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हर लड़की का गरम होने का अलग अलग सिस्टम होता है। शायद उसका पति यह सब नहीं करता होगा। शायद इसीलिये अनु रानी अपनी ख्वाहिशें मेरे साथ पूरी करना चाहती थी। उसकी बहन नीलम रानी ने उसे ज़रूर बता ही दिया होगा कि मैं कितना चोदू हूँ और मैं कितना ज़्यादा अपनी गर्ल फ्रेंड को मज़ा देता हूँ।
‘राजे राजे राजे… पता नहीं तू मेरा गुलाम है या मैं तेरी गुलाम बनने वाली हूँ। इतना मज़ा !!! हाय… हाय… बस बदन जल के स्वाहा हो जायेगा मेरा !’ अनु रानी इतनी गर्म हो चुकी थी कि उससे बोला भी नहीं जा रहा था।
वो भी मेरे ऊपर आ गई और उसकी नर्म नर्म गर्म गर्म गोल गोल फ़ूली हुई चूचियाँ मेरे लण्ड को बीच म़ें लेकर लण्ड को मसलने लगीं। फूल सी नाज़ुक चूचियों अपने इधर उधर पाकर लौड़े की तो ऐश लग गई। वो बार बार तुनक तुनक के अनु रानी को सलामी देने लगा। अनु रानी अब ज़ोर ज़ोर से सी सी की आवाज़ निकाल रही थी। उसने उठकर अपने आप को सही पोजीशन म़ें सेट किया और लण्ड के सुपारे को अपनी रस से लबालब बुर के मुंह पर जमाया।
‘राज..ए..ए..ए… ए… ए’ की एक लम्बी पुकार के साथ वो फचाक से लण्ड के ऊपर बैठती चली गई। बुर रस से बिल्कुल तर बतर थी, इसलिये लौड़ा बड़े आराम से भीतर घुसता चला गया और सुपारा जाकर अनु रानी की बच्चेदानी म़ें ठुका। रस या कह लो अमृत नंबर दो चूत से रिस रिस के बाहर निकाल के फैले जा रहा था, उससे मेरी झांटें भीग गई थीं।
हालांकि विक्रम अनु रानी को रोज़ कई बार चोदता था फिर भी अनु रानी की चूत काफी कसी थी। नीलम रानी की तकरीबन कुमारी चूत जैसी तो नहीं लेकिन खूब टाइट और खूब गर्म। लण्ड उस उत्तेजक बुर में घुसकर मतवाला हो गया।
अनु रानी ने धीमे धीमे चूत हिला हिला कर चोदना शुरू किया और आगे को जितना झुक सकती थी उतना झुक गई। उसने चुचूक मेरे मुंह से लगाये और धीरे से बोली- चल राजे अब जल्दी से मेरे दूध को दबा दबा के चूस… पूरी मुंह में लेकर ज़ोर से दांत गाड़ दे इनमें। तभी जाके इनकी सख्ताई कुछ घटेगी..
चूची मुख में लेकर मैं मस्त चूसने लगा, कभी कभी निप्पल को और कभी कभी चूची को कस के काट भी लेता, हाथ बंधे थे नहीं तो दबा दबा के पिलपिला कर देता। लेकिन अनु रानी इसमें ही खूब मस्त थी, वो खुद ही अपनी चूचियाँ निचोड़ रही थी और धक्के भी मारती जाती थी। यह पहला मौका था जब मैं अंधों की तरह और हाथ बंधे हुए चोदा जा रहा था। लेकिन इस तरह चुदना भी एक अलग ही मज़े की घटना थी।
अनु रानी ने अब धक्के तेज़ तेज़ लगने शुरू कर दिये। उसके मुंह से हाय हाय आह आह ऊ ऊ ऊ जैसी आवाज़ें मेरी ठरक को कई गुना किये जा रहीं थीं। बड़ी ही शहद जैसी मीठी आवाज़ थी अनु रानी की। फिर उसने थोड़ा पीछे को सरक कर अपने प्यारे प्यारे पैर मेरे कंधों पर जमा दिये और बाज़ू मेरे घुटनों पर। इस प्रकार सेट होकर अनु रानी ने जो धमाचौकड़ी मचाई है की पूछो मत।
इस पोज़िशन में वो बड़े तगड़े तगड़े धक्के मार सकती थी और वैसा ही कर रही थी। चूत के रस में लिबड़ा हुआ लण्ड जब घुसता तो फच्च फच्च की ऊँची ऊँची आवाज़ आती। बुर से बहते हुए रसे से मेरा सारा कटि प्रदेश गीला हो चुका था, अनु रानी की साँसें उखड़ने लगीं थीं, वो अब भैं भैं करके हाँफ रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब अनु रानी ने अपने को पूरा घुमा के अपनी पीठ मेरी तरफ कर ली और हाँफते हुए बोली- राजे… मेरे हाथ तक गये मम्मे दबाते दबाते… अब तू इनको जकड़ के ज़रा ताक़त लगा के मसल। पीछे से जकड़ेगा तो ज़्यादा ताक़त लगा पायेगा… समझ ले तुझे इनका कीमा बनाना है… हाँ हाँ राजे हाँ !
