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अनुभव कर्ता : कबीर शाह प्रस्तुति : रूचि वर्मा नमस्कार दोस्तो, मैं रुचि वर्मा फिर से एक नई कहानी लेकर आई हूँ। आपने मेरी जन्मदिन के दिन चुदाई को सराहा, मैं आप सबकी बहुत आभारी हूँ, आशा करती हूँ कि यह कहानी भी आप सभी को पसंद आएगी। अगर कुछ कमी रह गई हो तो माफ़ कीजिएगा। अगर पसंद आए तो मैं आपके ईमेल का इंतज़ार करुँगी…! मेरा नाम कबीर शाह है और मैं इंदौर शहर का रहने वाला हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, जब भी यहाँ पर कोई कहानी पढ़ता था, तो लगता था कि मैं भी अपनी आपबीती आप सभी के साथ शेयर करूँ, मगर शब्दों के अभाव मैं कभी लिख नहीं पाया था। मेरी मदद मेरी गर्लफ्रेंड ने की जो यहाँ पर काफी कहानिया भेज चुकी है। बात उस समय की है, जब मेरी नई जॉब मुंबई शहर में लगी थी। मैंने दादर ईस्ट मैं रहना पसंद किया क्योंकि यहाँ से मेरा ऑफिस नजदीक था। मेरी मकान मालकिन जो की उम्र करीब 30-32 साल की थी। वो भी नौकरी करती थी। मैं वहाँ पेइंग-गेस्ट के रूप में रह रहा था। क्या माल थी वो..! उसकी 34-30-36 की साइज़ और देखने में 28 की लगती थी, उसका पति 3 साल पहले विदेश मैं नौकरी करने की वजह से रह रहा था। वो बला की खूबसूरत थी। मैं उस पर बहुत लाइन मारता था, पर वो थी कि भाव ही नहीं देती थी। एक दिन मैं ऑफिस से कुछ जल्दी आ गया, सोचा कि कुछ आराम हो जाएगा। मैं जैसे ही घर के अन्दर पहुँचा तो देख कर चारों खाने चित्त हो गया। मेरा लंड पैन्ट फाड़ कर आजाद होने को मचल रहा था। मेरी मकान मालकिन बिना टॉप के हॉल में बैठी फ़ोन पर किसी से बात कर रही थी और जोर-जोर से बोल रही थी- तुमने मेरी जिंदगी ख़राब कर दी, मैं तीन साल से यहाँ अकेली तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ और तुम वह ऐश कर रहे हो। मेरा इन बातों पर ध्यान तो बहुत बाद में गया। वो मुझे देख कर शरमा गई और अपने कमरे में चली गई। पर मेरा हाल तो जैसे ज्वालामुखी की तरह था, मैंने उस दिन 3 बार मुठ मारी, फिर भी अपनी हवस की आग को नहीं बुझा पा रहा था। शाम को जब हम खाना खाने के लिए हॉल में मिले, तो मैंने पूछा- मैडम कोई प्रॉब्लम है.. मैं कुछ मदद कर सकता हूँ..? उसने बिना सर ऊपर किए कहा- नहीं.. तुम मेरी मदद नहीं कर सकते। उसकी आवाज से लगा रहा था कि वो बहुत रोई है। मैं उसके पास गया और कहा- अगर मदद नहीं कर सकता, तो कम से कम मन तो हल्का कर ही सकता हूँ। मेरे इतना कहने पर वो मुझसे चिपक कर रोने लगी और बार-बार कह रही थी कि उसके पति का विदेश में कोई लड़की से चक्कर है। इस कारण यहाँ नहीं आ रहा है, मेरा तो जीवन ही ख़राब हो गया है। वो मुझसे लिपट कर रो रही थी और उसकी छाती की गरमी मेरे अन्दर की हवस को और बढ़ा रही थी। मेरा लंड अब 7″ का हो चुका था, इस बात का अहसास शायद उसे भी हो गया था। थोड़ी देर मैंने