत अच्छा लगा था और मन में यह भी संतोष था कि सान्याल अंकल भी पुलिस की परेशानी से बच जाएँगे। ‘उठ कुतिया.. सुबह हो गई है.. तुझे स्कूल जाना है !’ मेरी नींद खुली और उस कमीने नौकर ने मुझे चूत में उंगली डाल उठाया था। मेरी हालत खराब थी। मैं बाथरूम भी पाँव छितराए ही गई। ‘नहीं.. मैं आज स्कूल नहीं जाऊँगी, मेरा नीचे बहुत दु:ख रहा है.. मुझसे ठीक से चला भी नहीं जाता !’ मैंने स्कूल जाने से साफ मना करते हुए कहा। ‘तो क्या घर बैठकर चुदवाएगी… रंडी को अब चुदाई अच्छी लगने लगी है ! नहीं.. चल स्कूल जाना है.. नहा-धो कर तैयार हो जा, या मैं तुझे नहलाऊँ ! मैंने तुझे पहले भी यहाँ नंगी कर बहुत बार नहलाया है !’ मैंने रामदीन की बातों पर ध्यान नहीं दिया और रोज की तरह तैयार हो गई। ‘चाचा जो तूने कल किया, वो ठीक नहीं किया.. अब मैं कुँवारी नहीं रही !’ मैंने नाश्ता करते हुए कहा। ‘बिटुआ अगर हम कल उस वक़्त नहीं पहुँचते तो तेरा अंकल तुझे ज़रूर चोद देता.. तुझे कुँवारी तो रहना ही नहीं था… फिर हम भी तो यहाँ 15 साल से काम पर हैं। हमार घरवाली मरने के बाद तो हम यहीं है ना !’ रामदीन की बात सुन मैंने कहा- नहीं कभी नहीं.. अंकल यह कभी नहीं करते.. वह जो कुछ कर रहे थे, केवल ऊपर-ऊपर से कर रहे थे ! ‘तू अभी बच्ची है और नासमझ है। मैं दो साल से उस हरामी की आँखों में तुझे चोदने की हवस देख रहा हूँ, तेरा हरामी अंकल कल नहीं तो आज तेरी चूत ज़रूर फाड़ देता.. इस लिए मैंने सोचा मैं ही क्यूँ ना तेरी कोरी चूत को फाड़ने का मज़ा ले लूँ !’ फिर मेरे मन में जो डर बैठा था वह मैंने रामदीन को बताया- अगर मेरे बच्चा हो गया तो क्या करेगा..? मुझे पता है यह करने से ही औरतों के बच्चा होता है। ‘तू हमे चूतिया समझती है ! सरकार से मिलने वाले पैसे के लालच में हम बहुत पहले अपने लण्ड का कनेक्स्सन कटवाये लिय थे.. अब चलो.. जल्दी करो स्कूल की बस का टाइम हो गया !’ जैसे ही मैं रोज की तरह स्कूल जाने को निकलने के लिए हुई एक बार फिर फोन बज उठा। ‘हाँ.. स्कूल जाने के लिए तैयार है.. अच्छा बुलाता हूँ !’ फिर उसने गले पर एक उंगली फेर कर मुझे इशारा किया कि यदि कुछ कहा तो… और मुझे फोन थमा दिया। मैंने मम्मी से इंग्लिश में बात तो क़ी, पर सारी घटना के बारे में कुछ भी नहीं बताया, फिर मैंने रामदीन को यह कहते हुए फोन थमा दिया कि मम्मी उससे कुछ बात करेंगी।
कहानी जारी रहेगी। मुझे आप अपने विचार मेल करें।
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