मैंने कहा- रानी, मेरे तो हाथ बांध रखे हैं तूने ! अनु रानी बोली- ओ हो मैं तो भूल ही गई थी… अब हाथ खोलेंगे तो तेरा मुझे लण्ड अपनी चूत से निकालना पड़ेगा ना ना ना। मैं ना छोड़ने वाली अब तेरे मूसल चंद को… ठीक है कोई बात नहीं !
अनु रानी ने फिर से अपनी कमरिया उछाल उछाल के मुझे चोदना चालू कर दिया। क्या ज़बरदस्त चुदक्कड़ थी यह लड़की ! क्या धक्के लगाती थी !! क्या सीत्कारें भरती थी !!! वाह वाह !!! हर धक्के पर मेरा सोटा धाड़ से जाकर अनु रानी की बच्चेदानी पर धमाका करता जिसकी धमक मुझे सिर तक महसूस होती, बहुत ही जबरजंग चुदाई हो रही थी।
अचानक से अनु रानी ने चार पांच धक्के बिजली की तेज़ी से ठोके और एक गहरी सीत्कार भरते हुए राजे… राजे… राजे… मेरे राजे पुकारते हुए स्खलित हो गई। वो एक बार नहीं कई दफा झड़ी, बुर के रस की तेज़ फुहारें मेरे लण्ड पर चारों तरफ से पड़ती हुई महसूस हुईं और तभी मेरे को यूं लगा कि मेरे भीतर एक पटाखा फूटा।बड़े ज़ोर से मैं भी झड़ा जैसे कोई ज्वालामुखी फटा हो, दनादन मेरे लण्ड से वीर्य के मोटे मोटे लौंदे एक के पीछे एक बड़ी रफ़्तार से छूटे।
अनु रानी की सारी चूत भर गई मेरे मर्द मक्खन से। मेरा गर्म गर्म लेस चूत में जाते ही अनु रानी फिर से झड़ी और एकदम से मेरे ऊपर गिर पड़ी। क्योंकि उसकी पीठ मेरी तरफ थी, इसलिये उसका मुंह मेरे घुटनों पर आ गया, उसके मुंह से गर्म गर्म साँसें हाँफते हुए मेरे घुटनों को भी गर्म कर रही थीं।
कुछ देर के बाद हम दोनों की साँसें काबू में आई। अनु रानी उठी, सड़ाप की आवाज़ से बैठा हुआ लुल्ला चूत से बाहर फिसल आया, चूत से रस और मेरे वीर्य का मिला जुला तरल पदार्थ खूब सारा मेरे जाँघों पर टपक पड़ा।
अनु रानी ने मेरी आँखों की पट्टी खोली और फिर मेरे हाथ भी खोल दिये। अनु रानी मेरे मुंह से अपना मुंह सटा दिया और बड़ी देर तक मेरे होंठों को चूसा, फिर उसने अपना मुंह मेरे कान के पास लाकर धीमी आवाज़ में कहा- राजे… तुझे मज़ा आया अपनी मालकिन से चुदवाकर…? तू भी एक मंजा हुआ चुदाड़ी निकला… बहुत मस्त किया तूने मुझ को। इसलिये खुश होकर मैं तुझे गुलामी से आज़ाद कर देती हूँ !