उसे दिलासा दिया और कहा- सब ठीक हो जाएगा, आप खाना खा लो.. उसने कहा- मैं आज पीना चाहती हूँ। मैंने उसे कहा- मैं ले आता हूँ। मैं तो जैसे इसकी ही फ़िराक में था। मेरे पास पड़ी शराब की बोतल ले आया और मैंने उसका पैग बनाया। उसने कहा- आप नहीं लेंगे..! तो मैंने कहा- अगर हम दोनों बहक जाएंगे, तो कौन हमें संभालेगा। उसने कहा- आज बहक जाने दो मुझे…. मत रोकना मुझे..! मैं भी तो यही चाहता था। हम दोनों ने 2-2 पैग पिए। मैं तो नॉर्मल था, पर उसे काफी चढ़ चुकी थी। मेरे मना करने पर भी उसने तीसरा पैग ले ही लिया। फिर उसने मुझे अपने पास बुलाया और कहा- एक बात बताओ.. क्या तुमने कभी किसी के साथ सेक्स किया है? मुझे समझ में आ गया कि इसे बहुत हो गई है और अब इसे चुदवाने की भूख लगी है। मैंने कहा- नहीं.. मैंने इसे अपने पार्टनर के लिए संभाल कर रखा है। वो हँसती हुई बोली- अगर उस रात कुछ न हुआ… तो इज्जत ख़राब हो जाएगी और पूरी लाइफ अपने आपको कोसते रहोगे। मैं अनजान बनकर उसकी बातें सुन रहा था। उसने कहा- चलो मैं आज तुम्हें बताती हूँ कि एक औरत को कैसे संतुष्ट किया जाता है। मेरा तो जैसे सपना पूरा हो गया। वो मेरे पास आई और मेरे होंठों को चूसने लगी, जैसे कोई आम चूसता है। मेरा तो लंड फिर से 7” का हो चुका था और मन कर रहा था कि मैं अभी उसके कपड़े खोल कर उसकी चूत में अपना लंड डालकर बता दूँ कि कैसे संतुष्ट कर सकता हूँ पर इससे बात ख़राब हो सकती थी। मैं अनजान ही बना रहा और कहने लगा- मेरे सारे शरीर में काँटे चुभ रहे हैं, प्लीज बंद करो अब..! पर उसने मुझे चुम्बन करना चालू रखा। उसने अपना टॉप निकाल दिया और ब्रा भी, क्या चूचुक थे वो… हापुस आम भी शरमा जाएं। उसने मुझसे कहा- मेरे इन चूचुकों को जैसे चाहो चूसो। मैंने उसके बोबों को पूरी तरह निचोड़ दिया। वो अब पूरी तरह से जोश में थी और सिसकारियाँ ले रही थी। धीरे से मैंने अपने हाथ को उसकी गांड पर फिराना चालू किया। वो और जोर से मचल रही थी और कह रही थी- आज छोड़ना नहीं… प्लीज मुझे चोद डालो.. और इस सूखी चूत को फिर से रंगीन कर दो अपने लंड से..! मैंने अब उसकी चूत पर हाथ फिराना शुरू कर दिया और धीरे से उसकी जीन्स निकाल दी, उसने अपनी पैन्टी खुद ही निकाल कर फेंक दी। वो बार-बार कह रही थी- मेरी चूत को चाटो और चाटो..! मैं उसकी चूत के दाने को अपने जीभ से चाट रहा था और वो सिसकारियाँ ले रही थी। पूरे हाल में ‘आह… ओहsss उफ्फ..’ की आवाज गूंज रही थी। पूरा माहौल कामुक हो चुका था और मैं पूरी तरह उसकी जवानी को पी रहा था। उसकी चूत से पानी निकल रहा था, मुझे पता चल गया था कि वो मेरे लण्ड को लेने अब पूरी तरह से तैयार है। मैं फिर भी उसकी चूत को चाट रहा था और अपनी जीभ उसकी चूत में लौड़े की तरह डाल रहा था। करीब पाँच मिनट बाद वो झड़ गई और उसका सारा पानी मैं पी गया। अब मेरा नंबर था, उसने कहा- आज 3 साल के बाद मुझे से सुख मिला है, मैं आज तुम्हें पूरी तरह से खुश कर दूँगी। उसने मेरा लोअर निकाला और मेरी अंडरवियर को फाड़ दिया। अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे। उसने मेरे लंड को अपने हाथ से आगे-पीछे करना शुरू किया और वो मेरी छाती की घुंडियों को चूस रही थी। मैं तो जैसे स्वर्ग में था। कुछ समय बाद उसने मेरे लौड़े को चूसना शुरू किया और वो भी इस बेरहमी से जैसे कोई बकरी दूसरी बकरी का थन पी रही हो। मैं तो पाँच मिनट में ही झड़ गया और उसने मेरा सारा वीर्य पी लिया। मैं पूरी तरह से शांत हो चुका था, पर अभी भी उसे चोदना बाकी था। कुछ देर रूककर मैंने उसे चूमना शुरू किया और हम दोनों फिर से एक-दूसरे को चुम्बन कर रहे थे। मैं उसके मांसल बदन को अपने हाथों से मसल रहा था और वो मेरे लण्ड को अपने नाजुक हाथों से हिला रही थी। अब हम पूरी तरह से जोश में आ चुके थे। मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा, उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। मैंने उसे सोफे पर लिटाया और मेरे लंड का सुपारा चूत के मुँह पर रखकर एक धक्का दिया। अब मेरा लंड आधा उसकी चूत में जा चुका था, पर वो तड़प रही थी और बोल रही थी, “बस निकाल दो..!” मैं शांत रहा और उसे दर्द से उबरने का मौका दिया। मैं साथ ही उसके निप्पलों को अपने जीभ से सहला रहा था। वो फिर से जोश में आ गई थी। अब मैंने धीरे-धीरे पेलना शुरू किया। अब वो भी अपनी गान्ड हिला-हिला कर मेरा साथ दे रही थी। करीब 20 मिनट तक हम उस ही पोजीशन में चुदाई करते रहे। फिर उसने कहा- अब मैं तुम्हारे ऊपर आती हूँ। उसने मुझे सोफे पर बिठाया और अपने पैर मेरे टखनों पर रख दिए और एक ही बार में पूरा लण्ड उसकी चूत में पेवस्त हो गया था। अब वो ऊपर-नीचे हो रही थी और मैं उसके हिलते हुए मांसल मम्मों और गांड को देख मजा ले रहा था। दस मिनट इस अवस्था में चोदने के बाद हमने फिर से पोजीशन चेंज की और मैंने उसे घोड़ी बना कर चोदा। अब तक वो 3 बार झड़ चुकी थी और मैं झड़ने वाला था। मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ… कहाँ पानी निकालूँ…! उसने कहा- मेरी चूत में अपना पानी छोड़ कर इस सूखी चूत को निहाल कर दो। जोरदार 3-4 शॉट के बाद मैं झड़ गया और वो भी एक और बार झड़ चुकी थी। अब उसकी चूत और मेरा लण्ड लाल हो चुके थे और हम पूरी तरह से थक चुके थे। पूरी रात वो मेरे ऊपर बिना कपड़ों के सोई रही और मैं भी कब सो गया पता नहीं चला। उसके बाद हम काफी अच्छे दोस्त बन गए और रोज़ चुदाई भी करते थे। उसकी सासों की महक आज भी मैं महसूस कर सकता हूँ। आगे और क्या हुआ ये भी बताऊँगा पर पहले आप मुझे मेरी कहानी के बारे में बताएँ ताकि मुझे और प्रेरणा मिले। कबीर शाह की इस दास्तान के साथ मैं आपकी रुचि वर्मा [email protected]
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