‘नहीं अनु रानी… मुझे आज़ाद होना ही नहीं है.. मैं तो बहुत खुश हूँ तेरा गुलाम बना रहकर !’ ‘ठीक है… ठीक है… ! अनु रानी ने मुझे दुबारा से एक बहुत लम्बा चुम्बन दिया और बोली- राजे… अब जा थोड़ा आराम कर ले या मेरी बहन नीलम के साथ खेल ले… शाम को मेरा पति और तू मुझे एक साथ चोदोगे… अच्छा बता तू पहले चूत मारेगा या गाण्ड?’
‘अनु रानी, यह तेरी मर्ज़ी पर है… तू जिस से चाहे पहले गांड मराये या चूत। जो तू कहेगी वही होगा !’ ‘ठीक है… मैं ही फैसला कर लूंगी उसी वक़्त !’
फिर बाथरूम में जाकर अनु रानी ने एक तौलिया गीला करके मेरे बदन और अपने आप को भली भांति साफ किया, हम बाथरूम से बाहर आ गये। अंदर रूम में विक्रम बैठा हुआ था, नंगा और अपना खड़ा लण्ड हाथ में लिये हुए। नीलम रानी कैमरा में शायद जो उसने हमारी फिल्म खींची थी, उसे देख रही थी।
मैंने ध्यान से विक्रम को देखा। अच्छा हट्टा कट्टा नौजवान था और उसका लण्ड भी बहुत लम्बा था। मेरे लण्ड से कम से कम दो इंच ज़्यादा लम्बा था। लेकिन मोटाई मेरे लण्ड की उससे बहुत ज़्यादा थी। तभी अनु रानी इतनी चुदक्कड़ हो गई थी… इतना लम्बा लण्ड से रोज़ चोदाई करवा करवा कर.
‘अनु चल अब जल्दी से मुझे चूस के खलास कर। लण्ड अकड़े इतनी देर हो गई कि इसकी जड़ में दर्द होने लगा है… राजे सर आप चाहो तो देखो या अपने रूम में नीलम के साथ मस्ती कर लो… जैसी भी आपकी इच्छा हो।’ पहले तो मैंने कपड़े पहने और अनु रानी को विक्रम का लण्ड चूसने के लिये उन्हें वहीं छोड़कर मैं और नीलम रानी अपने रूम में आ गये।
रूम मे घुसते ही मैंने नीलम रानी को लिपटा लिया और उसके मुंह को चूमना चाहा। नीलम रानी ने मुंह परे हटा कर कहा- क्यों अब क्यों याद आई अपनी नीलम रानी की… तब तो बड़े मस्त होकर अनु को चोदे जा रहे थे? मैंने जबरन नीलम रानी का प्यारा सा मुंह अपनी ओर करके उसे खूब अच्छे से चूमा, अबकी उसने मुंह नहीं हटाया, मैं जानता था कि वो नाटक कर रही है।
मैं कौन सा खुद गया था अनु रानी को चोदने ! नीलम रानी के ज़ोर देने पर ही तो हम लोग यहाँ इस होटल में जमा हुआ थे। खूब होंठ और जीभ चूस चूस के मैंने कहा- नीलम रानी… तूने कहा था कि तू मुझे तीन दफा अपने तरीक़े से चोदेगी क्यूंकि मैं तेरे दफ्तर में चलाये गेम में कुछ भी नहीं कर पाया था।
‘नहीं राजे… आज नहीं… कल से मेरा बहुत पेट दर्द हो रहा है। आज के लिये माफी दे दो ना मेरे प्यारे राजे… मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ। कभी भी चोद लेना’ नीलम रानी बोली। मैंने कहा- कोई बात नहीं रानी। चलो आज सिर्फ चूमा चाटी से ही काम चला लेंगे !
नीलम रानी ने कहा- नहीं राजे… तुम चूमोगे तो लण्ड खड़ा होगा। फिर या तो तुम मुझे चोदना चाहोगे या चूसवा के झाड़ना। आज नहीं कर पाऊंगी… मैंने दवा ले ली है.. कल तक ठीक हो जाऊँगी, चलो राजे सो जाओ अच्छे बच्चे की तरह। गेम वाली वसूली मैं बाद में कर लूंगी। मैं बोला- ठीक है, सो ही जाते हैं। पता नहीं रात सोने को मिले या नहीं। खैर हम सो गये एक दूसरे की बाहों में लिपट कर।
शाम सात बजे के क़रीब अनु रानी ने फोन करके पूछा कि हम तैयार है या नहीं। हम तो तैयार ही थे, दोनों उठकर साथ वाले अनु रानी के रूम में चले गये।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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